Baap ka hriday Chapter 19, Hindi Book, Class X, Tamilnadu Board, The Best Solutions

सुदर्शन – लेखक परिचय

सुदर्शन (1895-1967) प्रेमचन्द परम्परा के कहानीकार हैं। इनका दृष्टिकोण सुधारवादी है। ये आदर्शोन्मुख यथार्थवादी हैं। मुंशी प्रेमचंद और उपेन्द्रनाथ अश्क की तरह सुदर्शन हिंदी और उर्दू में लिखते रहे हैं। उनकी गणना प्रेमचंद संस्थान के लेखकों में विश्वम्भरनाथ कौशिक, राजा राधिकारमणप्रसाद सिंह, भगवतीप्रसाद वाजपेयी आदि के साथ की जाती है।

अपनी प्रायः सभी प्रसिद्ध कहानियों में इन्होंने समस्यायों का आदशर्वादी समाधान प्रस्तुत किया है। चौधरी छोटूराम जी ने कहानीकार सुदर्शन जी को जाट गजट का सपादक बनाया था। केवल इसलिए कि वह पक्के आर्यसमाजी थे और आर्य समाजी समाज सुधार होते हैं। एक गोरे पादरी के साथ टक्कर लेने से गोरा शाही सुदर्शन जी से चिढ़ गई। चौ. छोटूराम, चौ. लालचन्द से आर्यसमाजी सपादक को हटाने का दबाव बनाया। चौ. छोटूराम अड़ गए। सरकार की यह बात नहीं मानी। यह घटना प्रथम विश्व युद्ध के दिनों की है। सुदर्शन जी 1916-1917 में रोहतक में कार्यरत थे।

बाप का हृदय

लाला राजारम ने दफतर से आते ही क्रोध-भरे स्वर में अपनी स्त्री से कहा, “शादी ने आज फिर चोरी की।”

कौशल्या लड़की के लिए कुर्ता सी रही थी, पति की आवाज सुनकर उसने सिर उठाया और आश्चर्य के साथ बोली,- “बड़ी पाजी लड़का है। रोज मार खाता है, मगर इसका आँखें नहीं खुलती। आज क्या चुराया है?”

“कल रात जेब में सवा रुपया रखा था, आज दफ्तर जाकर देखा तो रुपया था, चवन्नी न थी, बस इसी के हाथ लग गई होगी, कहाँ है?” जरा बुलाओ तो पूछूँ।

कौशल्या का कलेजा धड़कने लगा उसने समझ लिया कि आज फिर लड़की की खैर नहीं, झूठी हँसी हँसकर बोली, “तुम कपड़े तो बदल लो, दफ्तर से थककर आए हो, आते ही क्रोध करोगे, तो स्वास्थ्य बिगड़ जाएगा।”

राजाराम – तुम्हारी बातें मैं खूब समझता हूँ। तुम्हारी इच्छा है मैं उसे कुछ न कहूँ। पर यह कभी न होगा, मैं आज उसकी हड्डियाँ तोड़े बिना न रहूँगा, बोलो, कहाँ हैं?

राजाराम – यही कि यह मेरा बाप नहीं।

कौशल्या – चलो, चुप रहे, अगर कल को मुझे कुछ हो जाए, तो इन बच्चों का क्या हो? रो-रोकर मर जाएँ तब भी तुमसे आशा नहीं कि इन्हें चुप भी करा जाओ।  

राजाराम – लो, अब मरने को भी तैयार हो गयीं?

कौशल्या – कैसे आदमी हो, हर समय तने ही रहते हो।

राजाराम – यह क्रोध अब उतरेगा भी या नहीं।

कौशल्या – परमेश्वर ने बच्चे दे दिए, यह बुद्धि न दी कि बालक शरारतें भी किया करते हैं। बचपन ही में तुम्हारी-सी समझ कहाँ से ले आएँ?

राजाराम – अगर हुक्म हो तो आज से मारना छोड़ दूँ।

कौशल्या – क्यों छोड़ दो? मैं यह कभी न कहूँगी। बाप की तरह मारो, मगर बाप की तरह प्यार भी तो करो।

राजाराम – और जिसे प्यार करना न आए, वह क्या करें? मेरे ख्याल में मार-पीट मैं कर देता हूँ, प्यार तुम कर लिया करो। अब सारा काम मैं ही कैसे कर लूँ?

कौशल्या – बस, यही तो तुममें ऐब है, हर बात को हँसी में उड़ा देते हो !

राजाराम – तो अब हँसना भी पाप हो गया?

कौशल्या – सारा दिन देखते-देखते गुजरता है और घर आते ही कोई न कोई ऐसी बात कर देते हो कि देह में आग लग जाए।

राजाराम – (हँसकर) चलो, आज शादी से कुछ न कहूँगा, अब तो देवी खुश हुई? कौशल्या भी हँसी पड़ी, प्यार-भरी दृष्टि से पति की तरफ देखकर बोली – “अपने कमरे में चलकर कपड़े बदलो, इतने में मैं दूध गरम कर लाऊँ?’

शादी के सिर से मुसीबत टल गई। इतवार का दिन था। लाला राजाराम धूप में लेटे अख़बार देख रहे थे, इतने में कौशल्या लड़की को लिए हुए आकर उनके पास बैठ गई और अख़बार छीनकर बोली- “लो सुनो! आज तुम्हारी बिटिया ने एक नयी बात सीखी है।”

राजाराम – मालूम होता है, अख़बार न देखने दोगी। बड़ा अजीब लेख है।

कौशल्या – इसकी बात उससे भी अजीब है।

राजाराम – भाई को बुलाना सीख लिया होगा।

कौशल्या – वाह! मेरी बेटी क्या ऐसी मामूली बातें सीखेगी? तुम्हारा दिल खुश कर देगी।

यह कहकर कौशल्या ने शकुंतला से कहा, क्यों बेटी ! तू मरेगी या नहीं मरेगी?

शन्नी ने माँ की तरफ देखकर जोर से सिर हिलाया और कहा- “आँ”

राजाराम को हँसी आ गई।

कौशल्या – तू मरना जानती है?

शन्नी ने फिर उसी तरह से सिर हिलाया और तोतली जबान से कहा- “आँ” कौशल्या कैसे मरेगी? जरा बाबूजी को मरकर दिखा दे।

शन्नी अपना नखरा दिखाने को झट माँ की गोद से उतर गई, इसके बाद उसने कौशल्या के सिर से दुपट्टा उतार लिया और ओढ़कर जमीन पर चुपचाप लेट गई। राजा राम हँस-हँसकर लोट-पोट हो जाते थेI

कौशल्या -(धीरे से) जरा देखते चलो। (ऊँची आवाज से) शन्नी !ओ! शन्नी ! बाप रे बाप! कैसी लड़की है, पता नहीं कहाँ चली गई,(सहसा चौककर) अरे, यह तो यहाँ लेटी हुई है। शन्नी ने उसी तरह लटे- लेटे मगर सिर हिला-हिलाकर उत्तर दिया -“छन्नी नहीं, छन्नी नहीं, माँ! छन्नी नहीं ईई।

कौशल्या – तो क्या शन्नी मर गई? शन्नी – (सिर हिलाकर) आँ, मल गई। राजाराम ने हँसकर शन्नी को जमीन से उठा लिया और उसका मुँह चूमकर कहा, “क्यों बिटिया ! मरने की क्या जरूरत है? तेरी माँ को बड़ा दुख होगा, अब न मरना।”

शन्नी ने दोनों हाथों से बाप का मुँह पकड़ लिया और उसकी आँखों में अपनी शक्ल देखते-देखते कहा – “वो ओ ओ छन्नी ! वो ओ ओ छन्नी !”

कौशल्या पर ब्रह्मानन्द की मस्ती छा गई, वह दूसरी दुनिया में पहुँच गई। इतनी कि उसे दो हजार के आभूषण लेकर भी न होती। वह यही चाहती थी, उसकी बड़ी ख्वाहिश यही थी, वह अपने पति का स्नेह माँगती थी। पर अपने लिए नहीं अपनी संतान के लिए। यकायक उसे शादी का ध्यान आया, घर में मिठाई बाँट रही हो, तो माँ को सारे बच्चों का ख्याल आता है। वह यह नहीं देख सकती कि एक बच्चा सब कुछ ले जाए और दूसरा मुँह ताकता रह जाए। आज उसके यहाँ पिता का प्यार बँट रहा था। पता नहीं कितने दिनों बाद, बहन अपना भाग ले चुकी थी। अब भाई की बारी थी। कौशल्या ने दुपट्टा ओढ़कर शादी को गोद में लिया और जल्दी से नीचे उतर गई, वहाँ शादी कागज की नाव बना रहा था। कौशल्या ने अपना मुँह धोया, सिर पर तेल डाला, कंघी की, नए कपड़े पहनाए और धीरे से कहा, -“जा जाकर बाबू जी को कपड़े दिखा आ।”

शादी ने नए कपड़े पहनकर दिल में फूला ना समाता था, मगर बाप के पास जाने की बात सुनकर उसका चेहरा उतर गया। वह सीढ़ियाँ चढ़ने लगा पर उसका दिल धड़क रहा था।

वह बाप के सामने जाकर खड़ा हो गया, मगर वे फिर अख़बार देख रहे थे, उनको मालूम भी न हुआ कि लड़का सामने खड़ा है। शादी ने बहुत देर तक प्रतीक्षा की मगर जब बाप ने उसकी ओर आँख उठाकर देखा भी नहीं, तब उसने कहा -“पिताजी, नए कपड़े।”

राजाराम ने चौंककर सिर उठाया और फिर अखबार पढ़ते हुए कहा – “क्या है? शादी – नए कपड़े।

आजा राम ने बिना सिर उठाए उत्तर दिया, “तुमने नए कपड़े पहने हैं बहुत अच्छा किया, अब जाओ जाकर खेलो, मैं अखबार पढ़ रहा हूँ।”

शादी की जान छूटी, परंतु कौशल्या संतुष्ट न हुई। वह सीढ़ियों के पास खड़ी यह सब कुछ देख रही थी। शादी नीचे जाने लगा तो उसने उसे फिर पकड़ लिया और धीमे से उसके कान में कहा, “पीछे से जाकर बाबू जी की गर्दन में बाँह डाल दे।”

शादी फिर उदास हो गया। वह सोचता था, नए कपड़े पहने हैं, चलकर अपने दोस्तों को दिखाऊँगा। मगर माँ ने मुझे फिर पिताजी की ओर धकेल दिया।

अब शादी के लिए कोई और रास्ता न था, उसने जान पर खेलकर अपनी नन्हीं-नन्हीं बाहें खोलीं और बड़े जोर के साथ बाप के गले से लिपट गया। राजाराम अखबार पढ़ने में लीन थे, झटका जो लगा, तो उनके हाथ से अखबार गिर गया, चौंककर बोले, “ओ कौन शादी?”

शादी ने उनकी तरफ मुसकुराकर देखा, उस समय यह मुस्कुराहट कैसी फीकी, कितनी सौंदर्यहीन दिखाई देती थी।

राजाराम ने शादी की ओर क्रोध से देखा और कड़ककर कहा, “जाकर खेल! नए कपड़े पहने हैं, तो क्या मुझे अख़बार न पड़ने देगा?”

डर कर चला गया और चुपचाप नीचे उतर गया। कौशल्या की आँखों से आँसू आ गए। उसने ठंडी आह भरी और अपनोंनी कोठरी में जाकर चारपाई पर लेट गई। इस समय उसकी आँखों में पानी था ह्रदय में आग, रह-रहकर सोचती थी कैसा कठोर हृदय है, इन्हें बच्चों से जरा भी स्नेह नहीं, अगर हँस कर दो बातें कर लेते हैं तो इनका क्या बिगड़ जाता? इस तरह धमका दिया, जैसे कोई फकीर का लड़का भीख माँगने आया हो, इन्हें अखबार की इच्छा है बच्चे की चाह नहीं। अभी ना सोचा कि गरीब का दिल छोटा हो जाएगा। कौशल्या की आँखों में आँसू उसके गालों पर बहने लगे शकुंतला ने माँ के मुँह पर अपने सुकोमल हाथ फेरते हुए कहा- “माँ।”

कौशल्या ने बेटी का मुँह चूम लिया और रोते-रोते कहा, “क्यों शन्नी, क्या है?”

शन्नी ने मन को मोह लेने वाले ढंग से झूम-झूमकर कहा, “शन्नी नहीं ई ई ई, शन्नी नहीं ई ई ई।” कौशल्या की आँखें अपने बेटे के दुर्भाग्य पर आँसू बहा रही थी, मगर उसके होंठ बेटी की तोतली बातों पर हँस रहे थे, जैसे कभी-कभी वर्षा में धूप निकल आती है।

राजाराम अपने अखबार के मनोरंजन लेख में तन्मय थे और कौशल्या के नारी हृदय में सुख और दुख के कैसे वेदनापूर्ण भाव पैदा हो रहे हैं, इसका उन्हें जरा भी पता ना था।

 

पाठ का सार

‘बाप का हृदय’ कहानी सुदर्शन द्वारा लिखित एक पारिवारिक कहानी है, जो एक पिता के कठोर व्यवहार और उसके हृदय में छिपे वात्सल्य के द्वंद्व को दर्शाती है। लाला राजाराम कठोर स्वभाव के हैं, जो छोटी सी चोरी के संदेह पर अपने बेटे शादी को मारना चाहते हैं। उनकी पत्नी कौशल्या अपने स्नेहिल स्वभाव और बुद्धिमत्ता से राजाराम के क्रोध को शांत करती है।

कहानी में बेटा शादी पिता के स्नेह से वंचित है, जबकि बेटी शकुंतला (शन्नी) अपनी तोतली बातों और ‘मरने’ के मनमोहक खेल से पिता का भरपूर प्यार पाती है। कौशल्या इस विषमता से दुखी होती है और पिता के प्यार को दोनों बच्चों में समान रूप से बाँटने की कोशिश करती है। वह शादी को नए कपड़े पहनाकर पिता के पास भेजती है, लेकिन काम में लीन राजाराम उसे अख़बार पढ़ने में बाधा मानकर गुस्से से भगा देते हैं।

कौशल्या का हृदय बेटे की उपेक्षा पर टूट जाता है। कहानी यह दर्शाती है कि कुछ पिता बच्चों से प्यार तो करते हैं, लेकिन उसे सहजता से व्यक्त नहीं कर पाते, जिससे उनका हृदय कठोर प्रतीत होता है। कौशल्या का मातृत्व अंत तक अपने पति के ‘कठोर हृदय’ में अपने बच्चों के लिए प्यार और स्नेह पाने के लिए संघर्ष करता है। कहानी यह भी बताती है कि बच्चों को केवल अनुशासन नहीं, बल्कि प्यार और स्नेह की भी उतनी ही ज़रूरत होती है।

शब्दार्थ

Hindi Word

Hindi Meaning

Tamil Meaning

English Meaning

क्रोध-भरे

गुस्से से भरे हुए

கோபத்தால் நிரம்பிய

Filled with anger

आश्चर्य

हैरानी, विस्मय

ஆச்சரியம்

Surprise, astonishment

पाजी

दुष्ट, नीच

குறும்புக்காரன்

Wicked, naughty

कलेजा

हृदय, मन

இதயம்

Heart, mind

झूठी हँसी

बनावटी हँसना

பொய்யான சிரிப்பு

Forced laughter

स्वास्थ्य

शारीरिक और मानसिक स्थिति

ஆரோக்கியம்

Health

हुक्म

आदेश

கட்டளை

Order, command

ऐब

दोष, कमी

குறை

Fault, defect

तन्मय

पूरी तरह लीन

முழுமையாக மூழ்கிய

Completely absorbed

वेदनापूर्ण

दुख से भरा

வலியால் நிரம்பிய

Full of pain

सुकोमल

कोमल, नरम

மென்மையான

Tender, soft

धकेल

बलपूर्वक आगे करना

முன்னோக்கி தள்ளு

Push forward

सौंदर्यहीन

सुंदरता से रहित

அழகற்ற

Devoid of beauty

ठंडी आह

शांत दुख भरी साँस

அமைதியான பெருமூச்சு

Quiet sigh of sorrow

ब्रह्मानन्द

परम आनंद

மிகுந்த மகிழ்ச்சி

Supreme bliss

ख्वाहिश

इच्छा, चाह

விருப்பம்

Desire, wish

संतुष्ट

तृप्त, खुश

திருப்தி

Satisfied, content

नखरा

बनावटी व्यवहार

பாசாங்கு

Affectation, pretense

उपेक्षा

अनदेखी, तिरस्कार

புறக்கணிப்பு

Neglect, disregard

कठोर

सख्त, निर्दयी

கடினமான

Harsh, cruel

‘बाप का हृदय’ कहानी पर आधारित प्रश्न

  1. ‘बाप का हृदय’ कहानी के प्रमुख पात्र कौन हैं?

उत्तर – ‘बाप का हृदय’ कहानी के प्रमुख पात्र लाला राजाराम, कौशल्या, उनका बेटा शादी और बेटी शकुंतला (शन्नी) हैं।

  1. राजाराम के गुस्से का क्या कारण था?

उत्तर – राजाराम के गुस्से का कारण यह था कि उन्हें शक था कि उनके बेटे शादी ने उनकी जेब से सवा रुपये में से चवन्नी चुरा ली है।

  1. राजाराम के चरित्र की विशेषताओं पर पाँच वाक्य लिखिए।

उत्तर – क्रोधित और कठोर स्वभाव – राजाराम का स्वभाव काफी क्रोधी है, वह छोटी सी बात पर बेटे शादी पर हाथ उठाने को तैयार हो जाते हैं।

आदर्शोन्मुख यथार्थवादी पिता – वह मानते हैं कि बच्चे को मारना ज़रूरी है ताकि उसकी आँखें खुलें, पर प्यार ज़ाहिर करना उन्हें नहीं आता।

व्यवहारिक और दफ़्तर के काम में लीन – वह दफ़्तर के काम और अख़बार पढ़ने में इतने लीन रहते हैं कि बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते।

हृदय से नरम – कौशल्या के समझाने पर वह क्रोध त्याग देते हैं और अपनी बेटी शन्नी के खेल से बहुत खुश होते हैं।

भावों को व्यक्त न कर पाना – वह अपनी बेटी को प्यार करते हैं, लेकिन बेटे शादी के प्रति अपना स्नेह सहज रूप से व्यक्त नहीं कर पाते, जिससे उनका व्यवहार कठोर लगता है।

  1. कौशल्या के मातृत्व पर पाँच वाक्य लिखिए।

उत्तर – संतान के प्रति असीम प्रेम – कौशल्या अपने बच्चों से बहुत प्रेम करती है और उन्हें पिता के क्रोध से बचाती है।

सन्तुलित व्यवहार – वह जानती है कि बच्चों को मारना भी ज़रूरी है, लेकिन साथ ही प्यार भी उतना ही आवश्यक है।

पति को समझाने वाली – वह अपने पति राजाराम को प्यार से समझाकर उनका क्रोध शांत करती है और उन्हें बच्चों के प्रति स्नेह जताने के लिए प्रेरित करती है।

समानता की चाह – वह नहीं चाहती कि पिता का प्यार केवल बेटी को मिले और बेटा उससे वंचित रह जाए।

स्नेह की भूखी – वह अपने लिए नहीं, बल्कि अपनी संतान के लिए पति का स्नेह चाहती है, और शादी को पिता का प्यार न मिलने पर उसे गहरा दुःख होता है।

  1. शादी के हानि-लाभ पर पाँच वाक्य लिखिए।

उत्तर – हानि (नुकसान) – पिता के प्यार से वंचित – शादी को अपने पिता राजाराम का प्यार और स्नेह नहीं मिलता, बल्कि केवल क्रोध और डांट मिलती है।

हानि – चोरी का इल्जाम – उसे बार-बार चोरी का इल्जाम झेलना पड़ता है, जो उसके मन को ठेस पहुँचाता होगा।

लाभ (फायदा) – नए कपड़े – माँ के प्रयास से उसे नए कपड़े पहनने को मिलते हैं, जिससे वह बहुत खुश होता है।

हानि – दिल का छोटा होना – पिता द्वारा धमकाए जाने पर उसका दिल छोटा हो जाता है और वह उदास होकर चुपचाप नीचे उतर जाता है।

लाभ – माँ का स्नेहिल सहारा – माँ कौशल्या का प्यार और साथ उसे पिता के कठोर व्यवहार के सामने मानसिक संबल प्रदान करता है।

  1. कौशल्या ने राजाराम के गुस्से को कैसे ठंडा किया? विवरण दीजिए।

उत्तर – कौशल्या ने राजाराम के गुस्से को शांत और प्यार भरी बातों से ठंडा किया।

शांत रहने का आग्रह – सबसे पहले, उसने पति को दफ्तर से थके होने का हवाला देकर कपड़े बदलने को कहा ताकि उनका क्रोध स्वास्थ्य न बिगाड़े।

हँसी-मजाक – उसने राजाराम से कहा कि वह उसकी बातें खूब समझती है, जिसपर राजाराम ने कहा कि वह उसकी हड्डियाँ तोड़े बिना न रहेगा। इस पर कौशल्या ने पति के कठोर हृदय की ओर इशारा किया, और फिर हँसी में बोली कि बालक शरारतें करते हैं, बचपन में उनकी जैसी समझ कहाँ से ले आएँ।

सकारात्मक तुलना – उसने राजाराम को टोका कि वह बाप की तरह मारे, मगर बाप की तरह प्यार भी तो करे।

हँसी में बात टालना – अंत में, राजाराम ने हँसकर कहा, “चलो, आज शादी से कुछ न कहूँगा, अब तो देवी खुश हुई?” इस पर कौशल्या भी हँस पड़ी। इस प्रकार, कौशल्या ने सीधे विरोध करने के बजाय प्यार और तर्क का सहारा लिया और स्थिति को सामान्य कर दिया।

  1. राजाराम के बाप के हृदय में कैसे भाव थे?

उत्तर – राजाराम के बाप के हृदय में विरोधभासी भाव थे –

कठोरता और अनासक्ति (विरक्ति) – उनका स्वभाव कठोर था और वे बच्चों की शरारत और चोरी को सख्ती से दबाना चाहते थे। उन्हें बच्चों से सहज स्नेह व्यक्त करना नहीं आता था।

अनासक्ति का आवरण – वह काम और अख़बार में लीन रहकर बच्चों को अनदेखा करते थे, खासकर शादी को।

प्रेम और आनंद – अपनी बेटी शकुंतला की तोतली बातों और ‘मरने’ के खेल से वह बहुत आनंदित होते हैं और उसे हँसकर चूम लेते हैं।

भावों की अव्यक्तता – वह हृदय से तो अपने बच्चों को चाहते हैं, लेकिन उस चाहत को सहजता से व्यक्त नहीं कर पाते, जिसके कारण उनका हृदय अपनी संतान के लिए भी ‘कठोर’ दिखाई देता है। कौशल्या का मानना था कि उन्हें बच्चों से ज़रा भी स्नेह नहीं है, लेकिन वे अंदर से नरम थे, बस उसे ज़ाहिर नहीं कर पाते थे।

  1. शकुन्तला ने अपने माता-पिता को किस प्रकार आनंदित किया?

उत्तर – शकुंतला (शन्नी) ने तोतली ज़बान में बातें करके और ‘मरने’ का अभिनय करके अपने माता-पिता को आनंदित किया।

नया खेल – उसने माँ से ‘मरना’ सीखा था और ‘मरने’ का अभिनय करके दिखाया।

अभिनय – वह दुपट्टा ओढ़कर चुपचाप ज़मीन पर लेट गई और माँ के बुलाने पर सिर हिला-हिलाकर कहा, “छन्नी नहीं, छन्नी नहीं, माँ! छन्नी नहीं ईई।… आँ, मल गई।”

अद्वितीय संवाद – उसकी यह तोतली ज़बान और नाटकीय अंदाज़ इतना मनमोहक था कि राजाराम “हँस-हँसकर लोट-पोट हो जाते थे” और कौशल्या पर “ब्रह्मानन्द की मस्ती छा गई”।

पिता का प्यार – उसके इस खेल से राजाराम का दिल नरम हुआ, उन्होंने उसे ज़मीन से उठाकर उसका मुँह चूमा और प्यार किया।

  1. ‘बाप का हृदय’ कहानी का सार अपने शब्दों में लिखिए। “माँ, मैं भी राखी बाँचूँगी।”

उत्तर – कहानी “बाप का हृदय” सुदर्शन द्वारा रचित एक भावनात्मक कहानी है, जो एक पिता, लाला राजाराम, और उनके परिवार के बीच स्नेह और तनाव के रिश्ते को दर्शाती है। राजाराम अपने बेटे शादी पर चोरी का आरोप लगाकर क्रोधित होते हैं और उसे कठोरता से डांटते हैं, जबकि उनकी पत्नी कौशल्या बच्चों के प्रति प्यार और समझ की वकालत करती है। कहानी में एक दृश्य में, कौशल्या अपनी बेटी शकुंतला (शन्नी) को मरने का नाटक करने की नई सीख दिखाती है, जो राजाराम को हंसाता है और वह शन्नी को प्यार करता है। लेकिन जब कौशल्या शादी को नए कपड़े पहनाकर पिता के पास भेजती है, राजाराम उसकी उपेक्षा करते हैं और उसे डांट देते हैं। इससे कौशल्या का हृदय दुखी होता है, क्योंकि वह चाहती है कि पति दोनों बच्चों के प्रति समान स्नेह दिखाए। कहानी पिता के कठोर व्यवहार और माँ के स्नेहपूर्ण हृदय के बीच के अंतर को उजागर करती है, जो बच्चों के प्रति प्यार और उपेक्षा की भावनाओं को दर्शाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

सुदर्शन की कहानी “बाप का हृदय” का मुख्य विषय क्या है?

a) सामाजिक सुधार

b) पिता और बच्चों के बीच का रिश्ता

c) आर्थिक समस्याएँ

d) शिक्षा का महत्त्व

उत्तर – b) पिता और बच्चों के बीच का रिश्ता 

   व्याख्या – कहानी पिता के कठोर व्यवहार और माँ के स्नेह के बीच बच्चों के प्रति भेदभाव को दर्शाती है।

लाला राजाराम किसके प्रति क्रोधित होते हैं?

a) अपनी पत्नी कौशल्या

b) अपनी बेटी शकुंतला

c) अपने बेटे शादी

d) अपने सहकर्मी

उत्तर – c) अपने बेटे शादी 

   व्याख्या – राजाराम शादी पर चोरी का आरोप लगाकर क्रोधित होते हैं।

कौशल्या अपने पति से क्या चाहती थी?

a) अधिक धन

b) बच्चों के प्रति स्नेह

c) नया घर

d) नौकरी छोड़ने को

उत्तर – b) बच्चों के प्रति स्नेह 

   व्याख्या – कौशल्या चाहती थी कि राजाराम दोनों बच्चों के प्रति समान प्यार दिखाए।

शकुंतला ने क्या नई बात सीखी थी?

a) गाना गाना

b) मरने का नाटक करना

c) नाचना

d) कविता पढ़ना

उत्तर – b) मरने का नाटक करना 

   व्याख्या – शकुंतला मरने का नाटक करके राजाराम को हँसाती है।

राजाराम ने शादी के नए कपड़ों को देखकर क्या किया?

a) उसकी तारीफ की

b) उसे डाँटा

c) उसे गले लगाया

d) उपेक्षा की

उत्तर – d) उपेक्षा की 

   व्याख्या – राजाराम ने शादी के नए कपड़ों पर ध्यान नहीं दिया और अखबार पढ़ते रहे।

कौशल्या ने शादी को क्या करने को कहा?

a) पिता के गले में बाँह डालने को

b) खेलने को

c) पढ़ने को

d) खाना खाने को

उत्तर – a) पिता के गले में बाँह डालने को 

   व्याख्या – कौशल्या ने शादी को पिता के प्रति स्नेह दिखाने के लिए ऐसा करने को कहा।

शादी ने पिता के गले में बाँह डालने पर राजाराम ने क्या किया?

a) उसे प्यार किया

b) उसे डाँटा

c) उसे उपहार दिया

d) उसे हँसाया

उत्तर – b) उसे डाँटा 

   व्याख्या – राजाराम ने शादी को डाँटकर खेलने भेज दिया।

कौशल्या को शादी की उपेक्षा देखकर क्या हुआ?

a) वह हँस पड़ी

b) उसकी आँखों में आँसू आ गए

c) वह गुस्सा हो गई

d) वह चुप रही

उत्तर – b) उसकी आँखों में आँसू आ गए 

   व्याख्या – कौशल्या को शादी की उपेक्षा से गहरा दुख हुआ।

सुदर्शन का लेखन दृष्टिकोण क्या था?

a) यथार्थवादी

b) आदर्शोन्मुख यथार्थवादी

c) रोमांटिक

d) ऐतिहासिक

उत्तर – b) आदर्शोन्मुख यथार्थवादी 

   व्याख्या – सुदर्शन समस्याओं का आदर्शवादी समाधान प्रस्तुत करते थे।

सुदर्शन को जाट गजट का संपादक किसने बनाया?

a) प्रेमचंद

b) चौधरी छोटूराम

c) उपेन्द्रनाथ अश्क

d) विश्वम्भरनाथ कौशिक

उत्तर -b) चौधरी छोटूराम 

व्याख्या – चौधरी छोटूराम ने सुदर्शन को संपादक बनाया क्योंकि वे आर्यसमाजी थे।

कहानी में कौशल्या का हृदय कैसा था?

a) कठोर

b) स्नेहपूर्ण

c) उदासीन

d) क्रोधी

उत्तर -b) स्नेहपूर्ण 

व्याख्या – कौशल्या बच्चों के प्रति गहरा स्नेह रखती थी।

शन्नी ने मरने का नाटक कैसे किया?

a) गाना गाकर

b) दुपट्टा ओढ़कर लेटकर

c) चिल्लाकर

d) नाचकर

उत्तर -b) दुपट्टा ओढ़कर लेटकर 

व्याख्या – शन्नी ने दुपट्टा ओढ़कर जमीन पर लेटकर मरने का नाटक किया।

राजाराम का व्यवहार शादी के प्रति कैसा था?

a) स्नेहपूर्ण

b) कठोर और उपेक्षापूर्ण

c) उदार

d) प्रोत्साहन देने वाला

उत्तर -b) कठोर और उपेक्षापूर्ण 

व्याख्या – राजाराम ने शादी की उपेक्षा की और उसे डाँटा।

कौशल्या ने शादी को पिता के पास क्यों भेजा?

a) उसे डाँटने के लिए

b) नए कपड़े दिखाने के लिए

c) पढ़ाई के लिए

d) खाना खिलाने के लिए

उत्तर -b) नए कपड़े दिखाने के लिए 

व्याख्या – कौशल्या चाहती थी कि राजाराम शादी के नए कपड़ों की तारीफ करे।

कहानी में सुदर्शन का लेखन शैली क्या दर्शाती है?

a) हास्य

b) भावनात्मक और आदर्शवादी

c) रहस्यमयी

d) ऐतिहासिक

उत्तर -b) भावनात्मक और आदर्शवादी 

व्याख्या – कहानी भावनात्मक और आदर्शवादी समाधान प्रस्तुत करती है।

शादी ने पिता से क्या कहा?

a) मुझे खेलने दो

b) नए कपड़े

c) मुझे प्यार करो

d) मुझे मत डाँटो

उत्तर -b) नए कपड़े 

व्याख्या – शादी ने राजाराम को अपने नए कपड़े दिखाने के लिए कहा।

कौशल्या ने राजाराम से बच्चों के बारे में क्या कहा?

a) उन्हें पढ़ाओ

b) उन्हें मारो लेकिन प्यार भी करो

c) उन्हें काम सिखाओ

d) उन्हें छोड़ दो

उत्तर -b) उन्हें मारो लेकिन प्यार भी करो 

व्याख्या – कौशल्या चाहती थी कि राजाराम बच्चों को प्यार और अनुशासन दोनों दे।

शन्नी ने अपनी तोतली बोली में क्या कहा?

a) मैं खेलूँगी

b) शन्नी नहीं ई ई ई

c) मुझे खाना दो

d) मैं पढ़ूँगी

उत्तर -b) शन्नी नहीं ई ई ई 

व्याख्या – शन्नी ने मरने का नाटक करते हुए यह कहा।

कौशल्या को शन्नी की बातों पर क्या हुआ?

a) वह गुस्सा हो गई

b) वह हँसी और रोई

c) वह चुप रही

d) वह डर गई

उत्तर -b) वह हँसी और रोई 

व्याख्या – कौशल्या शन्नी की बातों पर हँसी लेकिन शादी के दुर्भाग्य पर रोई।

कहानी का अंत कैसा है?

a) सुखद

b) दुखद और भावनात्मक

c) रहस्यमय

d) हास्यपूर्ण

उत्तर -b) दुखद और भावनात्मक 

व्याख्या – कहानी कौशल्या के दुख और शादी की उपेक्षा के साथ भावनात्मक रूप से समाप्त होती है।

 

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

  1. प्रश्न – कहानी “बाप का हृदय” के लेखक कौन हैं?
    उत्तर – कहानी “बाप का हृदय” के लेखक सुदर्शन हैं।
  2. प्रश्न – सुदर्शन किस साहित्यिक परम्परा के कहानीकार हैं?
    उत्तर – सुदर्शन प्रेमचंद परम्परा के कहानीकार हैं।
  3. प्रश्न – लाला राजाराम किस बात पर क्रोधित थे?
    उत्तर – लाला राजाराम क्रोधित थे क्योंकि उन्हें लगा कि उनके बेटे शादी ने उनकी जेब से चवन्नी चुरा ली है।
  4. प्रश्न – कौशल्या कौन थी?
    उत्तर – कौशल्या लाला राजाराम की पत्नी थी।
  5. प्रश्न – शादी कौन था?
    उत्तर – शादी लाला राजाराम और कौशल्या का बेटा था।
  6. प्रश्न – राजाराम अपनी बेटी शकुंतला से किस बात पर खुश हुए?
    उत्तर – राजाराम अपनी बेटी शकुंतला से खुश हुए जब उसने मरने का अभिनय किया और तोतली ज़बान में बोली।
  7. प्रश्न – कौशल्या को पति से क्या अपेक्षा थी?
    उत्तर – कौशल्या को अपेक्षा थी कि पति बच्चों से केवल डाँट-डपट न करें, बल्कि उन्हें प्यार भी दें।
  8. प्रश्न – लाला राजाराम का स्वभाव कैसा था?
    उत्तर – लाला राजाराम का स्वभाव क्रोधी और कठोर था।
  9. प्रश्न – कौशल्या ने शादी को क्यों तैयार किया कि वह बाबूजी को कपड़े दिखाए?
    उत्तर – कौशल्या चाहती थी कि राजाराम अपने बेटे से भी स्नेहपूर्वक पेश आएँ।
  10. प्रश्न – जब शादी नए कपड़े पहनकर बाबूजी के पास गया तो राजाराम ने क्या कहा?
    उत्तर – राजाराम ने कहा कि “तुमने नए कपड़े पहने हैं, बहुत अच्छा किया, अब जाकर खेलो, मैं अख़बार पढ़ रहा हूँ।”
  11. प्रश्न – जब शादी ने बाप की गर्दन में बाँह डाली तो राजाराम ने कैसी प्रतिक्रिया दी?
    उत्तर – राजाराम ने क्रोध में उसे डाँट दिया और कहा कि “जाकर खेल, मुझे अख़बार पढ़ने दे।”
  12. प्रश्न – कौशल्या ने यह दृश्य देखकर क्या किया?
    उत्तर – कौशल्या की आँखों से आँसू बहने लगे और वह दुःखी होकर अपने कमरे में चली गई।
  13. प्रश्न – शकुंतला की तोतली बातों से कौशल्या को कैसा अनुभव हुआ?
    उत्तर – शकुंतला की तोतली बातों से कौशल्या के हृदय को थोड़ी खुशी मिली, जैसे आँसू के बीच धूप निकल आई हो।
  14. प्रश्न – कहानी का मुख्य विषय क्या है?
    उत्तर – कहानी का मुख्य विषय पिता के कठोर व्यवहार और मातृत्व की संवेदनशीलता के माध्यम से पारिवारिक स्नेह का महत्त्व है।
  15. प्रश्न – सुदर्शन किस दृष्टिकोण के लेखक हैं?
    उत्तर – सुदर्शन सुधारवादी और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी दृष्टिकोण के लेखक हैं।
  16. प्रश्न – कहानी में कौन-सा पात्र सबसे अधिक भावनात्मक रूप से प्रभावित दिखाया गया है?
    उत्तर – कहानी में कौशल्या सबसे अधिक भावनात्मक रूप से प्रभावित दिखायी गई है।
  17. प्रश्न – राजाराम किस चीज़ में मग्न रहते थे?
    उत्तर – राजाराम अक्सर अख़बार पढ़ने में मग्न रहते थे।
  18. प्रश्न – कौशल्या अपने बच्चों में क्या चाहती थी?
    उत्तर – कौशल्या चाहती थी कि उसके बच्चों को पिता का स्नेह और प्यार मिले।
  19. प्रश्न – कहानी “बाप का हृदय” का संदेश क्या है?
    उत्तर – कहानी का संदेश है कि माता-पिता को बच्चों के साथ कठोरता नहीं, बल्कि स्नेह और प्रेम से व्यवहार करना चाहिए।
  20. प्रश्न – कहानी का शीर्षक “बाप का हृदय” क्यों उचित है?
    उत्तर – शीर्षक “बाप का हृदय” उचित है क्योंकि यह दर्शाता है कि पिता का हृदय भी कोमल हो सकता है, यदि उसमें स्नेह और समझ हो।

 

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

  1. सुदर्शन का लेखन दृष्टिकोण क्या था?

उत्तर – सुदर्शन का लेखन दृष्टिकोण आदर्शोन्मुख यथार्थवादी था। वे सामाजिक समस्याओं को यथार्थवादी ढंग से प्रस्तुत करते थे और उनका समाधान आदर्शवादी तरीके से करते थे, जैसा कि “बाप का हृदय” में पिता-पुत्र के रिश्ते और स्नेह की कमी को दर्शाया गया है।

  1. कहानी में लाला राजाराम का व्यवहार कैसा था?

उत्तर – लाला राजाराम का व्यवहार कठोर और उपेक्षापूर्ण था, खासकर अपने बेटे शादी के प्रति। वे अखबार पढ़ने में व्यस्त रहते थे और शादी के नए कपड़ों को नजरअंदाज कर उसे डाँटते थे, जिससे कौशल्या दुखी होती थी।

  1. कौशल्या ने शादी को पिता के पास क्यों भेजा?

उत्तर – कौशल्या ने शादी को नए कपड़े पहनाकर पिता के पास भेजा ताकि राजाराम उसकी तारीफ करें और उसे स्नेह दें। वह चाहती थी कि पिता दोनों बच्चों, शादी और शकुंतला, के प्रति समान प्यार दिखाए।

  1. शकुंतला ने क्या नया सीखा था?

उत्तर – शकुंतला ने मरने का नाटक करना सीखा था। उसने दुपट्टा ओढ़कर जमीन पर लेटकर और तोतली बोली में “शन्नी नहीं ई ई ई” कहकर यह नाटक किया, जिससे राजाराम हँसे और उसे प्यार किया।

  1. राजाराम ने शादी के नए कपड़ों को देखकर क्या किया?

उत्तर – राजाराम ने शादी के नए कपड़ों को देखकर उसकी उपेक्षा की। वे अखबार पढ़ने में व्यस्त थे और बिना ध्यान दिए शादी को खेलने भेज दिया, जिससे शादी का मन छोटा हुआ और कौशल्या दुखी हुई।

  1. कौशल्या का हृदय कैसा था?

उत्तर – कौशल्या का हृदय स्नेहपूर्ण और संवेदनशील था। वह अपने दोनों बच्चों, शादी और शकुंतला, के प्रति गहरा प्यार रखती थी और चाहती थी कि राजाराम भी बच्चों को प्यार दे, न कि केवल अनुशासन।

  1. कहानी में सुदर्शन ने कौन-सी सामाजिक समस्या उठाई?

उत्तर – सुदर्शन ने “बाप का हृदय” में पिता और बच्चों के बीच स्नेह की कमी और कठोर व्यवहार की समस्या उठाई। कहानी दर्शाती है कि पिता का कठोर रवैया बच्चों के मन पर बुरा प्रभाव डालता है।

  1. शादी ने पिता के गले में बाँह डालने पर क्या हुआ?

उत्तर – जब शादी ने पिता के गले में बाँह डाली, तो राजाराम ने क्रोधित होकर उसे डाँटा और खेलने भेज दिया। इससे शादी डर गया और कौशल्या की आँखों में आँसू आ गए, क्योंकि वह स्नेह की उम्मीद कर रही थी।

  1. कहानी का अंत क्यों दुखद है?

उत्तर – कहानी का अंत दुखद है क्योंकि राजाराम शादी की उपेक्षा करते हैं और उसे डाँटते हैं, जिससे कौशल्या का हृदय दुखी होता है। वह चाहती थी कि पति दोनों बच्चों को समान प्यार दे, जो अधूरी रहती है।

  1. सुदर्शन को जाट गजट का संपादक क्यों बनाया गया?

उत्तर -सुदर्शन को चौधरी छोटूराम ने जाट गजट का संपादक बनाया क्योंकि वे पक्के आर्यसमाजी थे और आर्य समाज सुधारवादी विचारों को बढ़ावा देता था। यह निर्णय प्रथम विश्व युद्ध के समय लिया गया था।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

  1. “बाप का हृदय” कहानी में सुदर्शन ने पिता-पुत्र के रिश्ते को कैसे दर्शाया है?

उत्तर – सुदर्शन ने “बाप का हृदय” में पिता-पुत्र के रिश्ते को कठोर और स्नेहहीन दिखाया है। लाला राजाराम अपने बेटे शादी पर चोरी का आरोप लगाते हैं और उसकी उपेक्षा करते हैं, जिससे शादी का मन छोटा होता है। दूसरी ओर, कौशल्या बच्चों के प्रति स्नेह चाहती है। कहानी पिता के कठोर व्यवहार और बच्चों की भावनाओं के बीच टकराव को उजागर करती है।

  1. कौशल्या का चरित्र “बाप का हृदय” में किस तरह उभरता है?

उत्तर – कौशल्या का चरित्र एक स्नेहपूर्ण और संवेदनशील माँ के रूप में उभरता है, जो अपने बच्चों, शादी और शकुंतला, के लिए पिता के प्यार की कामना करती है। वह राजाराम के कठोर व्यवहार का विरोध करती है और बच्चों को प्यार व अनुशासन दोनों देने की वकालत करती है। शादी की उपेक्षा देखकर उसका हृदय दुखी होता है, जो उसकी ममता को दर्शाता है।

  1. कहानी में शकुंतला और शादी के प्रति राजाराम का व्यवहार क्यों भिन्न है?

उत्तर – राजाराम का शकुंतला और शादी के प्रति व्यवहार भिन्न है क्योंकि शकुंतला का मासूम नाटक उन्हें हँसाता है, जिससे वे उसे प्यार करते हैं। वहीं, शादी पर चोरी का आरोप और उसका डरपोक व्यवहार उन्हें क्रोधित करता है। यह भेदभाव लैंगिक रूढ़ियों या व्यक्तिगत अपेक्षाओं को दर्शाता है, जो कौशल्या को दुखी करता है और कहानी में असमान स्नेह की समस्या को उजागर करता है।

  1. सुदर्शन की लेखन शैली “बाप का हृदय” में कैसे प्रकट होती है?

उत्तर – सुदर्शन की लेखन शैली “बाप का हृदय” में आदर्शोन्मुख यथार्थवादी है। वे पारिवारिक रिश्तों की वास्तविक समस्याओं, जैसे पिता की कठोरता और बच्चों की उपेक्षा, को यथार्थवादी ढंग से चित्रित करते हैं। साथ ही, कौशल्या के स्नेह और आदर्शवादी दृष्टिकोण के माध्यम से परिवार में प्यार और समझ की आवश्यकता का समाधान प्रस्तुत करते हैं।

  1. कहानी का अंत दुखद क्यों है और यह पाठकों पर क्या प्रभाव डालता है?

उत्तर – कहानी का अंत दुखद है क्योंकि राजाराम शादी की उपेक्षा करते हैं और उसे डाँटते हैं, जिससे कौशल्या का हृदय टूटता है। यह पाठकों को पिता के कठोर व्यवहार और बच्चों की भावनात्मक उपेक्षा के प्रति संवेदनशील बनाता है। यह परिवार में स्नेह और समझ की कमी के दुष्परिणामों पर विचार करने को प्रेरित करता है।

 

You cannot copy content of this page