प्रकृति का संदेश (कविता)

पर्वत कहता शीश उठाकर

तुम भी ऊँचे बन जाओ।

सागर कहता है लहराकर

मन में गहराई लाओ।

पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो

कितना ही हो सिर पर भार।

नभ कहता है फैलो इतना

ढक लो तुम सारा संसार।  

समझ रहे हो क्या कहती

उठ उठ, गिर गिर तरल तरंग?

भर लो, भर लो, अपने मन में

मीठी-मीठी मृदुल उमंग।

संदेश – खास बात।

शीश – सिर, मस्तक।

लहर – तरंग।

गहराई – गहरापन।

धैर्य – धीरज।

भार – बोझ।

नभ – आकाश, आसमान।

फैलाव – विस्तार।

मृदुल – कोमल।

उमंग- आनन्द, उल्लास।

मानव घर से बाहर निकलता है तो प्रकृति के अनेक रूपों को देखता है। प्रकृति मानव की चिर सहचरी है। ऊँचे-ऊँचे पर्वत, वृक्षलताएँ, सागर, सरिता, सरोवर मनुष्य के अनेक भावों को जगाते हैं। कवि यह चाहते हैं कि मनुष्य भी प्रकृति से यह प्रेरणा लें कि हमेशा प्रफुल्लित और उपयोगी रहने से सभी का भला होता है और ऐसी प्रकृति को देख सभी खुश होते हैं।

(क) पर्वत और सागर क्या-क्या कहते हैं?

उत्तर – पर्वत मनुष्यों को यह कहता है कि हमारी तरह ही तुम भी अपने सिर उठाकर ऊँचे बनों अर्थात् जीवन में सफलता हासिल करो और सागर यह कहता है कि मन में विचारों की गहराई लाओ जिससे तुम्हें सफलता मिलने में आसानी हो।  

(ख) पृथ्वी का क्या कहना है?

उत्तर – पृथ्वी का कहना है कि किसी भी स्थिति में हमें कभी भी धैर्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। जिस तरह अनादि काल से बिना थके बिना रुके पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती आ रही है। उसी तरह हमें भी बिना विचलित हुए धैर्यवान बने रहना चाहिए।  

(ग) तरंग का संदेश क्या है?

उत्तर – तरंग अपनी क्रियाओं के माध्यम से हमें यह संदेश देने का प्रयास कर रही है कि सफलता पाने की राह में हमें कभी-कभी विफलता भी मिलती है। इस विफलता से हमें कभी भी सफलता को पाने की चाह का त्याग नहीं करना चाहिए।

(घ) नभ क्या कहता है?

उत्तर – नभ यह कहता है कि जिस प्रकार मैंने पूरे संसार को ढक रखा है उसी तरह तुम भी अपनी इतनी विस्तृत पहचान बनाओ कि संसार के प्रत्येक व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर सदा-सदा के लिए अंकित हो सको।

(ङ) धैर्य न छोड़ने के लिए कौन कहती है?

उत्तर – पृथ्वी हमें धैर्य न छोड़ने के लिए कहती है।

(क) पर्वत की ऊँचाई से हम क्या सीखें?

उत्तर – पर्वत की ऊँचाई से हम अपने जीवन में सफलता पाकर ऊँचा उठना सीख सकते हैं।

(ख) मन में गहराई लाने का क्या मतलब है?

उत्तर – मन में गहराई लाने का मतलब है कि हमें अपने जीवन में सफलता पाने के लिए बिना थके, बिना रुके, बिना हारे मेहनत करते रहनी है। 

(ग) हमारे सिर पर बोझ बढ़े तो हमें क्या करना चाहिए?

उत्तर – हमारे सिर पर बोझ बढ़े यानी हमारे ऊपर जिम्मेदारियाँ बढ़ें तो भी हमें धैर्यवान बनना चाहिए और सफलता प्राप्त करने की कोशिश निरंतर करते रहना चाहिए। 

(घ) नभ का फैलाव बहुत है, उससे हम क्या सीखें?

उत्तर – नभ के फैलाव से हमें यह सीखने की आवश्यकता है कि हमें भी नभ की तरह अपने व्यक्तित्व को इतना बुलंद और व्यापक बनाना है कि संसार के सभी लोगों के मस्तिष्क में हम सदा-सदा के लिए अमर हो सके।   

(ङ) मीठी-मीठी मृदुल उमंग का क्या अर्थ है?

उत्तर – मीठी-मीठी मृदुल उमंग का अर्थ यह है कि जब हम अपने जीवन में एक लक्ष्य बना लेते हैं तो उसे प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला उद्यम हमें जीवन के प्रति साकारात्मक और अक्षय उमंग से तरोताज़ा करते रहता है।

(i) पर्वत कहता शीश उठाकर

(ii) तुम भी ऊँचे बन जाओ।

(ii) नभ कहता है फैलो इतना।

(iv) भर लो, भर लो अपने मन में।

(i) नभ कहता है फैलो इतना

ढक लो तुम सारा संसार।

उत्तर – कवि अपनी इन पंक्तियों के माध्यम से यह कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार विस्तृत नभ पूरे संसार को ढक देता है उसी प्रकार हमें भी अपने व्यक्तित्व को अद्वितीय बनाकर संसार के समस्त मनुष्यों के मन और मस्तिष्क पर अपनी छाप छोड़नी चाहिए।

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(ii) भर लो, भर लो अपने मन में

मीठी-मीठी मृदुल उमंग।

उत्तर – कवि यहाँ अपनी पंक्तियों के माध्यम से यह कहने का प्रयास कर रहे हैं कि अगर हमें मनुष्य जीवन मिला है तो उसे सार्थक करना हमारा परम कर्तव्य है। इस हेतु हमें अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा और उसे पूरा करने के लिए उद्यम करना होगा। ऐसा करने से हम अपने को ऊर्जावान और समाजोपयोगी बना पाएँगे।   

‘क’           ‘ख’

पृथ्वी         धैर्य

पर्वत         ऊँचाई

सागर         गहराई

तरंग          उमंग

आकाश        विस्तार

1. पर्यायवाची शब्द लिखिए

पर्वत – भूधर

नभ – गगन  

संसार – जगत

सागर – समुद्र

मृदुल – कोमल

तरंग – लहरें

2. विपरीतार्थक शब्द लिखिए:

उठाना – गिराना

धैर्य – अधैर्य

मृदुल – कठोर

ढकना – उघारना

गहरा – उथला

समझ – नासमझ

3. इन शब्दों को लगाकर वाक्य बनाइए :

लहर – समुद्र की लहर छोटी-बड़ी होती हैं।

सारा – मैंने सारा काम कर दिया।

भार – कार्यालय का कार्यभार शुक्ला जी पर है। 

तरंग – रेडियो तरंग हमारे लिए हानिकारक नहीं हैं।

उमंग – हमें अपने जीवन में उमंग के साथ जीना चाहिए।  

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