कुँवर नारायण
जन्म : 19 सितंबर, सन् 1927 (उत्तर प्रदेश)
प्रमुख रचनाएँ : चक्रव्यूह (1956), परिवेशःहम तुम, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों (काव्य संग्रह); आत्मजयी (प्रबंध काव्य); आकारों के आस-पास (कहानी संग्रह); आज और आज से पहले (समीक्षा); मेरे साक्षात्कार (सामान्य)
प्रमुख पुरस्कार : साहित्य अकादेमी पुरस्कार, कुमारन आशान पुरस्कार, व्यास सम्मान, प्रेमचंद पुरस्कार, लोहिया सम्मान, कबीर सम्मान, ज्ञानपीठ पुरस्कार
न जाने कब से बंद / एक दिन इस तरह खुला घर का दरवाज़ा /
जैसे गर्द से ढँकी / एक पुरानी किताब
गर्द से ढँकी हर पुरानी किताब खोलने की बात कहने वाले कुँवर नारायण ने सन् 1950 के आस-पास काव्य-लेखन की शुरूआत की। उन्होंने कविता के अलावा चिंतनपरक लेख, कहानियाँ और सिनेमा तथा अन्य कलाओं पर समीक्षाएँ भी लिखीं हैं, किंतु कविता की विधा को उनके सृजन-कर्म में हमेशा प्राथमिकता प्राप्त रही। नयी कविता के दौर में, जब प्रबंध काव्य का स्थान प्रबंधत्व की दावेदार लंबी कविताएँ लेने लगीं तब कुँवर नारायण ने आत्मजयी जैसा प्रबंध काव्य रचकर भरपूर प्रतिष्ठा प्राप्त की। आलोचक मानते हैं कि उनकी “कविता में व्यर्थ का उलझाव, अखबारी सतहीपन और वैचारिक धुंध के बजाय संयम, परिष्कार और साफ़-सुथरापन है।” भाषा और विषय की विविधता उनकी कविताओं के विशेष गुण माने जाते हैं। उनमें यथार्थ का खुरदरापन भी मिलता है और उसका सहज सौंदर्य भी। सीधी घोषणाएँ और फ़ैसले उनकी कविताओं में नहीं मिलते क्योंकि जीवन को मुकम्मल तौर पर समझने वाला एक खुलापन उनके कवि-स्वभाव की मूल विशेषता है। इसीलिए संशय, संभ्रम प्रश्नाकुलता उनकी कविता के बीज शब्द हैं।
कुँवर जी पूरी तरह नागर संवेदना के कवि हैं। विवरण उनके यहाँ नहीं के बराबर है, पर वैयक्तिक और सामाजिक ऊहापोह का तनाव पूरी व्यंजकता में सामने आता है। एक पंक्ति में कहें तो इनकी तटस्थ वीतराग दृष्टि नोच-खसोट, हिंसा-प्रतिहिंसा से सहमे हुए एक संवेदनशील मन के आलोड़नों के रूप में पढ़ी जा सकती है।
कविताओं का सामान्य परिचय
यहाँ पर कुँवर नारायण की दो कविताएँ ली गई हैं। पहली कविता है – कविता के बहाने जो इन दिनों संग्रह से ली गई है। आज का समय कविता के वजूद को लेकर आशंकित है। शक है कि यांत्रिकता के दबाव से कविता का अस्तिव नहीं रहेगा। ऐसे में यह कविता – कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का एक अवसर देती है। कविता के बहाने यह एक यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कहने की आवश्यकता नहीं कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम है। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं। वो चाहें घर की सीमा हो, भाषा की सीमा हो या फिर समय की ही क्यों न हो।
दूसरी कविता है बात सीधी थी पर जो कोई दूसरा नहीं संग्रह में संकलित है। कविता में कथ्य और माध्यम के द्वंद्व उकेरते हुए भाषा की सहजता की बात की गई है। हर बात के लिए कुछ खास शब्द नियत होते हैं ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता है। अब तक जिन शब्दों को हम एक-दूसरे के पर्याय के रूप में जानते रहे हैं उन सब के भी अपने विशेष अर्थ होते हैं। अच्छी बात या अच्छी कविता का बनना सही बात का सही शब्द से जुड़ना होता है और जब ऐसा होता है तो किसी दबाव या अतिरिक्त मेहनत की ज़रूरत नहीं होती वह सहूलियत के साथ हो जाता है।
‘कविता के बहाने’ कविता का सार
‘कविता के बहाने’ कविता कवि के कविता-संग्रह ‘इन दिनों’ से ली गई है। आज के समय में कविता के अस्तित्व के बारे में संशय हो रहा है। यह आशंका जताई जा रही है कि यांत्रिकता के दबाव से कविता का अस्तित्व नहीं रहेगा। ऐसे में यह कविता- कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का एक अवसर देती है।
यह कविता एक यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कवि कहता है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य – सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं। वह सीमा चाहे घर की हो, भाषा की हो या समय की ही क्यों न हो।
‘कविता के बहाने’ कविता का शिल्प-पक्ष –
1. नए प्रतीक – चिड़िया।
2. सरल एवं सहज खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. कविता का मानवीकरण किया गया है।
4. रचनात्मक ऊर्जा पर सीमा के बंधन न होने की वकालत की गई है।
5. अनुप्रास अलंकार-
* ‘कविता के पंख’
* ‘इस घर उस घर’
* ‘बिना मुरझाए महकने के माने’
प्रश्न अलंकार
* चिड़िया क्या जाने?
* फूल क्या जाने?
6. मुक्त छंद है।
7. कविता के रसास्वादन का आनंद अनंतकाल तक शाश्वत होने की वकालत की गई है।
कविता के बहाने
कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने?
कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?
कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
‘बात सीधी थी’ कविता का सार
बात सीधी थी कविता कोई दूसरा नहीं संग्रह से ली गई है। जिसमें कथित तौर पर माध्यम के द्वंद्व को स्पष्ट करते हुए भाषा की सरलता पर बल दिया है। शब्द की कील से एवं अर्थ की खांचे से साम्यता बैठाकर सटीक अर्थ प्रदान करने का प्रयास किया है।
उन्होंने अच्छी बात या अच्छी कविता के बनने को सही बात का सही शब्द से जुड़ना माना है और तब तो किसी रचनात्मक दबाव या अतिरिक्त कार्य या प्रयास की जरूरत ही नहीं रह जाती और सारा कार्य सहूलियत के साथ आसानी से हो जाता है।
बात सीधी थी!
बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
ज़रा टेढ़ी फँस गई।
उसे पाने की कोशिश में
भाषा को उलटा पलटा
तोड़ा मरोड़ा
घुमाया फिराया
कि बात या तो बने
या फिर भाषा से बाहर आए –
लेकिन इससे भाषा के साथ साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई।
सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना
मैं पेंच को खोलने के बजाए
उसे बेतरह कसता चला जा रहा था
क्यों कि इस करतब पर मुझे
साफ़ सुनाई दे रही थी
तमाशबीनों की शाबाशी और वाह वाह।
आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी!
हार कर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोंक दिया।
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
न ताकत!
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देख कर पूछा –
“क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?”
शब्दार्थ –
1. बात – कथन
2. सीधी – सरल
3. चक्कर– अस्पस्ष्ट चीज़
4. टेढ़ा फँसना–बुरा फँसना
5. पेचीदा– कठिन, जटिल, Complex
6. धैर्य– धीरज, Patience
7. करतब– Stunt
8. तमाशबीन–तमाशा दिखाने वाला
9. चूड़ी मरना– पेंच कसने के लिए बनाई गई चूड़ी (Thread) का नष्ट होना
10. कसाव– कसावट
11. सहूलियत– आसानी, सुविधा
12. बरतना- प्रयोग करना
‘बात सीधी थी’ कविता का शिल्प सौंदर्य
1. भाषा की जटिलता पर कटाक्ष किया गया है।
2. मुक्त छंद है एवं खड़ी बोली का इस्तेमाल हुआ है।
3. ज़रा टेढ़ी फंस गई, बात और भी पेंचीदा होती चली गई में मुहावरों का इस्तेमाल हुआ है।
4. आडंबरपूर्ण भाषा शैली पर कटाक्ष किया गया है
5. पेंच कसने में बिंब प्रभावी है।
6. बेहतर है जैसे सटीक विशेषण का इस्तेमाल हुआ है।
7. करतब शब्द में व्यंजना है।
8. उर्दू शब्दावली का सटीक इस्तेमाल हुआ है। जैसे बेहतर करतब, तमाशबीन, साफ।
9. साथ-साथ एवं वाह-वाह में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
10. बात का मानवीकरण किया गया है।
11. कील की तरह, बच्चे की तरह में उपमा अलंकार हैं।
12. बात की चूड़ी मर गई में रूपक अलंकार है।
कविता के साथ
1. इस कविता के बहाने बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने’ क्या है?
उत्तर – ‘सब घर एक कर देने के माने’ अर्थात् जिस प्रकार बच्चे खेल-खेल में जाति, संप्रदाय, अमीर-गरीब, ऊँच-नीच आदि का भेद किए बिना सबके साथ मिल-जुलकर खेलते हैं उसी प्रकार कवि की कविता भी बिना भेद-भाव के सभी के घरों में प्रवेश कर जाती हैं और सभी को मानसिक आनंद प्रदान करती है।
2. ‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से क्या संबंध बनता है?
उत्तर – ‘उड़ने’ से कविता का यह संबंध बनता है कि जिस प्रकार चिड़िया नीलनभ में उड़ान भरती है, उसी प्रकार कविता भी कवि की कल्पना के पंखों के सहारे उड़ान भरती है। लेकिन इन दोनों उड़ानों में एक अंतर होता है। चिड़िया की उड़ान एक स्थान एवं समय तक ही सीमित होती है, जबकि कविता में कवि की कल्पना की उड़ान पर देश-काल का कोई प्रतिबंध नहीं होता।
‘खिलने’ से कविता का यह संबंध बनता है कि जिस प्रकार फूल खिलकर लोगों को सुगंध बाँटता है और अपने सौंदर्य से आनंद प्रदान करता है, उसी प्रकार कविता भी कवि के हृदय में खिलती है और फिर अपने कोमल भावों से संसार को आनंदित करती है। किंतु फूलों का खिलना एक निश्चित समय सीमा के लिए ही होता है और उसके पश्चात् वह मुरझा जाता है। लेकिन कविता एक बार खिलने के पश्चात् कभी नहीं मुरझाती है।
3. कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर – कविता और बच्चे को समानांतर रखने का यह कारण है कि जिस प्रकार बच्चे अपने और पराए घरों के बीच कोई भेदभाव नहीं करते, उसी प्रकार कवि को भी काव्य रचना के क्षणों में संपूर्ण विश्व के साथ आत्मीयता स्थापित करता है, ताकि अपनी कृति के माध्यम से वह अपना संदेश जन-जन तक और तक पहुँचा सके। इसके अतिरिक्त जिस प्रकार बच्चों में विकास की असीम संभावनाएँ बनी रहती हैं, उसी प्रकार कविता में भी अर्थ की व्यापक संभावनाएँ हैं, जो भविष्य में उसकी प्रासंगिकता बनाए रखती हैं।
4. कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ क्या होते हैं?
उत्तर – कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ का अर्थ यह है कि कविता सीमित समय के लिए खिलती है, अपनी सुंदरता और सुगंधि बिखेरती है और मुरझाने के रूप में उसकी परिणति होती है। दूसरी तरफ कविता एक बार खिलती है तो आजीवन अपनी सुंदरता और सुगंधि बिखरते रहती है। कविता कभी भी नहीं मुरझाती वह कालजयी और कालातीत होती है।
5. ‘भाषा को सहूलियत’ से बरतने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर – भाषा को सहूलियत से बरतने का अभिप्राय अपने भावों और विचारों को सीधी, सरल एवं सहज भाषा में प्रस्तुत करना है। लेकिन जब कुछ तथाकथित पढ़े-लिखे लोग अपनी बातों को भारी-भरकम शब्दों का प्रयोग करते हुए सामने वाले के सामने प्रस्तुत करते हैं और सामने वाला उनके विचारों को समझ नहीं पाता तथा उलझन में पड़ जाता है ऐसी स्थिति में सफल संप्रेषण के लिए भाषा को सहूलियत से बरतने की आवश्यकता होती है।
6. बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है’ कैसे?
उत्तर – बात और भाषा के बीच अटूट संबंध है। वस्तुतः भाषा का उद्देश्य ही बात को सटीक ढंग से संप्रेषित करना है। किंतु कभी-कभी कवि अपनी बात को प्रभावशाली तरीके से बताने के लिए घुमावदार भाषा का सहारा लेते हैं। वे उसे अलंकृत बनाकर उसके सौंदर्य में वृद्धि करना चाहते हैं। अनेक लोग भी उनके इस प्रयास की वाहवाही करने लगते हैं। किंतु, भाषा के चक्कर में फँसकर कवि अपनी मूल बात को सही प्रकार से व्यक्त नहीं कर पाते। पाठक या श्रोता भी उनके शब्द जाल में उलझ जाते हैं और काव्य के मूल अर्थ को समझने से वंचित रह जाते हैं। इस तरह ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है।
7. बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें।
बिंब/मुहावरा विशेषता
(क) बात की चूड़ी मर जाना कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना
(ख) बात की पेंच खोलना बात का पकड़ में न आना
(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना बात का प्रभावहीन हो जाना
(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देना बात में कसावट का न होना
(ङ) बात का बन जाना बात को सहज और स्पष्ट करना
उत्तर:
बिंब / मुहावरा विशेषता
(क) बात की चूड़ी मर जाना बात का प्रभावहीन हो जाना
(ख) बात की पेंच खोलना बात को सहज और स्पष्ट करना
(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह बात का पकड़ में न आना खेलना
(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देना बात में कसावट का न होना
(ङ) बात का बन जाना कथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना
कविता के आस—पास
बात से जुड़े कई मुहावरे प्रचलित हैं। कुछ मुहावरों का प्रयोग करते हुए लिखें।
उत्तर –
1 बात छेड़ना (अर्थात् चर्चा करना) – श्याम बात छेड़ तो देता है परन्तु पूरी नहीं करता।
2 बात बात में (तुरंत) – मोहन हर काम बात ही बात में कर लेता है।
3 बात को पीना (अर्थात चुभती बात को सहन कर लेना) श्री कृष्ण शिशुपाल की अनेक बातों को पी गए।
4 बातें रखना (इज्जत रखना) लाला रामलाल ने कन्हैया की बेटी का अपने पुत्र से बिना दहेज के विवाह करके उसकी बात रख ली।
5 बातें हाँकना (बढ़-चढ़कर बातें करना) – राधा मोहन कुछ काम तो करता नहीं बस बातें ही हाँकता रहता है।
व्याख्या करें
ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी।
उत्तर – कवि कहते हैं कि एक बार वह सरल सीधे कथ्य की अभिव्यक्ति में भाषा के चक्कर में ऐसा फँस गया कि भाषा के चक्कर में वे अपनी मूल बात को प्रकट ही नहीं कर पाया और उसे कथ्य ही बदला-बदला सा लगने लगा। कवि कहता है कि जिस प्रकार जोर जबरदस्ती करने से कील की चूड़ी मर जाती है और तब चूड़ीदार कील को चूड़ीविहीन कील की तरह ठोंकना पड़ता है उसी प्रकार कथ्य के अनुकूल भाषा के अभाव में कथन का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
चर्चा कीजिए
*आधुनिक युग में कविता की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए?
उत्तर – कविता आदिकाल हो या आधुनिक काल अपने विशिष्ट गुण के कारण हमेशा से जनप्रिय रही है। आज के युग में भी गूढ़ रहस्य को नवीन भावों को कविता के माध्यम से बड़े ही सहज ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। इस दृष्टि से यह कहना सर्वोचित होगा कि कविता को अगर प्रांजल संगीत के साथ सम्बद्ध कर दिया जाए तो यह और भी प्रभावी साबित हो सकती है।
*चूड़ी, कील, पेंच आदि मूर्त्त उपमानों के माध्यम से कवि ने कथ्य की अमूर्त्तता को साकार किया है। भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय बनाने में, बिबों और उपमानों के महत्त्व पर परिसंवाद आयोजित करें।
उत्तर – शिक्षक के दिशानिर्देश में पूरा किया जाएगा।
आपसदारी
1. सुंदर है सुमन, विहग सुंदर
मानव तुम सबसे सुंदरतम।
पंत की इस कविता में प्रकृति की तुलना में मनुष्य को अधिक सुंदर और समर्थ बताया गया है। कविता के बहाने’ कविता में से इस आशय को अभिव्यक्त करने वाले बिंदुओं की तलाश करें।
उत्तर – कविता का अनंत आकाश में उड़ना, हमेशा सुगंधि बिखेरना और भेद-भाव की भावना से मुक्त होना।
2. प्रतापनारायण मिश्र का निबंध ‘बात’ और नागार्जुन की कविता ‘बातें’ ढूँढ़ कर पढ़ें।
उत्तर – छात्र स्वयं पढ़ें।
‘कविता के बहाने’ पाठ से अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
काव्यांश-1
कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने?
कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर
इस घर उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?
कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
1. ‘कविता के बहाने कविता के कवि हैं-
a. कुँवर नारायण
b. उमाशंकर जोशी
C. आलोक धन्वा
d. रघुवीर सहाय
उत्तर – a. कुँवर नारायण
2. “कविता के बहाने” कविता में किसके अस्तित्व पर विचार किया गया है?
a. चिड़िया के
b. कविता के
C. फूल के
d. इन सभी के
उत्तर – b. कविता के
3. कवि और बच्चों में समानता रखने का क्या कारण है?
a. दोनों ही किसी सीमा को नहीं मानते
b. दोनों ही अपने-पराये का भेद नहीं करते
C. दोनों में ही सृजनात्मक शक्ति होती है
d. उपर्युक्त सभी
उत्तर – d. उपर्युक्त सभी
4. “कविता के पंख लगा उड़ने से” क्या तात्पर्य है?
a. उड़ना
b. कल्पना करना
C. चलना
d. इनमें से कोई नहीं
उत्तर – b. कल्पना करना
5. कवि के अनुसार कविता की उड़ान को कौन नहीं जान सकता?
a. चिड़िया
b. फूल
C. बच्चा
d. कवि
उत्तर – a. चिड़िया
6. किसकी उड़ान देश, काल और परिस्थिति से बाहर संभव है?
a. चिड़िया की
b. बच्चे की
C. फूल की
d. कविता की
उत्तर – d. कविता की
7. फूल की अंतिम परिणति क्या होगी?
a. मुरझाना
b. ताजगी भरना
C. खिलना
d. महकना
उत्तर – a. मुरझाना
8. चिड़िया अपने पंखों के सहारे उड़ती है और कविता किसके सहारे उड़ती है?
a. हवा के
b. पंख के
C. शब्द के
d. कल्पना के
उत्तर – d. कल्पना के
9. कविता बिना मुरझाए सदियों तक महकती रहती है इसका क्या आशय है?
a. कविता कालजयी होती है
b. कविता का प्रभाव सदियों तक बना रहता है
C. कविता का सौंदर्य कभी समाप्त नहीं होता
d. उपर्युक्त सभी
उत्तर – d. उपर्युक्त सभी
10. कविता पढ़ते और लिखते समय काल के बंधन टूट जाते हैं और बच्चों के खेलते समय
a. धर्म के बंधन टूट जाते हैं
b. भेदभाव के बंधन टूट जाते हैं
C. संकीर्णता के बंधन टूट जाते हैं
d. उपर्युक्त सभी
उत्तर – d. उपर्युक्त सभी
उत्तरमाला : काव्यांश – 01
काव्यांश- 2
कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने?
1. इस काव्यांश के आधार पर बताइए कि कविता और चिड़िया में किस गुण की समानता है?
a. दोनों पंख लगाकर उड़ सकते हैं
b. दोनों ही उड़ान भर सकते हैं।
C. दोनों कल्पना कर सकते हैं।
d. दोनों कविता लिख सकते हैं।
उत्तर – b. दोनों ही उड़ान भर सकते हैं।
2. चिड़िया अपने पंखों के सहारे उड़ती है और कविता किसके सहारे उड़ती है?
a. पंख
b. विचार
C. कल्पना
d. शब्द
उत्तर – C. कल्पना
3. कविता में चिड़िया का वर्णन करने के पीछे कवि का क्या उद्देश्य होता है?
a. कल्पना करना
b. उड़ान भरना
c. अपने मन के भावों को व्यक्त करना
d. अलंकार का प्रयोग करना
उत्तर – C. अपने मन के भावों को व्यक्त करना
4. कविता और चिड़िया की उड़ान में क्या अंतर है?
a. चिड़िया दूर तक उड़ सकती है और कविता किताब के पन्नों तक
b. चिड़िया की उड़ान की एक सीमा होती है जबकि कविता की उड़ान असीम है।
c. चिड़िया पंखों के सहारे उड़ती है और कविता कल्पना के सहारे
d. ब और स दोनों
उत्तर – d. ब और स दोनों
5. अभिकथन (A)- कविता और चिड़िया में समानता है।
कारण (R)- कविता की कल्पना चिड़िया की तरह उड़ान भरती है।
a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
b. अभिकथन (A) गलत है जबकि कारण (R) सही है।
C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की सही व्याख्या करता है।
d. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर – C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की सही व्याख्या करता है।
काव्यांश- 3
कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने !
बाहर भीतर
इस घर उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?
1. कविता और फूल दोनों में क्या समानता होती है?
a. दोनों खिलते हैं और मुरझा जाते हैं।
b. दोनों ही खिलते और महकते हैं।
c. दोनों ही मन में खुशी उत्पन्न करते हैं।
d. उपरोक्त सभी
उत्तर – C. दोनों ही मन में खुशी उत्पन्न करते हैं।
2. फूल की अंतिम परिणति क्या होगी?
a. खिलना
b. महकना
c. मुरझाना
d. ताज़गी भरना
उत्तर – c. मुरझाना
3. अभिकथन (A)- कविता फूल की भाँति विकसित होती है एवं फूलों की तरह ही उसमें रंग और भाव है। कारण (R)- कविता की परिणति निश्चित होती है।
a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
b. अभिकथन (A) गलत है जबकि कारण (R) सही है।
C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या करता है।
d. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, Aकी व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर – a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
4. कविता बिना मुरझाए सदियों तक महकती रहती है- इस कथन का क्या आशय होगा?
a. कविता कालजयी होती है।
b. कविता का प्रभाव सदियों तक बना रहता है।
C. कविता का सौंदर्य कभी समाप्त नहीं होता।
d. उपरोक्त सभी
उत्तर – d. उपरोक्त सभी
5. कविता और फूलों के महकने में क्या अंतर है?
a. फूलों की महक महसूस कर सकते हैं परंतु कविता की नहीं
b. फूलों की महक सीमित होती है और कविता की असीम
C. फूल कुछ समय के लिए महकते हैं और कविता की महक कालातीत होती है
d. b और c दोनों
उत्तर – d. b और c दोनों
काव्यांश – 4
कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर-भीतर
यह घर वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
1. अभिकथन (A)- कवि कविता को बच्चों के खेल के समान मानता है।
कारण (R)- कवि के लिए कविता शब्दों की क्रीड़ा है।
a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
b. अभिकथन (A) गलत है जबकि कारण (R) सही है।
c. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की सही व्याख्या करता है।
d. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर – c. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की सही व्याख्या करता है।
2. बच्चों के खेल की क्या विशेषता होती है?
a. वे खेलते समय लड़ते-झगड़ते हैं।
b. वे खेलते समय विभिन्न घरों का भेदभाव मिटा देते हैं।
c. वे खेलते समय शैतानी करते हैं।
d. उपरोक्त सभी
उत्तर – b. वे खेलते समय विभिन्न घरों का भेदभाव मिटा देते हैं।
3. कविता किसके सहारे खेलती है?
a. खिलौने के
b. घरेलू सामान के
c. घरों के
d. शब्दों के
उत्तर – d. शब्दों के
4. मनुष्यों के बीच की दूरी कौन मिटा सकता है?
a. कविता और फूल
b. बच्चे
c. कविता और चिड़िया
d. फूल
उत्तर – b. बच्चे
5. कविता पढ़ते और लिखते समय काल के बंधन टूट जाते हैं और बच्चों के खेलते समय
a. धर्म-जाति के बंधन टूट जाते हैं।
b. भेदभाव के सभी बंधन टूट जाते हैं।
c. संकीर्णता के बंधन टूट जाते हैं।
d. उक्त सभी विकल्प सही है।
उत्तर – d. उक्त सभी विकल्प सही है।
‘कविता के बहाने’ पाठ से अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
1. ‘कविता के बहाने’ कविता में कवि ने ‘कविता’ को किस रूप में देखा है और क्यों?
उत्तर. कविता के बहाने में कवि कविता को खेल के रूप में देखा है क्योंकि जिस प्रकार खेल का उद्देश्य मनोरंजन करना एवं आत्मसंतुष्टि प्रदान करना होता है, उसी प्रकार कविता भी शब्दों के माध्यम से कवि तथा श्रोता का मनोरंजन करती है एवं रचनाकार को आत्मतुष्टि प्रदान करती है।
2. कविता के संदर्भ में बिना मुरझाए महकने के माने क्या है?
उत्तर. फूल खिलता है लेकिन दो-चार दिन बाद उसकी खुशबू समाप्त हो जाती है और वह मुरझा जाता है लेकिन कविता एक बार सृजित होने के बाद अनंतकाल तक बिना मुरझाए रसास्वादन करवाती रहती है।
3. कविता को खेल की संज्ञा क्यों दी गई है?
उत्तर. कविता को खेल की संज्ञा दी गई है क्योंकि जिस प्रकार खेल का उद्देश्य मनोरंजन करना एवं आत्मसंतुष्टि प्रदान करना होता है, उसी प्रकार कविता भी शब्दों के माध्यम से कवि तथा श्रोता का मनोरंजन करती है एवं चित्त को संतुष्टि प्रदान करती है।
4. बच्चा सब घर एक कैसे कर देता है?
अथवा
इस कविता के बहाने बताएँ कि “सब घर एक कर देने के माने” क्या है?
अथवा
कविता और बच्चे को समांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर. सब घर एक कर देने से मतलब है सभी घरों को एक समान समझना अपना पराया, छोटा-बड़ा मेरा तेरा, जाति सम्प्रदाय, धर्म आदि संकुचित भावों को मिटाकर सबको एक समान दृष्टि से देखें। समाज में छोटे बच्चे का मन बहुत कोमल होता है उसे किसी से भेदभाव ईर्ष्या द्वेष आदि नहीं होता है। इसलिए वे अपने साथियों के साथ खेलने के लिए सभी घरों में चले जाते हैं। वह समस्त संकीर्णता को त्याग कर सभी घरों को एक समान देखता है। जैसे बच्चे खेलते कूदते समय स्थान, उपस्थिति का ध्यान न रखते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त कर देते है वैसे ही कवि भी कहीं भी अपनी कविता के माध्यम से अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर देता है। क्योंकि इन दोनों के माध्यम से ही अतीत वर्तमान और भविष्य आपस में जुड़ते हैं।
5. ‘बच्चे की उछल-कूद, सब घर एक कर देना’ एवं ‘कवि का कविता लिखना’ दोनों में क्या
समानता है?
उत्तर. बच्चा खेल-खेल में घर का सारा सामान अस्त व्यस्त कर देता है, सब कुछ टटोलता है, सभी वस्तुओं को एक स्थान पर एकत्र कर लेता है एवं बच्चा कहीं भी खेलना प्रारंभ कर देता है तथा उसका खेल भेदभाव रहित होता है। वैसे ही काव्य रचना-प्रक्रिया में कवि भी पूरा मानव जीवन खगाल लेता है, वह निष्पक्ष होता है, भावों को एक जगह पिरोता है एवं कविता भी कहीं भी और कभी भी प्रकट हो जाती है।
6. ‘कविता के बहाने के आधार पर कविता के असीमित अस्तित्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. ‘कविता के बहाने में कविता का असीमित अस्तित्व प्रकट करने के लिए कवि ने चिड़िया की उड़ान एवं फूलों की महक का उदाहरण दिया है। वह कहता है कि चिड़िया की उड़ान सीमित होती है किन्तु कविता की कल्पना का दायरा असीमित होता है। चिड़िया घर के अंदर-बाहर या एक घर से दूसरे घर तक उड़ती है, परन्तु कविता की उड़ान व्यापक होती है। कवि के भावों की कोई सीमा नहीं है। कविता घर-घर की कहानी कहती है।
वह पंख लगाकर हर जगह उड़ सकती है। उसकी उड़ान चिड़िया की उड़ान से कहीं आगे है। साथ ही कवि कहता है कि कविता फूल की तरह खिलती है परन्तु वह फूल की भाँति मुरझाती नहीं है बल्कि वह अमर होती और युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करती है।
7. कविता के बहाने कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. कविता के बहाने कविता में चिड़िया तथा फूल से लेकर बच्चे तक की यात्रा है। एक तरफ प्रकृति है तो दूसरी तरफ भविष्य की ओर कदम बढ़ाता हुआ बच्चा है। यह स्पष्ट है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है फूल के खिलने की भी एक सीमा है। फूल खिलने के बाद एक दिन अवश्य मुरझा जाता है लेकिन बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई बंधन नहीं है कविता भी शब्दों का एक खेल है, जिसमें जड़-चेतन अतीत वर्तमान साधन मात्र है अतः जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होती है वहाँ सीमाओं के बंधन स्वतः टूट जाते हैं।
8. उड़ने और खिलने का कविता से क्या संबंध बनता है?
उत्तर. जैसे चिड़िया पंखों के माध्यम से उड़ान भरती है उसी प्रकार से कवि भी कल्पना के पंख लगा कर कविता के माध्यम से उड़ता है लेकिन चिड़िया के उड़ने की एक सीमा निर्धारित होती है किंतु कवि के उड़ने की कोई सीमा निर्धारित नहीं होती अर्थात् असीमित होती है।
जैसे फूल खिलता है और खुशबू प्रदान करता है उसी प्रकार से कविता भी रसास्वादन प्रदान करती है लेकिन फूल के खिलने और रसास्वादन प्रदान करने का समय सीमित हैं लेकिन एक बार कविता के सृजन के बाद अनंतकाल तक उसका रसास्वादन किया जा सकता है। इसलिए चिड़िया की उड़ान एवं फूल के खिलने से बढ़ कर कवि-कर्म को बताया गया है।
‘बात सीधी थी’ कविता से अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
काव्यांश-1
बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टेढ़ी फँस गई।
उसे पाने की कोशिश में
भाषा को उलटा पलटा
तोड़ा मरोड़ा
घुमाया फिराया
कि बात या तो बने
या फिर भाषा से बाहर आए
लेकिन इससे भाषा के साथ साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई।
सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना
मैं पेंच को खोलने के बजाए
उसे बेतरह कसता चला जा रहा था
क्यों कि इस करतब पर मुझे
साफ सुनाई दे रही थी
तमाशबीनों की शाबाशी और वाह वाह !
1. सीधी बात किस के चक्कर में टेढ़ी फँस गई?
a. तर्कशास्त्र के
b. विज्ञान के
c. भाषा के
d. उपर्युक्त सभी के
उत्तर – c. भाषा के
2. भाषा के क्या करने से बात और अधिक पेचीदा हो गई?
a. उलटने पलटने
b. तोड़ने-मरोड़ने
c. घुमाने – फिराने से
d. उपर्युक्त सभी कारणों से
उत्तर – d. उपर्युक्त सभी कारणों से
3. भाषा को उलटने – पलटने, तोड़ने-मरोड़ने और घुमाने फिराने से बात कैसी हो जाती है?
a. सरल
b. स्पष्ट
c. पेचीदा
d. प्रभावकारी
उत्तर – c. पेचीदा
4. कवि के करतबों (कविता में बनावटी भाषा का प्रयोग) को देख कर तमाशबीनों ने क्या
किया?
a. उसकी झूठी तारीफ
b. शाबाशी दी
c. वाह-वाही की
d. उपर्युक्त सभी सही हैं।
उत्तर – d. उपर्युक्त सभी सही हैं।
5. अभिकथन (A)- उत्तम संचार के लिए हमें सरल भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
कारण (R)- क्लिष्ट भाषा आम लोगों की समझ से बाहर होती है।
a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
b. अभिकथन (A) गलत है जबकि कारण (R) सही है।
c. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की सही व्याख्या करता है।
d. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर – c. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की सही व्याख्या करता है।
काव्यांश – 02
आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
जोर जबरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी!
हार कर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोंक दिया।
ऊपर से ठीक ठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
न ताकत !
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा-
“क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?”
1. बात कवि के साथ किसके समान खेल रही थी?
a. पेंच के समान
b. कील के समान
c. बच्चे के समान
d. खिलौने के समान
उत्तर – c. बच्चे के समान
2. बात की चूड़ी मर जाना’ से कवि का तात्पर्य है-
a. बात का प्रभावहीन हो जाना
b. बात का सहज और स्पष्ट हो जाना
c. बात में कसावट आ जाना
d. उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर – a. बात का प्रभावहीन हो जाना
3. बनावटी एवं आडंबरयुक्त भाषा के प्रयोग से बात कैसी हो गई?
a. प्रभावहीन
b. उद्देश्यहीन
c. अर्थहीन
d. उपर्युक्त सभी
उत्तर – d. उपर्युक्त सभी
4. भाषा को सहूलियत से बरतने से क्या तात्पर्य है?
a. भाव के अनुरूप सहज एवं सरल शब्दों का प्रयोग करना
b. भावाभिव्यक्ति के लिए अनावश्यक आडंबरयुक्त शब्दों के प्रयोग से बचना
c. अनावश्यक पांडित्य प्रदर्शन से बचना
d. उपर्युक्त सभी
उत्तर – d. उपर्युक्त सभी
5. अभिकथन (A)- बात और भाषा एक दूसरे से जुड़े रहते हैं।
कारण (R)- हमें अनावश्यक पांडित्य प्रदर्शन से बचना चाहिए।
a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
b. अभिकथन (A) गलत है जबकि कारण (R) सही है।
c. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की सही व्याख्या करता है।
d. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, Aकी व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर – c. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की सही व्याख्या करता है।
‘बात सीधी थी’ कविता से अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
1. बात और भाषा परस्पर कैसे जुड़े होते हैं? कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी कैसे हो जाती है?
उत्तर. भाषा के माध्यम से ही हम अपनी बात लोगों तक पहुंचा सकते हैं। जब हम अपनी बात किसी व्यक्ति से कहते हैं तो उसके लिए उचित शब्दों का चयन करते हैं लेकिन यदि
दिखावे के फेर में हमने कठिन एवं अव्यावहारिक शब्दों का इस्तेमाल कर लिया तो बात समझ में नहीं आती। अतः हमें सोच समझकर सरल एवं सहज भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
3. बात सीधी थी पर कविता में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए?
अथवा
‘बात सीधी थी’ कविता का कथ्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. कविता में कवि ने उन रचनाकारों पर कटाक्ष किया है जो अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए भाषा के साथ खिलवाड़ करते हैं। वे अपनी रचना में शब्दों का जाल रच कर पाठकों को भ्रमित करते हैं तथा आडंबरपूर्ण शब्द योजना से उनकी वाहवाही लूटते हैं। चाहे उनकी रचना का कथ्य पाठकों अथवा श्रोताओं की समझ में आया हो या नहीं। कवि चाहता है कि रचनाकार को अपनी बात अत्यंत सहज तथा स्पष्ट शब्दों में कहनी चाहिए। कथ्य और भाषा का सही संबंध बना रहना चाहिए जिससे पाठक अथवा श्रोता उसके बाद सहज रूप से ग्रहण कर सके।
4. बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह मुझसे खेल रही थी, मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा क्या तुमने भाषा को सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा? इन पंक्तियों का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए?
उत्तर. इन पंक्तियों में कवि ने बात का मानवीकरण किया है। कवि काव्य रचना में भाषा की सहजता तथा प्रभावशाली प्रयोग पर बल दे रहा है। खड़ी बोली में रचित इन पंक्तियों की भाषा विदेशी, देशज है एवं मुहावरों का सहज रूप से प्रयोग किया गया है। प्रश्न, अनुप्रास, मानवीकरण आदि अलंकार है। लाक्षणिक एवं बिंब विधान ने कथन को सुंदरता प्रदान की है।
5. भाषा को सहूलियत से बरतने का सामान्य क्या मतलब है?
उत्तर. भाषा को सहूलियत से बरतने से तात्पर्य है कि हमें अपने विचारों की अभिव्यक्ति के लिए सहज एवं सरल शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए नाकि आडंबरपूर्ण एवं दिखावे से भरपूर बोझिल भाषा का।
6. कवि के साथ बात किसके समान खेल रही थी? उसने कवि पर क्या व्यंग्य किया?
उत्तर. बात कवि के साथ एक नटखट एवं शरारती बच्चे के समान खेल रही थी। उसने कवि पर व्यंग्य करते हुए कहा कि आपको भाषा का सहज एवं सरल रूप इस्तेमाल करना नहीं आता है क्या?
7: कवि के अनुसार कोई बात पेचीदा कैसे हो जाती है?
उत्तर. कवि कहता है कि जब अपनी बात को सहज रूप से न कहकर तोड़-मरोड़कर या घुमा-फिराकर कहने का प्रयास किया जाता है तो बात उलझती चली जाती है। ऐसी बातों के अर्थ श्रोता या पाठक समझ नहीं पाता। वह मनोरंजन तो पा सकता है, परंतु कवि के भावों को समझने में असमर्थ होता है। इस तरीके से बात पेचीदा हो जाती है।
8. प्रशंसा का व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता हैं? ‘बात सीधी थी पर कविता के आधार पर बताइए।
उत्तर. प्रशंसा से व्यक्ति स्वयं को सही व उच्च कोटि का मानने लगता है। वह गलत-सही का निर्णय नहीं कर पाता। उसका विवेक कुंठित हो जाता है। कविता में प्रशंसा मिलने के कारण कवि अपनी सहज बात को शब्दों के जाल में उलझा देता है। फलत: उसके भाव जनता तक नहीं पहुँच पाते।
9. कवि को पसीना आने का क्या कारण था?
उत्तर. कवि अपनी बात को प्रभावशाली भाषा में कहना चाहता था। इस चक्कर में वह अपने लक्ष्य से भटककर शब्दों के आडंबर में उलझ गया। भाषा के चक्कर से वह अपनी बात को निकालने की कोशिश करता है, परंतु वह नाकाम रहता है। बार-बार कोशिश करने के कारण उसे पसीना आ जाता है।
10. कवि ने कथ्य को महत्व दिया है अथवा भाषा को ‘बात सीधी थी पर’ के आधार पर तर्क-सम्मत उत्तर दीजिए।
उत्तर. ‘बात सीधी थी पर कविता में कवि ने कथ्य को महत्व दिया है। इसका कारण यह है कि सीधी और सरल बात को कहने के लिए जब कवि ने चमत्कारिक भाषा में कहना चाहा तो भाषा के चक्कर में भावों की सुंदरता नष्ट हो गई। भाषा के उलट-फेर में पड़ने के कारण उसका कथ्य भी जटिल होता गया।
11. बात सीधी थी पर कविता में भाषा के विषय में व्यंग्य करके कवि क्या सिद्ध करना चाहता है?
उत्तर. ‘बात सीधी थी पर कविता में कवि ने भाषा के विषय में व्यंग्य करके यह सिद्ध करना चाहा है कि लोग किसी बात को कहने के क्रम में भाषा को सीधे, सरल और सहज शब्दों में न कहकर तोड़-मरोड़कर उलट-पलटकर, शब्दों को घुमा-फिराकर कहते हैं, जिससे भाषा क्लिष्ट होती जाती है और बात बनने की बजाय बिगड़ती और उलझती चली जाती है। इससे हमारा कथ्य और भी जटिल होता जाता है क्योंकि बात सरल बनने की जगह पेचीदी बन जाती है।