एक बार बुद्धदेव कहीं जा रहे थे। रास्ते में एक चरवाहा अपनी भेड़-बकरियों के झुंड को लिए जा रहा था। उसमें से एक बकरी लंगड़ाकर चल रही थी। बुद्धदेव ने देखा तो बड़े दुखी हुए। उन्होंने चरवाहे से पूछा “तुझे कहाँ जाना है?” उसने बताया कि मुझे सामनेवाली पहाड़ी पर जाना है। बुद्धदेव बोले “अगर मैं इस लंगड़ी बकरी को उठाकर छोड़ आऊँ तो तुझे कोई एतराज तो नही।” उसने कहा “नहीं।’ वे उस लंगड़ी बकरी को उठाकर उस पहाड़ी पर छोड़ आए।
ऐसी थी बुद्धदेव की करुणा !