शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी का जन्म 5 अगस्त सन् 1915 को उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव जिले के झगरपुर गाँव में हुआ। बनारस हिंदू विश्व विद्यालय से इन्होंने स्नातकोत्तर एवं पीएच. डी की उपाधि प्राप्त की। भागलपुर विश्वविद्यालय से इन्होंने डी. लिट् की उपाधि भी प्राप्त की। इसी वर्ष उनको ‘पद्मश्री’ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। ‘सुमन’ जी ‘पद्मभूषण’, देव पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, शिखर सम्मान, भारत-भारती आदि पुरस्कारों से सुशोभित हैं। ऐसे श्रेष्ठ साहित्यकार का निधन 27 नवेंबर 2002 में हृदयगति रुक जाने के कारण हुआ।
प्रमुख रचनाएँ – युग का मोल, प्रलय सृजन, विद्या – हिमालय, वाणी की व्यथा, उद्यम और विकास (गीति काव्य) प्रकृति – पुरुष, कालीदास (नाटक) आदि हैं। 1974 में इनकी कृति ‘मिट्टी की बारात’ पर साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला।
बच्चे इस कविता के द्वारा यह सीखते हैं कि जीवन के सफर में अनेक रुकावटें आती हैं और उनका सामना करते हुए लक्ष्य प्राप्ति तक कदम बढ़ानेवाला व्यक्ति आदरणीय होता है।
चलना हमारा काम है
चलना हमारा काम है
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंजिल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है,
चलना हमारा काम है।
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ
न कुछ रोड़ा अटकता ही रहा
पर हो निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
कुछ साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए,
पर गति न जीवन की रुकी
जो गिर गए सो गिर गए
जो रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है।
चलना हमारा काम है – व्याख्या सहित
01
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंजिल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है,
चलना हमारा काम है।
व्याख्या – कविता की इन पंक्तियों में कवि द्वारा आगे बढ़ने और निरंतर प्रयास करने की प्रेरणा दी गई है। कवि कहते हैं कि जब पैरों में इतनी प्रबल गति भरी है, यानी व्यक्ति में आगे बढ़ने की शक्ति और क्षमता है, तो फिर रुका रहना या दर-दर खड़ा रहना व्यर्थ है। कवि बताते हैं कि जब जीवन में इतने अवसर (रास्ते) खुले हुए हैं, तो हमें उन पर चलने से पीछे नहीं हटना चाहिए। अगर हमारे सामने इतना बड़ा मार्ग पड़ा है, तो हमें उसे अपनाना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए। कवि कहते हैं कि जब तक मंजिल नहीं मिलती, तब तक आराम करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। इसका अर्थ है कि जीवन में सफलता पाने के लिए लगातार परिश्रम और संघर्ष आवश्यक है। अंतिम पंक्ति “चलना हमारा काम है” इस बात को दर्शाती है कि प्रगति ही जीवन का सार है। ठहराव या आलस्य से कुछ नहीं मिलेगा, बल्कि हमें निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
विशेष –
यह कविता हमें मेहनत, निरंतरता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की सीख देती है। जीवन में जो भी लक्ष्य हो, उसे पाने के लिए हमें बिना रुके, बिना थके प्रयास करते रहना चाहिए।
02
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ
न कुछ रोड़ा अटकता ही रहा
पर हो निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
व्याख्या – कविता की इन पंक्तियों में जीवन के संघर्ष, पूर्णता की खोज और निरंतर प्रयास का संदेश दिया गया है। कवि कहते हैं कि वे पूर्णता (perfection) की तलाश में दर-दर भटकते रहे, यानी जीवन में कुछ उत्कृष्ट और संपूर्ण पाने की कोशिश करते रहे। यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि वह हमेशा बेहतर और पूर्ण बनने की चाह रखता है। हर कदम पर कोई न कोई रोड़ा (अड़चन) अटकता रहा, यानी जीवन में चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ लगातार आती रहीं। यह दर्शाता है कि सफलता और पूर्णता की राह कभी आसान नहीं होती। कवि स्वयं को और पाठकों को यह संदेश देते हैं कि निराश क्यों हों? क्योंकि जीवन का स्वभाव ही संघर्षमय है। कठिनाइयाँ आना स्वाभाविक है, लेकिन हमें उनसे घबराना नहीं चाहिए। कविता के अंतिम पंक्तियाँ “जीवन इसी का नाम है, चलना हमारा काम है।” यह बताती हैं कि जीवन का सार निरंतर आगे बढ़ने में है। संघर्ष और कठिनाइयाँ ही जीवन को मूल्यवान बनाती हैं। मनुष्य का कर्तव्य है कि वह चलते रहे, बिना रुके, बिना थके।
विशेष –
इस कविता का सार यह है कि पूर्णता एक अंतहीन यात्रा है और जीवन में बाधाएँ आना स्वाभाविक है। लेकिन हमें इनसे निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए क्योंकि यही जीवन का असली अर्थ है।
03
कुछ साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए,
पर गति न जीवन की रुकी
जो गिर गए सो गिर गए
जो रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है।
व्याख्या – कविता की इन पंक्तियों में जीवन की यात्रा, संघर्ष, साथियों का बिछड़ना और सफलता की निरंतरता का गहरा संदेश दिया गया है। कवि कहते हैं कि जीवन की राह में कुछ लोग साथ चलते रहे, यानी कुछ लोग हमारे जीवन में आते हैं, हमारे साथ संघर्ष करते हैं और हमारे सफर का हिस्सा बनते हैं लेकिन कुछ लोग बीच रास्ते में ही छोड़कर चले जाते हैं, यानी कुछ साथी परिस्थितियों, कठिनाइयों या अपनी इच्छाओं के कारण साथ नहीं निभा पाते। चाहे कोई साथ रहे या छोड़ दे, लेकिन जीवन की गति कभी नहीं रुकती। जो लोग गिर गए (असफल हो गए, हार मान गए), वे वहीं रुक गए, लेकिन इससे जीवन या सफलता की यात्रा प्रभावित नहीं होती। जो व्यक्ति हरदम डटे रहते हैं, संघर्ष करते रहते हैं, अंततः सफलता उन्हीं के कदम चूमती है। लगातार प्रयास करने वालों को ही सच्ची और सुंदर सफलता मिलती है। कविता की अंतिम पंक्ति “चलना हमारा काम है।” यही जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण संदेश देती है। इसका अर्थ यह है कि हमारा कर्तव्य बिना रुके, बिना थके, बिना हार माने आगे बढ़ते रहना है, क्योंकि जीवन का असली अर्थ निरंतर प्रयास में ही छिपा है।
विशेष –
यह कविता हमें सिखाती है कि जीवन की राह में लोग आते-जाते रहते हैं, कुछ साथ छोड़ देते हैं, कुछ रुक जाते हैं, लेकिन असली सफलता उन्हें मिलती है जो कभी हार नहीं मानते और निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं। जीवन का मूल मंत्र यही है— चलते रहो, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
शब्दार्थ :
रास्ता – मार्ग
गति – चाल
पैर – पाँव,
दर – द्वार
मंजिल – लक्ष्य
विराम – विश्रांति, आराम
खोज – शोध, ढूँढ़
पग – कदम
रोड़ा – ईंट या पत्थर का बड़ा ढेला, बाधाएँ
अटकता रहना – रोकना, उलझाना
अभिराम – सुन्दर, मनोहर।
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- पैरों में कैसी गति भरी है?
उत्तर – कवि के पैरों में प्रबल गति भरी हुई है।
- कवि के अनुसार कब तक विराम नहीं है?
उत्तर – कवि के अनुसार मंजिल अर्थात् लक्ष्य के न मिल जाने तक विराम नहीं है।
- हमारा काम क्या है?
उत्तर – निरंतर हमारे लक्ष्य की ओर चलते रहना ही हमारा काम है।
- कवि किसकी खोज में भटक रहे हैं?
उत्तर – कवि पूर्णता की खोज में दर-दर भटक रहे हैं।
- प्रत्येक पग पर क्या अटकता रहा है?
उत्तर – प्रत्येक पग पर रोड़ा अर्थात् मंजिल के मार्ग में आने वाली रुकावटें आती रहती हैं।
- किसकी गति रुकी नहीं है?
उत्तर – इस सृष्टि अर्थात् जीवन की गति कभी रुकती नहीं है।
- ‘चलना हमारा काम है’ के कवि कौन हैं?
उत्तर – ‘चलना हमारा काम है’ के कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी हैं।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- ‘आज मेरे सामने है रास्ता इतना पड़ा’ पंक्ति का आशय क्या है?
उत्तर – इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि आज मेरे जीवन में मुझे माता-पिता के रूप में इतनी सहूलियत मिल रही है कि मुझे मेरे लक्ष्य का मार्ग साफ दिखाई पड़ रहा है। यह मेरा भी प्रथम कर्तव्य है कि मैं अपने लक्ष्य की ओर बढ़ूँ और अपने साथ अपने परिवारवाले के सपने भी पूरे करूँ।
- कविता की अंतिम पंक्तियों में कवि ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर – कविता की अंतिम पंक्तियों में कवि ने महत्त्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा है कि हमारा कर्तव्य बिना रुके, बिना थके, बिना हार माने आगे बढ़ते रहना है। जीवन में हमारे साथ बहुत-से लोग साथ चलते हैं जिनमें से कुछ रुक भी जाते हैं पर जीवन अपनी गति से बढ़ता ही रहता है। अतः, जीवन का असली अर्थ निरंतर प्रयास में ही छिपा है।
III. तुकांत शब्दों को पहचानकर लिखिए :-
- खड़ा – पड़ा
- विराम – काम
- काम – नाम
- अभिराम – काम
IV. निम्नलिखित पंक्तियों को सही शब्दों से भरिए :-
- फिर क्यों रहूँ ______ खड़ा
उत्तर – दर-दर
- तब तक ______ है
उत्तर – मुझे न विराम
- कुछ ______ से फिर गए
उत्तर – बीच ही
- जो गिर गए ______ गए
उत्तर – सो गिर
V. उचित विलोम शब्दों को छाँटकर लिखिए :-
- विराम X अविराम
- पूर्णता X अपूर्णता
- निराशा X आशा
- सफलता X असफलता
- सामने X पीछे
- जन्म X मरण
VI. विशेषण शब्दो के साथ ‘ता’ प्रत्यय जुड़ने से भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं। कविता में ‘पूर्णता’ ‘सफलता’ शब्दों में ‘ता’ प्रत्यय जुड़ा है, ऐसे ‘ता’ प्रत्यय से जुड़े 5 शब्दों की सूची बनाइए : उदाहरण : सुंदर + ता = सुंदरता
1 समान + ता = समानता
2 योग्य + ता = योग्यता
3 महान + ता = महानता
4 एक + ता = एकता
5 दृढ़ + ता = दृढ़ता
VII. इस कविता की प्रथम सात पंक्तियों को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर – छात्र इसे अपने स्तर पर करें।
VIII. भावार्थ लिखिए :-
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोड़ा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
उत्तर – इस कविता का भावार्थ यह है कि पूर्णता एक अंतहीन यात्रा है, यह निरंतर प्रयास से ही प्राप्य है। दूसरी ओर जीवन में बाधाएँ, अड़चनें या मुश्किलों का आना स्वाभाविक है। लेकिन हमें इनसे निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए क्योंकि यही जीवन का असली अर्थ है।
IX. अनुरूपता :-
- जन्म : मरण :: बहुत : कम
- चलना : चलाना :: गिरना : गिराना
- पैर : पाँव :: सड़क : बाट
- रोड़ा : संज्ञा शब्द :: भटकना : क्रिया शब्द
X. पाठ में ‘ना जी ना’ शब्द का प्रयोग हुआ है। यह नकारात्मक भाव को सूचित करता है। वैसे ही ‘हाँ जी हाँ’ शब्द सकारात्मक भाव को सूचित करता है। निम्नलिखित तालिका में कुछ वाक्य दिये गये हैं, उनके सामने सोचकर इन शब्दों को लिखिए:
क्र.सं. वाक्य आप क्या कहते है।
- मैं पुस्तक पढ़ना चाहता हूँ। – हाँ जी हाँ
- मैं दूसरों की निंदा करता हूँ। – ना जी ना
- पर्यावरण की रक्षा करना चाहिए। – हाँ जी हाँ
- पेड़ हमारे मित्र हैं। – हाँ जी हाँ
- परीक्षा में नकल करना है। – ना जी ना
- माता-पिता की बात माननी है। – हाँ जी हाँ
- गुरुजनों का आदर करना है। – हाँ जी हाँ
X.अनुरूपता :-
- दो-चार : शब्द युग्म :: अपने-अपने : दिवरुक्ति शब्द
- काका : काकी :: चाचा : चाची
- माफ़ : नुक्ता शब्द :: मंडी : अनुस्वार
- हे भगवान! : विस्मयबोधक :: कौन? : प्रश्नवाचक
कविता से आगे –
इस कविता का शीर्षक ‘चलना हमारा काम है’ के बदले और क्या हो सकता है सोचकर उचित शीर्षक का चयन करें।
उत्तर – इस कविता का शीर्षक ‘चलना हमारा काम है’ के बदले ‘जीवन में प्रगति’ हो सकता है क्योंकि यह कविता जीवन में प्रगति और उन्नति के उद्देश्य को ही सूचित करते हैं।
* नीचे कुछ शब्द दिये गये हैं। उनकी सहायता से बच्चों से एक छोटी कविता लिखवाने की कोशिश करें या स्वयं कविता लिखकर छात्रों से वाचन करवाएँ।
नाम
मान
जहान
महान
शान
प्यारा
न्यारा
कठोर
ठोकर
सारा
मति
क्षति
गति
उन्नति
प्रगति
उत्तर – महान नाम की राह में
नाम कमाने चला जहाँ में, लेकर दिल में सच्ची शान,
संघर्षों की ठोकर खाकर, बढ़ता जाए वही बने महान।
प्यारा लगे उसे हर सपना, न्यारा हो उसका अरमान,
कठोर राह भी हँसकर चलते, न हो मन में कोई थकान।
गति रहे उसके कर्मों में, उन्नति की राह हो सारा,
सुमति से आगे बढ़े निरंतर, मिले न जीवन में क्षति दोबारा।
प्रगति की रोशनी से चमके, ऐसा हो उसका जहान,
नाम रहेगा सदा अमर यह, होगा दुनिया में सम्मान।
* जीवन मूल्यों से संबंधित 10 गुणों की सूची बच्चों से बनवाकर कक्षा में टँगवाएँ।
उत्तर – यहाँ जीवन मूल्यों से संबंधित 10 महत्त्वपूर्ण गुणों की सूची दी गई है:
ईमानदारी (Honesty) – सच्चाई बोलना और अपने कार्यों में ईमानदार रहना।
समानता (Equality) – सभी व्यक्तियों को समान अधिकार और अवसर देना।
संवेदनशीलता (Compassion) – दूसरों की समस्याओं और दुखों के प्रति समझ और सहानुभूति दिखाना।
सम्मान (Respect) – हर व्यक्ति की इज्जत करना और उनकी भावनाओं का आदर करना।
सहनशीलता (Patience) – कठिन परिस्थितियों में शांत रहना और धैर्य बनाए रखना।
कड़ी मेहनत (Hard Work) – अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार मेहनत करना।
कर्तव्यनिष्ठा (Responsibility) – अपने कर्तव्यों और कार्यों को गंभीरता से निभाना।
दया (Kindness) – दूसरों के साथ अच्छे और सहायक व्यवहार करना।
आत्म-नियंत्रण (Self-Discipline) – अपनी इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण रखना।
सकारात्मकता (Positivity) – जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखना, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
ये गुण व्यक्ति को बेहतर इंसान बनाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करते हैं।