संकेत बिंदु – (1) भारत की गुलामी का इतिहास (2) द्विराष्ट्र का सिद्धांत (3) लालकिले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह (4) सरकारी स्तर पर स्वतंत्रता दिवस समारोह (5) अन्य कारणों में महत्त्वपूर्ण दिन।
विकास की आस भरा नवेन्दु-सा / हरा-भरा कोमल पुण्यभाल- सा।
प्रमोद-दाता विमल प्रभात-सा / स्वतंत्रता का शुचि पर्व आ लसा॥
“15 अगस्त का शुभ दिन भारत के राजनीतिक इतिहास में सबसे अधिक महत्त्व का है। आज ही हमारी सघन कलुष-कालिमाययां दासता की लौह शृंखला टूटी थीं। आज ही स्वतंत्रता के नव उज्ज्वल प्रभात के दर्शन हुए थे। आज ही दिल्ली के लालकिले पर पहली बार यूनियन जॅक के स्थान पर सत्य और अहिंसा का प्रतीक तिरंगा झंडा स्वतंत्रता की हवा के झोंकों से लहराया था। आज ही हमारे नेताओं के चिरसंचित स्वप्न चरितार्थ हुए थे। आज ही युगों के पश्चात् शंख-ध्वनि के साथ जयघोप और पूर्ण स्वतंत्रता का उद्घोष हुआ था।”
– बाबू गुलाबराय
भारत आदि से हिंदू-भूमि रहा है। पृथ्वीराज को परास्त करने के लिए राजा जयचंद द्वारा विदेशी बादशाह मोहम्मद गौरी की सहायता लेना और पृथ्वीराज द्वारा गौरी को 17 बार परास्त करके बंदी न बनाने की ऐतिहासिक भूल ने हिंदू-भूमि पर इस्लाम का शासन स्थापित करवा दिया। मुगलों ने लगभग 1200 वर्ष तक भारत पर राज्य किया। इसके बाद कूटनीतिज्ञ अंग्रेजों ने ऐयाश, विलासी और गद्दी-प्राप्ति के लिए पारिवारिक षड्यंत्रों में संलग्न मुगल सल्तनत की जड़ें खोद कर ब्रिटिश राज्य स्थापित किया।
लगभग 200 वर्ष अंग्रेजों ने भारत में राज्य किया। उन्होंने भारत को एकसूत्र में पिरोकर एकात्मता के दर्शन करवाए। वैज्ञानिक उन्नति से देश को प्रगति पथ पर अग्रसर किया। ‘लॉ एंड आर्डर’ की आदर्श व्यवस्था प्रस्तुत की। कूटनीति से श्रीलंका और बर्मा को भारत
से अलग कर उन्हें स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित किया। बंगाल को भी उन्होंने दो भागों में विभाजित करने की चेष्टा की थी, पर जनमत विरोध के कारण वे उसमें सफल न हो सके।
राजनीतिक दृष्टि से कांग्रेस ने ब्रिटिश राज्य को उखाड़ने के लिए अहिंसात्मक सत्याग्रह आन्दोलनों को अपनाया। क्रांतिकारियों ने सशस्त्र आक्रमणों द्वारा ब्रिटिश राज्य की नींद हराम की। सुभाषचंद्र बोस द्वारा निर्मित ‘ आजाद हिंद फौज’ ने सैन्य बल से ब्रिटिश भारत पर आक्रमण किया।
भारत स्वतंत्र तो हुआ, किंतु अंग्रेजों की कूटनीति, मुसलमानों की हिंसक प्रवृति तथा कांग्रेस के कर्णधारों के नैतिक हास के कारण, द्वि-राष्ट्र सिद्धांत (Two Nations theory) के आधार पर विभाजित होकर। द्वि-राष्ट्र सिद्धांत था मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान और हिंदू- राष्ट्र हिंदुस्तान। 14 अगस्त, 1947 को मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान का निर्माण होने पर ही 15 अगस्त, 1947 को यूनियन जैक भारत से उतरा।
15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। अतः 15 अगस्त भारत का स्वातन्त्र्य – जन्म – दिवस है। राष्ट्रीय जीवन में हर्ष और उल्लास का दिन है। स्वतंत्रता की दीर्घायु की कामना का दिन है। इसलिए प्रांतों की राजधानियाँ तथा राष्ट्र की राजधानी दिल्ली राष्ट्रीय ध्वजों से सजाई जाती हैं। सरकारी राष्ट्रीय भवनों को विद्युत् दीपों से अलंकृत किया जाता है।
राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य कार्यक्रम दिल्ली के लाल किले पर होता है। प्रातः काल से ही लोग’ लालकिले पर पहुँचना प्रारंभ कर देते हैं। लालकिले के सामने का मैदान और सड़कें खचाखच भरी होती हैं। जन-समूह उमड़ पड़ता हैं।
प्रधानमंत्री के आगमन से पूर्व समारोह का आँखों देखा हाल सुनाने वालों द्वारा आजादी की लड़ाई तथा ऐतिहासिक चाँदनी चौक के इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है। साथ ही ध्वनि- विस्तारक से राष्ट्रीय गीतों और धुनों से जन-जन में राष्ट्रीय भावनाएँ जागृत की जाती हैं।
प्रधानमंत्री के आगमन पर स्वतंत्रता समारोह का शुभारंभ होता है। जल, थल और नभ, तीनों सेनाओं की सैनिक टुकड़ियाँ तथा राष्ट्रीय छात्र सैन्य दल के छात्र-छात्राएँ सलामी देकर प्रधानमंत्री का स्वागत करते हैं। मैनिक बैंड अपनी मोहक धुन से स्वागत में माधुर्य- वृद्धि करता है।
प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर पहुँच कर जन-जन का अभिनंदन स्वीकार करते हैं। राष्ट्रीय ध्वज को लहराते हैं। ध्वजारोहण पर ध्वज को 31 तोपों की सलामी दी जाती है। प्रधानमंत्री ध्वजारोहण के उपरांत राष्ट्र के स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हैं। स्वतंत्रता के लिए न्यौछावर हुए शहीदों को स्मरण करते हैं। देश के कष्टों, कठिनाइयों, विपदाओं की चर्चा कर, उनसे राष्ट्र को मुक्त कराने का संकल्प करते हैं। देश की भावी योजनाओं . पर प्रकाश डालते हैं। वर्ष भर की उपलब्धियों पर हर्ष प्रकट करते हैं। राष्ट्र की शक्ति को निर्बल करने वाले आंतरिक और बाह्य तत्त्वों पर प्रहार करते हैं। राष्ट्र को शत्रुओं के नापाक इरादों से सावधान करते हैं।
भाषण के अंत में तीन बार ‘जयहिंद’ का घोष करते हैं, जिसे लाखों कंठ दुहराते हैं। अंत में राष्ट्रीय गीत के साथ प्रातः कालीन समारोह समाप्त होता है।
सायंकाल सरकारी भवनों (विशेषकर लालकिले) पर रोशनी की जाती है। आतिशबाजी छोड़ी जाती है। प्रधानमंत्री दिल्ली के प्रमुख नागरिकों, सभी राजनीतिक दलों के नेताओं, विभिन्न धर्मों के आचार्यों और विदेशी राजदूतों एवं कूटनीतिज्ञों को सरकारी भोज पर निमन्त्रित करते हैं। इस प्रकार यह दिन हँसी-खुशी से बीत जाता है।
भारत के सभी प्रांतों में भी सरकारी स्तर पर यह पर्व मनाया जाता है। प्रभात-फेरियाँ निकलती हैं। मुख्यमंत्री पुलिस गार्ड की सलामी लेते हैं। राज्य सचिवालयों पर राष्ट्रीय- ध्वज लहराया जाता है, आतिशबाजी छोड़ी जाती हैं और गण्यमान्य नागरिकों को भोज दिया जाता है।
15 अगस्त राष्ट्र- स्वातन्त्र्य के लिए न्यौछावर हुए शहीदों की याद का दिन है। इस दिन शहीदों की चिताओं के प्रतीक रूप में निर्मित ‘शहीद ज्योति’ का अभिनंदन किया जाता है। राष्ट्र को परतंत्रकाल से नेतृत्व प्रदान करने वाले शहीद महात्मा गाँधी की समाधि पर श्रद्धा सुमन चढ़ाकर शहीदों के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है।
15 अगस्त अन्य कारणों से भी महत्त्वपूर्ण दिन है। पांडीचेरी के संत महर्षि अरविंद का जन्म दिन है। स्वामी विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्णपरमहंस की पुण्य तिथि है। पन्द्रह अगस्त प्रतिवर्ष आतां है और ‘हम स्वतंत्र हैं और स्वतंत्र रहेंगे’, यह भाव जागृत कर चला जाता है। राष्ट्र और राष्ट्रीयता की हल्की-सी हलचल उत्पन्न कर जाता है। ‘वर्ष में राष्ट्र ने क्या खोया और क्या पाया’ का हिसाब प्रस्तुत कर जाता है। थोड़ी देर के लिए ही सही भारतमाता और भारत की स्वतंत्र – सत्ता के लिए कर्तव्य भाव जगा जाता है।
आइए, हम राष्ट्र-ध्वज को नमन करें, अपने राष्ट्रीय संकल्प को दुहराएँ तथा स्वयं को राष्ट्र के गौरव एवं भारतीय जन के कल्याण के लिए पुन: समर्पण की प्रतिज्ञा करें।