अभ्यास-16
अभ्यास
1. दिए गए वाक्यों में मोटे काले शब्दों के विपरीत शब्द लिखिए-
(क) हर रात के बाद दिन आता है।
(ख) भगवान के घर न कोई अमीर है, और न कोई गरीब।
(ग) कुएँ से पानी निकालने के लिए बाल्टी पहले अंदर जाती है और फिर बाहर आती है।
(घ) चरित्र से आदमी बड़ा बनता है, न कि छोटा।
(ङ) मेरी घड़ी पुरानी है और किताब नई।
(च) गुरु हमेशा शिष्य का भला चाहता है।
(छ) हमें मुसीबतों का सामना हँसते हुए करना चाहिए, न कि रोते हुए।
2. पाठ ‘अभ्यास’ के आधार पर सही शब्द पर गोला लगाइए-
(क) गुरुकुल गुरूकूल
(ख) स्कूल सकुल
(ग) अभयास अभ्यास
(घ) बाल्टी बालटि
(ङ) रगढ़ रगड़
(च) समझूँगा समझुँगा
(छ) विद्वान विद्द्वान
(ज) निशान नीशान
(झ) गणित गड़ित
(ञ) डाँट ड़ाँट
3. दिए गए शब्द जोड़ों से वाक्य बनाइए-
(क) सहमा-सहमा – बच्चा सहमा-सहमा सा लग रहा है।
(ख) चलते-चलते – चलते-चलते मेरे पैर दुखने लगे।
(ग) बार-बार – हमें बार-बार अभ्यास करना चाहिए।
(घ) पीते-पीते – कुछ लोग चाय पीते-पीते बातें करते हैं।
4. ‘था’, ‘थी’, ‘थे’, ‘थीं’ लगाकर दिए गए वाक्य पूरे कीजिए-
(क) गुरुकुल में बच्चे वहीं रहते थे।
(ख) बोपदेव को कुछ समझ में नहीं आता था।
(ग) हमारी एक महीने की छुट्टियाँ हुईं थीं।
(घ) उसके घर में दो कुत्ते थे।
(ङ) हमारी छत पर चिड़ियाँ दाना चुगतीं थीं।
(च) मोना कल घर जा रही थी।
5. दिए गए शब्दों को एक और अनेक के वर्गों में अलग करके लिखिए-
आँख, रास्ते, दासियाँ, पुस्तक, पर्दे, साड़ियाँ, घड़ी, घड़े, मिठाई, साइकिलें, चींटी, कहानी
एक – आँख, पुस्तक, घड़ी, मिठाई, चींटी, कहानी
अनेक – रास्ते, दासियाँ, पर्दे, साड़ियाँ, घड़े, साइकिलें
6. दिए गए शब्दों में (ं) या (ँ) लगाइए-
(क) कुआँ
(ख) गाँव
(ग) अंदर
(घ) वहीं
(ङ) सुंदर
(च) तुम्हें
7. दिए गए शब्दों को सही क्रम में लगाकर वाक्य बनाइए-
(क) दीवार पर चढ़ थीं रही चींटी।
चींटी दीवार पर चढ़ रही थी।
(ख) छुट्टियाँ गर्मी की हुईं शुरू।
गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हुईं।
(ग) हैं दादाजी कहानी सुनाते।
दादाजी कहानी सुनाते हैं।
(घ) अच्छा बनो पढ़-लिखकर इंसान।
पढ़-लिखकर अच्छा इंसान बनो।
(ङ) थाली स्त्री रही बजा है।
स्त्री थाली बजा रही है।
8. दी गई पंक्तियों में गुण वाले शब्दों पर गोला बनाइए-
ये हैं मेरे दादाजी! दादाजी बूढ़े ज़रूर हो गए हैं किंतु पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उनके नरम-नरम बाल मुझे बहुत अच्छे लगते हैं। मोटे चश्मे में से झाँकती आँखें मुझे बड़ी अच्छी लगती हैं। उनकी लंबी मूँछें बड़ी रौबीली लगती है। अपनी मजबूत छड़ी घुमाते हुए वह सैर पर जाते हैं। सैर से लौट कर हमें दयालु और समझदार इंसान बनने का आशीर्वाद देते हैं।