Personalities

अरस्तू

Aristotal arastu in hindi language

यूनान : चिंतक एवं विचारक

जन्म : 384 ई० पू०

मृत्यु : 322 ई०पू०

यूनान का चिंतक और विचारक अरस्तू दार्शनिक प्लेटो का शिष्य था। इनका जन्म स्टेगिरस (यूनान) में 384 ई०पू० हुआ। अरस्तू के पिता राज्य चिकित्सक थे अतः बचपन से ही इनका झुकाव चिकित्साशास्त्र के अध्ययन की ओर रहा।

अरस्तू ने 17 वर्ष की उम्र में प्लेटो की एथेनियन अकादमी में दाखिला लिया। यहाँ वह 20 वर्ष तक अध्ययन करता रहा। इसी अकादमी में महान दार्शनिक सुकरात और प्लेटो के विचारों का प्रभाव अरस्तू के जीवन पर पड़ा। 347 ई०पू० मेँ प्लेटो की मृत्यु होने पर अरस्तू ने एथेन्स छोड़ दिया। अगले 12 वर्ष तक यह एथेन्स से बाहर रहा। अरस्तू ने 37 वर्ष की उम्र में विवाह किया। उनका विचार था कि विवाह के लिए पुरुष की आदर्श उम्र 37 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होनी चाहिए। 343 ई०पू० में अरस्तू को राजा फिलिप द्वितीय ने अपने 13 वर्षीय पुत्र सिकंदर को पढ़ाने के लिये नियुक्त किया। सिकंदर को एक महान साहसी योद्धा और राजनीतिज्ञ बनाने का संपूर्ण श्रेय अरस्तू को ही है। सिकंदर के साथ अरस्तू भारतवर्ष भी आया था। यहाँ से वापस लौटकर अरस्तू ने लीजियम स्कूल की स्थापना भी की।

अरस्तू ने लगभग 400 ग्रंथ लिखे जिनमें से अधिकांश प्राप्त नहीं हैं। प्राप्त ग्रंथों में पॉलिटिका, फिलॉसोफिया, मेटॉफिजिसिका आदि प्रमुख हैं। इन्होंने न्याय, शिक्षा, साम्यवाद आदि विषयों पर व्यापक विचार प्रकट किए हैं और राज्य को व्यक्ति से सर्वोच्च माना है। विदेशी व्यापार का भी अरस्तू ने समर्थन किया है। यूनान के इस प्रसिद्ध चितक और विचारक की मृत्यु उदर रोग के कारण 322 ई० पू० में हुई।

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