एक बार नानक देव मक्काशरीफ गए। उनके जाने की खबर सुनकर काली रुकुनुतीन उनसे मिलने आए। सत्संग के दौरान उन्होंने प्रश्न किया
“फकीरी का आरंभ क्या है?”
“अहं का कत्ल करना”, नानकदेव ने जवाब दिया।
काजी “फकीरी का अंज़ाम क्या है?”
नानक “अमर जीवन।”
काजी “फकीरी की पहचान क्या है?”
नानक “इन्द्रिय दमन।”
काजी “फकीरी की रौशनी क्या है?”
नानक “चुपचाप ध्यान करना।”
काजी “फकीरी का लिबास क्या है?”
नानक “सत्य और सौम्यावस्था।”