Aaroh Class – XI,  Jawaharlal Neharu – Bharat Maata The best solytions

जन्मः सन् 1889, इलाहाबाद (उ.प्र.)

प्रमुख रचनाएँ :  मेरी कहानी (आत्मकथा) विश्व इतिहास की झलक, हिंदुस्तान की कहानी, पिता के पत्र पुत्री के नाम (हिंदी अनुवाद), हिंदुस्तान की समस्याएँ, स्वाधीनता और उसके बाद, राष्ट्रपिता, भारत की बुनियादी एकता, लड़खड़ाती दुनिया आदि (लेखों और भाषणों का संग्रह)

मृत्युः सन् 1964

जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद के एक  संपन्न परिवार में हुआ। उनके पिता वहाँ के बड़े वकील थे। नेहरू की प्रारंभिक  शिक्षा घर पर तथा उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हैरो तथा कैम्ब्रिज में हुई। वहीं से वकालत  की पढ़ाई भी की लेकिन नेहरू पर गांधी जी का बहुत प्रभाव पड़ा। उनकी पुकार  पर वे पढ़ाई छोड़कर आज़ादी की लड़ाई में जुट गए। आगे चलकर सन् 1929 में  वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष बने और पूर्ण स्वतंत्रता  की माँग की। नेहरू का झुकाव समाजवाद की ओर भी रहा।

सन् 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो नेहरू जी पहले प्रधानमंत्री बने और  भारत के निर्माण में अंत तक जुटे रहे। उन्होंने देश के विकास के लिए कई योजनाएँ  बनाईं, जिनमें आर्थिक और औघोगिक प्रगति तथा वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर साहित्य,  कला, संस्कृति आदि क्षेत्र शामिल थे। नेहरू जी बच्चों के बीच चाचा नेहरू के रूप में जाने जाते थे। शांति, अहिंसा और मानवता के हिमायती नेहरू ने अंतरराष्ट्रीय स्तर  पर विश्वशांति और पंचशील के सिद्धांतों का प्रचार किया।

प्रस्तुत पाठ हिंदुस्तान की कहानी का पाँचवाँ अध्याय है। अंग्रेज़ी से भाषांतर  हरिभाऊ उपाध्याय ने किया है। इसमें पं. नेहरू ने बताया है कि किस तरह देश  के कोने-कोने में आयोजित जलसों में जाकर वे आम लोगों को बताते थे कि अनेक  हिस्सों में बँटा होने के बाद भी हिंदुस्तान एक है। इस अपार फैलाव के बीच एकता  के क्या आधार हैं और क्यों भारत एक देश है, जिसके सभी हिस्सों की नियति एक  ही तरीके से बनती-बिगड़ती है-यही पूरे पाठ की विषयवस्तु है। इसी क्रम में  पं. नेहरू ने भारत माता शब्द पर भी विचार किया है और उनका निष्कर्ष है कि  भारत माता की जय का मतलब है, यहाँ के करोड़ों-करोड़ लोगों की जय।

अकसर जब मैं एक जलसे से दूसरे जलसे में जाता होता, और इस तरह चक्कर  काटता रहता होता था, तो इन जलसों में मैं अपने सुनने वालों से अपने इस हिंदुस्तान  या भारत की चर्चा करता। भारत एक संस्कृत शब्द है और इस जाति के परंपरागत  संस्थापक के नाम से निकला हुआ है। मैं शहरों में ऐसा बहुत कम करता, क्योंकि  वहाँ के सुनने वाले कुछ ज़्यादा सयाने थे और उन्हें दूसरे ही किस्म की गिज़ा की  ज़रूरत थी। लेकिन किसानों से, जिनका नज़रिया महदूद था, मैं इस बड़े देश की  चर्चा करता, जिसकी आज़ादी के लिए हम लोग कोशिश कर रहे थे और बताता कि  किस तरह देश का एक हिस्सा दूसरे से जुदा होते हुए भी हिंदुस्तान एक था। मैं उन  मसलों का ज़िक्र करता, जो उत्तर से लेकर दक्खिन तक और पूरब से लेकर पच्छिम  तक, किसानों के लिए यक-साँ थे, और स्वराज्य का भी ज़िक्र करता, जो थोड़े लोगों  के लिए नहीं, बल्कि सभी के फ़ायदे के लिए हो सकता था।

मैं उत्तर-पच्छिम में खैबर के दर्रे से लेकर धुर दक्खिन में कन्याकुमारी तक की  अपनी यात्रा का हाल बताता और यह कहता कि सभी जगह किसान मुझसे एक-से  सवाल करते, क्योंकि उनकी तकलीफों  एक-सी थीं – यानी गरीबों, कर्ज़दारों, पूँजीपतियों  के शिकंजे, ज़मींदार, महाजन, कड़े लगान और सूद, पुलिस के ज़ुल्म, और ये सभी  बातें गुँथी हुई थीं, उस ढढ़्डे के साथ, जिसे एक विदेशी सरकार ने हम पर लाद रखा  था और इनसे छुटकारा भी सभी को हासिल करना था। मैंने इस बात की कोशिश  की कि लोग सारे हिंदुस्तान के बारे में सोचें और कुछ हद तक इस बड़ी दुनिया के  बारे में भी, जिसके हम एक जुज़ हैं। मैं अपनी बातचीत में चीन, स्पेन, अबीसिनिया,  मध्य यूरोप, मिस्र और पच्छिमी एशिया में होनेवाले कशमकशों का ज़िक्र भी ले  आता। मैं उन्हें सोवियत यूनियन में होने वाली अचरज-भरी तब्दीलियों का हाल भी  बताता और कहता कि अमरीका ने कैसी तरक्की की है। यह काम आसान न था,  लेकिन जैसा मैंने समझ रखा था, वैसा मुश्किल भी न था। इसकी वजह यह थी कि  हमारे पुराने महाकाव्यों ने और पुराणों की कथा-कहानियों ने, जिन्हें वे खूब जानते  थे, उन्हें इस देश की कल्पना करा दी थी, और हमेशा कुछ लोग ऐसे मिल जाते थे,  जिन्होंने हमारे बड़े-बड़े तीर्थों की यात्रा कर रखी थी, जो हिंदुस्तान के चारों कोनों  पर हैं। या हमें पुराने सिपाही मिल जाते, जिन्होंने पिछली बड़ी जंग में या और धावों  के सिलसिले में विदेशों में नौकरियाँ की थीं। सन् तीस के बाद जो आर्थिक मंदी पैदा  हुई थी, उसकी वजह से दूसरे मुल्कों के बारे में मेरे हवाले उनकी समझ में आ  जाते थे।

कभी ऐसा भी होता कि जब मैं किसी जलसे में पहुँचता, तो मेरा स्वागत “भारत  माता की जय!” इस नारे से ज़ोर के साथ किया जाता। मैं लोगों से अचानक पूछ  बैठता कि इस नारे से उनका क्या मतलब है? यह भारत माता कौन है, जिसकी वे  जय चाहते हैं। मेरे सवाल से उन्हें कुतूहल और ताज्जुब होता और कुछ जवाब न बन  पड़ने पर वे एक-दूसरे की तरफ़ या मेरी तरफ़ देखने लग जाते। मैं सवाल करता ही  रहता। आखिर एक हट्टे-कट्टे जाट ने, जो अनगिनत पीढ़ियों से किसानी करता आया  था, जवाब दिया कि भारत माता से उनका मतलब धरती से है। कौन-सी धरती?  खास उनके गाँव की धरती या ज़िले की या सूबे की या सारे हिंदुस्तान की धरती  से उनका मतलब है? इस तरह सवाल-जवाब चलते रहते, यहाँ तक कि वे ऊबकर  मुझसे कहने लगते कि मैं ही बताऊँ। मैं इसकी कोशिश करता और बताता कि  हिंदुस्तान वह सब कुछ है, जिसे उन्होंने समझ रखा है, लेकिन वह इससे भी बहुत  ज़्यादा है। हिंदुस्तान के नदी और पहाड़, जंगल और खेत, जो हमें अन्न देते हैं, ये  सभी हमें अज़ीज़ हैं। लेकिन आखिरकार जिनकी गिनती है, वे हैं हिंदुस्तान के लोग,  उनके और मेरे जैसे लोग, जो इस सारे देश में फैले हुए हैं। भारत माता दरअसल यही  करोड़ों लोग हैं, और “भारत माता की जय!” से मतलब हुआ इन लोगों की जय का।  मैं उनसे कहता कि तुम इस भारत माता के अंश हो, एक तरह से तुम ही भारत  माता हो, और जैसे-जैसे ये विचार उनके मन में बैठते, उनकी आँखों में चमक आ  जाती, इस तरह, मानो उन्होंने कोई बड़ी खोज कर ली हो।        

1. अकसर – प्राय:, Often

2. जलसा – जन-सभा, सांस्कृतिक कार्यक्रम

3. संस्थापक – स्थापना करने वाले

4. सयाने – समझदार

5. किस्म – प्रकार

6. ग़िज़ा – खुराक

7. नज़रिया – सोचने का तरीका

8. महदूद – सीमित

9. मसला – मामला

10.  ज़िक्र – चर्चा

11.  यक-साँ – एक समान

12.  धुर – बहुत दूर

13.  शिकंजा – कसने वाला यंत्र

14.  महाजन – सेठ

15.  लगान – कर, Tax

16.  सूद – ब्याज, Interest

17.  हासिल – प्राप्त करना

18.  जुज़ – अंश

19.  कशमकश – संघर्ष

20.  सोवियत यूनियन – रूस

21.  तब्दीली – बदलाव

22.  धावा – आक्रमण

23.  मंदी – कमी

24.  मुल्क – देश

25.  सूबा – पदेश

26.  अज़ीज़ – प्रिय

27.  दरअसल – वास्तव में

28.  हवाले – सन्दर्भ, सुपुर्द

29.  कुतूहल – जिज्ञासा

उन दिनों भारत एक गुलाम देश हुआ करता था। भारत को स्वतंत्रता दिलाने के श्रेष्ठ उद्देश्य से जवाहरलाल नेहरू जब भी एक जलसे से दूसरे जलसे में जाते थे तो वे श्रोताओं से ‘भारत माता’ की जय करवाया करते थे। विशेष रूप से वे किसानों से अपने देश और आजादी की चर्चा अवश्य किया करते थे। वे उन्हें बताते थे कि कैसे उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम तक पूरा देश एक है और उनकी समस्याएँ भी एक-सी हैं। वे उन्हें देश के अन्य किसानों का हाल बताते थे और कहते थे कि देश के सभी किसान उनसे एक-से सवाल करते हैं कि हमारी स्थिति इतनी बुरी क्यों है? नेहरू जी उन्हें गरीबी, कर्ज, पूँजीपतियों का शोषण, ज़मींदार, महाजन, कड़े लगान, सूद, पुलिस के अत्याचार और विदेशी शासन-आदि समस्याओं के बारे में बताते थे तथा उन्हें स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित करते थे। उन्हें यह भी आश्वासन दिया जाता था कि आज़ादी मिलने पर उनके जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी।

इतना ही नहीं नेहरू जी उन किसानों में आज़ादी की अग्नि प्रज्वलित करने के लिए अपनी बातचीत में चीन, स्पेन, अबीसिनिया, यूरोप, मिस्र और पश्चिमी एशिया में होने वाले आंदोलनों का भी वर्णन किया करते थे। वे उन्हें रूस में हो रहे परिवर्तनों तथा अमरीका की उन्नति के बारे में भी बताते थे। हालाँकि, किसानों को विदेशों के बारे में समझाना आसान नहीं था। परंतु उन्हें यह काम कठिन भी नहीं लगा। कारण यह था कि किसानों ने पुराने महाकाव्यों तथा पुराणों की कथा-कहानियाँ पढ़ रखी थी। कुछ ने तीर्थ-यात्राएँ भी की थीं। इस बहाने वे देश के चारों धामों की यात्रा कर चुके थे। कुछ सिपाहियों ने बड़ी-बड़ी लड़ाइयों में हिस्सा लिया था। कुछ लोग 1930 में आई आर्थिक मंदी के कारण दूसरे देशों को जानते थे। परिणाम यह होता था कि लोग नेहरू जी के भाषण से ओत-प्रोत हो जाया करते थे। 

नेहरू जी जहाँ कहीं भी भाषण  देने जाते थे वहाँ के लोग ‘भारत माता की जय’ कहकर उनका अभिनंदन किया करते थे। नेहरू जी को भी ‘भारत माता की जय’ सुनना अति प्रिय लगता था । एक बार की बात है उन्होंने किसानों से ‘भारत माता’ के बारे में पूछ ही लिया। प्राय: किसानों को इसका उत्तर नहीं पता होता था।  उस जलसे में एक हट्टे-कट्टे जाट किसान ने उन्हें बताया कि भारत माता का अर्थ है-भारत की धरती। तब नेहरू उनसे पूछते थे कि कौन-सी धरती? उनके गाँव की धरती, जिले, सूबे या पूरे देश की धरती। इस प्रश्न पर किसान फिर हैरान रह जाते थे।

इस पर नेहरू जी भारत माता की व्याख्या करते हुए उन्हें बताते थे कि हिंदुस्तान वह सब तो है ही जो वे सोचते हैं। वह उससे भी कहीं अधिक है। यहाँ के नदी, पहाड़, जंगल, खेत और करोड़ों भारतीय मिलकर ‘भारत माता’ कहलाते हैं। भारत माता का जय का मतलब है-इन सबकी जय। जब वे स्वयं को भी भारत माता का अंग समझते थे तो उनकी आँखों में चमक आ जाती थी।

1. भारत की चर्चा नेहरू जी कब और किससे करते थे?

उत्तर – नेहरू जी भारत की चर्चा देश के कोने-कोने में आयोजित होने वालों जलसों में जाकर किया करते थे। उन जलसों में वे किसानों से भारत की चर्चा करते थे तथा उनके (किसानों) अपने गाँव तक सीमित दृष्टिकोण को विकसित करना चाहते थे।

2. नेहरू जी भारत के सभी किसानों से कौन-सा प्रश्न बार-बार करते थे?

उत्तर – नेहरू जी भारत के सभी किसानों से निम्नलिखित प्रश्न बार-बार करते थे – 

• ‘भारत माता की जय’ के नारे का क्या अर्थ है? 

• यह भारत माता कौन है? 

• वह धरती कौन-सी है, जिसे वे ‘भारत माता’ कहते हैं – गाँव की, ज़िले की, सूबे की या पूरे हिंदुस्तान की?

3. दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए क्यों आसान था?

उत्तर – दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए आसान था क्योंकि –

• अधिकतर किसान भारत के पुराणों और महाकाव्यों को पढ़कर भारत के नगरों से परिचित थे।

• अधिकतर किसान तीर्थ-यात्राएँ करके देश के चारों कोनों से परिचित हो चुके थे।

• गाँव के किसानों को कुछ पुराने सिपाही मिले थे, जिन्होंने जंग या हमले के समय में विदेशी नौकरियाँ की थी।

• सन् 1930 की आर्थिक मंदी के कारण किसानों को दूसरे मुल्कों के बारे में जानकारी थी।

4. किसान सामान्यतः भारत माता का क्या अर्थ लेते थे?

उत्तर – अपनी सीमित सोच के कारण किसान सामान्यतः भारत माता का अर्थ समझते थे – भारत की धरती।

5. भारत माता के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी?

उत्तर – भारत माता के प्रति नेहरू जी की यह अवधरणा थी –

भारत की नदियाँ, भारत के पहाड़, भारत के जंगल, भारत के खेत, भारत के सारी धरती और भारत में रहने वाले करोड़ों लोग सब भारत माता के अंग हैं। इन सब के योग का नाम ही ‘भारत माता’ है।

6. आज़ादी से पूर्व किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था?

उत्तर – आज़ादी से पूर्व किसानों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता था – 

• गरीबी और कर्ज का बोझ। 

• पूँजीपतियों, जमीदारों तथा महाजनों द्वारा ज्यादा ब्याज़ लेने की और लूटने की समस्या। 

• पुलिस के अत्याचार। 

• लगान की समस्या।

1. आज़ादी से पहले भारत-निर्माण को लेकर नेहरू के क्या सपने थे? क्या आज़ादी के बाद वे साकार हुए? चर्चा कीजिए।

उत्तर – आज़ादी से पहले भारत-निर्माण को लेकर नेहरू के सपने निम्नलिखित थे – 

• देश से गरीबी दूर करना। 

• किसानों की विविध समस्याओं का अंत करना। 

• देश में ओद्योगिक क्रांति लाना। 

• भारत की चहुँमुखी उन्नति करना। 

नेहरू जी के यह सारे सपने पूर्णरूप से साकार तो नहीं हो सके हैं परंतु इनको पूरा करने के प्रयास निरंतर जारी हैं।

2. भारत के विकास को लेकर आप क्या सपने देखते हैं?

उत्तर – भारत के विकास को लेकर मैं निम्नलिखित सपने देखता हूँ – 

• भारत के सभी नागरिक साक्षर हों। 

• भारत देश में औद्योगिक, तकनीकी तथा कृषि विकास हो। 

• भारत विकसित एंव आत्मनिर्भर राष्ट्र बने।

• भारत में सांप्रदायिकता कभी भी न बढ़े।

3. आपकी दृष्टि में भारत माता और हिंदुस्तान की क्या संकल्पना है? बताइए।

उत्तर – मेरी दृष्टि में भारत माता और हिंदुस्तान की संकल्पना है एक ही है जिसमें यहाँ की पौराणिक सभ्यता और वैदिक संस्कृति, हरी-भरी धरती, नदी, पर्वत, जंगल, पशु-पक्षी, यहाँ के अरबों लोग, यहाँ की परंपराएँ, यहाँ का साहित्य, यहाँ के महापुरुष सब मिलकर ही भारत माता और हिंदुस्तान की संपूर्णता को पोषित करते हैं।

4. वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली है? चर्चा कर लिखिए?

उत्तर – वर्तमान समय में किसानों की स्थिति में परिवर्तन आया तो है परंतु वह अपेक्षाकृत बहुत ही कम है। भारत कृषि प्रधान देश होने के कारण आज भी भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है। किसान को एक ओर जहाँ देश का अन्नदाता कहा जाता है वहीं दूसरी ओर यही किसान स्वयं का पेट भरने के लिए ज़िंदगी भर संघर्ष करता रह जाता है और कभी-कभी इतना मजबूर हो जाता है कि उसके सामने आत्महत्या के अतिरिक्त और कोई रास्ता शेष नहीं रह जाता है। वर्तमान परिवेश में किसानों को ऋण बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है परंतु फसल बर्बाद होने पर कर्ज की भरपाई कैसी की जाए इसका अभी तक कोई प्रावधान किसानों के पास नहीं है और न ही सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा रही है। अत:, वर्तमान में भी किसानों का जीवन बहुत अधिक सुखद नहीं माना जा सकता। 

5. आज़ादी से पूर्व अनेक नारे प्रचलित थे। किन्हीं दस नारों का संकलन करें और संदर्भ भी लिखें।

उत्तर – 1. ‘भारत माता की जय’- सामान्य नारा, जो हर सभा में बोला जाता था।

2. इंकलाब जिंदाबाद-क्रांति को हवा देने के लिए यह नारा लगाया जाता था।

3. ‘जय हिंद’ – सुभाषचंद्र बोस का नारा।

4. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा-सुभाषचंद्र बोस द्वारा सशस्त्र क्रांति का आह्वान। 5. करो या मरो-गाँधी जी का आह्वान।

6. स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है-लोकमान्य तिलक।

7. हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान प्रताप नारायण मिश्र ।

8. हिंदू, मुस्लिम सिक्ख ईसाई-सब आपस में भाई-भाई। एकता से संबंधित सामान्य प्रचलित नारा।

9. नहीं रखनी सरकार, भाइयो नहीं रखनी । भारत छोड़ो आंदोलन का नारा ।

10. साइमन वापस जाओ। साइमन कमीशन का विरोध करने के दौरान लगा नारा।

1. नीचे दिए गए वाक्यों का पाठ के संदर्भ में अर्थ लिखिए –

दक्खिन, पच्छिम, यक-साँ, एक जुज़, ढड्ढे

उत्तर – दक्खिन – दक्षिण –  केरल तमिलनाडु

पच्छिम – पश्चिम प्रांत – गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान

यक-साँ – एक सा

जुज़ – एक अंश

ढड्ढे – बोझ

2. नीचे दिए गए संज्ञा शब्दों के विशेषण रूप लिखिए –

आज़ादी, चमक, 

उत्तर – आज़ादी – आज़ाद

चमक – चमकीला

हिंदुस्तान – हिंदुस्तानी

विदेश – विदेशी

सरकार – सरकारी

यात्रा – यात्री

पुराण – पौराणिक  

भारत – भारतीय

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