chhota mera khet aur bagulo ke pankh paath ka saar aaroh xii

Aaroh Class – XII  Chapter – Umashankar Joshi – Chhota Mera Khet, Bagulon Ke Pankh उमाशंकर जोशी 1. छोटा मेरा खेत 2. बगुलों के पंख (NCERT HINDI Core The Best Solutions)

जन्म  :   सन् 1911, गुजरात में

प्रमुख रचनाएँ  :   विश्व शांति, गंगोत्री, निशीथ, प्राचीना, आतिथ्य, वसंत वर्षा, महाप्रस्थान, अभिज्ञा (एकांकी); सापनाभारा, शहीद (कहानी); श्रावणी मेणो, विसामो (उपन्यास); पारकांजण्या (निबंध); गोष्ठी, उघाड़ीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण (संपादन) सन् 1947 से संस्कृति पत्रिका का संपादन

निधन  :   सन् 1988

तंग आ गया हूँ / बड़ों की अल्पता से / जी रहा हूँ / देख कर छोटों की बड़ाई ।

          बीसवीं सदी की गुजराती कविता और साहित्य को नयी भंगिमा और नया स्वर देनेवाले उमाशंकर जोशी का साहित्यिक अवदान पूरे भारतीय साहित्य के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। उनको परंपरा का गहरा ज्ञान था। कालिदास के अभिज्ञान शांकुतलम् और भवभूति के उत्तररामचरित का उन्होंने गुजराती में अनुवाद किया। ऐसे अनुवाद गुजराती साहित्य की अभिव्यक्ति क्षमता को बढ़ाने वाले थे। बतौर कवि उमाशंकर जी ने गुजराती कविता को प्रकृति से जोड़ा, आम ज़िंदगी के अनुभव से परिचित कराया और नयी शैली दी। जीवन के सामान्य प्रसंगों पर सामान्य बोलचाल की भाषा में कविता लिखने वाले भारतीय आधुनिकतावादियों में अन्यतम हैं जोशी जी। कविता के साथ-साथ साहित्य की दूसरी विधाओं में भी उनका योगदान बहुमूल्य है, खासकर साहित्य की आलोचना में। निबंधकार के रूप में गुजराती साहित्य में बेजोड़ माने जाते हैं। उमाशंकर जोशी उन साहित्यिक व्यक्तित्व में हैं जिनका भारत की आज़ादी की लड़ाई से रिश्ता रहा। आज़ादी की लड़ाई के दौरान वे जेल भी गए।

यहाँ प्रस्तुत कविता छोटा मेरा खेत खेती के रूपक में कवि-कर्म के हर चरण को बाँधने की कोशिश के रूप में पढ़ी जा सकती है। कागज़ का पन्ना, जिस पर रचना शब्दबद्ध होती है, कवि को एक चौकोर खेत की तरह लगता है। इस खेत में किसी अंधड़ (आशय भावनात्मक आँधी से होगा) के प्रभाव से किसी क्षण एक बीज बोया जाता है। यह बीज-रचना विचार और अभिव्यक्ति का हो सकता है। यह मूल रूप कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और इस प्रक्रिया में स्वयं विगलित हो जाता है। उससे शब्दों के अंकुर निकलते हैं और अंततः कृति एक पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है, जो कृषि-कर्म के लिहाज़ से पुष्पित-पल्लवित होने की स्थिति है। साहित्यिक कृति से जो अलौकिक रस-धारा फूटती है, वह क्षण में होने वाली रोपाई का ही परिणाम है। पर यह रस-धारा अनंत काल तक चलने वाली कटाई (उत्तम साहित्य कालजयी होता है और असंख्य पाठकों द्वारा असंख्य बार पढ़ा जाता है) से भी कम नहीं होती है। खेत में पैदा होने वाला अन्न कुछ समय के बाद समाप्त हो जाता है, किंतु साहित्य का रस कभी चुकता नहीं।

छोटा मेरा खेत चौकोना

कागज़ का एक पन्ना,

कोई अंधड़ कहीं से आया

क्षण का बीज वहाँ बोया गया।

कल्पना के रसायनों को पी

बीज गल गया निःशेष;

शब्द के अंकुर फूटे,

पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

झूमने लगे फल,

रस अलौकिक,

अमृत धाराएँ फूटतीं

रोपाई क्षण की,

कटाई अनंतता की

लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती।

रस का अक्षय पात्र सदा का

छोटा मेरा खेत चौकोना।

1. चौकोना– चार कोनों वाला

2. अंधड़– आँधी की तेज़ हवा

3.  क्षण– पल

4.  रसायन– खाद

5.  अंकुर– नन्हा पौधा

6.  पल्लव-पुष्प– कोमल पत्ते और फूल

7.  नमित– झुका हुआ

8.  अलौकिक– दिव्य, अद्भुत

9.  रोपाई– रोपा/बोया जाना

10. अनंतता– हमेशा के लिए

11. अक्षय– जो कभी न नष्ट हो

12. पात्र– बर्तन, धारक

छोटा मेरा खेत कविता में कवि उमाशंकर जोशी कवि कर्म की तुलना खेती से करते हैं। कवि के लिए कागज का पन्ना ही छोटा चौकोना खेत है। इस खेत में भावनात्मक आँधी द्वारा किसी क्षण एक विचार रूपी बीज बोया जाता है। कल्पना रूपी रसायनों को पीकर यह विकसित होता है। उसमें से शब्द रूपी अंकुर निकल आते हैं और रचना धीरे-धीरे अपने पूर्ण स्वरूप को ग्रहण करती है। कृषि कर्म में जिस प्रकार खेत पल्लवित पुष्पित होता है वैसे ही भाव, रस, अलंकार एवं छंद से कविता अपना सुंदर आकार ग्रहण करती है। उसमें अलौकिक आनंद प्रदान करने वाले फल झूमने लगते हैं। एक क्षण में होने वाली रोपाई द्वारा साहित्य कृति से अलौकिक रस धारा फूटती है। खेती और कवि कर्म में अंतर यह है कि जहाँ फसल कुछ समय के बाद समाप्त होता है, वहाँ कालजयी रचनाएँ हर समय और हर काल में अपना आनंद बिखेरती रहती है। ऐसी रचनाएँ, अक्षय पात्र के समान सीमातीत और कालातीत होकर मन में अमृत की धारा बहाती रहती है।

बगुलों के पंख कविता एक सुंदर दृश्य की कविता है। सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कवियों ने कई युक्तियाँ अपनाई हैं, जिसमें से सबसे प्रचलित युक्ति है – सौंदर्य के ब्यौरों के चित्रात्मक वर्णन के साथ अपने मन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का वर्णन। वस्तुगत और आत्मगत के संयोग की यह युक्ति पाठक को उस मूल सौंदर्य के काफ़ी निकट ले जाती है। जोशी जी की इस कविता में ऐसा ही है। कवि काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफ़ेद बगुलों को देखता है। वे कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की श्वेत काया के समान प्रतीत होते हैं। यह दृश्य इतना नयनाभिराम है कि कवि और सब कुछ भूलकर उसी में अटका-सा रह जाता है। वह इस माया से अपने को बचाने की गुहार लगाता है। क्या यह सौंदर्य से बाँधने और बिंधने की चरम स्थिति को व्यक्त करने का एक तरीका है? प्रस्तुत दोनों कविताओं का गुजराती से हिंदी रूपांतरण रघुवीर चौधरी और भोलाभाई पटेल ने किया है। 

नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख,

चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।

कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,

तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।

हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।

उसे कोई तनिक रोक रक्खो।

वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें

नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।

1.  पाँती– पंक्ति. Line

2.  कजरारे– काले

3.  साँझ– शाम

4.  सतेज– चमक सहित

5.  श्वेत– सफ़ेद

6.  काया– शरीर

7.  माया– आकर्षण

8.  तनिक– थोड़ा

कवि का कथन है कि असीम आकाश में बगुले पंक्तिबद्ध होकर उड़ रहे हैं। इन बगुलों के सफ़ेद पंख अत्यंत सुंदर एवं मनमोहक हैं। वे सफ़ेद पंखों से युक्त आकाश में उड़ते बगुले मेरी आँखों को चुरा लिए जा रहे हैं। अर्थात् कवि का कहने का अभिप्राय यह है कि इन नयनाभिराम पंक्ति में बँधे बगुलों के सुंदर-सुंदर पंखों ने मेरे नेत्रों को चुरा लिया है। अर्थात् उनकी अद्भुत सुंदरता मेरी आँखों में बस गई है। इन काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए बगुलों के पंख काले बादलों के ऊपर तैरती साँझ को श्वेत काया के समान प्रतीत होते हैं।

कवि कहता है कि वह दृश्य इतना सुंदर है कि जो मुझे अपने माया रूपी सौंदर्य से धीरे-धीरे अपने आकर्षण में बाँध रहा है अर्थात् मुझे अपनी ओर खींच रहा है। कवि आग्रह करते हैं कि कोई उस माया को थोड़ा-सा रोके। यह आकाश में उड़ते पंक्तिबद्ध बगुलों के पंखों को सुंदरता निरंतर मेरी आँखों को चुरा कर लिए जाती है अर्थात् उन सफ़ेद बगुलों का पंक्तिबद्ध सौंदर्य मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहा है और मेरी आँखें उसी ओर लगी हुई हैं।

1. छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?

उत्तर – कविता में कवि कर्म की तुलना खेती से की गई है। कागज का पन्ना और खेत दोनों चौकोर हैं खेत में बीज डाला जाता है, पानी और रसायन का सहारा लेकर पौधे पल्लवित होते हैं और उसमें फल निकल आते हैं। उसी प्रकार कवि के मन में भावनात्मक आँधी द्वारा विचार रूपी बीज बोया जाता है। कल्पना रूपी रसायन को पीकर वह विकसित होता है और उसमें शब्द रूपी अंकुर फूटते हैं तथा आनंद रूपी फल निकल आते हैं।

2. रचना के संदर्भ में अंधड़ और बीज क्या हैं?

उत्तर – रचना के संदर्भ में ‘अंधड़’ से तात्पर्य भावनात्मक आँधी से है। कभी कोई घटना, वस्तु या व्यक्ति हमारे मन को तीव्र रूप से प्रभावित करता है और एक साहित्य सृष्टि का कारण बनता है। बीज का तात्पर्य विचार से हैं, जिसके आधार पर कविता अपना विस्तृत रूप ग्रहण करती है।

3. रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?

उत्तर – कवि ने कालजयी उत्कृष्ट रचनाओं को रस का अक्षय पात्र कहा है क्योंकि ये रचनाएँ सीमातीत और कालातीत हैं। ऐसी रचनाएँ देश, काल की सीमाओं से ऊपर उठकर लोगों को अनंतकाल तक आनंद प्रदान करती रहती हैं। दूसरी तरफ़ काव्य रस का आस्वादन चाहे जितना भी किया जाए या बाँटा जाए वह कभी कम नहीं होता है।

4. व्याख्या करें—

1. शब्द के अंकुर फूटे,

पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

उत्तर –

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’ कविता से अवतरित हैं।

व्याख्या – कवि कहना चाहते हैं कि छोटे खेत रूपी कागज़ के पन्ने पर जब वह रचना विचार और अभिव्यक्ति का बीज बोता है तो वह कल्पना के सहारे उगता है। उसमें शब्द रूपी अंकुर फूटते हैं। तत्पश्चात् ये शब्द रूपी अंकुर पल्लवित होकर धीरे-धीरे एक पूर्ण कृति के स्वरूप को ग्रहण करते हैं। फिर वे निरंतर पल्लवित और पुष्पित होते हुए सफल कृति के पूर्णरूप को ग्रहण करते हैं।2. रोपाई क्षण की,

कटाई अनंतता की

लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।

उत्तर –

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’ कविता से अवतरित हैं।

व्याख्या – इन पंक्तियों में कवि का भाव यह है कि कवि खेत रूपी कागज़ के पन्ने पर क्षण-भर में जो अभिव्यक्ति और रचना विचार का बीज बोता है, उसकी रोपाई तो कवि क्षण-भर में कर देता है जबकि उस कृति से प्राप्त रस की अमृत-धारा अनंत काल तक चलने वाली कटाई के समान होती है। एक श्रेष्ठ कृति या साहित्य से जो रस-धारा फूटती है, वह अनंत काल तक कम नहीं होती। उस रस-धारा का बार-बार रसास्वादन करने से भी कभी कम नहीं होता।

1. शब्दों के माध्यम से जब कवि दृश्यों, चित्रों, ध्वनि-योजना अथवा रूप-रस-गंध को हमारे ऐन्द्रिक अनुभवों में साकार कर देता है तो बिंब का निर्माण होता है। इस आधार पर प्रस्तुत कविता से बिंब की खोज करें।

उत्तर – इन कविताओं में दृश्य अर्थात् चाक्षुष बिंब तथा आस्वाद बिंब उकेरे गए हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं –  

दृश्य अर्थात् चाक्षुष बिंब

-छोटा मेरा खेत चौकोना

-कागज़ का एक पन्ना

-शब्द के अंकुर फूटे

-पल्लव-पुष्पों से नमित

-झूमने लगे फल

-नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख

आस्वाद बिंब –

-कल्पना के रसायनों को पी बीज गया नि:शेष

-अमृत धाराएँ फूटतीं

2. जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, रूपक कहलाता है। इस कविता में से रूपक का चुनाव करें।

उत्तर – इस कविता में निम्नलिझिट रूपक अलंकारों का प्रयोग हुआ है –

-भावों रूपी आँधी

-विचार रूपी बीज

-पल्लव-पुष्पों से निमित हुआ विशेष

-कजराले बादलों की छाई नभ छाया

-तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया

बगुलों के पंख कविता को पढ़ने पर आपके मन में कैसे चित्र उभरते हैं? उनकी किसी भी अन्य कला माध्यम में अभिव्यक्ति करें।

उत्तर – इस प्रश्न का उत्तर छात्र अपनी-अपनी सृजनात्मकता के आधार पर देंगे। (‘बगुलों के पंख’ कविता पढ़ने के बाद मेरे मन में अनेक सफेद और सुंदर पंखों वाले पक्षी पंक्तिबद्ध तरीके से विस्तृत नील गगन में विचरण करने लगते हैं। इनकी प्राकृतिक सुंदरता मेरे मन को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।)

निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए।

1) छोटा मेरा खेत चौकोना

कागज़ का एक पन्ना,

कोई अंधड़ कहीं से आया

क्षण का बीज वहाँ बोया गया।

कल्पना के रसायनों को पी

बीज गल गया निःशेष;

शब्द के अंकुर फूटे,

पल्लवपुष्पों से नमित हुआ विशेष।

1. कवि के लिए खेत क्या है?

a जमीन का एक टुकड़ा

b कागज का एक पन्ना

c. मैदान

d पूरा देश

उत्तर – b कागज का एक पन्ना

2 रचना के संदर्भ में अंधड़ से क्या तात्पर्य है?

a आँधी.

b भावना का आवेग

c शब्द.

d अलंकार.

उत्तर – b भावना का आवेग

3 कविता के संदर्भ में रसायन किसका प्रतीक है?

a शब्द

b अलंकार

c कल्पना

d रस

उत्तर – c कल्पना

4. कविता के संदर्भ में अंकुर से क्या तात्पर्य है?

a कल्पना

b भाव

c अलंकार

d शब्द

उत्तर – d शब्द

5. कॉलम 1 कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए.

कॉलम 1        कॉलम 2

1 शब्द         (i) आँधी

2 विचार        (ii) अंकुर

3 भावात्मक आवेग (iii) बीज

a. 1(ii) 2 (III), 3(i)

b. 1(i), 2-(iii), 3-(ii)

c. 1(i), 2-(iii), 3 (ii)

d. 1(i), 2 -(ii),3-(iii)

उत्तर – a. 1(ii) 2 (III), 3(i)

काव्यांश – II

झूमने लगे फल,

रस अलौकिक,

अमृत धाराएँ फूटतीं

रोपाई क्षण की,

कटाई अनंतता की

लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती।

रस का अक्षय पात्र सदा का

छोटा मेरा खेत चौकोना।

1 कथन (A)उत्तम साहित्य रचना रस के अक्षय पात्र के समान है।

कारण (R) साहित्य रचना देश और काल से परे होकर आनंद बिखेरती रहती है।

a) कथन (A) तथा कारण (R) और दोनों सही है तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

b) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।

c) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।

d)कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) इसकी गलत व्याख्या करता है।

उत्तर – a) कथन (A) तथा कारण (R) और दोनों सही है तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

2. ‘रोपाई क्षण की’ से कवि का क्या आशय है-

a) कविता क्षणभंगुर है।  

b) एक क्षण के भावावेश में कविता लेखन होता है।

c) कविता लेखन के लिए अभ्यास की जरूरत है।

d) कविता लेखन सबके बस की बात नहीं है।

उत्तर – b) एक क्षण के भावावेश में कविता लेखन होता है।

3. ‘कटाई अनंतता की’ से क्या तात्पर्य है?

a) उत्तम काव्य रचना कालजयी होती है।

b) कविता का आनंद एक सीमित समय के लिए होता है।

c) खेती की कटाई अनंतकाल तक है।

d) कविता अलंकारों से पूर्ण होती है।

उत्तर – a) उत्तम काव्य रचना कालजयी होती है।

4. काव्यांश के आधार पर बाताइए कि वह कौन सी चीज़ है, जो लुटते रहने पर भी कम नहीं होती?

a) फसल

b) धन-दौलत

c) कविता से प्राप्त आनंद

d) सौंदर्य

उत्तर – c) कविता से प्राप्त आनंद

5. रस का अक्षयपात्र किसे कहा गया है?

a) उत्तम साहित्यकृति

b) खेत

c) कवि

d) जन्मभूमि

उत्तर – a) उत्तम साहित्यकृति

1. कथन और कारण पर विचार करते हुए सही विकल्प चुनिए।

कथन – चुराए लिए जाती वे मेरी आँखें।

कारण – नभ में पाँती बाँधे बगुलों के पंख।

(क) कथन कारण का अनुसरण नहीं करता है।

(ख) कथन कारण से सम्बंध नहीं रखता है।

(ग) कथन कारण की सही व्याख्या करती है।

(घ) इसमें से कोई नहीं

उत्तर – (ग) कथन कारण की सही व्याख्या करती है।

2. कविता और कवि के नाम का सही मेल पहचानिए।

(क) छोटा मेरा खेत और बहादुर सिंह

(ख) बगुलों के पंख और उमाशंकर जोशी

(ग) उषा और शमशेर रघुवीर सहाय

(घ) बगुलों के पंख और महावीर प्रसाद

उत्तर – (ख) बगुलों के पंख और उमाशंकर जोशी

3. आकाश में पंक्ति बाँधे कौन जा रहे हैं?

(क) कबूतर

(ख) कौवे

(ग) बगुले

(घ) गौरेया

उत्तर – (ग) बगुले

4. कवि बगुलों को देखकर क्या करने को कहता है?

(क) बगुलों को रोकने के लिए

(ख) बगुलों को करीब से देखना चाहता था

(ग) क और ख दोनों

(ग) इनमें से कोई नहीं

उत्तर – (क) बगुलों को रोकने के लिए

5. पंक्ति बाँधे बगुलों के पंख, कवि की क्या चुराए लिए जाती हैं?

(क) हृदय

(ख) आँखें

(ग) कीमती सामान

(घ) छत पर डाला कपड़ा

उत्तर – (ख) आँखें

6. कवि किस दृश्य पर मुग्ध हैं?

(क) आकाश में छाए काले बादलों के बीच सफेद बगुले पंक्ति बनाकर उड़ रहे हैं।

(ख) बारिश को देख कर

(ग) वनों की सुंदरता देख कर

(घ) आकाश में तारों को देखकर

उत्तर – (क) आकाश में छाए काले बादलों के बीच सफेद बगुले पंक्ति बनाकर उड़ रहे हैं।

7. बगुलों के पंख काले बादलों के ऊपर तैरते किसके समान प्रतीत होते हैं?

(क) प्रातः काल की सुंदर काया

(ख) सायंकाल की पीली काया

(ग) रात्रि की काली काया

(घ) साँझ की श्वेत काया

उत्तर – (घ) साँझ की श्वेत काया

8. ‘बगुलों के पंख’ कविता में साँझ की सतेज श्वेत काया क्या कर रही है?

(क) तैर रही है।  

(ख) उड़ रही है।  

(ग) भाग रही है।  

(घ) नहा रही है।  

उत्तर – (क) तैर रही है।

9. आकाश किससे भरा हुआ है?

(क) सफेद बादलों से

(ख) संतरी बादलों से

(ग) काले बादलों से

(घ) स्लेटी बादलों से

उत्तर – (क) सफेद बादलों से

10. हौले-हौले मैं कौन सा अलंकार है?

(क) पुनरुक्ति अलंकार

(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार

(ग) उपमा अलंकार

(घ) रूपक अलंकार

उत्तर – (क) पुनरुक्ति अलंकार

1. काले-काले बादलों के बीच उड़ते सफ़ेद बगुले कैसे प्रतीत होते हैं?

उत्तर: काले-काले बादलों के बीच उड़ते सफ़ेद बगुले ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे शाम की सफ़ेद चमकती हुई काया काले बादलों पर तैर रही है।

2. किस चीज का आनंद कभी ख़त्म नहीं होता है?

उत्तर: कविता के रसपान से मिलने वाला आनंद आजीवन मिलता रहता है वह कभी खत्म नही होता है, उसे हम अपनी इच्छा अनुसार कभी भी ग्रहण कर सकते हैं।

3. पाँती बँधे से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर: ‘पाँती बँधे’ से कवि का तात्पर्य एकता से है। जिस प्रकार ऊँचे आकाश में बगुले पंक्ति बाँधकर एक साथ चलते हैं, उसी प्रकार मनुष्य को भी एकजुट रहना चाहिए। बगुलों की पंक्ति हमें एकता ही शक्ति है’ का भाव सिखाती है।

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