Class X, Hindi Vallari, Third Language, Karnataka Board, KSEEB, Chapter Satya Ki Mahima, Sankalit, The Best Solutions, सत्य की महिमा

सत्य की महिमा

संकलित

सत्य! बहुत भोला-भाला, बहुत ही सीधा-सादा! जो कुछ भी अपनी आँखों से देखा, बिना नमक मिर्च लगाए बोल दिया यही तो सत्य है। कितना सरल! सत्य दृष्टि का प्रतिबिंब है, ज्ञान की प्रतिलिपि है, आत्मा की वाणी है।

सत्यवादिता के लिए साफ-सुथरा मन चाहिए। एक झूठ साबित करने के लिए हज़ारों झूठ बोलने पड़ते हैं। और, कहीं पोल खुली, तो मुँह काला करना पड़ता है, अपमानित होना पड़ता है। किसी को परेशान करने, दुखी करने के उद्देश्य से सत्य बोलना नहीं चाहिए। काने को ‘काना’ कहकर पुकारना या लंगड़े को उस जैसी नकल कर दिखाना सच बोलना नहीं होता। यह तो सिर्फ छेड़ना हुआ। इस बात को शास्त्र में यों समझाया गया है

‘सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्’ अर्थात्, ‘सच बोलो जो दूसरों को प्रिय लगे, अप्रिय सत्य मत बोलो।’

संसार में जितने महान् व्यक्ति हुए, सबने सत्य का सहारा लिया है। सत्य का पालन किया है। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा विश्वविख्यात है। उन्हें सत्य के मार्ग पर चलते अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी कीर्ति आज भी सूरज की रोशनी से कम प्रकाशमान नहीं है। राजा दशरथ ने सत्य वचन निभाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए। महात्मा गांधी ने सत्य की शक्ति से ही विदेशी शासन को झकझोर दिया।

उनका कथन है, “सत्य एक विशाल वृक्ष है। उसका जितना आदर किया जाता है, उतने ही फल उसमें लगते हैं। उनका अंत नहीं होता।” सत्य बोलने की आदत बचपन से ही डालनी चाहिए। कभी-कभी झूठ बोल देने से कुछ क्षणिक लाभ अवश्य होता है, पर उससे अधिक हानि ही होती है। क्षणिक लाभ विकास के मार्ग के लिए बाधा बन जाता है। व्यक्तित्व कुंठित होता है। झूठ बोलनेवालों से लोगों का विश्वास उठ जाता है। उनकी उन्नति के द्वार बंद हो जाते हैं।

सत्य की महिमा अपार है। सत्य महान् और परम शक्तिशाली है। संस्कृत की सूक्ति है – ‘सत्यमेव जयते, नानृतम्’ अर्थात्, ‘सत्य की ही विजय होती है, असत्य की नहीं ‘। जॉन मेन्सफील्ड की धारणा है कि सत्य की नाव से ही हम भवसागर का संतरण कर सकते हैं। सत्य वह चिनगारी है जिससे असत्य पल भर में भस्म हो जाता है। अतः हमें हर स्थिति में सत्य बोलने और पालन करने का अभ्यास करना चाहिए।

उत्तर लिखिए :-

  1. सत्य’ क्या होता है? उसका रूप कैसे होता है?

उत्तर – सत्य! बहुत भोला-भाला, बहुत ही सीधा-सादा होता है। हम जो कुछ भी अपनी आँखों से देखते हैं, बिना नमक-मिर्च लगाए बोल दे तो यही सत्य का रूप कहलाता है।

  1. झूठ का सहारा लेते हैं तो क्या – क्या सहना पड़ता है?

उत्तर – झूठ का सहारा लेते हैं तो एक झूठ साबित करने के लिए हज़ारों झूठ बोलने पड़ते हैं और कहीं पोल खुली, तो मुँह काला करना पड़ता है, अपमानित होना पड़ता है।

  1. शास्त्र में सत्य बोलने का तरीका कैसे समझाया गया है?

उत्तर – शास्त्र में सत्य बोलने का तरीका कुछ इस प्रकार समझाया गया है, ‘सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्’ अर्थात्, ‘सच बोलो जो दूसरों को प्रिय लगे, अप्रिय सत्य मत बोलो।’

4.“संसार के महान् व्यक्तियों ने सत्य का सहारा लिया है।” सोदाहरण समझाइए।

उत्तर – संसार में जितने महान् व्यक्ति हुए, सबने सत्य का सहारा लिया है। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा विश्वविख्यात है। उन्हें सत्य के मार्ग पर चलते अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी कीर्ति आज भी सूरज की रोशनी से कम प्रकाशमान नहीं है। राजा दशरथ ने सत्य वचन निभाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए। महात्मा गांधी ने सत्य की शक्ति से ही विदेशी शासन को झकझोर दिया।

  1. महात्मा गांधी का सत्य की शक्ति के बारे में क्या कथन है?

उत्तर – महात्मा गांधी का सत्य की शक्ति के बारे में यह कथन है कि, “सत्य एक विशाल वृक्ष है। उसका जितना आदर किया जाता है, उतने ही फल उसमें लगते हैं। उनका अंत नहीं होता।”

  1. झूठ बोलनेवालों की हालत कैसी होती है?

उत्तर – झूठ बोलनेवालों का व्यक्तित्व कुंठित होता है। झूठ बोलनेवालों से लोगों का विश्वास उठ जाता है। उनकी उन्नति के द्वार बंद हो जाते हैं।

  1. हर स्थिति में सत्य बोलने का अभ्यास क्यों करना चाहिए?

उत्तर – सत्य की नाव से ही हम भवसागर का संतरण कर सकते हैं। सत्य की चिंगारी असत्य को पल भर में भस्म कर देती है। अतः हमें हर स्थिति में सत्य बोलने और पालन करने का अभ्यास करना चाहिए।

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