एक बार संत एकनाथ गोदावरी से स्नान करके लौट रहे थे। गली में एक मुसलमान रहता या जो हिंदू साधुओं को बड़ा तंग किया करता था। उसने एकनाथ जी पर कुल्ला कर दिया। वे चुपचाप रहे और पुनः स्नान करने को चले गए। स्नान करने के पश्चात् उसने पुनः उन पर कुल्ला कर दिया। इस बार भी वे चुपचाप पुनः स्नान करने को चले गए। इसी तरह उसने उन पर 100 बार कुल्ला किया और एकनाथ जी उतनी ही बार गोदावरी में स्नान करने को गए। इतने पर भी उनके मुख पर कोई प्रतिकया का कोई भाव या क्रोध नहीं था। अंत में उसने अपनी हार स्वीकार कर ली और चरणों में गिरकर माफी माँगने लगा। एकनाथ जी ने उन्हें गले लगाते हुए कहा “कोई बात नहीं। तुम्हारे कारण तो आज मुझे 100 बार गोदावरी में स्नान करने का पुण्य प्राप्त हुआ। तुम तो धन्यवाद देने के अधिकारी हो।”