Prerak Prasang

क्रोध पर विजय

sant-eknath par hindinibandh

संत एकनाथ किसी पर क्रोध नहीं करने के लिए प्रसिद्ध थे सभी लोग उनकी सहनशीलता और विनम्रता की प्रशंसा किया करत थे। एक दिन कुछ विरोधियों ने उन्हें कुद्ध करने को सोचा। इसके लिए उन्होंने एक दुष्ट व्यक्ति को चुना और उन्हें संत एकनाथ जी को क्रुद्ध कर देने के लिए रुपयों का लालच दिया।

एकनाथ जी भजन कर रहे ये तभी वह दुष्ट आया। उनके कंधे पर चढ़कर वह उनका ध्यान भंग करने लगा। एकनाथ जी आँखें खोलते हुए बोले, ‘बंधु! आपके जैसी आत्मीयता दिखानेवाला कोई भी अतिथि आज तक नहीं आया। बड़ी कृपा की जो आज आप आए। आज आपको बिना भोजन कराए जाने नहीं दूँगा।”

यह सुनकर वह शर्म के मारे उनके चरणों में गिर पड़ा और सचमुच ही उन्होंने उसे प्रेमपूर्वक भोजन करवाकर भेजा।

Leave a Comment

You cannot copy content of this page