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दया- भाव

Dayabhava short stories

एक बार संत एकनाथ जी काशी से रामेश्वरम् की यात्रा कर रहे थे। उस समय गर्मी का दिन था। आस-पास पानी मिलना मुश्किल था। उन्होंने देखा कि एक गधा प्यास से तड़प रहा था। उसे देखकर उन्हें दया आई और अपनी कमंडलु का पानी, जिसे वे रामेश्वरम् में भगवान शिव जी को चढ़ाने के लिए ले जा रहे थे, उस प्यासे गधे को पिला दिया। गधे की छटपटाहट शांत हो गई।

यह देखकर उनके शिष्यों ने उनसे कहा, ‘यह आपने क्या कर दिया, अब भगवान शिव को जल कैसे चढ़ाएँगे? काशी से आप कितनी मुश्किल से गंगाजल भरकर यात्रा पर निकले थे। अब इस गर्मी के दिनों में पानी मिलना मुश्किल है।”

एकनाथ जी ने कहा, ‘अरे! ये क्या तुमलोग मूर्खों जैसी बातें कर रहे हो? क्या तुमने नहीं देखा कि साक्षात् भगवान शिव ही तो गधे के रूप में यहाँ पधारे थे। कितने कृपालु हैं वे ! स्वयं ही आ गए। हमें वहाँ जाने का कष्ट भी उठाने नहीं दिया।

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