Personalities

माओ त्से तंग

mao tse tunh ka hindi parichay

चीन : चीन में साम्यवाद के जनक

जन्म : 1894

मृत्यु : 1976

माओ त्से तुंग (Mao Tse-tung) का नाम चीन में आज भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने चीन में न केवल सफल साम्यवादी क्रांति की अवतारणा की बल्कि चीनी गणराज्य को एक शक्तिशाली राष्ट्र में भी परिवर्तित किया। माओ एक अत्यंत शक्तिशाली राजनेता थे और चीन में क्रांति के दूत बनकर उदित हुए थे। उनको चीनी गणराज्य का राष्ट्रपिता कहा जाता है । माओ ने राष्ट्रवादियों से सफल संघर्ष किया और चीन में अपनी विजय के साथ साम्यवाद की स्थापना की। चीन को आधुनिक प्रगति की राह पर लाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। माओ ने अपना जीवन एक कृषक के रूप में प्रारंभ किया था और परिश्रम करके वह चीन का भाग्यविधाता एवं प्रथम राष्ट्रपति बने । माओ की लिखी ‘लाल किताब’ चीन की राष्ट्रीय धरोहर है। 1920 में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की नींव डालने वाले माओ त्से तुंग ने देश को एक विश्व शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया।

माओ का जन्म उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में चीन के दक्षिणी प्रान्त हुनान (Hunan) में एक कृषक परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें ‘पुस्तकों’ से प्रेम था। माओ ने घोर गरीबी, भयंकर युद्ध और त्याग का जीवन व्यतीत किया और चीन की तन-मन-धन से सेवा की। माओ मान्चू साम्राज्य के विरुद्ध 1911 में हुई महान क्रान्ति के बाद के वर्षों में क्रान्तिकारी गतिविधियों में गहरी रुचि लेने लगे थे। 1918 में रूस में लेनिन द्वारा कम्युनिस्ट राज्य की स्थापना के बाद माओ त्से-तुंग के प्रयासों से ‘चीनी – कम्युनिस्ट पार्टी’ (Chinese Communist Party) की स्थापना हुई। 1930 में माओ ने किआंगसी में ‘चीनी सोवियत रिपब्लिकन’ (Chinese Soviet Republic) की घोषणा की परंतु सरकार ने उन्हें रिपब्लिक का विचार त्यागने पर बाध्य कर दिया। फिर वे अपनी विख्यात ‘लम्बी यात्रा’ (Long March) पर निकले तथा किसानों को संगठित करके एक छापामार सेना तैयार की। फिर सरकार को तंग करने का सिलसिला शुरू हो गया। 1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद माओ सीधे मध्य चीन (Central China) पहुँच गए और कुओमिटांग (Kuomintang) सरकार की सेना को युद्ध में हराकर में चीनी मध्यभूमि (Mainland) पर कब्जा कर लिया। उन्होंने तुरंत चीन को ‘पीपुल्स रिपब्लिक’ (People’s Republic) घोषित कर दिया। वे कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन चुने गए जो वास्तव में राष्ट्राध्यक्ष ही होता है। जीवनपर्यन्त वे इस पद पर आरूढ़ रहे। अपने कुशल सहयोगी चाउ एन लाई की सहायता से माओ ने चीन को लेनिन के आदर्शों के अनुसार गठित किया और उसे एक आधुनिक तथा ‘शक्तिशाली गणतन्त्रात्मक लोकतन्त्र (Democratic Republic) का रूप दिया। लगभग 82 वर्ष की आयु में 9 सितम्बर, 1976 को इस ‘लाल व्यक्ति’ का देहावसान हो गया।

माओ की मृत्यु के बाद उनके विरोधियों ने उनके नाम को कम करने का काफ़ी प्रयास किया फिर भी इतिहास में माओ का स्थान सदैव सुरक्षित रहेगा। उनके विचार और सिद्धान्त आज भी करोड़ों लोगों को आंदोलित करने में समर्थ हैं।

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