भगवान के डाकिए पक्षी और बादल,ये भगवान के डाकिए हैं,जो एक महादेश सेदूसरे महादेश को जाते हैं।हम तो...
Author - हिंदीभाषा
‘हिमालय’ कविता का संपूर्ण अध्ययन, रामधारी सिंह...
हिमालय मेरे नगपति! मेरे विशाल! साकार, दिव्य, गौरव विराट्! पौरुष के पुंजीभूत ज्वाल!मेरी जननी के...
‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ केदारनाथ अग्रवाल
चंद्रगहना से लौटती बेर देख आया चंद्रगहना। देखता हूँ दृश्य अब मैंमेंड़ पर इस खेत की बैठा अकेला।एक...
‘घन गरजे जन गरजे’ केदारनाथ अग्रवाल
घन–जन घन गरजे जन गरजे बन्दी सागर को लख कातरएक रोष सेघन गरजे जन गरजेक्षत-विक्षत लख हिमगिरि अन्तरएक...
‘धूप’ केदारनाथ अग्रवाल
धूप धूप चमकती है चाँदी की साड़ी पहने मैके में आयी बेटी की तरह मगन है फूली सरसों की छाती से लिपट गयी...
‘अन्वेषण’ पंडित रामनरेश त्रिपाठी
अन्वेषणमैं ढूँढता तुझे था जब कुंज और वन में,तू खोजता मुझे था तब दीन के वतन में,तू आह बन किसी की...
‘माँझी न बजाओ बंशी’ केदारनाथ अग्रवाल
माँझी न बजाओ बंशी माँझी ! न बजाओ बंशी मेरा मन डोलतामेरा मन डोलता है जैसे जल डोलताजल का जहाज जैसे पल...
साकेत– अष्टम सर्ग – व्याख्या सहित, मैथिलीशरण गुप्त
‘साकेत‘ के चयनित अंश अष्टम सर्ग निज सौध सदन में उटज पिता ने छाया,मेरी कुटिया में राज...
यशोधरा – चयनित अंश – व्याख्या सहित, मैथिलीशरण गुप्त
यशोधरा – चयनित अंश सिद्धि हेतु स्वामी गए, यह गौरव की बात,पर चोरी-चोरी गए, यही बड़ा व्याघात,सखि, वे...
‘पंथ होने दो अपरिचित’ महादेवी वर्मा
पंथ होने दो अपरिचित पंथ होने दो अपरिचित प्राण रहने दो अकेला !घेर ले छाया अमा बन,आज कज्जल-अश्रुओं...