Prerak Prasang

सच्चा पतिव्रत-धर्म

shandili rishi kii kahani

एक ‘शांडिली’ नाम की औरत अपने पति कौशिक ब्राह्मण की अनन्य प्रेमी थी। उसका पति बड़ा दुराचारी था उसके सारे शरीर में कुष्ट हो गया था। वह भारी वेश्यागामी भी था। उसने अपनी पत्नी को कहा कि मुझे अमुक वेश्या के घर पहुँचा दो पत्नी उसको कंधे पर उठाकर लिए जा रही थी। वह उस दुर्व्यसनी और कोढ़ी पति के प्रति भी अनन्य भावसंपन्न थी। रास्ते में मांडव्य ऋषि साधना में बैठे हुए थे कि अचानक उस स्त्री का पाँव महात्मा को छू गया। ऋषि ने बिगड़कर उसे शाप देते हुए कहा “तू जिसको कंधे पर उठाए लिए जा रही हो वह कल सूर्योदय होते ही मर जाएगा और तू विधवा हो जाएगी।” उस सती ने जवाब दिया कि “यदि सूर्योदय होते ही मेरा पति मर जाएगा तो कल सूर्योदय होगा ही नहीं।”

उस साध्वी स्त्री के वचनों के प्रभाव से सूर्योदय नहीं हुआ। तमाम हो-हल्ला मच गया। सभी देवी-देवता वहाँ प्रकट हो गए। सती अनुसूया भी आई और समस्या का समाधान किया। प्राणहर्त्ता यमराज भी पहुँचे तब सबके अनुनय-विनय से सती अनुसूया ने शाप अनुग्रह में बदल दिया और वह मृत पति जिंदा हो उठा।

उस व्यसनी और कोढ़ी पति में क्या वैसी विशेषता थी परंतु उसकी पत्नी का पतिव्रत धर्म आला दर्जे का था।

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