रघुवीर सहाय
जन्म : सन् 1929, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
प्रमुख रचनाएँ : अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक (1951) में, आरंभिक कविताएँ, महत्त्वपूर्ण काव्य-संकलन सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो-हँसो जल्दी हँसो
पत्रकारिता : ऑल इंडिया रेडियो के हिंदी समाचार विभाग से संबद्ध रहे, फिर हैदराबाद से निकलने वाली पत्रिका कल्पना और उसके बाद दैनिक नवभारत टाइम्स तथा दिनमान से संबद्ध रहे
सम्मान : साहित्य अकादेमी पुरस्कार
निधन : सन् 1990, दिल्ली में
कुछ होगा / कुछ होगा अगर मैं बोलूँगा /
न टूटे न टूटे तिलिस्म सत्ता का / मेरे अंदर एक कायर टूटेगा
रघुवीर सहाय समकालीन हिंदी कविता के संवेदनशील ‘नागर’ चेहरा हैं। सड़क, चौराहा, दफ़्तर, अखबार, संसद, बस, रेल और बाज़ार की बेलौस भाषा में उन्होंने कविता लिखी। घर-मुहल्ले के चरित्रों पर कविता लिखकर इन्हें हमारी चेतना का स्थायी नागरिक बनाया। हत्या-लूटपाट और आगज़नी, राजनैतिक भ्रष्टाचार और छल-छद्म इनकी कविता में उतरकर खोजी पत्रकारिता की सनसनीखेज रपटें नहीं रह जाते, आत्मान्वेषण का माध्यम बन जाते हैं। यह ठीक है कि पेशे से वे पत्रकार थे, लेकिन वे सिर्फ़ पत्रकार ही नहीं , सिद्ध कथाकार और कवि भी थे। कविता को उन्होंने एक कहानीपन और एक नाटकीय वैभव दिया।
जातीय या वैयक्तिक स्मृतियाँ उनके यहाँ नहीं के बराबर हैं। इसलिए उनके दोनों पाँव वर्तमान में ही गड़े हैं। बावजूद इसके, मार्मिक उजास और व्यंग्य-बुझी खुरदरी मुसकानों से उनकी कविता पटी पड़ी है। छंदानुशासन के लिहाज़ से भी वे अनुपम हैं पर ज़्यादातर बातचीत की सहज शैली में ही उन्होंने लिखा और बखूबी लिखा।
बतौर पत्रकार और कवि घटनाओं में निहित विडंबना और त्रासदी को भी उन्होंने देखा। रघुवीर सहाय की कविताओं की दूसरी विशेषता है छोटे या लघु की महत्ता का स्वीकार। वे महज़ बड़े कहे जाने वाले विषयों या समस्याओं पर ही दृष्टि नहीं डालते, बल्कि जिनको समाज में हाशिए पर रखा जाता है, उनके अनुभवों को भी अपनी रचनाओं का विषय बनाते हैं। रघुवीर जी ने भारतीय समाज में ताकतवरों की बढ़ती हैसियत और सत्ता के खिलाफ़ भी साहित्य और पत्रकारिता के पाठकों का ध्यान खींचा। ‘रामदास’ नाम की उनकी कविता आधुनिक हिंदी कविता की एक महत्त्वपूर्ण रचना मानी जाती है।
कविता का सामान्य परिचय
अत्यंत साधारण और अनायास-सी प्रतीत होनेवाली शैली में समाज की दारुण विडंबनाओं को पकड़ने की जो कला रघुवीर सहाय की कविताओं में मिलती है, उसका प्रतिनिधि उदाहरण है यहाँ प्रस्तुत कविता कैमरे में बंद अपाहिज जो लोग भूल गये हैं संग्रह से ली गई है। शारीरिक चुनौती को झेलते व्यक्ति से टेलीविज़न-कैमरे के सामने किस तरह के सवाल पूछे जाएँगे और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उससे कैसी भंगिमा की अपेक्षा की जाएगी – इसका लगभग सपाट तरीके से बयान करते हुए कवि ने एक तरह से पीड़ा के साथ दृश्य-संचार माध्यम के संबंध को रेखांकित किया है। किसी की पीड़ा को बहुत बड़े दर्शक वर्ग तक पहुँचाने वाले व्यक्ति को उस पीड़ा के प्रति स्वयं संवेदनशील होने और दूसरों को संवेदनशील बनाने का दावेदार होना चाहिए। लेकिन विडंबना यह है कि आप जब पीड़ा को पर्दे पर उभारने का प्रयास करते हैं, तब कारोबारी दबाव के तहत आपका रवैया संवेदनहीन हो जाता है। सहाय जी की यह कविता टेलीविज़न स्टूडियो के भीतर की दुनिया को उभारती ज़रूर है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि इसे सिर्फ़ टेलीविज़न माध्यम से जोड़कर देखा जाए। अपनी व्यंजना में यह कविता हर ऐसे व्यक्ति की ओर इशारा करती है, जो दुख-दर्द, यातना-वेदना को बेचना चाहता है।
इस कविता को शारीरिक चुनौती झेलते लोगों के प्रति संवेदनशील नज़रिया अपनाने के लिए प्रेरित करते पाठ के रूप में भी देखा जा सकता है। इसके लिए कवि ने धुर संवेदनहीनता को रेखांकित करने का तरीका अपनाया है। वह दिखलाता है कि किस तरह करुणा जगाने के मकसद से शुरू हुआ कार्यक्रम क्रूर बन जाता है।
कैमरे में बंद अपाहिज
हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा
देता है?
(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दुख क्या है
जल्दी बताइए वह दुख बताइए
बता नहीं पाएगा
सोचिए
बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता है
(हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा?)
सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे
इंतज़ार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का
करते हैं?
(यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा)
फिर हम परदे पर दिखलाएँगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
कैमरे में बंद अपाहिज
आप और वह दोनों
(कैमरा
बस करो
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है)
अब मुसकुराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई)
धन्यवाद।
शब्दार्थ
1. समर्थ– लायक, शक्तिशाली
2. दुर्बल– कमज़ोर
3. अपाहिज– शारीरिक रूप से विकलांग Physically Challenged
4. रोचक– दिलचस्प
5. कसमसाहट– पीड़ा, दर्द, अपंगता– अपाहिज होना
6. धीरज– धैर्य, Patience
7. उद्देश्य– लक्ष्य
8. सामाजिक– Social
9. युक्त– जुड़ा हुआ
10. कसर रहना– कमी रहना
कविता का सार –
कैमरे में बंद अपाहिज कविता में कवि रघुवीर सहाय जी ने अत्यंत साधारण और अनायास सी प्रतीत होने वाली शैली में समाज की कठोर विडंबनाओं को उकेरने का प्रयास किया है। उन्हीं का प्रतिनिधित्व ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता करती है। जो ‘लोग भूल गए हैं संग्रह से ली गई है। शारीरिक चुनौतियों को झेलते व्यक्ति से टेलीविजन कैमरे के सामने किस तरह के प्रश्न पूछे जाएँगे और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उससे कैसी भंगिमा की अपेक्षा की जाएगी, इसका लगभग सहज तरीके से स्पष्ट वर्णन रघुवीर सहाय ने किया है। किसी की पीड़ा को बहुत बड़े दर्शक वर्ग तक पहुँचाने वाले व्यक्ति को पहले स्वयं उस पीड़ा के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। फिर दूसरों को संवेदनशील बनाने का दावेदार होना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आप जब पीड़ा को परदे पर उभारने का प्रयास करते हैं तब कारोबारी दबाव के तहत आपका रवैया संवेदनहीन हो जाता है। रघुवीर सहाय जी की यह कविता टेलीविजन स्टूडियो के भीतर की दुनिया को उभारती है। अपनी व्यंजना में यह कविता हर ऐसे व्यक्ति की ओर इशारा करती है जो दुख, दर्द, यातना व वेदना को बेचना चाहता है। इस कविता को शारीरिक चुनौतियों को झेलते लोगों के प्रति संवेदनशील नजरिया अपनाने के लिए प्रेरित करने वाले पाठ के रूप में पढ़ा जाना चाहिए। इसके लिए कवि ने धुर संवेदनहीनता को रेखांकित करने का तरीका अपनाया है। जिसमें देखा गया है कि किस तरह करुणा जगाने से शुरू हुआ कार्यक्रम क्रूर बन जाता है।
कविता के साथ
1. कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई हैं – आपकी समझ से इसका क्या औचित्य है?
उत्तर – भावों को प्रभावशाली बनाने के लिए तथा पाठकों के लिए सरलबोध प्रस्तुत करने के लिए कवि ने कोष्ठकों में कुछ पंक्तियाँ रखी हैं इन कोष्ठकों में लिखी पंक्तियों के द्वारा कवि ने अलग-अलग लोगों को संबोधित किया गया है। जैसे–
कैमरामैन के लिए–
• कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा
• कैमरा बस करो, नहीं हुआ रहने दो, परदे पर वक्त की कीमत है
अपाहिज व्यक्ति के लिए–
• यह अवसर खो देंगे?
• बस थोड़ी कसर रह गई।
दर्शकों के लिए–
• हम खुद इशारे से बताएँगे क्या ऐसा?
• यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा
इस प्रकार के कोष्ठांकित वाक्यों का प्रयोग कर कवि कविता के संदेश को पाठकों तक पूरी तरह संप्रेषित करने में सफल रहे हैं।
2. कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है – विचार कीजिए।
उत्तर – ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कवि ने अपाहिज व्यक्ति के प्रति आम जनता में करुणा जगाने के उद्देश्य से टेलीविजन पर उसे बुलाया था। लेकिन अपने कार्यक्रम को सफल बनाने एवं व्यावसायिक लाभ कमाने के उद्देश्य से उन्होंने अपाहिज व्यक्ति के प्रति संवेदनहीन रवैये को अपनाया। एक अपंग की अपंगता और मज़बूरी को व्यापार बनाया उसे सामाजिक उद्देश्य का चोला पहनाकर बेचा। इन सब विसंगतियों के कारण यह करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है।
3. हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर – ‘हम समर्थ शक्तिमान’ पंक्ति के माध्यम से कवि ने दूरदर्शनवालों अर्थात् मीडियाकर्मियों पर व्यंग्य किया है। जो अपने-आपको हर तरह से समर्थ-शक्तिवान मानकर किसी अपाहिज व्यक्ति की संवेदनाओं से खिलवाड़ करते हैं। कार्यक्रम से मुनाफे के लिए ये मीडिया संचालक करुणा और सहानुभूति का भी सौदा कर देते हैं। ‘हम एक दुर्बल को लाएँगे’ के माध्यम से अपंग व्यक्ति के लाचारी का भाव प्रदर्शित होता है और ये तथाकथित समर्थ-शक्तिवान मीडियाकर्मी अपनी कमाई के लिए अपंग व्यक्ति के लाचारी पर निर्भर दिखाई पड़ रहे हैं।
4. यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कौन—सा उद्देश्य पूरा होगा?
उत्तर – यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता लोगों का ध्यान कार्यक्रम की तरफ़ आकर्षित कर पाने में सफल हो जाएगा। उनका कार्यक्रम देखने के लिए लोग प्रेरित होंगे जिससे कार्यक्रम की टीआरपी बढ़ जाएगी। मीडियाकर्मी यही तो चाहते हैं कि जैसे भी हो उनका कार्यक्रम अधिक से अधिक दर्शकगण देखें ताकि उनकी भरपूर कमाई हो।
5. परदे पर वक्त की कीमत है कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नज़रिया किस रूप में रखा है?
उत्तर – इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति व्यावसायिक नज़रिया प्रस्तुत किया है। परदे पर जो कार्यक्रम दिखाया जाता है, उसकी कीमत समय के अनुसार होती है। दूरदर्शन व कार्यक्रम संचालक को जनता के हित या पीड़ा से कोई मतलब नहीं होता है। वे अपने कार्यक्रम को कम-से-कम समय में लोकप्रिय करना चाहते हैं। कार्यक्रम में अपंग व्यक्ति की पीड़ा को कम करने के बजाय उसे अतिरंजित करके दिखाया जाता है ताकि सहानुभूति को ‘हाई टीआरपी’में बदला जा सके।
कविता के आस—पास
1. यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो, तो किन शब्दों में करवाएँगी?
उत्तर – यदि मुझे शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो, तो मैं उसके गुणों को सबसे पहले बताऊँगा। वास्तव में मेरा एक मित्र संजय है जिसका एक पैर बचपन में पोलियो की वजह से खराब हो गया था। परंतु वह बड़ा ही कुशाग्र बुद्धि का छात्र था। अभी वह सरकारी स्कूल में एक शिक्षक है और राज्यपाल के द्वारा उसे अपनी उत्तम सेवाओं के लिए पुरस्कृत भी किया जा चुका है।
2. सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगा? अपने विचार संक्षेप में लिखें।
उत्तर – सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर मुझे कार्यकर्ता के अमानवीय व्यवहार पर घिन्न आएगी और पीड़ित के मनोभावों को समझकर मुझे दुखद अनुभूति होगी।
3. यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टी.वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।
उत्तर –
सेवा में
निदेशक महोदय
दूरदर्शन प्रसार समीति
नई दिल्ली
251001
विषय – शारीरिक चुनौती से युक्त कार्यक्रमों के संदर्भ में
महोदय
मैं इस पत्र के माध्यम से दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे लोगों के कार्यक्रम के प्रति आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। प्राय: दूरदर्शन पर ऐसे लोगों के कार्यक्रम दिखाए जाते हैं जो दिवयांग हैं या फिर विशिष्ट क्षमता वाले हैं। दूरदर्शन पर इन लोगों से कार्यक्रम संचालक अपने चैनल या कार्यक्रम की प्रसिद्धि के लिए ऐसे-ऐसे प्रश्न पूछते हैं, जिससे हृदय के दो टुक हो जाएँ। इन प्रश्नों से उत्साहित होने के स्थान पर ये लोग हतोत्साहित होते हैं। इन बातों से इन लोगों में दुर्बलता का अहसास पैदा होता है। बार-बार शारीरिक कमज़ोरी के प्रश्न पूछकर उनकी आंतरिक संवेदनाओं से घिनौना खिलवाड़ किया जाता है।
आपसे मेरा नम्र निवेदन है कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों का कार्यक्रम दिखाते हुए उनसे ऐसे सवाल न पूछे जाएँ, जिससे उनके मन में हीन भावना पैदा हो।
धन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.
4. नीचे दिए गए खबर के अंश को पढ़िए और बिहार के इस बुधिया से एक काल्पनिक साक्षात्कार कीजिए –
उम्र पाँच साल, संपूर्ण रूप से विकलांग और दौड़ गया पाँच किलोमीटर। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन यह कारनामा कर दिखाया है पवन ने। बिहारी बुधिया के नाम से प्रसिद्ध पवन जन्म से ही विकलांग है। इसके दोनों हाथ का पुलवा नहीं है, जबकि पैर में सिर्फ़ एड़ी ही है। पवन ने रविवार को पटना के कारगिल चौक से सुबह 8.40 पर दौड़ना शुरू किया। डाकबंगला रोड, तारामंडल और आर ब्लॉक होते हुए पवन का सफ़र एक घंटे बाद शहीद स्मारक पर जाकर खत्म हुआ। पवन द्वारा तय की गई इस दूरी के दौरान ‘उम्मीद स्कूल’ के तकरीबन तीन सौ बच्चे साथ दौड़ कर उसका हौसला बढ़ा रहे थे। सड़क किनारे खड़े दर्शक यह देखकर हतप्रभ थे कि किस तरह एक विकलांग बच्चा जोश एवं उत्साह के साथ दौड़ता चला जा रहा है। जहानाबाद ज़िले का रहने वाला पवन नवरसना एकेडमी, बेउर में कक्षा एक का छात्र है। असल में पवन का सपना ओड़िशा के बुधिया जैसा करतब दिखाने का है। कुछ माह पूर्व बुधिया 65 किलोमीटर दौड़ चुका है। लेकिन बुधिया पूरी तरह से स्वस्थ है जबकि पवन पूरी तरह से विकलांग। पवन का सपना कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है।
– 9 अक्तूबर, 2006 हिंदुस्तान से साभार
पत्रकार – शाबाश पवन! आपने तो कमाल कर दिया। इतनी लंबी दौड़ लगाकर भी आपको थकान नहीं हुई?
पवन – नहीं। मैं अकेला नहीं दौड़ रहा था। मेरे साथ उम्मीद स्कूल के तीन सौ बच्चे भी दौड़ रहे थे।
पत्रकार – हाँ, वो तो ठीक है, लेकिन उनमें और आपमें थोड़ा-सा अंतर भी तो है।
पवन – हाँ, आप ठीक कहते हैं। भगवान ने उन्हें शरीर के अंग तो पूरे दिए हैं, पर मुझे साहस दिया है।
पत्रकार – आपने कितने किलोमीटर की दौड़ लगाई?
पवन – पाँच किलोमीटर।
पत्रकार – लोग आपको बुधिया के नाम से पुकारते हैं तो आपको कैसा लगता है?
पवन – अच्छा लगता है। ईश्वर ने उसे स्वस्थ बनाया है और वह एक ही बार में 65 किलोमीटर लंबी दौड़ लगा चुका है।
पत्रकार – क्या आप भी इतनी लंबी दौड़ लगाना चाहते हैं या उससे भी लंबी।
पवन – मैं तो एक ही बार कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी तय करना चाहता हूँ।
पत्रकार – अरे वाह! आप तो बहुत बहादुर हैं। आपने अपनी यह दौड़ कहाँ से शुरू की थी और कहाँ समाप्त की थी?
पवन – मैंने रविवार को पटना के कारगिल चौक से सुबह 8:30 पर दौड़ना शुरू किया था। डाक बँगला रोड तारामंडल और आर. ब्लॉक होते हुए मैंने एक घंटे बाद शहीद स्मारक पर अपनी दौड़ समाप्त की थी।
पत्रकार – आप कौन से कक्षा में पढ़ते हैं?
पवन – हाँ, मैं जहानाबाद ज़िले के नवरसना एकेडमी, बेउर में पहली कक्षा में पढ़ता हूँ।
पत्रकार – मैं चाहता हूँ ईश्वर आपको तंदरुस्ती दे, लंबी उम्र दे ताकि आप देश का नाम ऊँचा कर सके।
पवन – धन्यवाद।
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता से जुड़े अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
काव्यांश-1
हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा
देता है?
(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दुख क्या हैं
जल्दी बताइए वह दुख बताइए
बता नहीं पाएगा।
सोचिए
बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता हैं
(हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा?)
सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का
करते हैं?
(यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा)
1. ‘कैमरे में बंद अपाहिज” कविता के कवि का नाम है –
a. कुँवर नारायण
b. उमाशंकर जोशी
c. आलोक धन्वा
d. रघुवीर सहाय
उत्तर – d. रघुवीर सहाय
2. ‘हम समर्थ शक्तिवान’ ‘हम’ प्रयुक्त हुआ है-
a. अपाहिज के लिए
b. टेलीविजन मीडियाकर्मी (दूरदर्शनवालों) के लिए
C. दर्शकों के लिए
d. उपर्युक्त में से किसी के लिए नहीं
उत्तर – b. टेलीविजन मीडियाकर्मी (दूरदर्शनवालों) के लिए
3. एक बंद कमरे में दूरदर्शन वाले किसको लाएंगे?
a. रोगी को
b. नेताजी को
c. दुर्बल को
d. बलवान को
उत्तर – c. दुर्बल को
4. हम दूरदर्शन पर बोलेंगे ‘हम समर्थ शक्तिवान’ में भाव है –
a. करुणा का
b. अहंकार का
C. दया का
d. घृणा का
उत्तर – b. अहंकार का
5. बंद कमरे में अपाहिज से कैसे प्रश्न पूछे जाएँगे?
a. क्या आप अपाहिज हैं?
b. आप क्यों अपाहिज हैं?
c. क्या आपको आपका अपाहिजपन दुःख देता है?
d. उपरोक्त सभी
उत्तर – d. उपरोक्त सभी
6. ‘आपको अपाहिज होकर कैसा लगता हैं इस तरह के प्रश्नों से दूरदर्शन (टेलीवजन मीडिया) कर्मियों की किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
a. करुणा का
b. संवेदनहीनता का
C. दया का
d. संवेदनशीलता का
उत्तर – b. संवेदनहीनता का
7. ‘आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते, हम पूछ-पूछकर उसको रुला
देंगे’ इन पंक्तियों के माध्यम से व्यंग्य किया गया है-
a. टी. वी. मीडिया की व्यावसायिकता पर
b. टी. वी मीडिया की संवेदनहीनता पर
C. टी. वी. मीडिया की करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता पर
d. उपर्युक्त सभी विकल्प सही हैं।
उत्तर – d. उपर्युक्त सभी विकल्प सही हैं।
8. अपाहिज क्या नहीं बता पाएगा?
a. अपना सुख
b. अपना दुख
C. अपना सामर्थ्य
d. अपनी शक्ति
उत्तर – b. अपना दुख
9. अपाहिज से पूछे गए प्रश्न की विशेषता नहीं है –
a. निरर्थकता
b. बेतुकान
C. संवेदनहीनता
d. संवेदनशीलता
उत्तर – d. संवेदनशीलता
10. अभिकथन (A)- किसी व्यक्ति के दुःख को प्रस्तुत कर रोचकता लाना अनुचित है।
कारण (R)- क्योंकि यह अमानवीय व असंवेदनशील व्यवहार है।
a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
b. अभिकथन (A) गलत है जबकि कारण (R) सही है।
C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या करता है।
d. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, Aकी व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर – C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या करता है।
काव्यांश-2
फिर हम परदे पर दिखलाएँगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा हैं आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों को एक संग रुलाने हैं
आप और वह दोनों
(कैमरा
बस करो
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है)
अब मुसकुराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई)
1. कैमरे वाले परदे पर अपाहिज की क्या दिखाएँगे?
a. हँसी
b. बेचैनी
C. अपंगता की पीड़ा
d. रोने से फूली हुई आँख
उत्तर – d. रोने से फूली हुई आँख
2. अपाहिज से दूरदर्शन कार्यक्रम संचालक किस प्रकार के प्रश्न पूछता है?
a. अर्थपूर्ण
b. तर्कसंगत
C. भावपूर्ण
d. अर्थहीन
उत्तर – d. अर्थहीन
3. दूरदर्शन संचालक और कैमरामैन एक और कोशिश क्यों करना चाहते हैं?
a. तस्वीर साफ दिखाने के लिए
b. अपाहिज की अपंगता को उभारने के लिए
C. कार्यक्रम को आकर्षक बनाने के लिए
d. चमत्कार उत्पन्न करने के लिए
उत्तर – C. कार्यक्रम को आकर्षक बनाने के लिए
4. दूरदर्शन संचालक दर्शकों से क्या अनुरोध करता है?
a. शांति बनाए रखने का
b. हिम्मत दिखाने का
C. धैर्य बनाए रखने का
d. दया भावना दिखाने का
उत्तर – C. धैर्य बनाए रखने का
5. कैमरे वाला किन्हें एक साथ रुलाना चाहता है?
a. अपाहिज और कैमरामैन को
b. अपाहिज और दूरदर्शन संचालक को
C. अपाहिज और दर्शक को
d. उपर्युक्त में से किसी को नहीं
उत्तर – C. अपाहिज और दर्शक को
6. दूरदर्शन पर किस उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम दिखाया जा रहा था?
a. धार्मिक
b. वैज्ञानिक
C. सामाजिक
d. मनोवैज्ञानिक
उत्तर – C. सामाजिक
7. कविता में पर्दे पर किसकी कीमत बताई गई है?
a. वक्त की
b. अपाहिज की
C. धन की
d. विद्या की
उत्तर – a. वक्त की
8. कविता के अनुसार टेलीविजन मीडिया सामाजिक कार्यक्रम के नाम पर क्या करता है?
a. लोगों के दुख-दर्द को बेचने का काम करता है।
b. अपने व्यावसायिक हितों को पूरा करने का काम करता है।
C. पीड़ितजनों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का काम करता है।
d. उपर्युक्त सभी
उत्तर – d. उपर्युक्त सभी
9. आखिरकार दूरदर्शन संचालक के मन में सबसे बड़ी क्या कसक रह गई?
a. दर्शक और अपाहिज दोनों को एक साथ न रुला पाने की
b. अपाहिज की पीड़ा दर्शकों तक न पहुँचा पाने की
C. अपाहिज को अच्छे से न रुला पाने की
d. दर्शकों को न रुला पाने की
उत्तर – a. दर्शक और अपाहिज दोनों को एक साथ न रुला पाने की
10. अभिकथन (A)- कविता में प्रश्नकर्ता कैमरेवाले को आँख की बड़ी तस्वीर दिखाने के लिए कहता है।
कारण (R)- ताकि दूरदर्शन जनता की सहानुभूति प्राप्त कर सके।
a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
b. अभिकथन (A) गलत है जबकि कारण (R) सही है।
C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या करता है।
d. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर – C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या करता है।
काव्यांश – 3
हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?
तो आप क्यों अपाहिज हैं?
1. काव्यांश में समर्थ शक्तिवान किसे बताया है?
a. सरकार को
b. दूरदर्शन पर कार्यक्रम के प्रायोजकों को
C. विकलांगों को
d. सभी को
उत्तर – b. दूरदर्शन पर कार्यक्रम के प्रायोजकों को
2. तो आप क्या अपाहिज हैं? पंक्ति में निहित भाव है.
a. करुणा का
b. सहानुभूति का
C. क्रूरता का
d. दया का
उत्तर – C. क्रूरता का
3. कैमरे में बंद अपाहिज कविता किस काव्य संग्रह से ली गई है –
a. लोग भूल गए है
b. सीढ़ियों पर धूप में
c. आत्महत्या के विरुद्ध
d. हँसो हँसो जल्दी हँसो
उत्तर – a. लोग भूल गए है
4. काव्यांश में किसकी मानसिकता पर व्यंग्य किया गया है?
a. जनता की
b. सरकार की
C. मीडिया की
d. जनता की
उत्तर – C. मीडिया की
5. अभिकथन (A)- हम एक दुर्बल को लाएंगे।
कारण (R)- दुर्बल व्यक्ति की दूरदर्शन को आवश्यकता है।
a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
b. अभिकथन (A) गलत है जबकि कारण (R) सही है।
C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या करता है।
d. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर – a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
काव्यांश-4
फिर हम परदे पर दिखलाएँगे
फुली हुई आँख की एक बडी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा हैं आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
1. काव्यांश के रचनाकार का नाम क्या है?
a. शमशेर बहादुर सिंह
b. कुँवर नारायण
C. मुक्तिबोध
d. रघुवीर सहाय
उत्तर – d. रघुवीर सहाय
2. दर्शको में अपाहिज के लिए कैसी भावना है?
a. दया की
b. द्वेष की
C. कठोरता की
d. विद्रोह की
उत्तर – a. दया की
3. काव्यांश में ‘कसमसाहट’ का अर्थ है?
a. बेचैनी
b. नाचना
C. ख़ुशी
d. गाना
उत्तर – a. बेचैनी
4. काव्यांश में परदे पर क्या दिखाने की बात कही गई है?
a. फुली हुई आँख की रंगीन तसवीर
b. फुली हुई आँख की सुन्दर तसवीर
C. फुली हुई आँख की एक छोटी तसवीर
d. फुली हुई आँख की एक बडी तसवीर
उत्तर – d. फुली हुई आँख की एक बडी तसवीर
5. अभिकथन (A)- कविता में कोष्ठकों का प्रयोग हुआ है।
कारण (R) – यह नयी कविता की विशेषता है।
a. अभिकथन (A) सही है जबकि कारण (R) गलत है।
b. अभिकथन (A) गलत है जबकि कारण (R) सही है।
C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या करता है।
d. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर – C. अभिकथन (A) और कारण (R) दोनों सही है R, A की व्याख्या करता है।
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता से जुड़े अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न
1. दूरदर्शन पर एक अपाहिज का साक्षात्कार किस उद्देश्य से दिखाया जाता है?।
उत्तर. ‘सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम’ कहकर मीडियाकर्मी यह सिद्ध करना चाहता है कि उसे अपाहिज व्यक्ति से गहरी संवेदना है और उसकी पीड़ा को दर्शकों तक पहुँचाकर उसने अत्यंत मानवीय एवं सामाजिक कार्य किया है। किंतु, दूरदर्शन पर एक अपाहिज के साक्षात्कार का उद्देश्य उसके प्रति सहानुभूति व्यक्त करना नहीं है, बल्कि उसके दुख का सार्वजनिक प्रदर्शन करके दर्शकों की करुणा को जागृत कर अपना व्यावसायिक हित साधना है। कार्यक्रम के अंत में ‘अब मुसकुराएँगे हम’- कहकर मीडियाकर्मी अपाहिज के दुख-दर्द से द्रवित होने के स्थान पर मुसकराता है और अपनी पोल खुद खोलता है। अंत में उसके मुख से ‘धन्यवाद’ कहलवाकर कवि ने मानो सूचना तंत्र की संवेदनहीनता पर एक तीखा व्यंग्य प्रहार किया है।
2. हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे पंक्तियों में समर्थ शक्तिवान और दुर्बल किसके लिए आया है?
उत्तर. मीडिया में इतनी शक्ति होती है कि वे किसी को भी रातों रात सकारात्मक अथवा नकारात्मक रूप में प्रसिद्ध कर सकते हैं। उपरोक्त पंक्तियों में समर्थ शक्तिवान टेलीविजन कैमरे / मीडिया वालों के लिए आया है। जबकि निर्बल अपाहिज व्यक्ति के लिए आया है।
3 अंधे को अंधा कहना किस मानसिकता का परिचायक है? कविता में यह मनोवृत्ति किस प्रकार उद्घाटित हुई है?
उत्तर. अंधे को अंधा कहना क्रूर एवं अमानवीय मानसिकता का परिचायक है। व्यावसायिक सफलता के लिए उतावला मीडियाकर्मी किसी तरह विकलांग व्यक्ति के आँसू, सिसकियाँ या कुछ शब्द निकलवाना चाहता है, ताकि कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाया जा सके। कविता में यह मनोवृत्ति उद्घाटित करते हुए साक्षात्कारकर्ता विकलांग व्यक्ति को बार-बार अपाहिज कहकर उसे उसके दुख एवं अक्षमता की याद दिलाता है, जो कि अत्यंत निर्मम, संवेदनाशून्य एवं अमानवीय व्यवहार है।
4. जब शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति से उसके दुख के विषय में पूछा जाता है तो वह अपने दुख क्यों नहीं बता पाता?
उत्तर. जब शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति से उसके दुखों के बारे में उससे पूछा जाता है तो वह अपने दुख के विषय में नहीं बता पाता क्योंकि वह अपनी असमर्थता को लोगों के सामने प्रकट नहीं करना चाहता। वह नहीं चाहता कि लोग उसे दुर्बल और शक्तिहीन समझे तथा किसी कार्य को करने में असमर्थ कहकर उसका अपमान करें उसे हँसी का पात्र बनाएँ।
5. कैमरे में बंद अपाहिज कविता की मूल व्यंजना स्पष्ट कीजिए?
उत्तर. कैमरे में बंद अपाहिज कविता ऐसे लोगों की ओर इशारा करती है जो समर्थ शक्तिवान होते हुए भी अपाहिजों के दुख-दर्द यातना वेदना को बेचना चाहते हैं। उनकी स्थिति महामारी की कामना करने वाले चिकित्सक के समान होती है। जो दिखावा तो संवेदना की करते हैं लेकिन संवेदनहीन हो जाते हैं।
6. “हम दूरदर्शन पर बोलेंगे, हम समर्थ शक्तिवान हम एक दुर्बल को लाएँगे एक बंद कमरे में” इसका भाव सौंदर्य एवं कला/शिल्प सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. भाव-सौंदर्य –
इस अवतरण में रघुवीर सहाय ने टेलीविजन कैमरे के सामने किसी अपंग मनुष्य के प्रति संवेदनहीन रवैया का चित्रण किया है। इसमें कवि ने टेलीविजन कैमरे के सामने अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शारीरिक रूप से अपंग मनुष्य के प्रति संवेदनशील भाव अपनाने की बात की है। हम दूरदर्शन पर अपने आप को यानी मीडिया को शक्तिशाली बताएँगे। अपना गौरवगान स्वयं करेंगे ताकि हमारा कार्यक्रम ज्यादा सफल हो सके इसके लिए किसी कमजोर असहाय व्यक्ति को हम एक बंद कमरे में कैमरे के सामने प्रस्तुत करेंगे।
कला / शिल्प सौंदर्य
भाषा सरल एवं स्पष्ट है। तत्सम एवं तद्भव शब्दावली का इस्तेमाल हुआ है। शैली मर्मस्पर्शी एवं भावपूर्ण है। करुण रस है। प्रसादगुण है। अनुप्रास एवं पद मैत्री अलंकारों का प्रयोग हुआ है। कविता में कोष्ठकों प्रयोग भी अनूठा है।
7. “परदे पर वक्त की कीमत है।” कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा है?
उत्तर. परदे पर वक्त की कीमत है यह कह कर कवि ने यह बताया है कि दूरदर्शन वाले चाहते थे कि अपंग व्यक्ति को दुखी देखकर दर्शकगण भी रोने लगेंगे। लेकिन जब वे इस उद्देश्य में सफल न हो सके तो उन्हें इस कार्यक्रम को अधिक समय दिखाना उचित नहीं लगा। इसलिए उन्होंने ऐसा कहा।
8. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के विषय में अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर. ‘कैमरे में बंद अपाहिज कविता में शारीरिक अक्षमता की पीड़ा झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा को जिस अमानवीय ढंग से दर्शकों तक पहुँचाया जाता है वह कार्यक्रम के निर्माता और प्रस्तुतकर्ता की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। वह पीड़ित व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाते हुए उसे बेचने का प्रयास करते हुए दिखाई देते हैं। यहाँ भी उनकी पैसा कमाने सोच ही दिखती है, जो उनकी मानवता पर हावी हो चुकी है।
9. कैमरे में बंद अपाहिज कविता कुछ लोगों की संवेदनहीनता प्रकट करती है, कैसे?
उत्तर. ‘कैमरे में बंद अपाहिज कविता कुछ लोगों की संवेदनहीनता प्रकट करती है क्योंकि ऐसे लोग धन कमाने एवं अपने कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाते है और किसी की करुणा बेचकर अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे लोग अपाहिजों से सहानुभूति नहीं रखते हैं और अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए उल्टे- सीधे प्रश्न पूछते हैं। उनके मन में उन दिव्यांगों के प्रति किसी भी प्रकार का दया, करुणा या संवेदना नहीं होती, होता है तो सिर्फ लालच एवं स्वार्थ।
10. नाटकीय कविता की अंतिम परिणति किस रूप में होती है?
उत्तर. बार बार प्रयास करने पर भी मीडियाकर्मी, अपाहिज व्यक्ति को रोता हुआ नहीं दिखा पाता। वह खीझ जाता है और खिसियानी मुस्कुराहट के साथ कार्यक्रम समाप्त कर देता है। सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम शब्दों में व्यंग्य है क्योंकि मीडिया के छद्म व्यावसायिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पाती।
11. दूरदर्शन वाले कैमरे के सामने कमज़ोर को ही क्यों लाते हैं?
उत्तर. दूरदर्शन वाले जानते हैं कि समाज में कमज़ोर व अशक्त लोगों के प्रति करुणा का भाव होता है। लोग दूसरे के दुख के बारे में जानना चाहते हैं। दूरदर्शन वाले इसी भावना का फायदा उठाना चाहते हैं तथा अपने लाभ के लिए ऐसे कार्यक्रम बनाते हैं।
12. ‘यह अवसर खो देंगे?’ पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
उत्तर. प्रश्नकर्ता विकलांग से तरह-तरह के प्रश्न करता है। वह उससे पूछता है कि आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है? ऐसे प्रश्नों के उत्तर प्रश्नकर्ता को तुरंत चाहिए। यह विकलांग के लिए सुनहरा अवसर है कि वह अपनी पीड़ा को समाज के समक्ष व्यक्त करे। ऐसा करने से उसे लोगों की सहानुभूति व सहायता मिल सकती है। यह पंक्ति मीडिया की कार्यशैली व व्यापारिक मानसिकता पर करारा व्यंग्य है।