पुर्तगाल : महान खोजी
जन्म: 1469
मृत्युः 1524
वास्को-द-गामा समुद्र की राह भारत आने वाला पहला यूरोपीय यात्री था। उसने भारत के साथ व्यापार के लिए सुविधाजनक जलमार्ग की खोज की। इस बात का प्रयत्न इससे पहले भी एक पुर्तगाली यात्री कर चुका था परंतु वह लौटकर जीवित अपने देश न पहुँच सका।
वास्को-द-गामा बचपन से ही यह चाहता था कि अन्य पुर्तगाली नाविकों के समान वह भी एक बड़ा और सफल नाविक बने। पुर्तगाली नाविकों ने अफ्रीका के समुद्री किनारे पर अनेक स्थानों पर अधिकार करके पुर्तगाली उपनिवेशों की स्थापना की थी। पुर्तगाल के राजा इमानुएल ने इस कार्य में वास्को की सहायता की और उसे चार जहाज तथा एक सौ से अधिक आदमी देकर भारत जाने के लिए कहा। तीन महीने तक समुद्र में भटकने के बाद भी उसे कहीं किनारा दिखाई न दिया। परंतु वह भी हार मानने वाला न था । अंततः मई, 1498 को वह भारत के दक्षिण पश्चिमी तट पर कालीकट नामक स्थान पर जा पहुँचा। अनेक कष्ट सहने तथा अपने कई साथियों की मृत्यु के बावजूद उसने भारत पहुँचने का जो एक नया मार्ग खोज लिया था, इस बात से उसे संतोष था। अभी तक भारत पहुँचने का मार्ग ऊँचे पहाड़ों, दर्रों और रेतीले मैदानों से होकर गुजरता था। वास्को-द-गामा के पहुँचने के बाद ही भारत में पुर्तगाली बस्ती बनी। इतने कष्ट सहने के बाद जब वह वापस अपने देश की राजधानी लिस्बन पहुँचा तो उसके साथ गए आधे से भी अधिक नाविक मर चुके थे, परंतु चूँकि वह अपने जहाज भारतीय मसालों से भर कर वापस लौटा था, इसलिए उसका जोरदार स्वागत किया गया।
उसका जन्म इटली के वेनिस नामक नगर में हुआ था। अपनी इस महत्त्वपूर्ण यात्रा के संस्मरण भी उसने लिखे हैं।