कवि डॉ. परशुराम शुक्ल जी का जन्म जून 6, 1947 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था। आप प्रसिद्ध बाल साहित्यकार हैं। ‘भारतीय वन्यजीव’ कृति पर आपको पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इसके अलावा समाज कल्याण मंत्रालय, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली से आपको सम्मानित किया गया है। हिंदी अकादमी, हैदराबाद सहित अनेक संस्थाओं द्वारा आप पुरस्कृत हैं।
परिसर के बिना मानव का जीवन असंभव है। शुद्ध पर्यावरण जीव-जगत् के लिए आवश्यक है। आजकल जल, वायु और ध्वनि का प्रदूषण निरंतर बढ़ते जाने के कारण परिसर का संतुलन बिगड़ रहा है। इसलिए पर्यावरण की रक्षा करना सबका आय कर्तव्य है। प्रस्तुत कविता में शुक्ल जी ने इस ज्वलंत समस्या की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है।
पर्यावरण बचाओ
आज समय की माँग यही है,
पर्यावरण बचाओ।
तब तक जीव है जगत में,
जब तक जग में पानी।
जब तक वायु शुद्ध रहती है,
सोंधी मिट्टी रानी।
तब तक मानव का जीवन है,
यह सबको समझाओ।
ध्वनि, मिट्टी, जलवायु आदि,
जीव जगत के मित्र सभी।
इनकी रक्षा करना,
अब कर्तव्य हमारा।
शोर और मिट्टी का संकट,
दूर करेंगे सारा।
एक वृक्ष यदि कट जाय तो,
ग्यारह वृक्ष लगाओ।
एक वृक्ष हम नित रोपेंगे,
आज शपथ यह खाओ।
आज समय की माँग यही है,
पर्यावरण बचाओ।
पर्यावरण बचाओ – व्याख्या सहित
01
आज समय की माँग यही है,
पर्यावरण बचाओ।
तब तक जीव है जगत में,
जब तक जग में पानी।
व्याख्या – इन पंक्तियों का अर्थ है कि वर्तमान समय में पर्यावरण की रक्षा करना हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है। बढ़ते प्रदूषण, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के कारण हमारा पर्यावरण संकट में है। यदि हम इसे नहीं बचाते, तो भविष्य में जीवन कठिन हो जाएगा। इस धरती पर पानी जीवन का आधार है। जब तक पृथ्वी पर जल उपलब्ध है, तब तक जीवन संभव है। जल के बिना न तो मनुष्य, न ही पशु-पक्षी और न ही पेड़-पौधे जीवित रह सकते हैं। इसलिए हमें जल संरक्षण पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए यह अमूल्य संसाधन सुरक्षित रहे।
02
जब तक वायु शुद्ध रहती है,
सोंधी मिट्टी रानी।
तब तक मानव का जीवन है,
यह सबको समझाओ।
व्याख्या – इन पंक्तियों का अर्थ है कि जब तक हवा शुद्ध और स्वच्छ रहती है, तब तक धरती भी स्वस्थ और समृद्ध रहती है। शुद्ध वायु से पर्यावरण संतुलित रहता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। प्रदूषण मुक्त हवा से पेड़-पौधे अच्छी तरह बढ़ते हैं और धरती की प्राकृतिक सुगंध बनी रहती है। अतः उपजाऊ और स्वस्थ मिट्टी, जो तभी बनी रहती है जब वायु प्रदूषण न हो। कवि आगे कहते हैं कि मानव का जीवन भी तभी तक सुरक्षित है, जब तक पर्यावरण शुद्ध और संतुलित है। यदि वायु प्रदूषित होगी, तो साँस लेने में दिक्कत होगी और कई बीमारियाँ फैलेंगी। पर्यावरण असंतुलित होने पर कृषि, जल स्रोत और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होगा, जिससे मानव जीवन संकट में आ जाएगा। इसलिए, सभी को यह समझाने और जागरूक करने की जरूरत है कि प्रकृति की सुरक्षा ही जीवन की सुरक्षा है।
03
ध्वनि, मिट्टी, जलवायु आदि,
जीव जगत के मित्र सभी।
इनकी रक्षा करना,
अब कर्तव्य हमारा।
व्याख्या – इन पंक्तियों का अर्थ है कि संतुलित ध्वनि स्तर, मिट्टी, जलवायु और अन्य प्राकृतिक तत्त्व सभी जीवों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। यदि ध्वनि प्रदूषण नियंत्रित रहे, तो मानव और पशु-पक्षियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अत्यधिक शोर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। उपजाऊ मिट्टी के बिना भोजन उत्पादन संभव नहीं है, इसलिए प्रकृति को प्रदूषण और कटाव से बचाना आवश्यक है। संतुलित जलवायु ही जीवन को अनुकूल बनाती है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। इन सभी प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना अब हमारा नैतिक और सामाजिक कर्तव्य बन चुका है। यदि हम इन संसाधनों की सुरक्षा नहीं करेंगे, तो पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा और इसका बुरा असर पूरे जीव जगत पर पड़ेगा।
04
शोर और मिट्टी का संकट,
दूर करेंगे सारा।
एक वृक्ष यदि कट जाय तो,
ग्यारह वृक्ष लगाओ।
व्याख्या – इन पंक्तियों का अर्थ है कि हम सामूहिक रूप से ध्वनि प्रदूषण और मिट्टी की समस्या को हल करने के लिए प्रयास करेंगे। लगातार बढ़ती वाहनों की आवाज़, लाउडस्पीकर, औद्योगिक मशीनें आदि ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाते हैं, जिससे मानव और जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अत्यधिक वनों की कटाई, रासायनिक खेती और प्रदूषण से मिट्टी की उर्वरता नष्ट हो रही है। यदि इसे रोका नहीं गया, तो भविष्य में कृषि संकट का सामना करना पड़ेगा। इसलिए, हमें ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे शोर और मिट्टी के संकट को दूर किया जा सके, जैसे ध्वनि नियंत्रण और सतत् कृषि पद्धतियों का उपयोग। कवि यह भी कहते हैं कि यदि किसी कारणवश एक पेड़ काटना भी पड़े, तो उसकी भरपाई के लिए कम से कम ग्यारह नए पेड़ लगाएँ। वृक्ष हमारे जीवन का आधार हैं, वे ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जलवायु संतुलन बनाए रखते हैं और मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं।
05
एक वृक्ष हम नित रोपेंगे,
आज शपथ यह खाओ।
आज समय की माँग यही है,
पर्यावरण बचाओ।
व्याख्या – इन पंक्तियों का अर्थ है कि हमें हर दिन एक नया वृक्ष लगाने का संकल्प लेना चाहिए। पेड़ हमारे पर्यावरण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, वे हमें ऑक्सीजन देते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं, और जलवायु को संतुलित रखते हैं। यदि हम सभी यह शपथ लें कि हर दिन एक पेड़ लगाएंगे, तो पृथ्वी को हरा-भरा बनाया जा सकता है और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। आज के समय में सबसे बड़ी आवश्यकता पर्यावरण की रक्षा करना है। बढ़ते प्रदूषण, वनों की कटाई, जल संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है। यदि हमने समय रहते पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में हमें भयानक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
शब्दार्थ :
माँग – चाह, याचना, आवश्यकता
सोंधी मिट्टी – सुगंधित, खुशबूदार मिट्टी
मौसम – Climate, जलवायु
शोर – कोलाहल, ऊँची और तीखी आवाज़
रोपना – जमीन में पौधा या बीज लगाना,
शपथ – वादा, प्रतिज्ञा।
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- आज किसको बचाने की माँग है?
उत्तर – आज पर्यावरण को बचाने की माँग की जा रही है।
- जीव कब तक जगत में रह सकता है?
उत्तर – जब तक इस जगत में शुद्ध जल और हवा है, तब तक जीव इस जगत में रह सकता है।
- कवि किसको शुद्ध रखने की बात करते हैं?
उत्तर – कवि वायु को शुद्ध रखने की बात करते हैं।
- सोंधी मिट्टी को क्या कहा गया है?
उत्तर – सोंधी मिट्टी को रानी कहा गया है।
- जीव जगत के मित्र कौन-कौन हैं?
उत्तर – ध्वनि, मिट्टी और जलवायु जीव जगत के मित्र हैं।
- कवि किसका संकट दूर करने की बात करते हैं?
उत्तर – कवि शोर और मिट्टी के संकट दूर करने की बात करते हैं।
- कवि एक वृक्ष के बदले में कितने वृक्ष लगाने को कहते हैं?
उत्तर – कवि एक वृक्ष के बदले में ग्यारह वृक्ष लगाने को कहते हैं।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- पर्यावरण का महत्त्व समझाइए।
उत्तर – हम चारों ओर से जिन प्राकृतिक उपादानों से घिरे हुए हैं उसे ही पर्यावरण कहते हैं। यह पर्यावरण ही हमें जीवित रखे हुए हैं। लेकिन आज मानव समुदायों के स्वार्थ के कारण यह पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इसलिए यह हमारा नैतिक और सामाजिक कर्तव्य है कि हम इस पर्यावरण की रक्षा करें।
- परिसर की रक्षा के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए?
उत्तर – परिसर की रक्षा के लिए हमें अधिकाधिक पौधे लगाने चाहिए और उसके वृक्ष बनने तक देखभाल करनी चाहिए। रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती का अनुसरण करना चाहिए। पानी का अधिकतम सदुपयोग करना चाहिए।
III. जोड़कर लिखिए :-
- जग में – नित रोपेंगे
- मिट्टी – खाओ
- मानव का – माँग
- एक वृक्ष – जीवन
- शपथ – रानी
- समय की – पानी
उत्तर – 1. जग में – पानी
- मिट्टी – रानी
- मानव का – जीवन
- एक वृक्ष – नित रोपेंगे
- शपथ – खाओ
- समय की – माँग
IV.सही शब्दों से रिक्त स्थान भरिए:
- आज समय की _________ यही है पर्यावरण बचाओ।
उत्तर – माँग
- _________ और _________ का संकट दूर करेंगे सारा।
उत्तर – शोर, मिट्टी
- ध्वनि, मिट्टी, _________ आदि जीव जगत के मित्र सभी।
उत्तर – जलवायु
- एक _________ हम नित रोंपेंगे।
उत्तर – वृक्ष
V.भावार्थ लिखिए :-
ध्वनि, मिट्टी, जलवायु आदि
जीव जगत के मित्र सभी।
इनकी रक्षा करना,
अब कर्तव्य हमारा।
शोर और मिट्टी का संकट,
दूर करेंगे सारा।
उत्तर – इन पंक्तियों का अर्थ है कि संतुलित ध्वनि स्तर, मिट्टी, जलवायु और अन्य प्राकृतिक तत्त्व सभी जीवों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। इनका अस्तित्व ही हमारा अस्तित्व निर्धारित करता है। यदि इन प्राकृतिक तत्त्वों में किसी भी प्रकार का कोई संकट आता है तो यह हम सबके लिए घातक साबित होगा। इसलिए प्रकृति को प्रदूषण और कटाव से बचाना आवश्यक है। इन सभी प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना अब हमारा नैतिक और सामाजिक कर्तव्य बन चुका है। लगातार बढ़ती वाहनों की आवाज़, लाउडस्पीकर, औद्योगिक मशीनें आदि ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाते हैं और अत्यधिक वनों की कटाई, रासायनिक खेती और प्रदूषण से मिट्टी की उर्वरता नष्ट होती है। हमें इन संकटों को भी दूर करने के लिए चेष्टित रहना है।
VI. निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए :-
जिव, वायू, पनी, कतर्वय, मनव
- जीव
- वायु
- पानी
- कर्तव्य
- मानव
VII. पशु-पक्षी मानव के मित्र हैं। निम्नलिखित तालिका में 10 पालतू जानवर तथा 10 पक्षियों के नाम लिखिए :-
पालतू जानवर
कुत्ता
बिल्ली
गाय
भैंस
बकरी
घोड़ा
खरगोश
हाथी (कुछ स्थानों पर पालतू बनाया जाता है)
ऊँट
गधा
पक्षियों के नाम
तोता
कबूतर
मोर
मुर्गी
कौआ
बाज
चील
बुलबुल
बतख
हंस
VIII. निम्नलिखित तालिका में कुछ पेड़-पौधे और फूलों के नाम दिये गए हैं। उन्हें अलग करके लिखिए :-
पेड़ – पौधे
- तुलसी
- पीपल
- बरगद
- नारियल
- नीम
- साल
फूल
- चमेली
- गेंदा
- सूरजमुखी
- गुलाब
- चंपा
- औदंबर
IX. उदाहरण के अनुसार पर्यायवाची शब्द लिखिए :-
उदाहरण : पानी – जल, नीर, उदक
- वायु – पवन, समीर, अनिल
- जगत – जग, दुनिया, संसार
X.अनुरूपता :-
- पानी : जल :: वायु : हवा
- मेरा : हमारा :: तेरा : तुम्हारा
- 11 : ग्यारह :: 17 : सत्रह
- सजीव : निर्जीव :: जन्म : मृत्यु
अध्यापन संकेत :-
* वन महोत्सव के बारे में छोटा लेख लिखवाएँ।
उत्तर – वन महोत्सव भारत में प्रतिवर्ष 1 से 7 जुलाई के बीच मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1950 में भारत के तत्कालीन कृषि मंत्री के.एम. मुंशी ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इस सप्ताह के दौरान विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठन, स्कूल, कॉलेज और समाजसेवी संस्थाएँ पेड़ लगाने, जंगलों की सुरक्षा और वनों के महत्त्व पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं। वृक्षारोपण से न केवल जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, बल्कि यह जैव विविधता को भी बनाए रखता है। वन महोत्सव हमें यह सिखाता है कि हरे-भरे जंगल हमारे जीवन के लिए अनमोल हैं और हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाकर धरती को हरा-भरा बनाना चाहिए।
* वृक्षप्रेमी तिम्मक्का के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए छात्रों को प्रेरित करें।
उत्तर – वृक्षप्रेमी तिम्मक्का : पर्यावरण की सच्ची सेविका
सालुमरदा तिम्मक्का कर्नाटक की एक प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी हैं, जिन्होंने बिना किसी औपचारिक शिक्षा के वृक्षारोपण को अपना जीवन समर्पित किया। वे कर्नाटक के तुमकुर जिले में जन्मी एक साधारण ग्रामीण महिला हैं, लेकिन उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प और मेहनत से पर्यावरण संरक्षण का महान कार्य किया।
वृक्षारोपण की प्रेरणादायक कहानी
तिम्मक्का और उनके पति को संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने पेड़ों को ही अपनी संतान मानकर 285 से अधिक बरगद के पेड़ लगाए और उनकी देखभाल की। उन्होंने कर्नाटक के हुलीकल और कुडूर गाँवों के बीच चार किलोमीटर लंबी सड़क के किनारे इन पेड़ों को रोपित किया।
सम्मान और पुरस्कार
तिम्मक्का को 2019 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उन्हें कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार, राष्ट्रीय नागरिक सम्मान, और कई अन्य पर्यावरणीय पुरस्कार भी मिले हैं।
उनके सम्मान में “सालुमरदा तिम्मक्का ग्रीन यूनिवर्सिटी” की स्थापना की गई है।
प्रेरणा और संदेश
तिम्मक्का की कहानी हमें सिखाती है कि एक व्यक्ति की पहल भी बड़े बदलाव ला सकती है। उनके प्रयासों से लाखों लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रेरणा मिली है। आज भी वे पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सक्रिय हैं।
* पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित चित्रों का संग्रह करके आलबम बनवाएँ।
उत्तर –
यहाँ पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों को दर्शाने वाला एक चित्र संग्रह उपलब्ध है। इसमें वायु, जल, भूमि, ध्वनि प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को दिखाया गया है।