सियारामशरण गुप्त
कवि सियारामशरण गुप्त का जन्म 4 सितंबर 1895 को मध्यप्रदेश के झाँसी के चिरगाँव में हुआ था। पिता का नाम सेठ रामचरण कनकने और माता का नाम कौशल्या बाई था। ये हिंदी के राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुज थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद घर पर ही उन्होंने गुजराती, अंग्रेज़ी तथा उर्दू भाषा सीखी। 1929 में महत्मा गांधीजी के संपर्क में आकर वर्धा में रहे। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- मौर्यविजय, अनाथ, विषाद, आर्द्रा, आत्मोत्सर्ग, मृण्मयी, बापू, नकुल आदि। दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए उन्हें नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी द्वारा ‘सुधाकर पदक’ प्रदान किया गया। लंबे समय की बीमारी के कारण 29 मार्च 1963 में इनका निधन हुआ।
‘समय’ अधिक महत्त्वपूर्ण तथा उपयोगी होता है। समय को जो अपना सच्चा साथी बना लेगा, वह अपने काम में सफल होगा। इस कविता में यह संदेश दिया गया है कि हमें काम करने का जो अवसर प्राप्त होता है, उसे व्यर्थ जाने नहीं देना चाहिए।
समय बहुत अनमोल है। उसका महत्त्व धन से भी ज्यादा है। इस कविता द्वारा छात्र समय की महत्ता समझेंगे।
समय की पहचान
उद्योगी को कहाँ नहीं सुसमय मिल जाता,
समय नष्ट कर कहीं सौख्य कोई भी पाता।
आलस ही यह करा रहा है सभी बहाने,
जो करना है, करो अभी, कल हो क्या जाने?
पा सकते फिर नहीं कभी तुम इसको खोके
चाहो तुम क्यों नहीं चक्रवर्ती भी होके।
कर सकता कब कौन द्रव्य है इसकी समता,
फिर भी तुमको नहीं ज़रा है इसकी चिंता॥
समय ईश का दिया हुआ अति अनुपम धन है,
यही समय ही अहो तुम्हारा शुभ जीवन है।
तुच्छ कभी तुम नहीं एक पल को भी जानो,
पल-पल से ही बना हुआ जीवन को मानो।
करना है जो काम, उसी में चित्त लगा दो,
आत्मा पर विश्वास करो, संदेह भगा दो॥
ऐसा सुसमय भला और कब तुम पाओगे,
खोकर पीछे इसे सर्वथा पछताओगे॥
समय की पहचान – व्याख्या सहित
01
उद्योगी को कहाँ नहीं सुसमय मिल जाता,
समय नष्ट कर कहीं सौख्य कोई भी पाता।
आलस ही यह करा रहा है सभी बहाने,
जो करना है, करो अभी, कल हो क्या जाने?
व्याख्या – यह पंक्तियाँ समय के सदुपयोग और परिश्रम की महत्ता को दर्शाती हैं। कवि कहते हैं कि जो परिश्रमी व्यक्ति होता है, उसे हर परिस्थिति में सही समय और अवसर मिल ही जाता है। परिश्रम करने वाले के लिए कोई भी समय बुरा नहीं होता। जो अपना समय व्यर्थ गँवाता है, वह कभी भी सुख और सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। सफलता उन्हीं को मिलती है जो समय का सदुपयोग करते हैं। आलसी व्यक्ति हमेशा बहाने बनाता है और कार्य को टालता रहता है। असफलता का सबसे बड़ा कारण आलस्य ही होता है। कवि आगे कहते हैं कि जो भी आवश्यक कार्य है, उसे तुरंत कर लेना चाहिए। भविष्य अनिश्चित है, इसलिए कल पर निर्भर रहना समझदारी नहीं है।
02
पा सकते फिर नहीं कभी तुम इसको खोके
चाहो तुम क्यों नहीं चक्रवर्ती भी होके।
कर सकता कब कौन द्रव्य है इसकी समता,
फिर भी तुमको नहीं ज़रा है इसकी चिंता॥
व्याख्या – इस कविता में समय की अमूल्य प्रकृति और उसकी अनमोलता पर जोर दिया गया है। कवि कहते हैं कि यदि तुमने समय एक बार खो दिया, तो उसे दोबारा नहीं पा सकते। समय बीत जाने के बाद उसे वापस लाना असंभव है। भले ही तुम कितने ही बड़े चक्रवर्ती सम्राट क्यों न बन जाओ, फिर भी तुम खोए हुए समय को वापस नहीं ला सकते। धन, सत्ता, या शक्ति से समय को नहीं खरीदा जा सकता। कोई भी धन-दौलत समय के बराबर नहीं हो सकता। दुनिया की कोई भी संपत्ति समय का मूल्य नहीं चुका सकती। फिर भी, लोग समय की कद्र नहीं करते और इसे व्यर्थ गँवा देते हैं। यह विडंबना है कि सबसे मूल्यवान चीज़ को ही लोग सबसे अधिक अनदेखा करते हैं।
03
समय ईश का दिया हुआ अति अनुपम धन है,
यही समय ही अहो तुम्हारा शुभ जीवन है।
तुच्छ कभी तुम नहीं एक पल को भी जानो,
पल-पल से ही बना हुआ जीवन को मानो।
व्याख्या – कविता की ये पंक्तियाँ समय के महत्त्व और उसके सदुपयोग को दर्शाती है। समय भगवान का दिया हुआ सबसे अनमोल उपहार है। यह धन ऐसा है जिसे न खरीदा जा सकता है और न ही बचाकर रखा जा सकता है। वास्तव में, समय ही हमारा सच्चा जीवन है। जो समय को सही ढंग से उपयोग करता है, वही जीवन को सफल और शुभ बना सकता है। किसी भी क्षण को तुच्छ या छोटा मत समझो, क्योंकि हर पल का अपना महत्व है। जो एक पल को भी व्यर्थ समझता है, वह अपने जीवन के मूल्य को नहीं पहचानता। हमारा पूरा जीवन छोटे-छोटे पलों का ही संग्रह है। यदि हम हर क्षण को सही तरीके से जिएँगे, तो हमारा पूरा जीवन सफल और सार्थक होगा।
04
करना है जो काम, उसी में चित्त लगा दो,
आत्मा पर विश्वास करो, संदेह भगा दो॥
ऐसा सुसमय भला और कब तुम पाओगे,
खोकर पीछे इसे सर्वथा पछताओगे॥
व्याख्या – सियाराम शरण गुप्त कविता की इन पंक्तियों में समय के सदुपयोग, आत्मविश्वास और कर्मठता पर बल देते हुए कहते हैं कि जो भी कार्य करना है, उसमें पूरी निष्ठा और ध्यान लगाओ। आधे मन से किया गया काम कभी सफल नहीं होता। अपने आप पर विश्वास रखो और किसी भी प्रकार के संदेह को अपने मन से निकाल दो। आत्मविश्वास सफलता की कुंजी है, और संदेह केवल बाधाएँ खड़ी करता है। जो समय अभी मिला है, वही सबसे अच्छा समय है। सही समय की प्रतीक्षा मत करो, क्योंकि यही अवसर सबसे उपयुक्त है। यदि तुम इस समय को व्यर्थ गँवा दोगे, तो बाद में पछताना पड़ेगा, लेकिन तब कुछ भी वापस नहीं मिलेगा।
शब्दार्थ :
उद्योगी – परिश्रमी,
परिश्रमी – मेहनती
सौख्य – सुख,
आलस – आलस्य, कामचोरी;
बहाना – बात टालना, नाम मात्र का कारण
अनुपम – अनोखा, बेजोड़, उपमाविहीन
द्रव्य – धन, पदार्थ, सामग्री
तुच्छ – छोटा, क्षुद्र, निस्सार, अल्प
पल – क्षण,
चित्त – मन, अंतःकरण
विश्वास – भरोसा, यकीन;
सुसमय – अच्छा समय, उत्तम अवसर
खोना – गँवाना,
सर्वथा – सदा, हमेशा।
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :-
- कवि के अनुसार मनुष्य को सुख कब नहीं मिलता?
उत्तर – कवि सियाराम शरण गुप्त जी के अनुसार जब मनुष्य अपने समय को नष्ट करता है तब उसे सुख नहीं मिलता है।
- बहाने बनाने का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर – बहाने बनाने का प्रमुख कारण मनुष्य का आलस है।
- समय किसका दिया हुआ अनुपम धन है?
उत्तर – समय ईश्वर का दिया हुआ अनुपम धन है।
- कवि किस पर विश्वास करने को कहते हैं?
उत्तर – कवि खुद पर अर्थात् स्वयं पर विश्वास करने को कहते हैं।
- समय के खोने से क्या होता है?
उत्तर – समय के खोने से हमें केवल पछताना ही पड़ता है।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :-
- मनुष्य के लिए सुख की प्राप्ति कब संभव है?
उत्तर – मनुष्य के लिए सुख की प्राप्ति तभी संभव है जब वह समय का सदुपयोग करे। जीवन के हरेक क्षण को महत्त्वपूर्ण माने। अपने जीवन में आलस्य और अकर्मण्यता की परछाई भी न पड़ने दे।
- समय का सदुपयोग कैसे करना चाहिए?
उत्तर – समय ईश्वर का हमें अनुपम वरदान है। हमें समय का सदुपयोग करने के लिए खुद पर यकीन रखते हुए पूरे मन से किसी काम को पूरा करना चाहिए। एक क्षण भी बर्बाद किए बिना जीवन में कर्मशील बने रहना चाहिए।
- कविता की अंतिम चार पंक्तियों में कवि क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर – कविता की अंतिम चार पंक्तियों में कवि समय के सदुपयोग, आत्मविश्वास और कर्मठता पर बल देते हुए कहते हैं कि जो भी कार्य करना है, उसमें पूरी निष्ठा और ध्यान लगाओ। आधे मन से किया गया काम कभी सफल नहीं होता। अपने आप पर विश्वास रखो और किसी भी प्रकार के संदेह को अपने मन से निकाल दो। जो समय अभी मिला है, वही सबसे अच्छा समय है। यदि तुम इस समय को व्यर्थ गँवा दोगे, तो बाद में पछताना पड़ेगा, लेकिन तब कुछ भी वापस नहीं मिलेगा।
III. निम्नलिखित शब्दों में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
(सर्वथा, चक्रवर्ती, करो अभी, शुभ)
- जो करना है, ___________ कल हो क्या जाने?
उत्तर – करो अभी
- चाहो तुम क्यों नहीं ___________ भी होके।
उत्तर – चक्रवर्ती
- यही समय ही अहो तुम्हारा ___________ जीवन है।
उत्तर – शुभ
- खोकर पीछे इसे ___________ पछताओगे।
उत्तर – सर्वथा
IV. अनुरूपता :-
- आलस : परिश्रम :: नष्ट : निर्माण
- जानो : मानो :: लगा दो : भगा दो
- धन : निर्धन :: दिया : लिया
- जीवन : मरण :: खोना : पाना
V. जोड़कर लिखिए :-
- उद्योगी – सुख
- आलस – अनुपम धन
- जीवन – समता
- समय – बहाना
- द्रव्य – पल-पल
सुसमय
उत्तर –
- उद्योगी – सुसमय
- आलस – बहाना
- जीवन – पल-पल
- समय – अनुपम धन
- द्रव्य – समता
VI.उदाहरण के अनुसार तुकांत शब्दों को पहचानकर लिखिए :-
उदाहरण : जाता – पाता
- बहाने – नहाने
- समता – ममता
- धन – मन
- लगा दो – जगा दो
- जानो – मानो
- पाओगे – खाओगे
VII. नीचे दिये गए शब्दों का शुद्ध रूप लिखिए :-
- चकरवरती – चक्रवर्ती
- चींता – चिंता
- नश्ट – नष्ट
- अलास – आलस
- सरवथा – सर्वथा
- सयम – संयम
VIII. उदाहरण के अनुसार शब्द लिखिए :-
उदाहरण : समय – सुसमय
- पुत्र – सुपुत्र
- फल – सुफल
- मन – सुमन
- योग्य – सुयोग्य
- यश – सुयश
- नाद – सुनाद
- मति – सुमति
IX. समय के महत्त्व से संबंधित निम्नलिखित दोहा और कविताओं को पढ़िए और लिखिए। कक्षा में चर्चा कीजिए:-
- काल करै सो आज कर, आज करै सो अब,
पल में परलय होवेगा, बहुरि करेगा कब॥
उत्तर – यह दोहा समय प्रबंधन और कार्य की त्वरित निष्पत्ति पर जोर देता है। जो काम कल करना है, उसे आज ही कर लो और जो आज करना है, उसे अभी कर लो। क्योंकि अगले ही पल क्या हो जाए, यह कोई नहीं जानता। यदि अचानक प्रलय (समय का अंत) आ जाए, तो फिर काम करने का अवसर ही नहीं मिलेगा। वास्तव में, यह दोहा हमें आलस्य छोड़कर समय का सदुपयोग करने और तुरंत कार्य करने की प्रेरणा देता है।
- उठ जाग मुसाकिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है।
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जागत है सो पावत है।
उत्तर – ये पंक्तियाँ व्यक्ति को जागरूक और कर्मशील बनने की प्रेरणा देता है। इसमें कवि कहते हैं कि – हे यात्री (जीवन पथिक), जागो! सुबह हो चुकी है। यहाँ ‘मुसाफिर’ शब्द मानव जीवन के यात्री के रूप में प्रयोग हुआ है। अब रात समाप्त हो गई है, तुम सो क्यों रहे हो? यहाँ “रैन” (रात) से तात्पर्य आलस्य, अज्ञान, और मोह से है। कवि कहते हैं कि जो सोता रहता है अर्थात् जो आलसी, अज्ञानी और निष्क्रिय है, वह जीवन में बहुत कुछ खो देता है। जबकि जो जागरूक और कर्मशील है, वही अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है।
- जो आज करना सो अब कर ले।
उत्तर – “जो आज करना सो अब कर ले” – इस पंक्ति का अर्थ है कि जो कार्य आज करना है, उसे अभी कर लेना चाहिए, बिना किसी विलंब के। यह पंक्ति समय के महत्त्व को दर्शाती है और हमें आलस्य छोड़कर तुरंत कार्य करने की प्रेरणा देती है। कई बार हम सोचते हैं कि कोई काम बाद में कर लेंगे, लेकिन टालमटोल (procrastination) से केवल समय की बर्बादी होती है। अगर कोई व्यक्ति अपने कार्यों को टालता रहता है, तो भविष्य में वह कठिनाइयों का सामना कर सकता है। सफलता उन्हीं को मिलती है जो समय पर अपने कार्यों को पूरा करते हैं।
- जब चिड़िया चुग गयी खेत,
तब पछताये क्या होता है।
उत्तर – यह कहावत हमें समय की महत्ता और सतर्कता का संदेश देती है। इसका अर्थ है कि जब कोई नुकसान हो चुका होता है, तब पछताने से कोई लाभ नहीं होता। जैसे यदि किसान अपने खेत की रक्षा समय पर नहीं करता और चिड़िया बीज खा जाती हैं, तो बाद में पछताने से कुछ हासिल नहीं होगा। हमें समय रहते अपने कार्यों को पूरा करना चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए। यदि हम अवसर चूक जाते हैं, तो बाद में केवल पछतावा ही हाथ लगता है।
X. अपने अध्यापक की सहायता से इसे पूर्ण कीजिए :-
एक पहर = तीन घंटे
एक दिन = चौबीस घंटे
एक सप्ताह = सात दिन
एक पक्ष = 14 दिन
एक मास = 28, 29, 30, 31 दिन
एक साल = 365/366 दिन
XI. तालिका में महीनों का नाम लिखिए और 30 दिन आनेवाले महीनों में हरा रंग, 31 आनेवाले महीनों में पीला रंग, 28/29 आनेवाले महीने में लाल रंग भरिए :-
· जनवरी – 31 दिन | · मई – 31 दिन | · सितंबर – 30 दिन |
· फरवरी – 28 या 29 दिन | · जून – 30 दिन | · अक्टूबर – 31 दिन |
· मार्च – 31 दिन | · जुलाई – 31 दिन | · नवंबर – 30 दिन |
· अप्रैल – 30 दिन | · अगस्त – 31 दिन | · दिसंबर – 31 दिन |
‘समय का महत्त्व’ विषय पर दस वाक्यों का एक निबंध लिखिए।
उत्तर – समय का महत्त्व
समय दुनिया की सबसे अनमोल संपत्ति है, जिसे कोई भी व्यक्ति रोक नहीं सकता। यह निरंतर आगे बढ़ता रहता है और जो इसे समझकर सही उपयोग करता है, वह जीवन में सफल होता है। समय का सदुपयोग हमें अनुशासित और उत्पादक बनाता है। यदि कोई व्यक्ति अपने समय को व्यर्थ गँवा देता है, तो उसे बाद में पछताना पड़ता है। विद्यार्थी जीवन में समय का सही प्रबंधन सफलता की कुंजी है। समय को बर्बाद करने वाले लोग अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाते और जीवन में असफल हो जाते हैं। इतिहास गवाह है कि जिन लोगों ने समय का सदुपयोग किया, वे महान बने। समय की कद्र करने से व्यक्ति को मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है। हमें हमेशा अपने समय का उपयोग सोच-समझकर करना चाहिए। इसलिए, समय का सम्मान करें और इसे सही दिशा में लगाकर अपने जीवन को सार्थक बनाएँ।
पाठ से आगे
- पालतू और जंगली जानवरों की सूची तैयार कीजिए :-
पालतू जानवर (Domestic Animals)
कुत्ता (Dog)
बिल्ली (Cat)
गाय (Cow)
भेड़ (Sheep)
बकरी (Goat)
घोड़ा (Horse)
ऊँट (Camel)
गधा (Donkey)
सुअर (Pig)
खरगोश (Rabbit)
जंगली जानवर (Wild Animals)
शेर (Lion)
बाघ (Tiger)
हाथी (Elephant)
भालू (Bear)
हिरण (Deer)
गेंडा (Rhinoceros)
तेंदुआ (Leopard)
लोमड़ी (Fox)
भेड़िया (Wolf)
जिराफ़ (Giraffe)
II. नीचे लिखे शब्दों के आधार पर लिखिए कि कौन क्या काम करता है?
उदाहरण :
बढ़ई – लकड़ी का काम
- कुम्हार – मिट्टी का काम
- लुहार – लोहे का काम
- सुनार – आभूषण बनाने (स्वर्ण) का काम
- जुलाहा – कपड़े बुनने का काम
- दुकानदार – समान बेचने का काम
- हलवाई – मिठाइयाँ बनाने का काम
- डॉक्टर – इलाज करने का काम
- अध्यापक – पढ़ाने का काम
- सैनिक – देश की रक्षा करने का काम
- किसान – अन्न उगाने का काम