अमेरिका : दासों के मुक्तिदाता राष्ट्रपति
जन्म : 1809
मृत्यु : 1865
अब्राहम लिकन संयुक्त राज्य अमेरिका के ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने देश और समाज की भलाई के लिए अपना जीवन तक उत्सर्ग कर दिया। पहले अमेरिका में जारी गृहयुद्धों के समय वे सेना के एक विजयी कप्तान के रूप में सामने आए और युद्ध समाप्त होने पर राजनीति में प्रवेश कर गए। 1847 में वे अमरीकी कांग्रेस (संसद) के लिए चुने गए और रिपब्लिकन पार्टी की ओर से चुनाव जीत कर वे 1861 में राष्ट्रपति बने।
संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास में वह एक संकटकाल था। उस समय दासप्रथा को लेकर देश में भारी मतभेद और असंतोष फैला हुआ था। उत्तरी राज्यों के गोरे दास प्रथा के विरुद्ध थे, जबकि दक्षिणी राज्यों के गोरे अपने कपास और गन्नों के बागानों के लिए दास प्रथा को अत्यन्त उपयोगी मानते थे, अतः उन्होंने गुट से संबंधविच्छेद कर अपना अलग संघ (कॉन्फीडरेशन) बना लिया। परिणामतः गृहयुद्ध का सूत्रपात हो गया।
लिंकन संयुक्त राज्य की अखंडता बनाए रखने तथा दास प्रथा के उन्मूलन के लिए संकल्पबद्ध थे। अतः उन्होंने अपनी तथा सरकार की पूरी शक्ति के साथ उत्तरी राज्यों की सहायता की। उत्तर की जीत हुई और दक्षिण का संघ टूट गया। इस बीच 1863 में, लिंकन ने दासप्रथा समाप्त कर दी थी। अभाग्यवश, गृहयुद्ध समाप्त होने के कुछ ही दिन बाद, उनके एक विरोधी ने उनकी उस समय हत्या कर दी जब वे एक नाट्यशाला में बैठे थे।
लिंकन का जन्म 12 फरवरी, 1809 को केंटकी (अमेरिका) के एक निर्धन परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम थामस लिंकन था। अब्राहम बचपन से ही काफी प्रतिभाशाली थे पर साधनों के अभाव में अधिक शिक्षा नहीं प्राप्त कर सके। उन्होंने एक स्टोर क्लर्क के रूप में काम आरंभ किया। फिर गाँव के पोस्टमास्टर भी बने और धीरे-धीरे उन्होंने कानून की शिक्षा प्राप्त कर वकालत पास कर ली। 1842 में उन्होंने मेरी टॉड नामक युवती से विवाह किया। उन्होंने युद्ध और राजनीति, दोनों में समान उत्साह से भाग लिया और एक दिन देश के सर्वोच्च पद तक जा पहुँचे।