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यदि मेरा जन्म 1947 से पहले हुआ होता! अथवा अगर मैं आज़ादी से पहले जन्मा होता!

agar main partantra bharat me paida hua hota par ek nibandh

संकेत बिंदु – (1) 1947 से पहले पैदा न होने का दुख (2) आजादी से पहले का भारत (3) पिताजी द्वारा जिज्ञासा शांति (4) महापुरुषों का सानिध्य मिलता (5) उपसंहार।

मुझे यह दुख हर रात को परेशान करता है कि मैं 1947 से पहले पैदा क्यों नहीं हुआ? अगर मैं आजादी से पहले जन्मा होता तो मजा ही कुछ और होता ! मैंने सुना है कि आज़ादी से पहले एक रुपये का एक सेर देशी घी मिलता था, जो आज सात सौ रुपये किलो है, वह भी असली नहीं कहा जा सकता। आजादी से पहले गेहूँ बीस रुपये मन मिलता था। जो आज चालीस रुपये किलो है।

मैंने सुना है कि देश के कुछ कर्णधारों ने देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेज़ों के खिलाफ नारे लगाए थे। अंग्रेजों ने उन पर अत्याचार किया था, आजादी माँगने वाले देश-भक्तों पर लाठियाँ, गोलियाँ भी अंग्रेजों ने चलायीं थी। कुछ युवकों को अंग्रेजों ने फाँसी भी दी थी। अगर मैं आज़ादी से पहले पैदा हुआ होता तो शायद मैं भी अंग्रेज़ों के खिलाफ नारे तो लगा ही देता। देश भक्तों पर पड़ने वाली उन लाठियों का नज़ारा तो मैं भी देख ही लेता, मगर हाये रे दुर्भाग्य! मेरा जन्म आज़ादी के बाद हुआ।

कहा जाता है कि आज़ादी से पहले दूध, घी खुला होता है घरों मैं, चाहे जितना दूध पीयो, मक्खन खाओ, घी खाओ मगर आज़ादी के बाद घी, मक्खन, दूध तो मिलता नहीं और मैं तो केवल चाय पीकर ही अपने मन को संतुष्ट कर लेता हूँ।

अगर मेरा जन्म आज़ादी से पहले हुआ होता तो मैं भी महात्मा गाँधी का चेहरा देख लेता, उनकी बातें सुन लेता और यह भी देख लेता कि महात्मा गाँधी ने आज़ादी की लड़ाई किस तरह धोती पहनकर, लाठी पकड़ कर लड़ी थी, वह गोल बताता है कि-

“दे दी तूने आजादी बिना खड्ग, बिना ढाल।

साबरमती के संत, तूने कर दिया कमाल।”

मुझे लगता है कि यह मेरा दोष नहीं है कि आज़ादी से पहले पैदा क्यों नहीं हुआ, यह दोष मेरे पिताजी का है। जब मैंने पिताजी से इस विषय में बात की तो पिताजी ने जो तर्क दिया वह भी उचित ही लगा। पिताजी ने मुझे बताया कि उनकी शादी 20 जनवरी 1947 को हुई, इसलिए मेरा जन्म आज़ादी से पहले नहीं हो पाया। एक बात मुझे समझ में नहीं आयी कि क्या मेरे पिताजी अपनी शादी 1927 में नहीं करा सकते थे? इस पर मेरे पिताजी ने मुझसे कहा कि 1927 में उनकी आयु केवल 2 वर्ष की थी और 2 वर्ष में तो शादी संभव हो नहीं सकती थी, शादी के लिए तो आयु कम से कम 20-22 वर्ष की होनी चाहिए।

वैसे यदि मेरा जन्म आज़ादी से पहले हुआ होता तो मैं सुभाषचंद्र बोस को निकट या दूर से एक देख लेता और देखता कि जिस व्यक्ति ने “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा ” कहते हुए कैसे लगते हैं। साथ ही मुझे लाला लाजपतराय, सरदार भगत सिंह, मुहम्मद अली जिन्ना, अबदुल गफ्फार खाँ गाँधी, जवाहर लाल नेहरू आदि अनेक लोगों को भी देखने का अवसर तो मिलता। मगर यह सब कुछ संभव नहीं हो सका क्योंकि मैं आज़ादी के बाद ही जन्मा हूँ।

कुछ लोग कहते हैं कि मैं बड़ा भाग्यवान हूँ क्योंकि मैंने अपने जन्म के बाद पहला साँस आज़ादी में लिया है, क्योंकि लोग कहा करते है कि, “उनका जीना भी क्या जीना, जिनका देश गुलाम है।” यह तो सच है कि मेरा देश गुलाम नहीं है, मगर उस दुख का मैं क्या करूँ जो मेरे मन में बैठा हुआ है कि मेरा जन्म आज़ादी से पहले क्यों नहीं हुआ?

अगर आज़ादी से पहले मेरा जन्म हुआ होता तो मैं भी देश की आजादी के तरानों में अपना स्वर लो से ही सकता था कि,

“सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,

देखना है जोर कितना बाजुए कालिल में है।”

मेरा यह अरमान मेरे दिल में ही रह गया। और मैं हमेशा यहीं गीत गाता रहता हूँ कि, “दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गए।” क्योंकि मेरा जन्म आज़ादी से पहले नहीं हो पाया है। अब मैं मन को सदा तसल्ली देता रहता हूँ कि अच्छा हुआ कि मेरा जन्म आज़ादी के बाद हुआ है। क्योंकि मुझे लगता है कि अब फिर से हमें आज़ादी की जरूरत पड़ेगी। देश के इन बाहुबली नेताओं से देश को आज़ाद कराने के लिए, देश को आतंकवादियों के चंगुल से आजाद कराने के लिए, देश को दलालों की पकड़ से आजाद कराने के लिए, सरकारी दफ्तरों में बैठे रिश्वतखोर अधिकारियों की हरामखोरियों से देश को आज़ाद कराने के लिए फिर से आवश्यकता पड़ सकती है और मेरे जैसे लोग आज़ादी के बाद जन्में हैं वह इस आंदोलन में काम आ सकते हैं। इसलिए अच्छा ही हुआ कि मैं आज़ादी के बाद ही जन्मा हूँ और देश को कभी भी मेरी आवश्यकता हो सकती है और मैं इसी प्रतीक्षा में हूँ।

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