विशेषणम् विशेष्यम् च
अभ्यास:
- अधुना निम्नलिखितेषु वाक्येषु विशेषण- विशेष्य- पदानाम् अधः रेखाङ्कनं कुरुत-
(i) सरोवरें शुभ्रं जलम् अस्ति।
→ विशेषण: शुभ्रं, विशेष्य: जलम्
(ii) सः मधुरं कदलीफलम् खादति।
→ विशेषण: मधुरं, विशेष्य: कदलीफलम्
(iii) त्वं नवीनं पुस्तकम् पठसि।
→ विशेषण: नवीनं, विशेष्य: पुस्तकम्
(iv) कृष्णः शशकः धावति।
→ विशेषण: कृष्णः, विशेष्य: शशकः
(v) वृक्षः उन्नतः अस्ति।
→ विशेषण: उन्नतः, विशेष्य: वृक्षः
(vi) शोभना बालिका क्रीडति।
→ विशेषण: शोभना, विशेष्य: बालिका
(vii) शीतलः वायुः वहति।
→ विशेषण: शीतलः, विशेष्य: वायुः
(viii) परोपकारी जनः अत्र आगच्छति।
→ विशेषण: परोपकारी, विशेष्य: जनः
(ix) विद्यालयस्य भवनं विशालम् अस्ति।
→ विशेषण: विशालम्, विशेष्य: भवनं
(x) हरितः शुकः खादति।
→ विशेषण: हरितः, विशेष्य: शुकः
- उपरिलिखितेषु वाक्येषु विशेषणपदानि विशेष्यपदानि च चित्वा अधः लिखन्तु –
विशेषणपदं (Adjective) | विशेष्यपदं (Noun) |
शुद्धं | जलम् |
मधुरं | कदलीफलम् |
नवीनं | पुस्तकम् |
कृष्णः | शशकः |
उन्नतः | वृक्षः |
शोभना | बालिका |
शीतलः | वायुः |
परोपकारी | जनः |
विशालम् | भवनं |
हरितः | शुकः |
- इमम् अनुच्छेदं पठन्तु-
अस्मिन् उद्याने एकः उन्नतः वृक्षः अस्ति। उन्नतं वृक्षं दृष्ट्वा जनाः प्रसन्नाः भवन्ति। उन्नतस्य वृक्षस्य शाखा: अपि दीर्घाः सन्ति।
उन्नते वृक्षे खगाः वसन्ति। खगाः मधुराणि फलानि खादन्ति मनोहराणि च गीतानि गायन्ति। उन्नतेन वृक्षेण सह एकः अन्यः लघु पादपः अपि अस्ति। जनाः उन्नतात् वृक्षात् सदैव मधुराणि फलानि त्रोटयन्ति। एतस्मै उन्नताय वृक्षाय नमः।
अस्मिन् अनुच्छेदे प्रयुक्तानि विशेषणानि विशेष्याणि च चित्वा एतेषां पदानां विभक्तिं वचनं च लिखन्तु-
विशेषणानि | विभक्तिः | वचनम् | विशेष्याणि | विभक्तिः | वचनम् |
दीप्तिः | प्रथमा | एकवचन | प्रभा | प्रथमा | एकवचन |
उन्नतः | प्रथमा | एकवचन | वृक्षः | प्रथमा | एकवचन |
उन्नतस्य | षष्ठी | एकवचन | शाखाः | प्रथमा | बहुवचन |
लघुः | प्रथमा | एकवचन | पादः | प्रथमा | एकवचन |
मधुराणि | द्वितीया | बहुवचन | फलानि | द्वितीया | बहुवचन |
मनोहराणि | द्वितीया | बहुवचन | गीतानि | द्वितीया | बहुवचन |
उन्नते | सप्तमी | एकवचन | वृक्षे | सप्तमी | एकवचन |
उन्नातात् | पञ्चमी | एकवचन | वृक्षात् | पञ्चमी | एकवचन |
अन्यः | प्रथमा | एकवचन | सः | प्रथमा | एकवचन |
वर्णसंयोगः सन्धिः च
क्रमांक | संयोग–युक्तं पदम् | पृथक् पदाः |
(i) | अहमेकदा | अहम् + एकदा |
(ii) | मित्रमपि | मित्रम् + अपि |
(iii) | त्वमपि | त्वम् + अपि |
(iv) | स्वयमेव | स्वयम् + एव |
(v) | अहमपि | अहम् + अपि |
(vi) | वयमेकदा | वयम् + एकदा |
(vii) | भवानपि | भवान् + अपि |
(viii) | उद्यानमेव | उद्यानम् + एव |
अभ्यास:
- एताम् तालिकां दृष्ट्वा उदाहरणानुसारं निम्नलिखितेषु पदेषु सन्धिं कृत्वा लिखत-
क्रम | पूर्वपदम् | परपदम् | पूर्वपदस्य अन्तिमः वर्णः | परपदस्य प्रथमः वर्णः | परिवर्तितः वर्णः | संयुक्तं पदम् |
(i) | सत्यम् | अर्थः | अ | अ | आ | सत्यार्थः |
(ii) | तथा | अपि | आ | अ | आ | तथापि |
(iii) | हिमः | आलयः | म | आ | मा | हिमालयः |
(iv) | विद्या | अर्थी | आ | अ | आ | विद्यार्थी |
(v) | दया | आनन्दः | आ | आ | आ | दयानन्दः |
(vi) | मुनिः | इन्द्रः | इ | इ | इ + इ = ई | मुनीन्द्रः |
(vii) | रजनी | ईशः | ई | ई | इ + इ = ई | रजनीशः |
(viii) | परि | ईक्षा | इ | ई | इ + ई = ई | परीक्षा |
(ix) | मही | इन्द्रः | ई | इ | ई + इ = ई | महीन्द्रः |
(x) | साधुः | उक्तिः | उ | उ | उ + उ = ऊ | साधूक्ति: |
(xi) | सिन्धुः | उर्मिः | उ | उ | उ + उ = ऊ | सिन्धुर्मि: |
(xii) | वधूः | उत्सवः | ऊ | उ | ऊ + उ = ऊ | वधूत्सवः |
(xiii) | भूः | ऊर्जा | ऊ | ऊ | ऊ + ऊ = ऊ | भूर्जा |
(xiv) | पितृ | ऋणम् | ऋ | ऋ | ऋ + ऋ = रृ | पिॠणं |
(xv) | मातृ | ऋद्धिः | ऋ | ऋ | ऋ + ऋ = रृ | माॠद्धिः |
अभ्यास:
- एतां तालिकां दृष्ट्वा उदाहरणानुसारं सन्धिं कृत्वा लिखत-
क्रम | पूर्वपदम् | परपदम् | पूर्वपदस्य अन्तिमः वर्णः | परपदस्य प्रथमः वर्णः | परिवर्तितः वर्णः | सन्धियुक्तं पदम् |
(i) | देव | इन्द्रः | अ | इ | ए | देवेन्द्रः |
(ii) | नर | ईशः | अ | ई | ए | नरेशः |
(iii) | रमा | इव | आ | इ | ए | रमेव |
(iv) | महा | ईशः | आ | ई | ए | महेशः |
(v) | वन | उत्सवः | अ | उ | ओ | वनोत्सवः |
(vi) | जल | उर्मिः | अ | उ | ओ | जलोर्मिः |
(vii) | गङ्गा | उदकम् | आ | उ | औ | गङ्गौदकम् |
(viii) | महा | ऊर्जा | आ | ऊ | औ | महौर्जा |
(ix) | देव | ऋषिः | अ | ऋ | अर् | देवर्षिः |
(x) | वर्षा | ऋतु | आ | ऋ | अर् | वर्षर्तुः / |
(xi) | सप्त | ऋषिः | अ | ऋ | अर् | सप्तर्षिः |