संकेत बिंदु – (1) भारत की अखंडता (2) एकता भारतीय संस्कृति का आधार (3) विद्यार्थियों का दायित्व (4) देश की एकता धर्म से ऊपर (5) उपसंहार।
भारत देश में अनेक भाषाएँ, अनेक परिधान, अनेक धर्म और अनेक विचार होने के बाद भी देश अखंड है, इसका प्रभाव प्रमुख कारण यह भी कहा जा सकता है कि देश का युवा वर्ग, देश का छात्र देश की छवि सुधारने में सदैव अग्रणी रहा है। कवि इकबाल ने भारत देश की विशालता और महानता के साथ-साथ देश के युवावर्ग की सराहना करते हुए कहा है-
यूनान, मिस्र रोमां, सब मिट गए जहाँ से,
क्या बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
इकबाल द्वारा लिखे इस गीत की पंक्तियाँ युवा वर्ग- देश का छात्र जब एक स्वर में गाता है तो लगता है कि सबके मन में देश की एकता की भावना कितनी प्रखर है, ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।’ राष्ट्रीय एकता में देश के विद्यार्थी की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि देश सदैव युवा कंधों के बल पर ही आगे बढ़ता है।
भारतीय संस्कृति भावात्मक एकता का आधार मानी गई है, लेकिन कई बार राजनीतिक स्वार्थ, अस्पृश्यता, सांप्रदायिक तनाव, भाषा-भेद, क्षेत्रीय मोह और जातिवाद आदि संकीर्ण भावनाओं के प्रबल होने पर हमारी भावनात्मक एकता को खतरा उत्पन्न हो जाता है, लेकिन देश का जागरूक युवा छात्र अपने खुले मन से राष्ट्रीय एकता का पक्षधर बनकर सदैव तत्पर रहा है। हमारी संस्कृति इतनी विशाल न होती और सभ्यता इतनी महान् होती तो हम कभी के मिट गए होते, लेकिन देश के युवा वर्ग ने, देश के छात्र वर्ग ने सदैव अग्रणी होकर देश की एकता और अखंडता की रक्षा की है।
देश की एकता बनाए रखने के भाई चारे के मूलमंत्र को देश के युवा ने सदैव अपनाया है और जब भी कभी देश पर संकट के बादल मँडराने लगते हैं तो देश का युवा वर्ग, छात्र वर्ग सजग होकर एकता और देश की अखंडता की रक्षा के लिए कवच बनकर सामने खड़ा हो जाता है।
राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय चरित्र के अभाव में राष्ट्र की प्रगति प्रायः रुक जाया करती है, लेकिन देश का विद्यार्थी और युवा वर्ग यह भलीभाँति जानता है कि राष्ट्र की उन्नति हमारी आपसी एकता से ही संभव है। कोई भी नागरिक चाहे वह किसी भी क्षेत्र का हो, किसी भी भाषा परिवार का सदस्य हो, किसी भी धर्म को मानने वाला हो, जब राष्ट्रीय एकता का प्रश्न आता है तो हम सब एक हो जाते हैं, यही हमारी महानता है और यही देश की विशालता भी है। देश की एकता के लिए हर वर्ग सदैव तत्पर है-
हम लाये हैं तूफान से किश्ती निकाल के।
इस देश को रखना, मेरे बच्चो संभाल के॥
गीत की इन पंक्तियों में देश के छात्रों, विद्यार्थियों और युवाओं को संबोधित कर कहा गया है कि इस देश को, देश की एकता को सँभालने का दायित्व बच्चों पर हैं, छात्रों पर हैं, देश के युवाओं पर हैं। एक और गीत में कहा गया है कि “जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियाँ करती हैं बसेरा, वह भारत देश हैं मेरा”, यह भी देश के छात्रों और विद्यार्थियों के मन की भावना को देश के प्रति व्यक्त करता है।
जब अपने स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थी पंक्तिबद्ध होकर यह भावना व्यक्त करता है तो कितना मनोरम दृश्य उत्पन्न होता है-
अनेकता में एकता बनायें साथियो।
प्रेम वाले दीप हम जलायें साथियो॥
एक बार चीन के एक छात्र से एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि यदि कोई व्यक्ति भगवान बुद्ध को अपमानित करे तो चीन के छात्र का क्या दायित्व होगा? तो वह छात्र यह बोला- हम उस व्यक्ति की पिटाई कर देंगे जो बुद्ध का अपमान करेगा। इस पर उस व्यक्ति ने फिर दूसरा प्रश्न पूछा कि – मान लो यदि बुद्ध ही चीन पर आक्रमण कर दें तो आप छात्रों और युवाओं का क्या दायित्व होगा? इस पर उस छात्र ने प्रश्नकर्ता को तुरंत उत्तर दिया कि हम पहले अपने देश की रक्षा के लिए सभी एक होकर बुद्ध से भी युद्ध करने को तत्पर हो जाएँगे। इसका उल्लेख यहाँ इसलिए किया गया है कि देश की एकता धर्म से अधिक सर्वोपरि है। यदि भारत में ऐसी स्थिति होती है तो देश का युवा छात्र देश की एकता के लिए देश के शत्रु से भिड़ने को तैयार है।
देश को ऊँचा उठाओ, देश हम सबसे बड़ा है।
एकता इसमें बनाओ, देश हम सबसे बड़ा है॥
देश के वीरों ने, अमर शहीदों ने अपने बलिदान से देश को स्वाधीन कराया, हम स्वतंत्र हुए। देश की अखंडता और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए देश के छात्र को आगे आना है। देश तोड़ने की साजिश करने वाले देशद्रोहियों, राष्ट्र की एकता को खंडित करने का प्रयास करने वाली बाहरी शक्तियों को मुँह तोड़ उत्तर देने का दायित्व भी देश के युवा छात्र वर्ग का है क्योंकि आज के युवा छात्र ही कल के देश के कर्णधार हैं और राष्ट्रीय एकता की कमान भी देश के युवा छात्र वर्ग के हाथ में है।