Class – X, Sparsh, Chapter -17, Habeeb Tanveer – Kaartoos, (NCERT Hindi  Course B) The Best Solutions

(1923 – 2009)

1923 में छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्मे हबीब तनवीर ने 1944 में नागपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात ब्रिटेन की नाटक अकादमी से नाट्य-लेखन का अध्ययन करने गए और फिर दिल्ली लौटकर पेशेवर नाट्यमंच की स्थापना की।

नाटककार, कवि, पत्रकार, नाट्य निर्देशक, अभिनेता जैसे कई रूपों में ख्याति प्राप्त हबीब तनवीर ने लोकनाट्य के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण कार्य किया। कई पुरस्कारों, फेलोशिप और पद्मश्री से सम्मानित हबीब तनवीर के प्रमुख नाटक हैं – आगरा बाज़ार, चरनदास चोर, देख रहे हैं नैन, हिरमा की अमर कहानी। इन्होंने बसंत ऋतु का सपना, शाजापुर की शांति बाई, मिट्टी की गाड़ी और मुद्राराक्षस नाटकों का आधुनिक रूपांतर भी किया।

अंग्रेज़ इस देश में व्यापारी के भेष में आए थे। शुरू में व्यापार ही करते रहे, लेकिन उनके इरादे केवल व्यापार करने के नहीं थे। धीरे-धीरे उनकी ईस्ट इंडिया कंपनी ने रियासतों पर कब्ज़ा जमाना शुरू कर दिया। उनकी नीयत उजागर होते ही अंग्रेज़ों को हिंदुस्तान से खदेड़ने के प्रयास भी शुरू हो गए।

प्रस्तुत पाठ में एक ऐसे ही जाँबाज़ के कारनामों का वर्णन है जिसका एकमात्र लक्ष्य था अंग्रेज़ों को इस देश से बाहर करना। कंपनी के हुक्मरानों की नींद हराम कर देने वाला यह दिलेर इतना निडर था कि शेर की माँद में पहुँचकर उससे दो-दो हाथ करने की मानिंद कंपनी की बटालियन के खेमे में ही नहीं आ पहुँचा, बल्कि उनके कर्नल पर ऐसा रौब गालिब किया कि उसके मुँह से भी वे शब्द निकले जो किसी शत्रु या अपराधी के लिए तो नहीं ही बोले जा सकते थे।

पात्र – कर्नल, लेफ़्टीनेंट , सिपाही, सवार

अवधि – 5 मिनट

ज़माना – सन् 1799

समय – रात्रि का

स्थान – गोरखपुर के जंगल में कर्नल कालिंज के खेमे का अंदरूनी हिस्सा।

(दो अंग्रेज़ बैठे बातें कर रहे हैं, कर्नल कालिंज और एक लेफ़्टीनेंट खेमे के बाहर हैं, चाँदनी छिटकी हुई है, अंदर लैंप जल रहा है।)

कर्नल – जंगल की ज़िंदगी बड़ी खतरनाक होती है।

लेफ़्टीनेंट – हफ्तों हो गए यहाँ खेमा डाले हुए। सिपाही भी तंग आ गए हैं। ये वज़ीर अली आदमी है या भूत, हाथ ही नहीं लगता।

कर्नल – उसके अफ़साने सुन के रॉबिनहुड के कारनामे याद आ जाते हैं। अंग्रेज़ों के खिलाफ़ उसके दिल में किस कदर नफ़रत है। कोई पाँच महीने हुकूमत की होगी। मगर इस पाँच महीने में वो अवध के दरबार को अंग्रेज़ी असर से बिलकुल पाक कर देने में तकरीबन कामयाब हो गया था।

लेफ़्टीनेंट – कर्नल कालिंज ये सआदत अली कौन है?

कर्नल – आसिफ़उद्दौला का भाई है। वज़ीर अली का और उसका दुश्मन। असल में नवाब आसिफ़उद्दौला के यहाँ लड़के की कोई उम्मीद नहीं थी। वज़ीर अली की पैदाइश को सआदत अली ने अपनी मौत खयाल किया।

लेफ़्टीनेंट – मगर सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने में क्या मसलेहत थी?

कर्नल – सआदत अली हमारा दोस्त है और बहुत ऐश पसंद आदमी है इसलिए हमें अपनी आधी मुमलिकत (जायदाद, दौलत) दे दी और दस लाख रुपये नगद। अब वो भी मज़े करता है और हम भी।

लेफ़्टीनेंट – सुना है ये वज़ीर अली अफ़गानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मा को हिंदुस्तान पर हमला करने की दावत (आमंत्रण) दे रहा है।

कर्नल – अफ़गानिस्तान को हमले की दावत सबसे पहले असल में टीपू सुल्तान ने दी फिर वज़ीर अली ने भी उसे दिल्ली बुलाया और फिर शमसुद्दौला ने भी।

लेफ़्टीनेंट – कौन शमसुद्दौला?

कर्नल – नवाब बंगाल का निस्बती (रिश्ते) भाई। बहुत ही खतरनाक आदमी है।

लेफ़्टीनेंट – इसका तो मतलब ये हुआ कि कंपनी के खिलाफ़ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई है।

कर्नल – जी हाँ, और अगर ये कामयाब हो गई तो बक्सर और प्लासी के कारनामे धरे रह जाएँगे और कंपनी जो कुछ लॉर्ड क्लाइव के हाथों हासिल कर चुकी है, लॉर्ड वेल्जली के हाथों सब खो बैठेगी।

लेफ़्टीनेंट – वज़ीर अली की आज़ादी बहुत खतरनाक है। हमें किसी न किसी तरह इस शख्स को गिरफ़्तार कर ही लेना चाहिए।

कर्नल – पूरी एक फ़ौज लिए उसका पीछा कर रहा हूँ और बरसों से वो हमारी आँखों में धूल झोंक रहा है और इन्हीं जंगलों में फिर रहा है और हाथ नहीं आता। उसके साथ चंद जाँबाज़ हैं। मुट्ठी भर आदमी मगर ये दमखम है।

लेफ़्टीनेंट – सुना है वज़ीर अली जाती तौर से भी बहुत बहादुर आदमी है।

कर्नल – बहादुर न होता तो यूँ कंपनी के वकील को कत्ल कर देता?

लेफ़्टीनेंट – ये कत्ल का क्या किस्सा हुआ था कर्नल?

कर्नल – किस्सा क्या हुआ था उसको उसके पद से हटाने के बाद हमने वज़ीर अली को बनारस पहुँचा दिया और तीन लाख रुपया सालाना वजीफ़ा मुकर्रर कर दिया। कुछ महीने बाद गवर्नर जनरल ने उसे कलकत्ता (कोलकाता) तलब किया। वज़ीर अली कंपनी के वकील के पास गया जो बनारस में रहता था और उससे शिकायत की कि गवर्नर जनरल उसे कलकत्ता में क्यूँ तलब करता है। वकील ने शिकायत की परवाह नहीं की उलटा उसे बुरा-भला सुना दिया। वज़ीर अली के तो दिल में यूँ भी अंग्रेज़ों के खिलाफ़ नफ़रत कूट – कूटकर भरी है उसने खंजर से वकील का काम तमाम कर दिया।

लेफ़्टीनेंट – और भाग गया?

कर्नल – अपने जानिसारों समेत आज़मगढ़ की तरफ़ भाग गया। आज़मगढ़ के हुक्मरां ने उन लोगों को अपनी हिफ़ाज़त में घागरा तक पहुँचा दिया। अब ये कारवाँ इन जंगलों में कई साल से भटक रहा है।

लेफ़्टीनेंट – मगर वज़ीर अली की स्कीम क्या है?

कर्नल – स्कीम ये है कि किसी तरह नेपाल पहुँच जाए। अफ़गानी हमले का इंतेज़ार करे, अपनी ताकत बढ़ाए, सआदत अली को उसके पद से हटाकर खुद अवध पर कब्ज़ा करे और अंग्रेज़ों को हिंदुस्तान से निकाल दे।

लेफ़्टीनेंट – नेपाल पहुँचना तो कोई ऐसा मुश्किल नहीं, मुमकिन है कि पहुँच गया हो।

कर्नल – हमारी फ़ौजें और नवाब सआदत अली खाँ के सिपाही बड़ी सख्ती से उसका पीछा कर रहे हैं। हमें अच्छी तरह मालूम है कि वो इन्हीं जंगलों में है। (एक सिपाही तेज़ी से दाखिल होता है)

कर्नल – (उठकर) क्या बात है?

गोरा – दूर से गर्द उठती दिखाई दे रही है।

कर्नल – सिपाहियों से कह दो कि तैयार रहें (सिपाही सलाम करके चला जाता है)

लेफ़्टीनेंट – (जो खिड़की से बाहर देखने में मसरूफ़ था) गर्द तो ऐसी उड़ रही है जैसे कि पूरा एक काफ़िला चला आ रहा हो मगर मुझे तो एक ही सवार नज़र आता है।

कर्नल – (खिड़की के पास जाकर) हाँ एक ही सवार है। सरपट घोड़ा दौड़ाए चला आ रहा है।

लेफ़्टीनेंट – और सीधा हमारी तरफ़ आता मालूम होता है (कर्नल ताली बजाकर सिपाही को बुलाता है)

कर्नल – (सिपाही से) सिपाहियों से कहो, इस सवार पर नज़र रखें कि ये किस तरफ़ जा रहा है (सिपाही सलाम करके चला जाता है)

लेफ़्टीनेंट – शुब्हे की तो कोई गुंजाइश ही नहीं तेज़ी से इसी तरफ़ आ रहा है (टापों की आवाज़ बहुत करीब आकर रुक जाती है)

सवार – (बाहर से) मुझे कर्नल से मिलना है।

गोरा – (चिल्लाकर) बहुत खूब।

सवार – (बाहर से) सी।

गौरा – (अंदर आकर) हुज़ूर सवार आपसे मिलना चाहता है।

कर्नल – भेज दो।

लेफ़्टीनेंट – वज़ीर अली का कोई आदमी होगा हमसे मिलकर उसे गिरफ़्तार करवाना चाहता होगा।

कर्नल – खामोश रहो (सवार सिपाही के साथ अंदर आता है)

सवार – (आते ही पुकार उठता है) तन्हाई! तन्हाई!

कर्नल – साहब यहाँ कोई गैर आदमी नहीं है आप राज़ेदिल कह दें।

सवार – दीवार हमगोश दारद, तन्हाई।

(कर्नल, लेफ़्टीनेंट और सिपाही को इशारा करता है। दोनों बाहर चले जाते हैं। जब कर्नल और सवार खेमे में तन्हा रह जाते हैं तो ज़रा वक्फ़े के बाद चारों तरफ़ देखकर सवार कहता है)

सवार – आपने इस मुकाम पर क्यों खेमा डाला है?

कर्नल – कंपनी का हुक्म है कि वज़ीर अली को गिरफ़्तार किया जाए।

सवार – लेकिन इतना लावलश्कर क्या मायने?

कर्नल – गिरफ़्तारी में मदद देने के लिए।

सवार – वज़ीर अली की गिरफ़्तारी बहुत मुश्किल है साहब।

कर्नल – क्यों?

सवार – वो एक जाँबाज़ सिपाही है।

कर्नल – मैंने भी यह सुन रखा है। आप क्या चाहते हैं?

सवार – चंद कारतूस।

कर्नल – किसलिए?

सवार – वज़ीर अली को गिरफ़्तार करने के लिए।

कर्नल – ये लो दस कारतूस

सवार – (मुसकराते हुए) शुक्रिया।

कर्नल – आपका नाम?

सवार – वज़ीर अली। आपने मुझे कारतूस दिए इसलिए आपकी जान बख्शी करता हूँ। (ये कहकर बाहर चला जाता है, टापों का शोर सुनाई देता है। कर्नल एक सन्नाटे में है। हक्का-बक्का खड़ा है कि लेफ़्टीनेंट अंदर आता है)

लेफ़्टीनेंट – कौन था?

कर्नल – (दबी ज़बान से अपने आप से कहता है) एक जाँबाज़ सिपाही।  

प्रस्तुत पाठ भारत के जाँबाज़ सिपाही वज़ीर अली के जीवन का एक अंश है। इस नाटक में वज़ीर अली के जीवन के उस अंश का वर्णन किया गया है जिसमें वज़ीर अली अपने दुश्मन के शिविर में जाकर वहाँ से अपने लिए दस कारतूस ले आता है और अपनी बहादुरी का गुणगान अपने दुश्मनों से भी करवाता है। इस नाटक के मुख्य पात्र है- कर्नल, लेफ्टिनेंट, सिपाही तथा सवार (वज़ीर अली)।

अंग्रेज सरकार के आदेशानुसार वज़ीर अली को गिरफ़्तार करने के लिए कर्नल कालिंज लेफ्टिनेंट और सिपाहियों के साथ गोरखपुर के जंगल में डेरा डाले हुए हैं। उन्हें जंगल में आए हुए हफ्ते गुजर गए हैं परंतु वे अभी तक वज़ीर अली को गिरफ़्तार नहीं कर पाए हैं। वज़ीर अली के दिल में अंग्रेजों के प्रति नफ़रत की बातें सुन उन्हें रॉबिनहुड की याद आ जाती है। अपने पाँच महीने के शासन काल में उसने अवध के दरबार से अंग्रेजी हुकूमत को तकरीबन-तकरीबन साफ़ कर दिया था। सआदत अली आसिफउद्दौला का भाई है साथ ही वज़ीर अली का दुश्मन भी है क्योंकि आसिफउद्दौला के यहाँ लड़के की जन्म की कोई उम्मीद नहीं थी किंतु वज़ीर के जन्म ने सआदत अली के सारे सपनों को तार-तार कर दिया था।

अग्रेजों ने सआदत अली को अवध के तख्त पर बैठाया क्योंकि वो अंग्रेजों का हितैषी था तथा ऐशो आराम ही उसका एकमात्र उद्देश्य था। इस तख्त के बदले में सआदत अली ने अंग्रेजों को अपनी आधी दौलत और दस लाख रुपये नकद दिए।

तॉफ्टनेंट कहता है कि सुना है वज़ीर अली ने अफगानिस्तान के बादशाह शाहे-जमा को हिंदुस्तान पर हमला करने की दावत दी है इस पर कर्नल ने कहा कि अफगानिस्तान को हमले की दावत सबसे पहले टीपू सुल्तान ने दी फिर वज़ीर अली ने भी उसे दिल्ली बुलाया फिर शमसुद्दौला जो बंगाल के नवाब का रिश्ते का भाई है और बहुत खतरनाक भी, उसने भी उसे बुलाया। इस तरह पूरे हिंदुस्तान में कंपनी के खिलाफ लहर दौड़ गई है। यदि यह कामयाब हो गई तो लार्ड क्लाइव ने बक्सर और पलासी के युद्ध में जो हासिल किया था वह लार्ड वेल्जली के हाथों खो देगी। कर्नल पूरी तरह समर्पित होकर पूरी एक फौज लिए वज़ीर अली का पीछा जंगलों में कर रहा है परंतु वह पकड़ से अभी भी बाहर है।

कर्नल ने वज़ीर अली द्वारा कंपनी के वकील की हत्या करने का किस्सा सुनाते हुए कहा कि हमने वज़ीर अली को पद से हटाकर तीन लाख रुपया सालाना देकर बनारस भेज दिया। कुछ महीने बाद गवर्नर जनरल ने उसे कलकत्ता बुलाया। वज़ीर अली ने बनारस में रह रहे कंपनी के वकील के पास जाकर उससे पूछा कि उसे कलकत्ता क्यों बुलाया? इस पर वकील ने बुरा-भला कह दिया, उसके इस कृत्य से खफा होकर वज़ीर अली ने उसे खंजर से मार दिया और अपने कुछ साथियों के साथ आजमगढ़ भाग गया। वहाँ के शासक ने उन लोगों को सुरक्षित घागरा पहुँचा दिया। अब वे यहीं के जंगलों में वर्षों से भटक रहे हैं। लेफ्टिनेंट द्वारा पूछे जाने पर कर्नल ने वज़ीर अली की योजना बताते हुए कहा कि वे किसी तरह नेपाल पहुँचना चाहते हैं। वे अफगानी हमले का इंतजार करेंगे और अपनी ताकत बढ़ाएँगे। वह सआदत अली को उसके पद से हटाकर स्वयं कब्जा करेगा और अंग्रेजों को हिंदुस्तान से निकाल देगा। लेफ्टिनेंट अपनी शंका जताते हुए कहता है कि हो सकता है कि वे लोग नेपाल पहुँच गए हों जिस पर कर्नल उसे भरोसा दिलाते हुए बताता है कि अंग्रेज और सआदत अली की फौजें बड़ी सख्ती से उनका पीछा कर रही है और उन्हें पता है कि वह इन्हीं जंगलों में छिपे हैं। तभी एक सिपाही आकर कर्नल को बताता है कि दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है लगता है कोई काफिला चला आ रहा हो। कर्नल सभी को मुस्तैद रहने का आदेश देता है। लेफ्टिनेट और कर्नल देखते हैं कि केवल एक ही आदमी है। कर्नल सिपाहियों से उस पर नज़र रखने को कहता है। घुड़सवार उन तक आकर रुक जाता है और इजाजत लेकर कर्नल से मिलने अंदर जाता है और एकांत की माँग करता है जिस पर कर्नल सिपाही और लेफ्टिनेंट को बाहर जाने का आदेश देता है। वह कर्नल से कहता है कि वज़ीर अली को पकड़ना कठिन है। उसे पकड़ने के चक्कर में मैं पिछले कई सालों से घूम रहा हूँ और उसे पकड़ने के लिए कुछ कारतूस की माँग करता है। वज़ीर को पकड़ने के लालच में कर्नल उसे दस कारतूस दे देता है। वह कारतूस लेकर जाने लगता है तो कर्नल उससे उसका नाम पूछता है तो सवार अपना नाम वज़ीर अली बताता है और कहता है कि कर्नल तुमने मुझे कारतूस दिए है इसलिए मैं तुम्हारी जान बख्श रहा हूँ। इतना कहकर वज़ीर अली बाहर चला जाता है। इतने में लेफ्टिनेंट अंदर आता है और कर्नल से पूछता है कि वह सवार कौन था? कर्नल स्वयं से कहता है – एक जाँबाज़ सिपाही।

1.कारतूस – गोली

2.स्नातक – Graduation

3.उपाधि – पदवी

4.उपाधी – छलबाज

5.पत्रकार – Journalist

6.अभिनेता – Actor

7.ख्याति – प्रसिद्धि

8.भेष – रूप

9.इरादा – विचार

10.रियासत – राज्य

11.कब्ज़ा – अधिकार

12.नीयत – ईमान

13.नियत – समय

14.उजागर – प्रकाश में आना

15.खदेड़ना – बाहर करना

16.प्रयास – कोशिश

17.जाँबाज़ – जान की बाज़ी लगाने वाला

18.कारनामा – याद रखे जाने वाले किए गए काम

19.हुक्मरानों – शासकों

20.हराम – व्यर्थ

21.दिलेर – साहसी

22.निडर – जिसे डर न लगे

23.माँद – गुफा

24.मानिंद – समान , सदृश

25.खेमे – शिविर

26.कर्नल – Colonel

27.लेफ्टिनेंट – Lieutenant

28.रौब – धाक

29.गालिब – छाया हुआ, प्रभावी

30.अपराधी – दोषी

31.अवधि – समय

32.अवधी – अयोध्या

33.ज़माना – समय

34.जमाना – ठंडा करना

35.अदरूनी – अंदर की

36.खतरनाक – भयानक

37.तंग – Narrow

38.तंग – परेशान

39.अफ़साना – कहानी

40.खिलाफ़ – विरुद्ध

41.कदर – तरह

42.कदर – इज्ज़त

43.नफ़रत -घृणा

44.पाक – पवित्र

45.तकरीबन – आस-पास

46.कामयाब – सफल

47.पैदाइश – जन्म

48.तख़्त – सिंहासन

49.मसलेहत – रहस्य

50.ऐश – मजे करना

51.मुमलिकत – राज्य

52.हमला – आक्रमण

53.दावत – न्योता

54.निस्बती – उत्थान

55.शख़्स – आदमी

56.गिरफ़्तार – बंदी

57.दमखम – हिम्मत

58.वज़ीफ़ा – परवरिश के लिए दी जाने वाली राशि

59.मुकर्रर – तय

60.तलब – चाहत

61.परवाह – फिक्र

62.खंजर – चाकू

63.जानिसार – जीवन बलिदान

64.हिफाज़त – सुरक्षा

65.कारवाँ – दल

66.स्कीम – योजना

67.खामोश -शांत

68.तनहाई – अकेलापन

69.गैर – दूसरे

70.राज़ेदिल – दिल की बात

71.मुकाम – लक्ष्य

72.हुक्म – आदेश

73.शुक्रिया – धन्यवाद

74.बख़्श – छोड़ना

75.लावालश्कर – सेना

1. कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में क्यों लगा हुआ था?

उत्तर – कर्नल कालिंज का खेमा गोरखपुर के जंगल में लगा हुआ था क्योंकि वे वज़ीर अली को गिरफ़्तार करना चाहते थे।

2. वज़ीर अली से सिपाही क्यों तंग आ चुके थे?

उत्तर- वज़ीर अली से सिपाही तंग आ चुके थे क्योंकि वर्षों से वज़ीर अली को पकड़ने की कोशिश की जा रही थी और हर बार वज़ीर अली सिपाहियों की आँख में धूल झोंक कर फ़रार हो जाता था।

3. कर्नल ने सवार पर नज़र रखने के लिए क्यों कहा?

उत्तर- कर्नल उस सवार की हर गतिविधियों से सचेत रहना चाहता था इसलिए कर्नल ने सवार पर नज़र रखने के लिए कहा।

4. सवार ने क्यों कहा कि वज़ीर अली की गिरफ़्तारी बहुत मुश्किल है?

उत्तर- सवार ने कर्नल से कहा कि वज़ीर अली एक जाँबाज़ सिपाही है। वज़ीर अली की गिरफ़्तारी बहुत मुश्किल है क्योंकि वास्तव में, सवार खुद ही वज़ीर अली था।

1. वज़ीर अली के अफ़साने सुनकर कर्नल को रॉबिनहुड की याद क्यों आ जाती थी?

उत्तर – वज़ीर अली के अफ़साने सुनकर कर्नल को रॉबिनहुड की याद आ जाती थी क्योंकि दोनों जाँबाज़ थे। आत्म-सम्मान और स्वांभिमान की भावना उन दोनों में कूट-कूट कर भरी हुई थी। दोनों को लोगों की सहानुभूति प्राप्त थी।

2. सआदत अली कौन था? उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत क्यों समझा?

उत्तर- सदाअत अली वज़ीर अली का रिश्ते में चाचा और वास्तव में दुश्मन था। वह आसिफउददौला का भाई था। नवाब आसिफउददौला के यहाँ लड़का होने की कोई भी उम्मीद नहीं थी। जब वज़ीर अली की पैदाइश हुई तो सदाअत अली ने उसे अपनी मौत मान ली। सदाअत अली खुद को आसिफउददौला के बाद अवध का नवाब समझ रहा था। पर वज़ीर अली के कारण उसका दावा कमज़ोर पड़ जा रहा था।

3. सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का क्या मकसद था?

उत्तर- कर्नल ने छल एवं बल का प्रयोग करके सदाअत अली को अवध के तख़्त पर बिठा दिया। सदाअत अली कर्नल का दोस्त था और ऐश पसंद आदमी भी इसलिए उसने कर्नल को अपनी आधी जायदाद दे दी और दस लाख नकद। जिससे अब दोनों मज़े में रहते हैं।

4. कंपनी के वकील का कत्ल करने के बाद वज़ीर अली ने अपनी हिफ़ाज़त कैसे की?

उत्तर- कंपनी के वकील का कत्ल करने के बाद वज़ीर अली अपनी हिफाज़त के लिए अपने साथियों के आजमगढ़ की तरफ़ भाग गया। वहाँ के हुक्मरां ने उसे घागरा तह पहुँचा दिया। अब वह अफगानिस्तान के बादशाह शाहे ज़मा को हिंदुस्तान पर हमला करने की दावत दे रहा है और स्वयं नेपाल पहुँचने की कोशिश कर रहा है।

5. सवार के जाने के बाद कर्नल क्यों हक्का-बक्का रह गया?

उत्तर- सवार के जाने के बाद कर्नल को जिस बात की जानकारी हुई उससे वह हक्का-वक्का रह गया और यह लाज़िमी भी था। कर्नल अपनी फ़ौज के साथ जिस शख़्स को पकड़ने के लिए दिन-रात एक कर रहे थे वह खुद उसके खेमे में आकार दस कारतूस लेकर चलता बना।

1. लेफ़्टीनेंट को ऐसा क्यों लगा कि कंपनी के खिलाफ़ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई है?

उत्तर – लेफ़्टीनेंट को जब यह पता चला कि वज़ीर अली, टीपू सुल्तान और बंगाल के नवाब शमशुद्दौला इन सबने अफगानिस्तान ने बादशाह शाहे ज़मा को हिंदुस्तान पर हमला करने की दावत दी है तब उनहोंने यह अनुमान लगाया कि कंपनी के खिलाफ़ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई है।

2. वज़ीर अली ने कंपनी के वकील का कत्ल क्यों किया?

उत्तर- कंपनी ने वज़ीर अली को उसके पद से हटाकर तीन लाख रुपए सालाना वज़ीफ़ा तय करके बनारस पहुँचा दिया। कुछ महीने बाद गवर्नर साहब ने वज़ीर अली को कलकत्ता बुलाया। इस मामले की तह तक जाने के लिए वज़ीर अली बनारस में रहने वाले कंपनी के वकील के पास गया तो वकील ने उसे बुरा-भला सुना दिया। गुस्से में आकर वज़ीर अली ने कंपनी के वकील का कत्ल कर दिया।

3. सवार ने कर्नल से कारतूस कैसे हासिल किए?

उत्तर- सवार ने कर्नल से कहा कि उसे वज़ीर अली को गिरफ़्तार करने के लिए दस कारतूस चाहिए। यह सुनकर कर्नल को लगा कि यह ज़रूर उसका परम हितैषी और वज़ीर अली का परम शत्रु है। कर्नल ने ज़्यादा सवाल-जवाब किए और बिना सच्चाई का पता लगाए उसे दस कारतूस दे दिए। जबकि, वास्तव में, सवार खुद ही वज़ीर अली था।

4. वज़ीर अली एक जाँबाज़ सिपाही था, कैसे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इसमें कोई दो राय नहीं कि वज़ीर अली एक जाँबाज़ सिपाही था। निम्नलिखित कथनों से यह बात पूर्णत: स्पष्ट हो जाएगी-

-उसने परिणाम की चिंता किए बिना कंपनी के वकील के हत्या कर दी।

-अपने चंद जाँबाज़ सिपाहियों के साथ अंग्रेजों से लोहा ले रहा था।

-उसने अफगानिस्तान ने बादशाह शाहे ज़मा को हिंदुस्तान पर हमला करने की दावत दी।

-वह कर्नल के सामने आने से नही नहीं डरा।

-उसके दम-खम के चर्चे पूरे खेमे में चल रही थी।

1. मुट्ठी भर आदमी और ये दमखम।

उत्तर- इस गद्यांश का आशय यह है कि अपने चंद भरोसेमंद जाँबाज़ सिपाहियों के साथ वज़ीर अली अंग्रेजों से लोहा ले रहा था। उसे गिरफ़्तार करने के लिए जितनी भी कोशिशें की जा रही थीं सब विफल हो रही थीं।

2. गर्द तो ऐसे उड़ रही है जैसे कि पूरा एक काफ़िला चला आ रहा हो मगर मुझे तो एक ही सवार नज़र आता है।

उत्तर– इस गद्यांश का आशय यह है कि अपने साहस और शोर्य का प्रदर्शन करते हुए स्वयं वज़ीर अली खुद निडर होकर मौत की तरफ़ बढ़ रहा है। उसका खेमे की तरफ़ आना ऐसा प्रतीत होता था, मानो एक ही आदमी पूरी फ़ौज का प्रतिनिधित्व कर रहा हो।

1. निम्नलिखित शब्दों का एक-एक पर्याय लिखिए –

खिलाफ़ – विरूद्ध

पाक – पवित्र

उम्मीद – आशा

हासिल – मिलना

कामयाब – सफल

वजीफ़ा – परवरिश के लिए दी जाने वाली राशि

नफ़रत – घृणा

हमला – आक्रमण

इंतेज़ार – प्रतीक्षा

मुमकिन – संभव।

2. निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए

मुहावरे – वाक्य

आँखों में धूल झोंकना – चोरों ने दुकानदार की आँखों में धूल झोंककर भाग खड़े हुए।

कूट-कूट कर भरना – बचपन से अभिभावकों को अपने बच्चों में आत्म-स्वाभिमान की भावना कूट-कूट कर भरनी चाहिए।

काम तमाम कर देना – देखते ही देखते कसाई ने मुर्गे का काम तमाम कर दिया। 

जान बख्श देना – हमारे भारतीय राजा इतने दरियादिल थे कि अपने दुश्मनों की भी जान बख्श देते थे।  

हक्का-बक्का रह जाना – छोटे बच्चे की योग्यता से सारे लोग हक्का-बक्का रह गए।

3. कारक वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध बताता है। निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम लिखिए –

क) जंगल की ज़िंदगी बड़ी खतरनाक होती है। (संबंध कारक)

(ख) कंपनी के खिलाफ़ सारे हिन्दुस्तान में एक लहर दौड़ गई। (संबंध कारक, अधिकरण कारक)

(ग) वज़ीर को उसके पद से हटा दिया गया। (कर्म कारक, अपादान कारक)

(घ) फ़ौज के लिए कारतूस की आवश्यकता थी। (संप्रदान कारक, संबंध कारक)

(ङ) सिपाही घोड़े पर सवार था। (अधिकरण कारक)

4. क्रिया का लिंग और वचन सामान्यतः कर्ता और कर्म के लिंग और वचन के अनुसार निर्धारित होता है। वाक्य में कर्ता और कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार जब क्रिया के लिंग, वचन आदि में परिवर्तन होता है तो उसे अन्विति कहते हैं।

क्रिया के लिंग, वचन में परिवर्तन तभी होता है जब कर्ता या कर्म परसर्ग रहित हों

जैसे – सवार कारतूस माँग रहा था। (कर्ता के कारण)

सवार ने कारतूस माँगे। (कर्म के कारण)

कर्नल ने वज़ीर अली को नहीं पहचाना। (यहाँ क्रिया कर्ता और कर्म किसी के भी कारण प्रभावित नहीं है)

अतः कर्ता और कर्म के परसर्ग सहित होने पर क्रिया कर्ता और कर्म में से किसी के भी लिंग और वचन

से प्रभावित नहीं होती और वह एकवचन पुल्लिंग में ही प्रयुक्त होती है। नीचे दिए गए वाक्यों में ‘ने’ लगाकर

उन्हें दुबारा लिखिए –

(क) घोड़ा पानी पी रहा था।

उत्तर – घोड़े ने पानी पीया।

(ख) बच्चे दशहरे का मेला देखने गए।

उत्तर – बच्चों ने दशहरे का मेला देखा।

(ग) रॉबिनहुड गरीबों की मदद करता था।

उत्तर – रॉबिनहुड ने गरीबों की मदद की।

(घ) देशभर के लोग उसकी प्रशंसा कर रहे थे।

उत्तर – देश भर के लोगों ने उसकी प्रशंसा की।

5. निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए –

(क) कर्नल ने कहा सिपाहियों इस पर नज़र रखो ये किस तरफ़ जा रहा है

उत्तर – (क) कर्नल ने कहा, “सिपाहियों! इस पर नजर रखो, ये किस तरफ जा रहा है?”

(ख) सवार ने पूछा आपने इस मकाम पर क्यों खेमा डाला है इतने लावलश्कर की क्या ज़रूरत है

उत्तर – (ख) सवार ने पूछा- “आपने इस मकाम पर क्यों खेमा डाला है? इतने लावलश्कर की क्या ज़रूरत है?”

(ग) खेमे के अंदर दो व्यक्ति बैठे बातें कर रहे थे चाँदनी छिटकी हुई थी और बाहर सिपाही पहरा दे रहे थे।

उत्तर – खेमे के अंदर दो व्यक्ति बैठे बातें कर रहे थे, चाँदनी छिटकी हुई थी और बाहर सिपाही पहरा दे रहे थे।

(घ) एक व्यक्ति कह रहा था दुश्मन कभी भी हमला कर सकता है

उत्तर – एक व्यक्ति कह रहा था, “दुश्मन कभी भी हमला कर सकता है।”

1.आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना

2.हाथ न आना – पकड़ में न आना

3.मुट्ठी भर आदमी – थोड़े से आदमी

4.नफरत कूट-कूटकर भरना –बहुत घृणा करना

5.काम तमाम करना – जान से मारना

6.नज़र रखना – निगरानी रखना

7.जान बख्श देना – जान से न मारना

1. पुस्तकालय से रॉबिनहुड के साहसिक कारनामों के बारे में जानकारी हासिल कीजिए।

उत्तर – छात्र अपने स्तर पर करें।

2. वृंदावनलाल वर्मा की कहानी इब्राहिम गार्दी पढ़िए और कक्षा में सुनाइए।

उत्तर – छात्र अपने स्तर पर करें।

1. ‘कारतूस’ एकांकी का मंचन अपने विघालय में कीजिए।

उत्तर – छात्र अपने स्तर पर करें।

2. ‘एकांकी’ और ‘नाटक’ में क्या अंतर है। कुछ नाटकों और एकांकियों की सूची तैयार कीजिए।

उत्तर – छात्र अपने स्तर पर करें।

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