शब्दार्थ तालिका (Sanskrit-Hindi-English)
संस्कृत शब्द / वाक्यांश | हिंदी अर्थ | English Meaning |
गुणी | गुणों वाला व्यक्ति | Virtuous / noble person |
गुणं वेत्ति | गुण को पहचानता है | Recognizes virtue |
निर्गुणः | गुण रहित व्यक्ति | One without virtues |
जलविन्दुनिपातेन | जल की बूंद के गिरने से | By the falling of water droplets |
क्रमशः | धीरे-धीरे | Gradually |
पूर्यते | भरता है | Gets filled |
घटः | घड़ा | Pot / Vessel |
अर्धो घटः | आधा भरा घड़ा | Half-filled pot |
नूनम् | निश्चय ही | Certainly |
उपैति | प्राप्त होता है | Reaches / Gets |
घोषम् | शोर / आवाज़ | Sound / Noise |
गतः कालः | बीता हुआ समय | Time gone |
न पुनः उपैति | फिर नहीं आता | Does not return again |
चक्रवत् | चक्र के समान | Like a wheel |
परिवर्तन्ते | घूमते हैं / बदलते हैं | Revolve / Change |
दुःखानि च सुखानि च | दुःख और सुख दोनों | Sorrows and joys |
अङ्गीकृतं | अपनाया गया | Accepted |
सुकृतिनः | पुण्यात्मा / भला व्यक्ति | Virtuous / Righteous person |
न परित्यजन्ति | नहीं छोड़ते | Do not abandon |
कृण्वन्तः | बनाते हुए | Making |
विश्वम् आर्यम् | संपूर्ण विश्व को श्रेष्ठ बनाते हुए | Making the whole world noble |
अदीनाः स्याम | हम हीन न हों | May we not be weak |
शरदः शतम् | सौ शरद ऋतु तक | For a hundred autumns (years) |
हितं मनोहारि च दुर्लभं वच: अध्याय का सरल हिंदी में विवरण:
यह पाठ संस्कृत की सुंदर सूक्तियों का संग्रह है, जिसमें जीवन को दिशा देने वाले विचार प्रस्तुत किए गए हैं। प्रत्येक वाक्य में गूढ़ और प्रेरणादायक संदेश छिपा है।
- गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणः।
- जलविन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः।
- अर्धो घटो नूनम् उपैति घोषम्।
- गतः कालो न पुनरुपैति।
- चक्रवत्परिवर्तन्ते दुःखानि च सुखानि च।
- अङ्गीकृतं सुकृतिनो न परित्यजन्ति।
- कृण्वन्तो विश्वमार्यम्।
- अदीनाः स्याम शरदः शतम्।
- गुणी गुण को पहचानता है, निर्गुण व्यक्ति नहीं – सद्गुणों को पहचानने की क्षमता सिर्फ उसी में होती है जिसमें खुद सद्गुण होते हैं।
- जल की बूँद-बूँद से घड़ा भरता है – धैर्य और निरंतर प्रयास से बड़ा कार्य भी संभव हो जाता है।
- आधा भरा घड़ा ही ज्यादा आवाज़ करता है – जो ज्ञान में अधूरा होता है, वह अधिक बोलता है, जबकि पूर्ण ज्ञानी मौन रहते हैं।
- बीता हुआ समय वापस नहीं आता – समय का मूल्य समझना चाहिए, क्योंकि यह अनमोल है।
- सुख-दुख जीवन में चक्र की तरह घूमते रहते हैं – जीवन में अच्छे-बुरे समय आते-जाते रहते हैं, स्थायी कुछ नहीं।
- सज्जन लोग किसी को अपनाकर उसे कभी नहीं छोड़ते – अच्छे लोग संबंधों को निभाते हैं और विश्वास नहीं तोड़ते।
- हम संसार को आर्य (श्रेष्ठ) बनाएँ – हमें प्रयास करना चाहिए कि दुनिया को उच्च आदर्शों वाली बनाएँ।
- हम सौ वर्षों तक दीन या पराधीन न हों – हमें दीर्घायु भी चाहिए और वह भी ऐसी कि जिसमें हम निर्बल न हों।
1. एतानि वाक्यानि ‘शुद्धानि ‘अशुद्धानि’ वा वदन्तु लिखन्तु च
क्रमांक | वाक्य | शुद्ध/अशुद्ध | संशोधित वाक्य (यदि अशुद्ध) |
(i) | जलेन पूरितः घटः शब्दं करोति। | अशुद्ध | अर्धो घटो नूनम् उपैति घोषम्। |
(ii) | गतः कालः पुनः न आगच्छति। | शुद्ध | — |
(iii) | वयम् आजीवनं समर्थाः सम्पन्नाः च भवेम। | अशुद्ध | अदीनाः स्याम शरदः शतम्। |
(iv) | वयम् एकं परिवारम् एव आर्यं कुर्याम। | अशुद्ध | कृण्वन्तो विश्वमार्यम्। |
(v) | सज्जनाः कार्यं सम्पूर्णं कुर्वन्ति। | शुद्ध | — |
(vi) | मनुष्यस्य जीवने केवलं सुखम् एव भवति। | अशुद्ध | चक्रवत् परिवर्तन्ते दुःखानि च सुखानि च। |
2. मञ्जूषायाः उचितं विपरीतपदं चित्वा लिखन्तु
मञ्जूषा:
(गच्छति, सम्भाषणम्, दीनाः, आगतः, अनार्यम्, अनिश्चितम्)
क्रमांक | शब्द | विपरीतपदम् |
(i) | नूनम् | अनिश्चितम् |
(ii) | मौनम् | सम्भाषणम् |
(iii) | आर्यम् | अनार्यम् |
(iv) | गतः | आगतः |
(v) | आयाति | गच्छति |
(vi) | अदीनाः | दीनाः |
3. मञ्जूषायाः उचितं पर्यायपदं चित्वा लिखन्तु
मञ्जूषा:
(सज्जनाः, कुम्भः, नादम्, समयः, पयः, वर्षम्)
क्रमांक | शब्द | पर्यायपदम् |
(i) | घोषम् | नादम् |
(ii) | जलम् | पयः |
(iii) | घटः | कुम्भः |
(iv) | शरदः | वर्षम् |
(v) | सुकृतिनः | सज्जनाः |
(vi) | कालः | समयः |
4. एतेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन वदन्तु लिखन्तु च
प्रश्न क्रम | प्रश्न | उत्तर |
(i) | गुणस्य महत्त्वं कः न जानाति? | निर्गुणः |
(ii) | एकेन एकेन बिन्दुना कः पूरितः भवति? | घटः |
(iii) | अदीनाः भूत्वा वयं कति वर्षाणि जीवेम? | शतम् |
(iv) | वयं सम्पूर्ण विश्वं कीदृशं करवाम? | आर्यम् |
(v) | गुणी किं जानाति? | गुणम् |
(vi) | ‘गतः कालः’ अनयोः विशेष्यपदं किम्? | कालः |
5. एतेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन वदन्तु लिखन्तु च
प्रश्न क्रम | प्रश्न | उत्तर |
(i) | गुणं कः जानाति कः च न जानाति? | गुणं गुणी जानाति, निर्गुणः न जानाति। |
(ii) | घोषं कः करोति? | अर्धो घटो नूनम् घोषं करोति। |
(iii) | ये जनाः निरन्तरं प्रयासं कुर्वन्ति ते किं प्राप्स्यन्ति? | ते क्रमशः लक्ष्यं प्राप्स्यन्ति। |
(iv) | सुखानि दुःखानि च कथम् आगच्छन्ति गच्छन्ति च? | सुखानि दुःखानि च चक्रवत् परिवर्तन्ते। |
(v) | सज्जनाः किं चिन्तयित्वा कार्यं न त्यजन्ति? | सज्जनाः कार्यं कठिनं इति चिन्तयित्वा अपि कार्यं न त्यजन्ति। |
(vi) | वयं कदापि कीदृशाः न भवेम? | वयं कदापि अदीनाः न भवेम। |
6. स्थूलपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुर्वन्तु
वाक्य | प्रश्न |
(i) सज्जनाः कार्यं न त्यजन्ति। | के कार्यं न परित्यजन्ति? |
(ii) समयस्य महत्त्वं ज्ञातव्यम्। | कस्य महत्त्वं ज्ञातव्यम्? |
(iii) मूर्खाः बहु वदन्ति। | के बहु वदन्ति? |
(iv) वयम् जनानां दोषान् दूरीकरवाम। | वयम् केषां दोषान् दूरीकरवाम? |
(v) जलेन पूरितः घटः शब्दं न करोति। | केन पूरितः शब्दं न करोति? |
7. मञ्जूषायाः उचितं पदं चित्वा भावार्थं पूरयन्तु
मञ्जूषा: (चिन्तयित्वा शब्दं, सम्पूर्ण, मूर्खाः)
(i) अर्धो घटो नूनम् उपैति घोषम्
भावार्थ:
अर्धः पूरितः घटः एव अधिकं शब्दं करोति। एवमेव यः विद्वान् न अस्ति सः एव ज्ञानस्य प्रदर्शनं करोति। मूर्खाः एव बहु वदन्ति न तु विद्वांसः।
(ii) अङ्गीकृतं सुकृतिनो न परित्यजन्ति
भावार्थ:
सज्जनाः कार्य स्वीकृत्य सम्पूर्ण कुर्वन्ति। कार्यं कठिनम् अस्ति इति चिन्तयित्वा कदापि न त्यजन्ति।
मूल्यात्मकः प्रश्नः
प्रश्न: भवन्तः अस्मिन् पाठे मानवजीवनं सार्थकं कर्तुम् अनेकानि महत्त्वपूर्णानि वचनानि अपठन्। अधुना वदन्तु — भवन्तः स्वजीवनं सार्थकं कर्तुं किं किं करिष्यन्ति?
उत्तर (उदाहरण रूपेण):
अहम् स्वजीवनं सार्थकं कर्तुं प्रतिदिनं सत्कर्माणि करिष्यामि। अहम् कदापि कार्यं परित्यजामि न। अहम् सत्यम्, धैर्यम् च धारयित्वा समाजसेवायै अपि समर्पितः स्याम। अहम् समयस्य उपयोगं कुर्वन् विद्या, अनुशासनं च जीवनस्य अंगीकृत्य जीवनं आर्यम् करिष्यामि।
गतिविधिः
- सूक्तिप्रतियोगिता आयोजनम्:
छात्रों को पाठ से जितनी अधिक सूक्तियाँ याद हैं, वे कक्षा में बोलें। सर्वाधिक सूक्तियाँ सही रूप में बोलने वाला छात्र विजयी घोषित किया जाए। - चार्टचित्र निर्माणम्:
पाठ से एक सूक्ति जैसे – “चक्रवत् परिवर्तन्ते दुःखानि च सुखानि च” – लेकर उसका भाव चित्र सहित चार्ट पेपर पर बनाएँ व समझाएँ।
I. Fill in the Blanks (रिक्त स्थानों की पूर्ति करें):
- अर्धः पूरितः घटः अधिकं __________ करोति।
उत्तर: घोषं - सज्जनाः स्वीकृतं कार्यं __________ न परित्यजन्ति।
उत्तर: चिन्तयित्वा - मूर्खाः बहु __________।
उत्तर: वदन्ति - सज्जनाः कार्यं __________ कुर्वन्ति।
उत्तर: सम्पूर्णम् - समयस्य __________ ज्ञातव्यम्।
उत्तर: महत्त्वम्
II. Multiple Choice Questions (MCQs):
- ‘अर्धो घटो नूनम् उपैति घोषम्’ इत्यस्य अर्थः कः?
a) सम्पूर्ण घटः शब्दं करोति
b) अर्धः घटः अधिकं शब्दं करोति
c) रिक्त घटः मौनं करोति
d) सम्पूर्ण घटः अधिकं शब्दं करोति
उत्तर: b) अर्धः घटः अधिकं शब्दं करोति - सज्जनाः कार्यं कस्य चिन्तनं कृत्वा न परित्यजन्ति?
a) लाभस्य
b) सुखस्य
c) कठिनस्य
d) कर्तव्यस्य
उत्तर: d) कर्तव्यस्य - मूर्खाः कथं व्यवहारं कुर्वन्ति?
a) मौनं व्रजन्ति
b) अधिकं चिन्तयन्ति
c) बहु वदन्ति
d) कार्यं सम्पूर्णं कुर्वन्ति
उत्तर: c) बहु वदन्ति - घटः कदा घोषं करोति?
a) पूर्णः सन्
b) अर्धः सन्
c) रिक्तः सन्
d) जलेन पूरितः सन्
उत्तर: b) अर्धः सन् - वयं जनानां दोषान् किं कुर्मः?
a) स्मरामः
b) दूरीकरोमः
c) वदामः
d) चिन्तयामः
उत्तर: b) दूरीकरोमः
III. One Word Questions and Answers (एक शब्द में उत्तर दें):
- कः घोषं करोति?
उत्तर: घटः - कः कार्यं न परित्यजति?
उत्तर: सज्जनः - कः बहु वदति?
उत्तर: मूर्खः - कः कालः पुनः न आगच्छति?
उत्तर: गतः - वयं कीदृशं विश्वं करवाम?
उत्तर: आर्यम्
IV. One to Two Sentence Questions and Answers (एक-दो वाक्यों में उत्तर दें):
- अर्धः घटः घोषं किमर्थं करोति?
उत्तर: अर्धः घटः रिक्त स्थान के कारण कम्पन करता है, जिससे अधिक शब्द उत्पन्न होता है। यही उपमेय मूर्ख जन के लिए प्रयोग हुआ है। - सज्जनाः कार्यं किमर्थं न त्यजन्ति?
उत्तर: सज्जन कर्तव्य का विचार करके कठिन कार्य को भी न छोड़कर उसे पूर्ण करते हैं। - मूर्खाः कथं ज्ञानस्य प्रदर्शनं कुर्वन्ति?
उत्तर: मूर्ख व्यक्ति बिना गम्भीरता के अधिक बोलते हैं, जिससे उनका अल्पज्ञान ही प्रकट होता है। - ‘गतः कालः’ इत्यत्र विशेष्यपदं किम्?
उत्तर: कालः विशेष्यपदं अस्ति। - वयं स्वजीवनं सार्थकं कर्तुं किं कुर्मः?
उत्तर: वयं गुणवान् बनामः, सज्जनानां मार्गं अनुसरामः, कर्तव्यं न त्यजामः च।