एक बार गुरु नानक मुल्तान शहर पहुँचे। वहाँ के पीरों और फकीरों ने उनकी परीक्षा लेनी चाही। उन लोगों ने नानकदेव के पास दूध से लबालब एक कटोरा भेजा। नानकदेव अभिप्राय समझ गए। वह यह कि जिस प्रकार इस भरे कटोरे में और एक बूँद दूध के लिए भी जगह नहीं उसी प्रकार इस शहर में पीरों और फकीरों का इतना आधिक्य है कि यहाँ तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं। नानकदेव ने इसके जवाब में उस दूध से भरे कटोरे के ऊपर गुलाब का एक फूल भेजा जिसका आशय था कि जिस प्रकार कटोरे के दूध से भरे रहने के बावजूद इसके ऊपर इस फूल को रख देने से न केवल दूध की रक्षा हो रही है बल्कि उससे सुगन्ध भी फैल रही है उसी प्रकार मेरे यहाँ आने से आपको कोई हानि नहीं पहुँचेगी, बल्कि सत्संग और ज्ञान का लाभ मिलेगा। यह देख सारे पीर और फकीर समझ गए कि वह कोई साधारण इंसान नहीं, कोई पहुँचा हुआ फकीर है। उनलोगों ने उनके पास जाकर कहा, “आप सचमुच कोई सिद्ध पुरुष हैं! आइए, इस नगर में हमलोग आपका खुशी-खुशी स्वागत करते हैं।”