‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि। प्रत्येक व्यक्ति का अपनी जन्मभूमि से अनुराग और उस पर अभिमान करना सहज है। कर्नाटक हमारी जन्मभूमि है। यहाँ की प्राकृतिक सुषमा, साहित्यिक वैभव और ज्ञान – विज्ञान क्षेत्र की प्रगति अपार है। देश-विदेश के लोग यहाँ की तकनीकी के विकास की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हैं। इस संदर्भ में प्रस्तुत पाठ अत्यंत प्रासंगिक एवं सार्थक है।
प्रस्तुत निबंध द्वारा छात्र कर्नाटक के अतीत वैभव, वर्तमान प्रौद्योगिकी विकास तथा प्रकृति-संपदा के साथ-साथ इस राज्य के महान् व्यक्तियों की साधना का परिचय प्राप्त करते हैं।
कर्नाटक – संपदा
कर्नाटक राज्य भारत देश का प्रगतिशील राज्य है। यहाँ की आबादी लगभग छह करोड़ से ऊपर है। प्रकृतिमाता ने कर्नाटक राज्य को अपने हाथों से सँवारकर सुंदर और समृद्ध बनाया है। कर्नाटक की प्राकृतिक सुषमा नयन मनोहर है। पश्चिम में विशाल अरबी समुद्र लहराता है। इसी प्रांत में दक्षिण से उत्तर के छोर तक फैली लंबी पर्वतमालाओं को पश्चिमी घाट कहते हैं। इन्हीं घाटों का कुछ भाग सह्याद्रि कहलाता है। दक्षिण में नीलगिरि की पर्वतावलियाँ शोभायमान हैं।
कर्नाटक में कन्नड भाषा बोली जाती है और इसकी राजधानी बेंगलूरु है। यहाँ देश-विदेश के लोग आकर बस गये हैं। बेंगलूरु शिक्षा का ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े उद्योग-धंधों का भी केंद्र है। यहाँ प्रसिद्ध भारतीय विज्ञान संस्थान, एच.ए.एल, एच.एम.टी, आइ.टी.आइ, बी.एच.ई.एल, बी. ई. एल जैसी बृहत् संस्थाएँ हैं। इसे ‘सिलिकॉन सिटी’ भी कहा जाता है।
सर. सी. वी. रामन, सर. एम. विश्वेश्वरय्या, डॉ. सी. एन. आर. राव, डॉ. शकुंतला देवी जैसे दिग्गजों ने वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नारायण मूर्ति ने अपनी महत्तर उपलब्धियों से कर्नाटक को विश्व पटल पर अंकित किया है। सन् 2013 में डॉ. सी. एन. आर. राव को सर्वोच्च पुरस्कार ‘भारत रत्न’ प्राप्त हुआ है।
यहाँ सोना, ताँबा, लोहा आदि कई प्रकार की उपयोगी धातुएँ मिलती हैं। भद्रावती में कागज़, लोहे और इस्पात के बड़े कारखाने हैं। इसके अलावा कर्नाटक में चीनी, सीमेंट, रेशम और कागज़ उत्पादन के अनेक कारखाने हैं।
कर्नाटक में चंदन के पेड़ विपुल मात्रा में हैं। इसलिए कर्नाटक को ‘चंदन का आगार’ कहते हैं। यहाँ चंदन का तेल, साबुन तथा कलाकृतियाँ भी बनायी जाती हैं।
कर्नाटक में कावेरी, कृष्णा, तुंग- भद्रा आदि अनेक नदियाँ बहती हैं। इन नदियों पर बाँध बनाये गये हैं। इनसे हज़ारों एकड़ ज़मीन सींची जाती है। इसके अलावा इन नदियों के जलाशयों की सहायता से ऊर्जा उत्पादन केंद्र भी स्थापित किये गये हैं। जोग, अब्बी, गोकाक, शिवनसमुद्र आदि जलप्रपात मनमोहक हैं।
कर्नाटक राज्य की शिल्पकला अनोखी है। बादामी, ऐहोले, पट्टदकल्लु में जो मंदिर हैं, उनकी शिल्पकला और वास्तुकला अद्भुत है। बेलूर, हलेबीडु, सोमनाथपुर के मंदिरों में पत्थर की जो मूर्तियाँ हैं, वे सजीव लगती हैं। ये सुंदर मूर्तियाँ हमें रामायण, महाभारत, पुराणों की कहानियाँ सुनाती हैं। श्रवणबेलगोला में 57 फुट ऊँची गोमटेश्वर की एकशिला प्रतिमा है, जो दुनिया को त्याग और शांति का संदेश दे रही है। विजयपुरा के गोलगुंबज़ की व्हिस्परिंग गैलरी वास्तुकला का अद्वितीय दृष्टांत है। मैसूरु का राजमहल कर्नाटक के वैभव का प्रतीक है। प्राचीन सेंट फिलोमिना चर्च, जगनमोहन राजमहल (आर्ट गैलरी) का पुरातत्त्व वस्तु संग्रहालय अत्यंत आकर्षणीय हैं।
गंग, कदंब, राष्ट्रकूट, चालुक्य, होय्सल, ओडेयर आदि राजवंशजों ने तथा कृष्णदेवराय, मदकरिनायक, रानी अब्बक्का देवी, कित्तूरु चेन्नम्मा, टीपू सुल्तान, आदिलशाह जैसे शासकों ने कर्नाटक राज्य की श्रीवृद्धि में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
कर्नाटक के अनेक साहित्यकारों ने सारे संसार में कर्नाटक की कीर्ति फैलायी है। वचनकार बसवण्णा क्रांतिकारी समाज सुधारक थे। अक्कमहादेवी, अल्लमप्रभु, सर्वज्ञ जैसे अनेक संतों ने अपने अनमोल ‘वचनों’ द्वारा प्रेम, दया और धर्म की सीख दी है। पुरंदरदास, कनकदास आदि भक्त कवियों ने भक्ति, नीति, सदाचार के गीत गाये हैं। पंपा, रन्ना, पोन्ना, कुमारव्यास, हरिहर, राघवांक आदि ने महान् काव्यों की रचना कर कन्नड साहित्य को समृद्ध बनाया है।
आधुनिक काल के साहित्यकार कुवेम्पु, द. रा. बेंद्रे, शिवराम कारंत, मास्ति वेंकटेश अय्यंगार, वि.कृ. गोकाक, यू.आर. अनंतमूर्ति, गिरीश कार्नाड और चंद्रशेखर कंबार ज्ञानपीठ पुरस्कार से अलंकृत हैं। यह कन्नड भाषा, संस्कृति तथा कर्नाटक के लिए गौरव का विषय है।
टिप्पणी :-
व्हिस्परिंग गैलरी
यह विजयपुरा के विश्व विख्यात गोलगुंबज़ में है। इसकी वास्तुकला अनोखी है। इस गुंबज़ के एक छोर से धीमी आवाज़ में बातें करें तो वह विरुद्ध छोर में स्पष्ट सुनाई देती है। इस गुंबज़ की एक और विशेषता यह है कि यहाँ एक बार आवाज़ निकालने से यह सात बार प्रतिध्वनित होती है।
शब्दार्थ :-
आबादी – जनसंख्या,
सँवारना – सजाना,
सुषमा – अत्यधिक सुंदरता,
लहराना – तरंगित होना,
छोर – किनारा, अंतिम सिरा;
घाट – चढ़ाव उतार का पहाड़ी मार्ग
आवली – कतार, पंक्ति;
दिग्गज – महान् व्यक्ति,
प्रौद्योगिकी – तकनीकी,
उपलब्धि – प्राप्ति, सिद्धि;
पटल – परदा,
धातु – खनिज पदार्थ,
इस्पात – फौलाद, Steel ;
विपुल – अधिक,
आगार – घर,
सींचना – भिगोना, पानी देना
ऊर्जा – शक्ति, Energy;
वास्तुकला – इमारत-मकान आदि बनाने की कला,
प्रतिमा – मूर्ति,
अद्वितीय – जिसके समान दूसरा न हो
दृष्टांत – उदाहरण,
श्रीवृद्धि – उन्नति, प्रगति
योगदान – सहयोग देना,
अनमोल – अमूल्य, बेजोड़।
विस्तृत रूप :-
एच. ए. एल – हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड
एच. एम. टी – हिंदुस्तान मशीन टूल्स
आइ.टी. आइ – इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीस
बी. ई. एल – भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड
बी. एच.ई.एल – भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- पश्चिमी घाट किसे कहते हैं?
उत्तर – कर्नाटक प्रांत में दक्षिण से उत्तर के छोर तक फैली लंबी पर्वतमालाओं को पश्चिमी घाट कहते हैं।
- कर्नाटक में कौन-कौन-से जलप्रपात हैं?
उत्तर – कर्नाटक में जोग, अब्बी, गोकाक, शिवनसमुद्र आदि जलप्रपात मनमोहक हैं।
- श्रवणबेलगोला की गोमटेश्वर मूर्ति की ऊँचाई कितनी है?
उत्तर – श्रवणबेलगोला की गोमटेश्वर मूर्ति की ऊँचाई 57 फुट है।
- किस नगर को सिलिकॉन सिटी कहा जाता है?
उत्तर – कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु को सिलिकॉन सिटी कहा जाता है।
- भद्रावती के दो प्रमुख कारखानों के नाम लिखिए।
उत्तर – भद्रावती में कागज़, लोहे और इस्पात के बड़े कारखाने हैं।
- सेंट फिलोमिना चर्च किस नगर में है?
उत्तर – कर्नाटक के मैसूरु में सेंट फिलोमिना चर्च किस नगर में है.
- विजयपुरा नगर का प्रमुख आकर्षक स्थान कौन-सा है?
उत्तर – विजयपुरा नगर का प्रमुख आकर्षक स्थान गोलगुंबज़ की व्हिस्परिंग गैलरी है।
- अरबी समुद्र कर्नाटक की किस दिशा में है?
उत्तर – अरबी समुद्र कर्नाटक की दिशा पश्चिम में है।
- कर्नाटक की दक्षिण दिशा में कौन-सी पर्वतमालाएँ शोभायमान हैं?
उत्तर – कर्नाटक के दक्षिण में नीलगिरि की पर्वतावलियाँ शोभायमान हैं।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- पश्चिमी घाट किसे कहते हैं?
उत्तर – कर्नाटक प्रांत में दक्षिण से उत्तर के छोर तक फैली लंबी पर्वतमालाओं को पश्चिमी घाट कहते हैं।
- कर्नाटक में कौन-कौन-से जलप्रपात हैं?
उत्तर – कर्नाटक में जोग, अब्बी, गोकाक, शिवनसमुद्र आदि जलप्रपात मनमोहक हैं।
- श्रवणबेलगोला की गोमटेश्वर मूर्ति की ऊँचाई कितनी है?
उत्तर – श्रवणबेलगोला की गोमटेश्वर मूर्ति की ऊँचाई 57 फुट है।
- किस नगर को सिलिकॉन सिटी कहा जाता है?
उत्तर – कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु को सिलिकॉन सिटी कहा जाता है।
- भद्रावती के दो प्रमुख कारखानों के नाम लिखिए।
उत्तर – भद्रावती में कागज़, लोहे और इस्पात के बड़े कारखाने हैं।
- सेंट फिलोमिना चर्च किस नगर में है?
उत्तर – कर्नाटक के मैसूरु में सेंट फिलोमिना चर्च किस नगर में है.
- विजयपुरा नगर का प्रमुख आकर्षक स्थान कौन-सा है?
उत्तर – विजयपुरा नगर का प्रमुख आकर्षक स्थान गोलगुंबज़ की व्हिस्परिंग गैलरी है।
- अरबी समुद्र कर्नाटक की किस दिशा में है?
उत्तर – अरबी समुद्र कर्नाटक की दिशा पश्चिम में है।
- कर्नाटक की दक्षिण दिशा में कौन-सी पर्वतमालाएँ शोभायमान हैं?
उत्तर – कर्नाटक के दक्षिण में नीलगिरि की पर्वतावलियाँ शोभायमान हैं।
III. चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- कर्नाटक के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर – कर्नाटक की प्राकृतिक सुषमा अत्यंत नयन मनोहर है। इसके पश्चिम में विशाल अरबी समुद्र लहराता है। इसी प्रांत में दक्षिण से उत्तर के छोर तक फैली लंबी पर्वतमालाओं को पश्चिमी घाट कहते हैं। इन्हीं घाटों का कुछ भाग सह्याद्रि कहलाता है। इसके दक्षिण में नीलगिरि की पर्वतावलियाँ अतीव शोभायमान हैं।
- कर्नाटक की शिल्पकला का परिचय दीजिए।
उत्तर – कर्नाटक राज्य की शिल्पकला अनोखी है। बादामी, ऐहोले, पट्टदकल्लु में जो मंदिर हैं, उनकी शिल्पकला और वास्तुकला अद्भुत है। बेलूर, हलेबीडु, सोमनाथपुर के मंदिरों में पत्थर की जो मूर्तियाँ हैं, वे जीवंत प्रतीत होती हैं। श्रवणबेलगोला में 57 फुट ऊँची गोमटेश्वर की एकशिला प्रतिमा भी उत्तम शिल्पकला का परिचय देती है। विजयपुरा के गोलगुंबज़ की व्हिस्परिंग गैलरी वास्तुकला का अद्वितीय दृष्टांत है। मैसूरु का राजमहल कर्नाटक के वैभव और शिल्पकला का अद्वितीय प्रतीक है।
- कन्नड भाषा तथा संस्कृति को कर्नाटक के साहित्यकारों की क्या देन है?
उत्तर – कर्नाटक के अनेक साहित्यकारों ने सारे संसार में कर्नाटक की कीर्ति फैलायी है। वचनकार बसवण्णा क्रांतिकारी समाज सुधारक थे। अक्कमहादेवी, अल्लमप्रभु, सर्वज्ञ जैसे अनेक संतों ने अपने अनमोल ‘वचनों’ द्वारा प्रेम, दया और धर्म की सीख दी है। पुरंदरदास, कनकदास आदि भक्त कवियों ने भक्ति, नीति, सदाचार के गीत गाये हैं। पंपा, रन्ना, पोन्ना, कुमारव्यास, हरिहर, राघवांक आदि ने महान् काव्यों की रचना कर कन्नड साहित्य को समृद्ध बनाया है।
IV. कोष्ठक में दिए गए शब्दों में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरिए :-
(गंग, त्याग, पुराण, वैभव, कीर्ति, साबुन, चंदन, शांति)
- कर्नाटक को ____________ का आगार कहते हैं।
उत्तर – चंदन
- गोमटेश्वर की प्रतिमा दुनिया को त्याग और ____________ का संदेश दे रही है।
उत्तर – शांति
- मैसूरु का राजमहल कर्नाटक के ____________ का प्रतीक है।
उत्तर – वैभव
- कर्नाटक के अनेक साहित्यकारों ने सारे संसार में कर्नाटक की ____________ फैलायी है।
उत्तर – कीर्ति
V.कन्नड या अंग्रेज़ी में अनुवाद कीजिए :-
- कर्नाटक में कन्नड भाषा बोली जाती है और इसकी राजधानी बेंगलूरु है।
उत्तर – ಕನ್ನಡವು ಕರ್ನಾಟಕದಲ್ಲಿ ಮಾತನಾಡಲಾಗುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ಅದರ ರಾಜಧಾನಿ ಬೆಂಗಳೂರು.
Kannada is spoken in Karnataka, and its capital is Bengaluru.
- कर्नाटक में चंदन के पेड़ विपुल मात्रा में हैं।
उत्तर – ಕರ್ಣಾಟಕದಲ್ಲಿ ಸಂತಳ ಮರಗಳು ಸಾಕಷ್ಟು ಪ್ರಮಾಣದಲ್ಲಿ ಇವೆ.
Sandalwood trees are found in abundance in Karnataka.
- जगनमोहन राजमहल का पुरातत्त्व वस्तु संग्रहालय अत्यंत आकर्षणीय है।
उत्तर – ಜಗನ್ಮೋಹನ ಅರಮನೆಯ ಪುರಾತತ್ತ್ವ ವಸ್ತು ಸಂಗ್ರಹಾಲಯ ಅತ್ಯಂತ ಆಕರ್ಷಕವಾಗಿದೆ.
The archaeological artifact museum of Jaganmohan Palace is extremely attractive.
- वचनकार बसवण्णा क्रांतिकारी समाज सुधारक थे।
उत्तर – ವಚನಕಾರ ಬಸವಣ್ಣ ಕ್ರಾಂತಿಕಾರಿ ಸಮಾಜ ಸುಧಾರಕರಾಗಿದ್ದರು.
Vachanakara Basavanna was a revolutionary social reformer.
V.नमूने के अनुसार इन शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :-
उदाहरण : पर्वत – अद्रि, पहाड़, गिरि
- सागर – समुद्र, उदधि, रत्नाकर
- आगार – घर, आलय, विपुल
- जल – पानी, वारि, अंबु
- आकाश – नभ, गगन, अंबर
VII. विलोम शब्द लिखिए :-
- सुंदर X असुंदर
- विदेश X स्वदेश
- आदि X अंत
- सजीव X निर्जीव
- सदाचार X भ्रष्टाचार
- आयात X निर्यात
VIII. ‘उदाहरण के अनुसार बहुवचन रूप बनाना सीखिए-
उदाहरण : संधि – संधियाँ
- मूर्ति – मूर्तियाँ
- उपलब्धि – उपलब्धियाँ
- कृति – कृतियाँ
- नीति – नीतियाँ
- संस्कृति – संस्कृतियाँ
- पद्धति – पद्धतियाँ
IX. विच्छेद कर संधि का नाम लिखिए :-
- दिग्गज – दिक् + गज – व्यंजन संधि
- पर्वतावली – पर्वत + आवली – दीर्घ स्वर संधि
- संग्रहालय – संग्रह + आलय – दीर्घ स्वर संधि
- जलाशय – जल + आशय – दीर्घ स्वर संधि
- जगनमोहन – जगत् + मोहन – व्यंजन संधि
- सदाचार – सत् + आचार – व्यंजन संधि
- अत्यंत – अति + अंत – यणस्वर संधि
X. विग्रह कीजिए और समास का नाम लिखिए :-
- देश-विदेश – देश और विदेश – द्वंद्व समास
- जलप्रपात – जल का प्रपात – तत्पुरुष समास
- राजवंश – राजा का वंश – तत्पुरुष समास
- राजमहल – राजा का महल – तत्पुरुष समास
XI.परियोजना :
श्री कृष्णदेवराय, विष्णुवर्धन, इम्मडि पुलिकेशी आदि राजाओं के बारे में चित्र सहित विवरण लिखिए।
उत्तर – कर्नाटक के इतिहास में कई महान शासकों ने महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं। यहाँ तीन प्रमुख राजाओं—श्री कृष्णदेवराय, विष्णुवर्धन, और इम्मडि पुलिकेशी—का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है:
- श्री कृष्णदेवराय
श्री कृष्णदेवराय विजयनगर साम्राज्य के तुलुवा वंश के तीसरे शासक थे, जिन्होंने 1509 से 1529 ईस्वी तक शासन किया। उनके शासनकाल में साम्राज्य ने सांस्कृतिक, आर्थिक, और सैन्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व उन्नति की। उन्होंने तेलुगु साहित्य को प्रोत्साहित किया और स्वयं “अमुक्तमाल्यदा” नामक तेलुगु काव्य की रचना की। कृष्णदेवराय ने बहमनी सल्तनत और गजपति साम्राज्य के खिलाफ सफल सैन्य अभियान चलाए, जिससे साम्राज्य की सीमाएँ विस्तारित हुईं। उनके दरबार में “अष्टदिग्गज” नामक आठ प्रमुख कवि थे, जिन्होंने तेलुगु साहित्य को समृद्ध किया।
- विष्णुवर्धन
विष्णुवर्धन, जिन्हें कुब्ज विष्णुवर्धन के नाम से भी जाना जाता है, चालुक्य वंश के संस्थापक पुलकेशी द्वितीय के छोटे भाई थे। पुलकेशी द्वितीय ने उन्हें वेंगी क्षेत्र का शासक नियुक्त किया, जहाँ से उन्होंने पूर्वी चालुक्य वंश की स्थापना की। उन्होंने ‘पृथ्वीवल्लभ’ और ‘युवराज’ जैसी उपाधियाँ धारण कीं। उनके पुत्र, जयसिंह प्रथम, ने स्वतंत्र रूप से शासन किया, जिससे पूर्वी चालुक्य वंश का उदय हुआ। उनका शासनकाल सातवीं सदी के मध्य में था, जिसमें उन्होंने वेंगी क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि लाई।
- इम्मडि पुलिकेशी (पुलकेशी द्वितीय)
पुलकेशी द्वितीय, जिन्हें इम्मडि पुलिकेशी भी कहा जाता है, चालुक्य वंश के प्रमुख शासक थे, जिन्होंने 610 से 642 ईस्वी तक शासन किया। उन्होंने अपने शासनकाल में चालुक्य साम्राज्य का विस्तार दक्षिण और उत्तर भारत में किया। उन्होंने उत्तर के सम्राट हर्षवर्धन को पराजित किया, जो उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण सैन्य उपलब्धियों में से एक है। पुलकेशी द्वितीय ने दक्षिण में पल्लवों के खिलाफ भी सफल अभियान चलाए, हालांकि अंततः पल्लव राजा नरसिंहवर्मन प्रथम से पराजित हुए। वह वैष्णव धर्म के अनुयायी थे, लेकिन अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णुता दिखाते थे।
इन महान शासकों ने कर्नाटक और दक्षिण भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे क्षेत्र की सांस्कृतिक और राजनीतिक संरचना पर गहरा प्रभाव पड़ा।
कर्नाटक में बहनेवाली नदियों की सूची तैयार कीजिए। हर एक नदी के बारे में पाँच-पाँच वाक्य लिखिए।
उत्तर – कर्नाटक में बहने वाली नदियों की सूची
कर्नाटक में कई महत्त्वपूर्ण नदियाँ बहती हैं, जो राज्य की सिंचाई, जल आपूर्ति और पारिस्थितिकी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रमुख नदियाँ निम्नलिखित हैं –
कावेरी नदी
कृष्णा नदी
तुंगभद्रा नदी
मलप्रभा नदी
भीम नदी
शरावती नदी
गोदावरी नदी
नागवली नदी
वेदवती नदी
पयस्विनी नदी
- कावेरी नदी
कावेरी नदी कर्नाटक और तमिलनाडु के लिए एक महत्त्वपूर्ण नदी है।
यह तालकावेरी (कर्नाटक) से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
इस नदी पर कर्नाटक में कृष्णराज सागर (KRS) बाँध स्थित है।
यह नदी कृषि, पेयजल और पनबिजली उत्पादन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
कावेरी जल विवाद तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच एक प्रमुख मुद्दा है।
- कृष्णा नदी
कृष्णा नदी का उद्गम महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से होता है।
यह कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
कर्नाटक में यह नदी बीजापुर, रायचूर और बेलगावी जिलों से होकर गुजरती है।
इस पर आलमट्टी बाँध स्थित है, जो सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए उपयोगी है।
कृष्णा नदी की कई सहायक नदियाँ हैं, जिनमें घटप्रभा, मलप्रभा और भद्रा शामिल हैं।
- तुंगभद्रा नदी
तुंगभद्रा नदी कृष्णा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
यह तुंगा और भद्रा नदियों के संगम से बनती है, जो कर्नाटक में स्थित हैं।
इस नदी पर तुंगभद्रा बाँध बनाया गया है, जो कृषि और जल आपूर्ति के लिए महत्त्वपूर्ण है।
नदी हम्पी और अन्य ऐतिहासिक स्थलों से होकर गुजरती है।
इसका पानी कई जिलों में पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
- मलप्रभा नदी
मलप्रभा नदी कृष्णा नदी की एक सहायक नदी है।
यह नदी कर्नाटक के बेलगावी जिले में स्थित गंगामूल से निकलती है।
नदी का पानी मुख्यतः सिंचाई और पेयजल के लिए उपयोग किया जाता है।
इस पर नवीलतीर्थ बाँध बनाया गया है, जो धारवाड़ और बेलगावी जिलों को जल प्रदान करता है।
मलप्रभा नदी के किनारे कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल स्थित हैं।
- भीम नदी
भीम नदी कृष्णा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
यह महाराष्ट्र से निकलती है और कर्नाटक होते हुए आंध्र प्रदेश में मिलती है।
यह नदी विजयपुरा और गुलबर्गा जिलों से होकर बहती है।
भीम नदी कृषि और मछली पालन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
इसके किनारे कई मंदिर और धार्मिक स्थल स्थित हैं।
- शरावती नदी
शरावती नदी कर्नाटक के पश्चिमी घाट से निकलती है।
यह अरब सागर में जाकर मिलती है।
इस नदी पर स्थित जोग जलप्रपात भारत के सबसे ऊँचे जलप्रपातों में से एक है।
शरावती नदी जल विद्युत उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है।
इसका जल वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- गोदावरी नदी
गोदावरी नदी का उद्गम महाराष्ट्र के नासिक जिले से होता है।
यह कर्नाटक के बीदर जिले से होकर गुजरती है।
गोदावरी भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
इसे दक्षिण गंगा भी कहा जाता है।
गोदावरी का पानी कृषि और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- नागवली नदी
नागवली नदी पश्चिमी घाट से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
यह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है।
नदी का जल कृषि और मछली पालन में उपयोगी है।
यह कई छोटे-छोटे जलप्रपातों का निर्माण करती है।
इसके किनारे कई ऐतिहासिक स्थल स्थित हैं।
- वेदवती नदी
वेदवती नदी तुंगभद्रा नदी की एक सहायक नदी है।
यह नदी कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले से निकलती है।
यह जल विद्युत उत्पादन और सिंचाई के लिए महत्त्वपूर्ण है।
नदी के तट पर कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं।
वेदवती नदी का जल कई गाँवों के लिए पेयजल का स्रोत है।
- पयस्विनी नदी
पयस्विनी नदी कर्नाटक और केरल में बहने वाली एक छोटी नदी है।
यह पश्चिमी घाट से निकलती है और अरब सागर में मिलती है।
इसका जल कृषि और मछली पालन के लिए उपयोगी है।
इस नदी को स्थानीय लोग धार्मिक मान्यता देते हैं।
यह नदी मानसूनी जल पर निर्भर होती है और सूखे के समय प्रवाह कम हो जाता है।
XII. सही विकल्प को रेखांकित कीजिए :-
- तुंगभद्रा नदी इन राज्यों में बहती है-
अ) कर्नाटक-तमिलनाडु
आ) कर्नाटक महाराष्ट्र
इ) कर्नाटक-आंध्र प्रदेश
ई) कर्नाटक केरल
उत्तर – इ) कर्नाटक-आंध्र प्रदेश
- श्रवणबेलगोला की गोमटेश्वर मूर्ति का निर्माण इन्होंने कराया था –
अ) दीवान पूर्णय्या
आ) मिर्जा इस्माइल
इ) श्री वीरेंद्र हेग्गडे
ई) चावुंडराया
उत्तर – ई) चावुंडराया
- ज्ञानपीठ से पुरस्कृत प्रथम कन्नड साहित्यकार ये हैं-
अ) चंद्रशेखर कंबार
आ) कुवेंपु
इ) यू. आर. अनंतमूर्ति
ई) गिरीश कार्नाड
उत्तर – आ) कुवेंपु
- कन्नड भाषा के प्रथम ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि से अलंकृत साहित्यकार ये हैं
अ) गोविंद पै
आ) कुवेंपु
इ) जी. एस. शिवरुद्रप्पा
ई) ती. नं. श्री
उत्तर – अ) गोविंद पै
XIII. अर्थ समझिए और वाक्य में प्रयोग कीजिए :-
- तक – थक
उत्तर – रमेश ने एम.ए. तक की पढ़ाई की है।
दो घंटे तक चलते-चलते मैं थक गया।
- चोर – छोर
उत्तर – कल रात एक चोर ने रमा के घर में हाथ साफ कर दिया।
रस्सी के दो छोर होते हैं।
- बात – भात
उत्तर – अविनाश जी की बात सब मानते हैं।
दोपहर के खाने में दाल, भात, तरकारी और पापड़ है।
- काल – खाल
उत्तर – एक दिन काल हम सबको अपनी चपेट में ले लेगा।
गैंडे की खाल बहुत मोटी होती है।
XIV. अनुरूपता :-
- दक्षिण से उत्तर के छोर की पर्वतमाला : पश्चिमी घाट :: दक्षिण की पर्वतावलियाँ : नीलगिरी
- कर्नाटक : चंदन का आगार :: बेंगलूरु : सिलिकॉन सिटी
- सी. वी. रामन : नोबेल पुरस्कृत :: सर. एम. विश्वेश्वरय्या : भारत रत्न
- भद्रावती : लोहे और इस्पात :: मैसूरु : राजमहल
- कावेरी : नदी :: जोग : जलप्रपात
- बेलूरु : शिल्पकला :: गोलगुंबज़ : वास्तुकला
- सेंट फिलोमिना : चर्च :: जगनमोहन राजमहल : पुरातत्त्व वस्तु संग्रहालय
- कृष्णदेवराय : शासक :: राष्ट्रकूट : राजवंशज
- बसवण्णा : वचनकार :: कनकदास : भक्त कवि
- पंपा : प्राचीन कवि :: कंबार : आधुनिक काल के साहित्यकार
भाषा ज्ञान
1.दिए गए सही कारक चिह्न रिक्त स्थान में भरिए और इस अनुच्छेद के लिए उचित शीर्षक दीजिए :-
(ने, को, से, का, की, के, के लिए, में, पर)
रायण्णा – एक परम देशभक्त
कित्तूर से नौ मील दूरी पर स्थित संगोल्ली नामक एक छोटा-सा गाँव है। इसी गाँव में एक गड़रिये परिवार रायण्णा का जन्म 15 अगस्त सन् 1793 ई. को हुआ था। इनके पिताजी का नाम भरमण्णा था। रायण्णा की माता का नाम चंचोबा था। रायण्णा ने अपने भाई सिद्दण्णा के संग कसरत के साथ-साथ शस्त्राभ्यास भी किया। परिश्रम के फलस्वरूप कित्तूर रानी चेन्नम्मा के राज्य में रायण्णा मुख्य सेनापति के पद पर आरूढ़ हुए। उन्होंने अंग्रेजों को देश से भगाकर भारतमाता को स्वतंत्रता दिलाना ही अपना परम कर्तव्य माना था।
II. वर्ग पहेली :
- रायचूरू जिले से विभक्त होकर उदित नया जिला – नाम पलट गया है। (3)
- सोने का खान यहाँ है। (3)
- प्रसिद्ध नाटक – अभिनेता वीरण्णा इस गाँव के थे। (2)
- इसे कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। (3)
- बीदर जिला के समीप का जिला केंद्र। (3)
- तुमकूरु जिले के सिद्धगंगा के साथ इस गाँव का नाम जुड़ा रहता है। (4)
- यह केलदी संस्थान की राजधानी है। (3)
- प्रसिद्ध मारिकांबा – मंदिर इस स्थान में है। (3)
- प्रख्यात तेज़ गेंदबाज श्रीनाथ इस गाँव के हैं नाम पलट गया है। (4)
- कर्नाटक की राजधानी। (4)
- मदकरि नायक ने यहाँ शासन किया था। (4)
- रानी चेन्नम्मा का गाँव। (3)
- कर्नाटक में अत्यधिक वर्षा होने का स्थान। यहाँ से सूर्यास्त का दृश्य मनमोहक लगता है नाम पलट गया है। (3)
- राजा, रानी, रोरर, रॉकेट को इस जलप्रपात में देख सकते हैं। (2)
- गुफांतर शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण इस गाँव में देखा जा सकता है नाम पलट गया है। (3)
- हेमावती नदी पर यहाँ बाँध बनाया गया है। (3)
ऊपर से नीचे
- मूकांबिका मंदिर यहाँ है। (3)
- मडिकेरी के पास का विख्यात जलप्रपात। (2)
- कोडवा भाषा इस जिले में बोली जाती है। (3)
- शिवप्पनायक की राजधानी, अब एक जिला केंद्र स्थान भी है। (4)
- प्रख्यात जोग जलप्रपात इस गाँव में है। (4)
- साड़ियों को बुननेवाला यह गाँव बागलकोट जिले में है। (4)
- शरावती नदी को लाँच द्वारा पार कर इस गाँव की चौडेश्वरी देवी के दर्शन करना है। (4)
- हासन जिले के इस गाँव में बड़े सुरंग द्वारा नदी का पानी बहाया गया है गाँव का नाम पलट गया है। (3)
- हलेबीडु के साथ जुड़ा हुआ यह गाँव शिल्पकला का जीता-जागता उदाहरण है। (3) 1
- अणु ऊर्जा उत्पादन केंद्र यहाँ स्थापित है – नाम पलट गया है। (2)
उत्तर. बाएँ से दाएँ
- कोप्पला
- कोलार
- गुब्बि
ऊपर से नीचे
- कोल्लूरु
- अब्बि
- कोडगु
- शिवमोग्गा
- गेरुसोप्पा
- मैसूरु
- गुल्बर्गा 8. शिवगंगे
- इलकल
- इक्केरि
- सिंगदूरु
- सिरसि
- बागूरु
- जावगल
- बेलूरु
- बेंगलूरु
- कैगा
- चित्रदुर्ग
- कित्तूरु
- आगुंबे
- जोग
- बादामी
- गोरूरु