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हजरत मुहम्मद की सेवा भावना

hazarat mohammad ki sewa bhavana

मक्का में हज़रत मुहम्मद के कई दुश्मन थे। उनमें एक ऐसा था जो उन्हें सड़क से गुज़रते हुए देखता, तो ढेर सारा कूड़ा-करकट उनके सिर पर डाल देता था। मुहम्मद साहब सब्र के धनी थे, अपने रास्ते चुपचाप चले जाते। धीरे-धीरे यह काम उस आदमी का नित्यकर्म-सा हो गया। एक दिन यह क्रम टूट गया, तो हज़रत मुहम्मद चिंतित हुए। उन्होंने पड़ोस के लोगों से जाकर पूछा तो मालूम हुआ कि उस आदमी की तबीयत खराब हो गई है। मुहम्मद साहब तुरन्त उसके घर गए और पलंग के निकट बैठकर उसके स्वस्थ होने की प्रार्थना करने लगे। यही नहीं, उसके स्वस्थ होने तक उसकी सेवा टहल भी की।

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