विष्णु प्रभाकर
प्रसिद्ध रेडियो नाटककार श्री विष्णु प्रभाकर (1912-2009) का जन्म मीरापुर जिले के मुजफ्फरनगर, उत्तरप्रदेश में हुआ था। आपके प्रसिद्ध एकांकी संग्रह हैं – ‘प्रकाश और परछाइयाँ’, ‘ऊँचा पर्वत, गहरा सागर’, ‘माँ का बेटा’, ‘इन्सान और अन्य एकांकी’, ‘अशोक तथा अन्य एकांकी’, ‘माँ- बाप’ आदि। सोवियट लैण्ड पुरस्कार से सम्मानित आपने साठ से अधिक पुस्तकों के एवं अनेक पत्र-पत्रिकाओं के संपादन में भी योगदान दिया है। ‘आवारा मसीहा’ आपकी प्रसिद्ध जीवनी है। आपके उपन्यास हैं – अर्धनारीश्वर, केंद्र साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत) तट के बंधन, निशिकांत, स्वप्नमयी व दादा की कचहरी। कहानी – संग्रह हैं – धरती अब भी घूम रही है, मेरी प्रिय कहानियाँ, संघर्ष के बाद, आदि और अंत।
यह एक पौराणिक एकांकी है। भीम के द्वारा बकासुर का वध – इस एकांकी का कथा – सार है। दानवता पर मानवता की जीत और अच्छाई के सामने बुराई की हार इस एकांकी का संदेश है।
भीम और राक्षस
पात्र परिचय :-
ब्राह्मण – घर का मालिक
ब्राहमणी – ब्राह्मण की पत्नी
कुंती – भीम की माता
भीम – कुंती का पुत्र
बकासुर – राक्षस
पहला दृश्य
(मंच पर एक मकान के आँगन का दृश्य। गरीब ब्राह्मण का घर है। सभी रो रहे हैं। चारों ओर उदासी है। परदा उठने पर लोग रोते-रोते बात कर रहे हैं।)
ब्राह्मणी : (रोकर) मैं कहती हूँ, तुम मुझे जाने दो। बच्चे तो अब बड़े हो गये हैं। उन्हें संभालने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
ब्राह्मण : नहीं, नहीं। तू कैसे जा सकती है? तू चली जाएगी तो घर में क्या रहेगा? बच्चे अभी इतने बड़े कहाँ हैं? फिर बेटी का विवाह भी करना है। नहीं, मैं ही जाऊँगा।
ब्राह्मणी : अजी, तुम कैसे जाओगे? तुम चले गये तो घर का सहारा ही चला जाएगा। नहीं, मैं ही जाऊँगी।
लड़की : माँ! न तुम जाओगी और न पिताजी को जाने दोगी, मैं जाऊँगी।
ब्राह्मणी : मेरे रहते मेरे बच्चे मरने को जाएँ। भगवान, मैंने ऐसा क्या पाप किया है? (जोर से रोती है, सब रो पड़ते हैं। तभी सहसा बाहर से कुन्ती और भीम आते हैं।)
कुन्ती : क्या बात है? तुम सब क्यों रो रहे हो?
भीम : कहाँ जाना है तुम्हें? क्या विपदा आ पड़ी?
कुन्ती : अरे भाई। हुआ क्या, कुछ बताओ। (कोई नहीं बोलता, उसी तरह रोते रहते हैं।)
भीम : हाँ, हाँ, रोना बन्द करके बात बताओ।
ब्राह्मण : बात क्या है, मेरा भाग्य फूट गया। इससे कहता रहा, चल, इस एकचक्र नगरी को छोड़ कर कहीं और चलें, पर यह तो यहीं की मिट्टी में ऐसा रम गयी कि जाने का नाम नहीं लेती। मेरा तो बुलावा आ गया।
कुन्ती : कहाँ से बुलावा आ गया? कुछ बताओ तो, तुम्हें क्या दुःख है? हम कुछ न कुछ ज़रूर करेंगे।
ब्राह्मण : हाय बहन! तुम हमारे अतिथि हो। अतिथि को अपने दुःख से दुःखी नहीं करना चाहिए।
कुन्ती : अच्छा ; तुम न बताओ। मैं अपनी बेटी से पूछती हूँ। (बेटी से) हाँ, बेटी बताओ तो क्या बात है?
ब्राह्मणी : अजी, बता क्यों नहीं देते? ये परदेशी हैं, उस राक्षस की कहानी का इन्हें क्या पता?
ब्राह्मण : हाँ, हम लोग उसे बक कहते हैं, वैसे उसका पूरा नाम बकासुर है।
भीम : ओहो, बकासुर! फिर वह क्या करता है?
ब्राह्मण : करता क्या? इस नगरी की रक्षा करता है।
कुन्ती : राक्षस रक्षा करता है। रक्षा करता है, तो तुम रोते क्यों हो? क्या वह अब जा रहा है? या तुमसे कुछ अपराध हो गया है?
ब्राह्मण : ना बहन, कुछ अपराध नहीं हुआ।
भीम : तुम पहेलियाँ बुझा रहे हो। ऐसा कौन राक्षस है जो नगरी की रक्षा करता है। क्या यहाँ कोई राजा नहीं है?
ब्राह्मण : बेटा, मैं तुम्हें सब कहानी बताता हूँ। इस नगरी का राजा बड़ा दुर्बल है। बस, गद्दी पर बैठना जानता है। उसको दबाकर बक असली राजा बन बैठा है। वही अब हमारी रक्षा करता है।
भीम : फिर वह आपसे कुछ बदले में माँगता होगा।
ब्राह्मण : हाँ बेटा। बकासुर हम सब लोगों की रखवाली करता है, और उसके बदले में हमसे एक गाड़ी अन्न, दो भैंसे और एक मनुष्य लेता है।
भीम : रोज़?
ब्राह्मण : हाँ बेटा, रोज़ लेता है। नगर के सब लोगों ने मिलकर बारी बाँध ली है। जब जिसकी बारी आती है, तब वही यह सब सामान भेजता है।
भीम : तो अब समझ में आया। आज तुम्हारी बारी है। अरे! तो पहले ही क्यों न बता दिया था?
ब्राह्मण : सब लोग अपनी बारी भुगतते हैं। न भुगते तो वह राक्षस सारे नगर को उजाड़ दे। हज़ारों मनुष्यों को एक साथ खा जाए।
भीम : और जो कोई अपनी जगह दूसरा आदमी भेज दे?
ब्राह्मण : हाँ, भेज सकता है। उसे तो आदमी चाहिए। बहुत-से लोग ऐसा करते हैं।
कुन्ती : तो क्या यहाँ आदमी बिकते भी हैं?
ब्राह्मण : हाँ बहन, बिकते हैं। मेरे पास धन नहीं है। होता तो एक आदमी खरीदकर भेज देता।
भीम : बड़ी अजीब नगरी है यह! यहाँ आदमी बिकते हैं। मालूम होता है, यहाँ के आदमियों में आपस में प्रेम और एकता नहीं है।
कुन्ती : लेकिन, ऐसे तुम कब तक उस राक्षस का पेट भरते रहोगे?
ब्राह्मण : यह तो कोई सोचता ही नहीं। जब जिसकी बारी आती है तभी उसे ध्यान आता है। बस, रो-पीटकर कुछ दिनों में वह भी सब्र कर लेता है।
भीम : कब से ऐसा होता आ रहा है?
ब्राह्मण : पिछले चालीस वर्षों से।
भीम : (हँसकर) बड़े बहादुर हो तुम लोग! अरे! चालीस वर्षों में कोई एक भी आदमी ऐसा नहीं पैदा हुआ, जो उस राक्षस को पाठ पढ़ा सकता हो? अगर तुम हिम्मत करो तो उसे मार सकते हो।
कुन्ती : सुनो भाई, तुम चिन्ता मत करो। उठो, खाओ-पिओ। जाओ बहन, तुम रसोई में जाओ। और बेटी, तुम अपना काम देखो। कल तुममें से कोई नहीं जाएगा।
ब्राह्मण : क्या? क्या कहा तुमने बहन? हममें से कोई नहीं जाएगा?
कुन्ती : हाँ, तुममें से कोई नहीं जाएगा।
ब्राह्मण : तो कौन जाएगा?
कुन्ती : मेरा यह बेटा। मेरे तो पाँच बेटे हैं न?
ब्राह्मण : (तत्काल) नहीं, नहीं। यह नहीं हो सकता। हमारी बारी हो और तुम्हारा बेटा जाए।
कुन्ती : अब तुम चुप रहो ….. क्यों बेटा, तुम तैयार हो न?
भीम : तैयार? माँ, जब से बकासुर का नाम सुना है, मेरी भुजाएँ फड़क रही हैं। मेरे नेत्र उसे देखने को उतावले हो रहे हैं। वाह माँ! जहाँ हम रहे वहाँ बकासुर किसी को सता सकेगा?
कुन्ती : तुझसे यही आशा थी बेटा। (ब्राह्मणी से) सुना बहन, अब तुम रोना छोड़कर खुशी-खुशी काम में लग जाओ।
ब्राह्मणी : नहीं, नहीं बहन। यह कैसे हो सकता है? यह तो पाप है, तुम हमें….
कुन्ती : ओहो…. मेरे बेटे की बात सुनी? वह बड़ा वीर है, क्या पता राक्षस को मार डाले?
ब्राह्मण : राक्षस को मार डाले! बात तो तुम्हारी बहन, प्रिय लगती है।
ब्राह्मणी : तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है बहन, भगवान तुम्हारे बेटे की रक्षा करेगा।
लड़की : बुआ, बुआ, तुम कितनी अच्छी हो।
कुन्ती : (हँसती हुई) पगली, जा, रसोई में माँ की मदद कर। और भीम, तू जा, कल की तैयारी कर।
भीम : चलो माँ।
(वे तीनों एक ओर अन्दर तथा भीम और कुन्ती दूसरी ओर बाहर जाते हैं। परदा गिरता है।)
दूसरा दृश्य
(मंच पर जंगल का दृश्य। बकासुर का मकान दिखाई देता है, किले जैसा। परदा उठने पर भीम मस्ती में इधर-उधर घूमते दिखाई दे। भीम चिल्ला रहा है और बीच-बीच में अन्न के मुट्टे भर-भर फाँकता रहा है।)
भीम : हो-हो-हो हह्यया हो। (हँसना) ह्या हो, ह्या हो, ओ हो हो हह्यया हो।
(दो क्षण बाद बकासुर मकान से झाँकता है |)
बकासुर : हूँ, इस आदमी ने शोर मचाया। बड़ा अजीब आदमी है। डरने के बजाय हँसता है। देखता हूँ कौन है वह…
भीम : (अन्न खाकर) ए हा हा हा हा लाला ला ला, खाना खा, गाना गा।
बकासुर : ए, ए, तू कौन है? (कोई जवाब नहीं देता, तो वह सामने आता है) ऐ गधे, मैं तुझसे पूछता हूँ, तू कौन है? (कोई उत्तर नहीं) अरे दुष्ट, सुनता नहीं? (भीम उसी तरह चिल्लाता हुआ घूमता रहता है) अरे बदमाश, क्या तूने बकासुर का नाम नहीं सुना?
भीम : (एकदम) बकासुर। कहाँ है बकासुर?
बकासुर : मैं हूँ बकासुर। अब बता, तू मेरा भोजन क्यों खा रहा है?
भीम : तो तू है बकासुर? बड़ा झूठा है बे तू, मुझे बहकाता है। अबे, तू तो भैंस जैसा है।
बकासुर : ज़बान सँभालकर बोल। तू बकासुर से बातें कर रहा है? मेरी भैंसे कहाँ हैं?
भीम : एक तो तू है ही। एक मुझे समझ ले।
(अट्टहास)
बकासुर : ओ दुष्ट। तू ऐसे नहीं मानेगा। मैं अभी तुझे पानी पिलाता हूँ। साबूत न चबा गया तो बकासुर न कहना। आ तो
भीम : आने को क्या है? ले …. आ, कुश्ती लड़ेगा? आ लड़। (दोनों कुश्ती लड़ते हैं) शोर मत कर। अब बोल, दबाऊँ गला। (बकासुर चीखता है) चीखता क्यों है बे? चालीस साल से एक आदमी, दो भैंसे, एक गाड़ी अन्न, रोज़ खा रहा है। कहाँ हैं सब? निकाल। (मारता है।) अबे, सुनता है (बक चीखता है, भीम अट्टहास करता है।) अबे, चीखता क्यों है। चुप रह। मैं कहता हूँ, चुप रह। अबे, सुनता नहीं? (बक चीखता है। बड़ा ज़ोर लगाता है और उसकी आँखें फट जाती हैं।) तो ले। ज़ोर से धरती पर पटकता है) अभी तेरे दो टुकड़े किये देता। (चीर देता है, एक भयंकर चीख के साथ राक्षस मर जाता है। भीम अट्टहास करता है)
हा, हा, हा। मर गया। चींटी की तरह मर गया। वाह, बेटा ….
(उसी समय बड़े जोर का शोर उठता है। राक्षस लोग दौड़कर आते हैं। काँपते-काँपते भीम को देखते हैं।)
भीम : ओ। तुम बकासुर के सिपाही हो? खबरदार, जो अब शरारत की। रहना हो तो रहो, पर गाँववालों को तंग न करना, समझे? जाओ भागो, ले जाओ इस लाश को। (किसी की बोल नहीं निकलती। सभी भयातुर खड़े रहते हैं।) अबे, सुनते नहीं? लाश को उठाकर नगरी के दरवाज़े पर रख दो, जिसे सब गाँववाले देख लें।
एक राक्षस : (हकलाते हुए) जी…. जी…. अच्छा….
भीम : और आदमियों को मत खाना।
सभी राक्षस : जी… जी…. नहीं।
भीम : चलो, ले चलो उठाकर।
(वे डरते-डरते लाश उठाकर जाते हैं। भीम अन्न के फाँके मारता हुआ उनके पीछे-पीछे जाता है। परदा गिरता है।)
शब्दार्थ :
विपदा – मुसीबत,
रम जाना – मग्न होना,
पहेलियाँ बुझाना – घुमाव-फिराव की बात करना,
रखवाली – पहरेदारी, हिफाज़त
बारी – क्रमवार स्थिति
भुगतना – झेलना
उजाड़ना – बरबाद करना
अजीब – विचित्र, विलक्षण
सब्र – सहनशीलता, धीरज
उतावला – जल्दबाज़ी
फाँकना – मुँह में डालना,
बहकाना – चकमा देना, धोखा देना
ज़बान सँभालना – बोलने में उचित-अनुचित का विचार करना
साबूत – सब, समूचा
शरारत – दुष्टता, शैतानी
तंग करना – परेशान करना,
लाश – शव,
हकलाना – रुक रुककर बोलना।
मुहावरे :-
- पानी पिलाना – सबक़ सिखाना
- हिम्मत न हारना – अटल रहना
- भाग्य फूटना – बुरा होना
- आग बबूला होना – क्रोधित होना
- रो-पीटना – दुख से समय काटना
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- बकासुर कहाँ रहता था?
उत्तर – बकासुर एकचक्र नगरी में रहता था।
- भीम कौन था?
उत्तर – भीम माता कुंती का पुत्र था।
- राक्षस का नाम क्या था?
उत्तर – राक्षस का नाम बकासुर था।
- भीम ने बकासुर की लाश को कहाँ रखने के लिए कहा?
उत्तर – भीम ने बकासुर की लाश को नगरी के दरवाजे पर रखने के लिए कहा।
- कुंती के कितने बेटे थे?
उत्तर – कुंती के कुल पाँच बेटे थे।
- ‘भीम और राक्षस’ एकांकी के लेखक कौन हैं?
उत्तर – भीष्म साहनी जी ‘भीम और राक्षस’ एकांकी के लेखक हैं।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- ब्राह्मण के घर में सब लोग क्यों रो रहे थे?
उत्तर – राक्षसों का सरदार बकासुर एकचक्र नगरी की रक्षा करने के लिए प्रतिदिन लोगों से एक गाड़ी अन्न, दो भैंसे और एक आदमी आहार के रूप में लेता था। आज ब्राह्मण की बारी थी। उसके घर में सभी परेशान थे कि कौन उस बकासुर का भोजन बनेगा? यही तय करते हुए उस ब्राह्मण के घर में सब लोग रो रहे थे।
- बकासुर क्या काम करता था और उसके बदले में वह क्या लेता था?
उत्तर – राक्षस बकासुर एकचक्र नगरी के राजा को डरा-धमकाकर वहाँ पर अपना शासन पिछले चालीस वर्षों से कर रहा था। वह कहने मात्र के लिए उस नगरी की रक्षा करता था और बदले में प्रतिदिन गाँववासियों से एक गाड़ी अन्न, दो भैंसे और एक आदमी आहार के रूप में लेता था।
III. रिक्त स्थान भरिए :-
- “तुम चले गये तो घर का _________ ही चला जाएगा।”
उत्तर – सहारा
- “तुम. _________ बुझा रहे हो।”
उत्तर – पहेलियाँ
- “ _________ को अपने दुख से दुखी नहीं करना चाहिए।”
उत्तर – अतिथि
- “मैं अभी तुझे _________ पिलाता हूँ।”
उत्तर – पानी
- “अभी तेरे दो _________ किये देता हूँ।”
उत्तर – टुकड़े
IV.विलोम शब्द लिखिए :-
रोना – हँसना
अपराध – पुण्य, सदाचार
भक्षक – रक्षक
पास – दूर
शुद्ध – अशुद्ध
वीर – कायर
V. जोड़कर लिखिए :-
अ आ
- बक लड़ना
- भीम का घर
- युद्ध कुंती का पुत्र
- ब्राह्मण राक्षस
उत्तर –
अ आ
- बक राक्षस
- भीम कुंती का पुत्र
- युद्ध लड़ना
- ब्राह्मण का घर
VI. अन्य लिंग शब्द लिखिए :-
ब्राह्मण – ब्राह्मणी
बेटा – बेटी
अकेला – अकेली
पुतला – पुतली
VII. ‘भीम’ पाँच पांडवों में से एक है। बाकी चार पांडवों के नाम लिखिए :-
- युधिष्ठिर
- अर्जुन
- नकुल
- सहदेव
इसी प्रकार जानिये :-
पाँच तत्त्व – पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश
पाँच इंद्रिय – आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा (स्पर्श)
पाँच अमृत – दूध, दही, घी, शक्कर, शहद
VIII. इन वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए :-
उदाहरण –
- जो बलहीन हो – दुर्बल
- जिसके आने की कोई तिथि न हो – अतिथि
- जो रक्षा करता हो – रक्षक
- जिसके मन में दया न हो – निर्दयी
- जो शोक न करता हो – अशोक
- जो भारत में रहता हो – भारतीय
- गोद लिया हुआ – दत्तक
IX. कन्नड़ में अनुवाद कीजिए :-
- उसका पूरा नाम बकासुर है।
उत्तर – ಅವನ ಪೂರ್ಣ ಹೆಸರು ಬಕಾಸುರ.
His full name is Bakasura.
- इस नगरी का राजा बड़ा दुर्बल है।
उत्तर – ಈ ನಗರದ ರಾಜನು ಬಹಳ ದುರ್ಬಲನು.
The king of this city is very weak.
- भगवान तुम्हारे बेटे की रक्षा करेगा!
उत्तर – ಭಗವಾನ್ ನಿಮ್ಮ ಮಗನ ರಕ್ಷಣೆ ಮಾಡುವನು!
God will protect your son!
- बड़ा अजीब आदमी है।
उत्तर – ದೊಡ್ಡ ವಿಚಿತ್ರ ವ್ಯಕ್ತಿ.
A very strange man.
X.अनुरूपता :-
- सहदेव : माद्री का बेटा :: भीम : कुंती का बेटा
- भीम : मानव :: बकासुर : राक्षस
- अर्धनारीश्वर : उपन्यास :: आवारा मसीहा : जीवनी
- भाग्य फूटना : बुरा होना :: पाठ पढ़ाना : सबक सिखाना
भाषा ज्ञान
संबंधबोधक अव्यय :-
मकान के पास कुछ बोरे पड़े हैं।
चींटी की तरह मर गया।
उपर्युक्त वाक्यों में के पास और की तरह शब्द मकान एवं चींटी शब्दों का वाक्य के अन्य शब्दों के साथ संबन्ध सूचित कर रहे हैं।
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ जोड़ते हैं, वे ‘संबंधबोधक’ कहलाते हैं। संबंधबोधक के निम्नलिखित दस भेद हैं :-
- समतावाचक – की भाँति, के बराबर, के समान की तरह आदि
- विरोधवाचक – के विपरीत, के विरुद्ध, के खिलाफ आदि
- स्थानवाचक – के पास, से के नीचे, के भीतर आदि
- दिशावाचक – की ओर, के आस-पास, के सामने आदि
- तुलनावाचक – की तरह, की अपेक्षा आदि
- हेतुवाचक – के कारण, के लिए, की खातिर आदि
- कालवाचक – से पहले, के बाद, के पश्चात् आदि
- पृथक्वाचक – से अलग, से दूर, से हटकर आदि
- साधनवाचक – के द्वारा, के माध्यम, के सहारे आदि
- संगवाचक – के साथ, के संग, समेत आदि
I. निम्नलिखित वाक्यों में से संबंधबोधक शब्द छाँटकर लिखिए :-
- मुझे अंगूर की अपेक्षा खजूर पसंद है।
उत्तर – की अपेक्षा
- पड़ोसी के घर के बाहर भीड़ लगी है।
उत्तर – के बाहर
- नदी के पास साधु की कुटिया थी।
उत्तर – के पास
- गायों के संग कृष्ण वन में जाते थे।
उत्तर – के संग
- अन्याय के विरूद्ध जनता ने आंदोलन किया।
उत्तर – के विरूद्ध
II. रिक्त स्थानों में उचित संबंधबोधक भरिए :-
उदाहरण : रस्सी के ऊपर कपड़े सूख रहे हैं।
- पैसों के लिए भिखारी तरस रहा था।
- कुएँ के भीतर मेंढ़क उछल रहा है।
- मुकेश की ओर कोई चला आ रहा है।
- चोर, पुलिस के द्वारा पकड़ा गया।
- पेड़ से अलग फल पड़ा है।
III. निम्नलिखित संबंधबोधक शब्दों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए :-
- की तरह – रमा की तरह उसकी बहन भी पढ़ाई-लिखाई में तेज़ है।
- से दूर – उसका घर शहर से दूर किसी गाँव में हैं।
- के कारण – वर्षा के कारण आज कोई नहीं आया।
- के समान – सुधीर के समान गाने वाला और कोई नहीं है।
- के साथ – रमेश के साथ उसका चचेरा भाई भी आ रहा है।
IV. इन वाक्यों को पढ़कर संबंधबोधक शब्दों को रेखांकित कर भेदों के नाम लिखिए :-
- राधा अपने पिता के संग चल रही थी।
उत्तर – के संग – संगवाचक
- चिड़िया पेड़ के ऊपर बैठी है।
उत्तर – के ऊपर – स्थानवाचक
- अन्याय के विरुद्ध हमें लड़ना है।
उत्तर – के विरुद्ध – विरोधवाचक
- मुझे माँ के खातिर खाना पड़ेगा।
उत्तर – के खातिर – हेतुवाचक
- शिक्षा के माध्यम से हमें ज्ञान बाँटना है।
उत्तर – के माध्यम – साधनवाचक
अध्यापन संकेत :-
* भीम और बकासुर के संवाद को पात्राभिनय के द्वारा प्रस्तुत करवाएँ।
उत्तर – शिक्षक छात्रों की मदद से इसे करें।
* ‘भीम और राक्षस’ एकांकी को कहानी के रूप में लिखवाएँ।
उत्तर – उत्तर – शिक्षक छात्रों की मदद से इसे करें।
* महाभारत के प्रमुख पात्रों के नाम से छात्रों को परिचित कराएँ।
उत्तर – महाभारत में कई प्रमुख पात्र हैं, जिन्हें मुख्य रूप से पाँच वर्गों में बाँटा जा सकता है: कौरव, पांडव, भगवान, गुरु, और अन्य महत्त्वपूर्ण पात्र।
पांडव पक्ष –
युधिष्ठिर – धर्मराज, सबसे बड़े पांडव।
भीम – बलशाली, गदाधारी पांडव।
अर्जुन – महान धनुर्धर, श्रीकृष्ण के भक्त।
नकुल – अश्वविद्या (घुड़सवारी) में निपुण।
सहदेव – ज्योतिष में निपुण, सबसे छोटे पांडव।
द्रौपदी – पांचाल की राजकुमारी, पाँचों पांडवों की पत्नी।
कुंती – पांडवों की माता।
अभिमन्यु – अर्जुन का वीर पुत्र।
घटोत्कच – भीम और हिडिंबा का पुत्र।
कौरव पक्ष –
दुर्योधन – कौरवों का सबसे बड़ा राजकुमार।
दुःशासन – दुर्योधन का भाई, जिसने द्रौपदी का चीरहरण किया।
शकुनि – गांधार का राजा, कौरवों का कूटनीतिज्ञ मामा।
गांधारी – कौरवों की माता, धृतराष्ट्र की पत्नी।
धृतराष्ट्र – अंधे महाराज, कौरवों के पिता।
भगवान और दिव्य हस्तियाँ –
श्रीकृष्ण – अर्जुन के सारथी, विष्णु के अवतार।
बलराम – श्रीकृष्ण के भाई, गदा युद्ध के गुरु।
हनुमान – भीम के भाई और रामायण कालीन देवता।
गुरु और आचार्य –
द्रोणाचार्य – कौरव और पांडवों के गुरु।
कृपाचार्य – कौरवों के कुलगुरु।
भीष्म पितामह – महाभारत के सबसे बड़े योद्धा, प्रतिज्ञावान महायोद्धा।
अन्य महत्त्वपूर्ण पात्र –
विदुर – धृतराष्ट्र के मंत्री और नीतिशास्त्र के ज्ञाता।
कर्ण – दानवीर, कुंती पुत्र, कौरवों के पक्ष में।
अश्वत्थामा – द्रोणाचार्य का पुत्र, चिरंजीवी।
सत्यवती – हस्तिनापुर की महारानी, भीष्म की सौतेली माता।
शिखंडी – अम्बा का पुनर्जन्म, जिसने भीष्म का वध करवाया।
विशेष रूप से याद रखने योग्य –
यक्ष प्रश्न (यक्षराज) – जिसने युधिष्ठिर से धर्मपरक प्रश्न पूछे।
उलूपी, सुभद्रा, चित्रांगदा – अर्जुन की पत्नियाँ।