सक्सेना परिवार नौकर साधोराम को निकालकर रोबोनिल को नियुक्त करते हैं। रोबोनिल और दूसरे रोबोट रोबोदीप की मुलाकात होने पर उन्हें पता चलता है कि साधोराम की अब छुट्टी कर दी जाएगी। उसकी नौकरी चली जाएगी। रोबोनिल और रोबोदीप अपने संघर्ष के द्वारा धीरज सक्सेना को मजबूर करते हैं कि साधोराम को दोबारा नौकरी पर रखी जाए। अंत में रोबोदीप खुश होता है कि उनसे इंसानों को कोई नुकसान नहीं झेलना होगा।
छात्रों को इस पाठ के द्वारा समझाया जाता है कि मशीन कभी भी मनुष्य का स्थान नहीं ले सकता और मनुष्य का महत्त्व कभी कम नहीं हो सकता।
रोबोट
वर्षों से सक्सेना परिवार में काम कर रहा था साधोराम। अचानक एक दिन चलती बस से गिरकर उसे खतरनाक चोट आ गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सक्सेना परिवार बड़ा था। बेटे-बेटियों, नाती-पोतों से घर में हमेशा रौनक और चहल-पहल बनी रहती। साधोराम के अस्पताल पहुँच जाने से सभी की तकलीफें बढ़ गईं। धीरज सक्सेना से परिवारवालों का यह दुःख नहीं देखा गया। तभी परिवार के मुखिया के नाते उन्होंने कोई फैसला किया। इस फैसले के तहत अगले रोज़ वे ‘रोबोटोनिक्स कॉरपोरेशन’ के कार्यालय जा पहुँचे।
वर्ष 2030 के नवंबर का महीना था। दफ्तर अभी खुला ही था। एक रोबोट वैक्यूम क्लीनर से दफ्तर के फर्श को साफ कर रहा था। कंप्यूटरविद् कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफीशियल इंटैलीजेंस) का समावेश रोबोट में करने में सफल हो गए। कुछ रोबोटों में तो मानवीय संवेदना के गुण पैदा करने में भी कंप्यूटरविदों एवं रोबोटिकी वैज्ञानिकों को सफलता मिली थी।
काउंटर पर बैठे एक रोबोट ने ही धीरज सक्सेना का स्वागत किया, ‘जी श्रीमान्! मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?’ जवाब में धीरज सक्सेना बोले, “मुझे घरेलू कामकाज करने के लिए एक बुद्धिमान रोबोट की ज़रूरत है।” यह सुनकर काउंटर पर बैठा रोबोट बोला, “लेकिन घरेलू कामकाज के लिए बुद्धिमान रोबोट क्यों? आप साधारण रोबोट से भी काम चला सकते हैं।”
“दरअसल मुझे बुद्धिमान रोबोट चाहिए। मेरे नाती-पोतों का होमवर्क कराने के लिए एवं वर्ड प्रोसेसर पर मेरा काम सँभालने के लिए भी…।”
“ठीक है, जैसी आपकी मर्जी। जब आप ज़्यादा कीमत चुकाकर बुद्धिमान रोबोट की सेवाएँ लेने के लिए तैयार ही हैं तो हमें भला क्या एतराज हो सकता है।”
धीरज सक्सेना को यह रोबोट बहुत ही व्यवहार कुशल और चालाक लगा। सचमुच ग्राहक की नब्ज़ पकड़ने की कला में वह पारंगत लगता था।
उस दिन दोपहर को ही कंपनी का एक कार्मिक, जो एक रोबोट ही था, सक्सेना परिवार में काम करने के लिए रोबोनिल को छोड़ गया। जिस रोबोट का ऑर्डर धीरज सक्सेना ने दिया था उसीका नाम रोबोनिल था।
रोबोनिल के घर में आ जाने से सभी ने राहत की साँस ली। सुबह नाश्ता कराने, मेहमानों के स्वागत में द्वार खोलने, घर के छोटे बच्चों को कहानियाँ सुनाने, बच्चों को होमवर्क में मदद करने तथा धीरज सक्सेना के वर्ड प्रोसेसर पर काम करने के अलावा शाम को वह परिवार के पालतू कुत्ते शेरू को घुमाने का काम भी पूरी मुस्तैदी के साथ करने लगा था।
रोबोनिल रोज़ शाम को शेरू को टहलाने के लिए ले जाता था। ऐसे में एक दिन उसकी मुलाकात रोबोदीप से हो गई। रोबोदीप उसी मोहल्ले में रहने वाले शर्मा परिवार के कुत्ते झबरू को घुमाने आया करता था। दोनों रोबोटों के बीच दोस्ती हुई तो शेरू और झबरू भी आपस में हिल-मिल गए।
रोबोनिल की तरह रोबोदीप भी एक बुद्धिमान रोबोट था। बातों-बातों में एक दिन रोबोदीप ने रोबोनिल को बताया, “जानते हो रोबोनिल, तुम्हारे आने से पहले सक्सेना परिवार में कौन काम करता था?”
रोबोनिल को इस बारे में कुछ पता नहीं था। वह बोला, “नहीं तो, मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। पर तुम्हें किसने बताया?”
“मैंने शर्मा परिवार को तुम्हारे सक्सेना परिवार के बारे में बातचीत करते सुना है। साधोराम नाम का सेवक एक बस दुर्घटना में घायल होकर किसी अस्पताल में है।”
“सो तो ठीक है, पर इसमें खास बात क्या है? ठीक होकर वह दुबारा सक्सेना परिवार से आ जुड़ेगा।”
“नहीं रोबोनिल! यहीं तुम गलत हो। तुम्हारे परिवार के मुखिया धीरज सक्सेना की शर्मा साहब से मुलाकात हुई थी। उन्होंने बताया कि वह अब साधोराम की छुट्टी करनेवाले हैं।”
सुनकर रोबोनिल चौंक गया। बोला, “क्या कहा तुमने! वे लोग साधोराम की छुट्टी करनेवाले हैं! पर क्यों?”
“इसलिए कि तुम उन्हें बहुत भा गए हो। बूढ़े साधोराम को थोड़ा मुआवज़ा देकर वे उसको गाँव भिजवा देंगे।”
“मगर रोबोदीप, यह तो रोबोटिकी के नियम के विरुद्ध है। कोई रोबोट किसी इंसान को कैसे नुकसान पहुँचा सकता है! यह तो साधोराम के पेट पर लात मारना हुआ। नहीं, हमें कुछ और करना होगा।”
रोबोनिल की बात सुनकर रोबोदीप बोला, “वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक आइज़क आसिमोव के रोबोटिकी के नियम के खिलाफ तो यह है ही कि कोई रोबोट किसी इंसान के नुकसान का कारण बने, साथ-साथ मानवीय नज़रिये से भी यह गलत है कि हमारे कारण किसी भी इंसान की नौकरी को खतरा पहुँचे।” दोनों के बीच कुछ गुप्त मंत्रणा हुई। फिर दोनों अपने-अपने पालतू कुत्तों के साथ अपने मालिकों के घर लौट गए।
अगले रोज़ रोबोनिल और रोबोदीप ‘रोबोटोनिक्स कॉरपोरेशन’ के दफ्तर में हाज़िर हुए। कंपनी के मालिक रोबोजीत से उन्होंने भेंट की। सारी बातें विस्तार से समझाईं। सुनकर रोबोजीत बोला, “मगर मैं क्या करूँ! मैं तो अनुबंध की शर्तों से बँधा हूँ। व्यापार में अगर मैं नियम को देखने लगूँ तो कर लिया मैंने धंधा। मैं तुम लोंगों की कोई मदद नहीं कर सकता।”
रोबोनिल और रोबोदीप ने बहुत समझाने की कोशिश की। रोबोजीत टस से मस नहीं हुआ। उसे आसिमोव के नियमों से बढ़कर धंधे की चिंता थी। निराश होकर दोनों वापस लौट आए।
कुछ दिन और गुज़र गए। सक्सेना परिवार रोबोनिल को पाकर फूला नहीं समा रहा था। पर रोबोनिल साधोराम के कारण बहुत चिंतित था। उसके कारण साधोराम की नौकरी को आँच आए, यह उसे किसी भी सूरत में मंजूर नहीं था। रोबोनिल सोचता कि इंसान अपने स्वार्थ और लालच के तहत नियम और कानूनों को अँगूठा दिखा देता है, पर लगता है, रोबोटों में भी अब वही कमी पैदा हो गई है।
उसी रात रोबोनिल को धीरज सक्सेना ने एक विज्ञान कथा वर्ड प्रोसेसर पर टाइप करने के लिए दी। कथा संक्षेप में इस प्रकार थी- एक घर में नौकर को, जो किसी जानलेवा बीमारी से पीड़ित था, निकालकर उसकी जगह पर एक रोबोट को रख दिया जाता है। किसी तरह रोबोट को इस बात की जानकारी मिल जाती है तो वह ‘रोबोटिक संघ’ से संपर्क साधकर संघ को सारी बातों से अवगत कराता है। संघ रोबोटों की हड़ताल की घोषणा कर देता है। अंततः समझौता इस बात पर होता है कि उस नौकर को घर में फिर से रख लिया जाएगा।
कहानी टाइप करके रोबोनिल की धात्विक और तारों भरे परिपंथवाली खोपड़ी में यकायक मानो नीली रोशनी हो गई।
अगले रोज़ ही रोबोदीप के साथ वह संघ के कार्यालय जा पहुँचा। सब बातें सुनकर अध्यक्ष ने संघ की कार्यकारिणी की आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक में तय हुआ कि सभी रोबोटिक कंपनियों के काम करनेवाले रोबोटों की हड़ताल का आह्वान कर दिया जाए।
रोबोटिक कंपनियों के मालिकों के बीच इस आह्वान से हलचल मच गई। उन्होंने रोबोजीत पर सक्सेना परिवार के साथ हुए अनुबंध को तुरंत रद्द कर देने का दबाव डाला। रोबोजीत अकेला पड़ गया। मजबूरन उसे धीरज सक्सेना के साथ अपने अनुबंध को तुरंत रद्द करके रोबोनिल को वापस बुलाने की बात माननी पड़ी।
धीरज सक्सेना को जब यह सब पता चला तो उनके हाथों के तोते उड़ गए। यह सच था कि उन्होंने साधोराम को नौकरी से निकालने का फैसला कर लिया था, पर बदले हुए हालात में उन्हें मजबूर होकर ‘रोबोटिक संघ’ के अध्यक्ष के पास जाकर यह गुजारिश करनी पड़ी कि जब तक साधोराम पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता है, तब तक रोबोनिल उसके पास काम करता रहेगा। साधोराम के ठीक होते ही वह उसे दोबारा काम पर रख लेंगे। संघ को यह बात मानने में कोई आपत्ति नहीं थी।
शाम को रोबोनिल और रोबोदीप मिले। रोबोदीप बोला, “मुझे खुशी है कि हमारे कारण किसी इंसान को नुकसान नहीं झेलना होगा।”
शब्दार्थ :
खतरनाक – खतरे का, भयजनक
मुखिया – घर का प्रधान
नाते – संबंध से,
तहत – अंतर्गत
वैक्यूम क्लीनर – सफाई करने का एक मशीन,
समावेश – शामिल करना,
एतराज़ – आपत्ति, दोष निकालना
नब्ज़ – नाड़ी,
पारंगत – निपुण,
कार्मिक – कर्मचारी,
मुस्तैदी – तत्परता,
मुआवज़ा – हर्ज़ाना, किसी कार्य या हानि के बदले में दिया गया धन;
नज़रिया – सोचने का तरीका,
मंत्रणा – विचार-विमर्श, सलाह
अनुबंध – लिखित समझौता, Contract
सूरत – शक्ल, चेहरा
मंजूर – स्वीकार संपर्क
मेल – संयोग
अवगत – जाना हुआ,
धात्विक – धातु से बना, धातु संबंधी
परिपंथ – वह जो रास्ता रोके हुए हो,
यकायक – अचानक, एकाएक
पुकारना – बुलाना
आपातकालीन – संकट काल का, आह्वान
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- वर्षों से सक्सेना के परिवार में कौन काम कर रहा था?
उत्तर – साधोराम नाम का व्यक्ति वर्षों से सक्सेना के परिवार में काम कर रहा था।
- धीरज सक्सेना किस कार्यालय में जा पहुँचे?
उत्तर – धीरज सक्सेना ‘रोबोटोनिक्स कॉरपोरेशन’ के कार्यालय जा पहुँचे।
- एक रोबोट वैक्यूम क्लीनर से क्या साफ कर रहा था?
उत्तर – एक रोबोट वैक्यूम क्लीनर से फ़र्श को साफ कर रहा था।
- रोबोनिल की मुलाकात किससे हुई?
उत्तर – एक दिन रोबोनिल की मुलाकात रोबोदीप से हुई।
- शर्मा परिवार के कुत्ते का नाम लिखिए।
उत्तर – शर्मा परिवार के कुत्ते का नाम झबरू था।
- रोबोनिल और रोबोदीप किससे मिलने गए?
उत्तर – रोबोनिल और रोबोदीप ‘रोबोटोनिक्स कॉरपोरेशन’ कंपनी के मालिक रोबोजीत से मिलने गए।
- वैज्ञानिक लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर – वैज्ञानिक लेखक का नाम ‘आइज़क आसिमोव’ है।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- साधोराम को क्या हुआ था?
उत्तर – साधोराम वर्षों से सक्सेना परिवार में काम कर रहा था। एक दिन अचानक चलती बस से गिरकर उसे गंभीर चोटें आ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
- धीरज सक्सेना को बुद्धिमान रोबोट की ज़रूरत क्यों थी?
उत्तर – धीरज सक्सेना को बुद्धिमान रोबोट की ज़रूरत थी क्योंकि वे बुद्धिमान रोबोट की मदद से अपने नाती-पोतों का होमवर्क करवाने में मदद चाहते थे। इसके अलावा वे अपने वर्ड प्रोसेसर के काम को भी बुद्धिमान रोबोट से करवाना चाहते थे।
- रोबोदीप ने रोबोनिल से क्या कहा?
उत्तर – रोबोदीप ने रोबोनिल से कहा कि तुमसे पहले सक्सेना के घर में काम करने वाला नौकर साधोराम था। किसी बस दुर्घटना में घायल होकर वह अभी अस्पताल में है। तुम्हारे आ जाने से अब उसे फिर से नौकरी पर नहीं रखेंगे बल्कि मुआवजा देकर गाँव भेज देंगे।
- रोबोनिल ने रोबोजीत को क्या समझाने की कोशिश की?
उत्तर – रोबोनिल ने रोबोजीत को यह समझाने की कोशिश की कि सक्सेना परिवार में काम करने वाला साधोराम बस दुर्घटना में घायल हो चुका है। मेरे सक्सेना परिवार में जाने के बाद अब वे उस साधोराम को नौकरी से छुट्टी दे देंगे और कुछ मुआवज़ा देकर गाँव भेज देंगे। यह वैज्ञानिक आइज़क आसिमोव के नियम के विरुद्ध है। किसी रोबोट की वजह से किसी आदमी की नौकरी नहीं जानी चाहिए।
- कहानी को टाइप करते समय रोबोनिल को क्या हुआ?
उत्तर – कहानी को टाइप करते समय रोबोनिल की धात्विक और तारों भरे परिपंथवाली खोपड़ी में एकाएक मानो नीली रोशनी हो गई।
III. चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- धीरज सक्सेना ने घरेलू कामकाज के लिए रोबोट रखने का निर्णय क्यों लिया?
उत्तर – धीरज सक्सेना का परिवार बड़ा था। बेटे-बेटियों, नाती-पोतों से घर में हमेशा रौनक और चहल-पहल बनी रहती थे। उनके घरेलू नौकर साधोराम के अस्पताल में भर्ती हो जाने से सभी की तकलीफें बढ़ गईं थीं। धीरज सक्सेना से परिवारवालों का यह कष्ट नहीं देखा गया। परिवार के मुखिया के नाते उन्होंने घरेलू कामकाज के साथ-साथ नाती-पोतों के होमवर्क में मदद और अपने वर्ड प्रोसेसर के काम के लिए रोबोट रखने का निर्णय लिया।
- रोबोनिल और रोबोदीप की मुलाकात का वर्णन कीजिए।
उत्तर – रोबोनिल रोज़ शाम को धीरज सक्सेना के कुत्ते शेरू को टहलाने के लिए ले जाता था। ऐसे में एक दिन उसकी मुलाकात रोबोदीप से हो गई। रोबोदीप उसी मोहल्ले में रहने वाले शर्मा परिवार के कुत्ते झबरू को घुमाने आया करता था। इसी से दोनों रोबोटों के बीच दोस्ती शुरू हुई। इसी दोस्ती की वजह से रोबोनिल रोबोदीप से साधोराम के बार में जान सका। साधोराम के साथ होने वाले अन्याय को रोकने के लिए उसने संघ के अध्यक्ष से मुलाकात की और सारी बातें विस्तार से बताई। अंतत:, रोबोनिल, रोबोदीप और संघ के अध्यक्ष की वजह से साधोराम की नौकरी बच गई।
- विज्ञान कथा का सार लिखिए।
उत्तर – विज्ञान कथा का सार यह है कि मशीनें हमारी सहायता और सुरक्षा के लिए बनी हैं न कि हम पर शासन करने के लिए और न ही किसी मनुष्य की नौकरी लेने के लिए। आधुनिक समय में मशीनों पर हमारी निर्भरता बहुत बढ़ गई है पर इसका मतलब यह कदापि नहीं है कि हम मनुष्यों से ज्यादा अहमियत मशीनों को देने लगे। मनुष्यों में जीवन है, संवेदना है, भाव और विचार है जबकि मशीनों में केवल निर्देशों के पालन करने की क्षमता भर है। इसलिए मनुष्यों और मशीनों की कभी भी तुलना नहीं की जानी चाहिए।
- रोबोटिक कंपनियों के मालिकों के बीच हलचल क्यों मच गई?
उत्तर – रोबोनिल अपने मित्र रोबोदीप के साथ संघ के कार्यालय जा पहुँचा। उसने धीरज सक्सेना और उनके घरेलू नौकर साधोराम तथा अपनी और ‘रोबोटोनिक्स कॉरपोरेशन’ कंपनी के मालिक रोबोजीत की सारी बातें विस्तार से बताई। सब बातें सुनकर अध्यक्ष ने संघ की कार्यकारिणी की आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक में तय हुआ कि सभी रोबोटिक कंपनियों के काम करनेवाले रोबोटों की हड़ताल का आह्वान कर दिया जाए। इसी कारण से रोबोटिक कंपनियों के मालिकों के बीच हलचल मच गई।
IV.निम्नलिखित कारकों को चुनकर लिखिए :-
(का, के, में, से, की)
- वर्ष 2030 का नवंबर का महीना था।
- आप साधारण रोबोट से भी काम चला सकते हैं।
- रोबोनिल के घर में आ जाने से सभी ने राहत की साँस ली।
- रोबोटों की हड़ताल की घोषणा हुई।
- संघ को यह बात मानने में कोई आपत्ति नहीं थी।
V. जोड़कर लिखिए :-
अ ब
- यह सुनकर काउंटर पर – गुप्त मंत्रणा हुई।
- मगर, रोबोदीप, यह तो – पाकर फूला नहीं समा रहा था।
- शाम को रोबोनिल – बैठा रोबोट बोला।
- दोनों के बीच कुछ – रोबोटिकी के नियम के विरुद्ध है।
- सक्सेना परिवार – और रोबोदीप मिले।
– रोबोनिल को
उत्तर – अ ब
- यह सुनकर काउंटर पर – बैठा रोबोट बोला।
- मगर, रोबोदीप, यह तो – रोबोटिकी के नियम के विरुद्ध है।
- शाम को रोबोनिल – और रोबोदीप मिले।
- दोनों के बीच कुछ – गुप्त मंत्रणा हुई।
- सक्सेना परिवार – पाकर फूला नहीं समा रहा था।
VI. अन्य वचन रूप लिखिए :-
- बेटा – बेटे
- नाती – नातिनें
- कुत्ता – कुत्ते
- छुट्टी – छुट्टियाँ
- बेटियाँ – बेटी
- पोता – पोते
- कंपनियाँ – कंपनी
- नौकरियाँ – नौकरी
VII. उदाहरण के अनुसार लिखिए :-
- शेरू को टहलाना : रोबोनिल :: झबरू को घुमाना :
- मुखिया : धीरज सक्सेना :: सेवक :
- टस से मस न होना : अटल रहना :: फूले न समाना :
भाषा ज्ञान
मुहावरे:
जो वाक्यांश अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करता है, वह मुहावरा कहलाता है।
उदाहरण : आँखें चुराना – अपने आप को छिपाना
आँखें दिखाना – धमकाना, डराना, गुस्सा करना
अक्ल का अंधा – मूर्ख
आस्तीन का साँप – कपटी मित्र
कान भरना – चुगली करना
I. उदाहरण के अनुसार मुहावरे लिखिए :-
- शरीर के अंगों से संबंधित
उदाहरण – अँगूठा दिखाना – साफ इनकार करना
उत्तर – आँखें बिछाना – प्रेमपूर्वक स्वागत करना
उदाहरण – माता-पिता अपने बेटे की राह में आँखें बिछाए बैठे थे।
नाक कटना – अपमानित होना
उदाहरण – परीक्षा में फेल होकर उसने अपने परिवार की नाक कटवा दी।
कान खड़े होना – चौकन्ना हो जाना
उदाहरण – चोरी की खबर सुनते ही चौकीदार के कान खड़े हो गए।
मुँह की खाना – हार या अपमान झेलना
उदाहरण – बिना तैयारी के बहस करने गया और मुँह की खानी पड़ी।
हाथ पर हाथ धरे बैठना – कोई काम न करना
उदाहरण – कठिन समय में हाथ पर हाथ धरे बैठने से कुछ नहीं होगा।
दिल पर पत्थर रखना – भारी मन से कोई कार्य करना
उदाहरण – पिता ने दिल पर पत्थर रखकर बेटी की विदाई की।
पैर पकड़ना – क्षमा माँगना
उदाहरण – गलती करने के बाद उसने गुरुजी के पैर पकड़ लिए।
दाँतों तले उँगली दबाना – हैरान हो जाना
उदाहरण – उसकी प्रतिभा देखकर सबने दाँतों तले उँगली दबा ली।
छाती ठोकना – गर्व से दावा करना
उदाहरण – वह छाती ठोककर कहता है कि वह हर समस्या का हल निकाल सकता है।
सिर उठाना – विद्रोह करना
उदाहरण – अन्याय के खिलाफ लोगों ने सिर उठाना शुरू कर दिया।
- अंकों से संबंधित
उदाहरण – नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना
उत्तर – एक आँख से देखना – पक्षपात करना
उदाहरण – शिक्षक को सभी छात्रों को समान रूप से देखना चाहिए, न कि एक आँख से देखना चाहिए।
दो टूक कहना – स्पष्ट और कठोर शब्दों में कहना
उदाहरण – मैनेजर ने कर्मचारी को दो टूक कह दिया कि समय पर काम पूरा करें।
तीन में न तेरह में – किसी लायक न होना
उदाहरण – वह लड़का किसी काम का नहीं, तीन में न तेरह में रहता है।
चार चाँद लगना – शोभा बढ़ना
उदाहरण – दुल्हन के गहनों और साज-सज्जा ने उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा दिए।
पाँचों उँगलियाँ घी में होना – बहुत लाभ होना
उदाहरण – लॉटरी लगने के बाद तो उसकी पाँचों उँगलियाँ घी में हो गईं।
छठी इंद्री जागना – पूर्वानुमान लगाना
उदाहरण – अनुभवी जासूस की छठी इंद्री तुरंत बता देती है कि मामला क्या है।
सातवें आसमान पर होना – बहुत अधिक खुश होना
उदाहरण – परीक्षा में पहला स्थान पाकर वह सातवें आसमान पर था।
दस का दम रखना – बहुत ताकत होना
उदाहरण – वह अकेले ही दस लोगों के बराबर दम रखता है।
सौ सुनार की, एक लोहार की – बार-बार की छोटी चोटों से ज्यादा एक बार की जोरदार चोट असरदार होती है
उदाहरण – अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस ने सौ सुनार की, एक लोहार की वाली चाल चली।
II.मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए :-
- आँख खुलना – सच्चाई का पता चलना, वास्तविकता का ज्ञान होना – गुरुजी के प्रवचन सुनने के बाद मेरी आँखें खुल गईं और मैंने बुरी संगति छोड़ दी।
- ईद का चाँद होना – बहुत समय बाद दिखाई देना या बहुत कम नजर आना। – रमेश तो अब ईद का चाँद हो गया है, कई महीनों बाद दिखाई दिया।
- कान खड़े होना – चौकन्ना या सतर्क हो जाना, किसी संदिग्ध या महत्त्वपूर्ण बात को ध्यान से सुनना – चोरी की खबर सुनते ही पुलिस के कान खड़े हो गए और तुरंत जाँच शुरू कर दी।
- हवा से बातें करना – बहुत तेज़ गति से दौड़ना या चलना। – रेस में रमेश की गाड़ी इतनी तेज़ थी कि मानो वह हवा से बातें कर रही थी।
- बात का धनी – जो व्यक्ति अपनी कही हुई बात पर अडिग रहता है और वचन का पालन करता है। – राजा हरिश्चंद्र अपने सत्य और ईमानदारी के कारण बात के धनी माने जाते हैं।
III. मुहावरों को सही अर्थ के साथ जोड़कर लिखिए :-
- राहत की साँस लेना विचलित न होना
- पेट पर लात मारना चैन की साँस लेना / तसल्ली करना
- टस से मस न होना आश्चर्यचकित होना
- फूला नहीं समाना नौकरी या सहूलियत छीनना
- आँच आना वक्त आने पर इनकार करना
- अँगूठा दिखा देना हानि पहुँचना
- हलचल मचाना बहुत खुश होना
- हाथों के तोते उड़ना शोर मचाना
उत्तर –
- राहत की साँस लेना चैन की साँस लेना / तसल्ली करना
- पेट पर लात मारना नौकरी या सहूलियत छीनना
- टस से मस न होना विचलित न होना
- फूला नहीं समाना बहुत खुश होना
- आँच आना हानि पहुँचना
- अँगूठा दिखा देना वक्त आने पर इनकार करना
- हलचल मचाना शोर मचाना
- हाथों के तोते उड़ना आश्चर्यचकित होना
IV.निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य पूरा कीजिए :-
(साँस रोके हुए, नौ दो ग्यारह हो जाना, गुस्सा हवा हो जाना, चिंगारियाँ सुलगना, दाँतों तले उँगली दबाना, भूचाल आ जाना)
- मास्टर साहब की आँखों में चिंगारियाँ सुलग रही थीं।
- मालिक को देखकर ड्राइवर का गुस्सा हवा हो गया।
- अपने सामने शेर को देख मैं काफी देर तक साँस रोके हुए खड़ा रहा।
- अध्यापिका की अनुपस्थिति में बच्चों ने कक्षा में इतना शोर मचा रखा था, ऐसा लग रहा था, मानो कक्षा में भूचाल आ जाएगा।
- एक व्यक्ति को अपने मुँह से ट्रक खींचते देख हम दाँतों तले उँगली दबाकर रह गए।
- बिल्ली को सामने से आता देख चूहा नौ-दो ग्यारह हो गया।
पाठ से आगे
रोबोट एक मशीन है, पर उसमें मानवता का भाव भरा हुआ है। मानव भी इस प्रकार की मानवता का भाव कहाँ और कैसे प्रकट कर सकता है – इसके बारे में चर्चा कीजिए।