शब्दार्थ
अँधेर – Dark
नगरी – शहर
चौपट – बर्बाद
राजा – King
सेर – एक किलो
टके – ताँबे का पुराना सिक्का
महंत – साधु
शिष्य– छात्र, चेला
कुंजड़िन – सब्ज़ी बेचने वाली
हलवाई – मिठाइयाँ बनाने वाला
फरियादी – इंसाफ माँगने वाला
बनिया – दुकानदार
कारीगर – मिस्त्री
भिश्ती – पानी ढोने वाला
कसाई – Butcher
गड़रिया – Shepherd
कोतवाल – पुलिस, दरोगा
सिपाही – सैनिक
सड़क – Road
चेला – शिष्य
नगर – शहर
भिक्षा – भीख / Alms
भोग – प्रसाद
आनंद – मज़ा
पूर्व – East / पहले
भाजी – सब्ज़ी
पश्चिम – West
मिठाई – Sweets
दुहाई – याचना
गठरी – पोटली
मशक – चमड़े की थैली
भेड़ – Sheep
दीवार – Wall
कसूर – दोष
धूम-धाम – बड़े भव्य तरीके से
घबराना – डरना
फाँसी – Gallows
मोल – खरीदना
विश्वास – भरोसा
उपदेश – अच्छी बात
उचित – सही
क्षण – पल
गोल-माल – गड़बड़
पछताना – Repent
संकट – मुसीबत
यथास्थान – वही स्थान
दुहाई – दीनतापूर्वक याचना
फरियादी – याचना करने वाला
न्याय – फ़ैसला
गुलाम – दास
नाहक – बेकार में
मस्त – अच्छा
आफ़त – मुसीबत
फंदा – रस्सी का बना फाँसी का फंदा
बीमार – रोगी
अर्ज – विनती
तंदरुस्त – स्वस्थ
अपराध – दोष
सज़ा – दंड
प्राण – जीवन
हुक्म – आदेश
दशा – स्थिति
चिंता – Tension
अंतिम – आखरी / last
स्वर्ग – जन्नत / Paradise
हुज्जत – तर्क-वितर्क
हैरान – आश्चर्य
मंत्री – Minister
गुरु – Teacher
शुभ घड़ी – Auspicious moment
परदा – Curtain
पाठ में से
प्रश्न 1. अँधेर नगरी में सारी चीजें कितने में मिलती थीं?
उत्तर – अँधेर नगरी में सारी चीज़ें टके सेर में मिलती थीं।
प्रश्न 2. गोबर्धनदास अँधेर नगरी में ही क्यों रहना चाहता था?
उत्तर – गोबर्धनदास अँधेर नगरी में ही रहना चाहता था क्योंकि इस नगर में कम भिक्षा मिलने पर भी भरपेट भोजन की व्यवस्था हो जाती थी।
प्रश्न 3. फरियादी राजा के पास क्या फरियाद लेकर आया ?
उत्तर – फरियादी राजा के पास यह फरियाद लेकर आया कि कल्लू बनिए की दीवार गिर जाने की वजह से उसकी बकरी दीवार के नीचे दबकर मर गई। अतः, उसके साथ इंसाफ़ किया जाए।
प्रश्न 4. सिपाही गोबर्धनदास को क्यों पकड़ लेते हैं?
उत्तर – सिपाही गोबर्धनदास को फाँसी पर चढ़ाने के लिए पकड़ लेते हैं।
प्रश्न 5. महंत ने गोबर्धनदास को कैसे बचाया?
उत्तर – महंत ने संकट में पड़े अपने शिष्य को अंतिम उपदेश देने के बहाने उसके कान में सारी योजना कह डाली और दोनों फाँसी पर चढ़ने की हुज्जत करने लगे। यह देखकर राजा ने पूछा कि मामला क्या है, तो महंत ने बताया कि यह ऐसी शुभ घड़ी है कि जो मरेगा सीधे स्वर्ग जाएगा। स्वर्ग जाने के लालच में राजा स्वयं फाँसी पर लटक गया। इस तरह महंत ने अपने शिष्य को बचाया।
प्रश्न 6. एकांकी ‘अँधेर नगरी‘ में सभी बकरी मरने का दोष दूसरे पर थोपते रहते हैं। लिखिए, किसने किसे और क्यों दोषी बनाया-
उत्तर – क. फरियादी — कल्लू बनिया
उसकी दीवार के नीचे बकरी दब गई।
ख. कल्लू बनिया — कारीगर
कारीगर ने ऐसी दीवार बनाई की गिर पड़ी।
ग. कारीगर — चूनेवाला
चूनेवाले ने चूना ऐसा खराब बनाया कि दीवार गिर पड़ी
घ. चूनेवाला — भिश्ती
भिश्ती ने चूने में ज़्यादा पानी डाल दिया।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. महंत अँधेर नगरी में क्यों नहीं रहना चाहते थे? क्या आप उनसे सहमत हैं?
उत्तर – महंत एक अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति थे। वे अँधेर नगरी में नहीं रहना चाहते थे क्योंकि उन्हें इस नगर के भावी संकट का ज्ञान हो चुका था। मैं भी महंत के विचारों से सहमत हूँ।
प्रश्न 2. महंत ने अपने शिष्यों को अलग-अलग दिशाओं में क्यों भेजा होगा?
उत्तर – महंत ने अपने शिष्यों को अलग-अलग दिशाओं में भेजा था ताकि दोनों शिष्य दोनों दिशाओं में जाकर नगर की जानकारी के साथ-साथ ज़्यादा से ज़्यादा भिक्षा ला सकें।
प्रश्न 3. ‘भाजी‘ और ‘खाजा‘ क्या है?
उत्तर – भाजी शब्द का प्रयोग सब्ज़ी के लिए किया जाता है और खाजा एक प्रकार की मिठाई का नाम है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. गोबर्धनदास ने सात पैसे में कौन-कौन-सी मिठाइयाँ खरीदी होंगी?
उत्तर – गोबर्धनदास ने सात पैसे में बर्फी, लड्डू, पेड़ा आदि मिठाइयाँ खरीदी होंगी।
प्रश्न 2. महंत ने गोबर्धनदास को क्या उपदेश दिया होगा?
उत्तर – महंत ने गोबर्धनदास को कोई उपदेश नहीं बल्कि फाँसी से बचने की तरकीब बताई होगी।
प्रश्न 3. एकांकी का शीर्षक ‘अँधेर नगरी‘ क्यों रखा गया होगा?
उत्तर – एकांकी का शीर्षक ‘अँधेर नगरी’ रखा गया है क्योंकि इस नगर में प्रशासन व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है।
प्रश्न 4. आप इस एकांकी के लिए कोई दो शीर्षक बताइए। साथ ही यह भी बताइए कि आपने ये शीर्षक क्यों चुने?
उत्तर – मैं इस एकांकी के लिए ‘महंत की समझदारी’ और ‘बकरी की मौत’ रखना चाहूँगा क्योंकि ये दोनों शीर्षक इस एकांकी के केंद्रीय भाव को अभिव्यक्त करने में पूर्णत: सक्षम हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1. नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए-
(क) “चुप रह, राजा का हुक्म भला कहीं टल सकता है!”
(ख) “अरे बच्चा गोबर्धनदास, तेरी यह क्या दशा है?”
(ग) “यह क्या गोलमाल है?”
(घ) “वाह, वाह! बड़ा आनंद
केवल पढ़ने के लिए
प्रश्न 2. नीचे कुछ विशेषण दिए गए हैं। उन्हें उनके आगे दिए गए उचित विशेष्य से मिलाइए-
विशेषण विशेष्य
सुंदर नगर
टका सेर भाजी
चौपट राजा
अँधेर नगरी
शुभ घड़ी
बड़ी भेड़
प्रश्न 3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक से उपयुक्त शब्द चुनकर कीजिए-
(क) नगर तो बड़ा सुंदर है पर _____ भी सुंदर मिले तो बड़ा आनंद हो ।
(भोग, रुपए, कपड़े, भिक्षा)
ख) सात पैसे भीख में मिले थे उसी से_____ मिठाई मोल ली है।
(तीन सेर, साढ़े तीन किलो, साढ़े तीन सेर)
(ग) इस समय ऐसी शुभ घड़ी में जो मरेगा _____ जाएगा।
(सीधा शहर, सीधा स्वर्ग, सीधा अपने घर, नरक)
क. भिक्षा
ख. साढ़े तीन सेर
ग. सीधा स्वर्ग
जीवन मूल्य
प्रश्न 1. स्वर्ग जाने के लालच में राजा स्वयं फाँसी पर चढ़ गया। क्या यह न्याय सही था?
उत्तर – नहीं, स्वर्ग जाने के लालच में राजा का स्वयं फाँसी पर चढ़ जाना सही न्याय नहीं था।
प्रश्न 2. आपकी समझ से बकरी के मरने का वास्तविक दोषी कौन था? कारण भी बताइए।
(दीवार, बनिया, गड़रिया, कोतवाल, भिश्ती, चूनेवाला, कारीगर, कोई नहीं)
उत्तर – मेरी समझ से बकरी की मौत का वास्तविक दोषी कारीगर था क्योंकि कारीगर होने के नाते उसे यह पता होना चाहिए कि चूने में कितना पानी मिलाया जाना चाहिए। अगर चूनेवाले ने चूने में ज़्यादा पानी मिला भी दिया तो उसे उस चूने से दीवार नहीं खड़ी करनी चाहिए।
कुछ करने के लिए
1. एकांकी ‘अँधेर नगरी‘ का मंचन कीजिए।
2. ‘अँधेर नगरी‘ के मंचन के लिए आवश्यक सामान की सूची बनाइए-
सामान की सूची
भाषा अभ्यास
पाठ – 15
अँधेर नगरी
1. पढ़ने और समझने के लिए-
2.
क. चिल्लाने लगे
ख. उड़ा दिया
ग. पीती हूँ
3.
क. यह नगर तो दूर से बड़ा सुंदर दिखलाई पड़ता है।
संज्ञा – नगर सर्वनाम – यह क्रिया – पड़ता है
ख. तू पश्चिम की ओर जा और नारायणदास पूर्व की ओर जाएगा।
संज्ञा – नारायणदास सर्वनाम – तू क्रिया – जाएगा
ग. गुरुजी, मैं तो इस नगर को छोड़कर नहीं जाऊँगा।
संज्ञा – गुरुजी सर्वनाम – मैं क्रिया – जाऊँगा
4.
क. अंधकार
ख. आनंदित
ग. कलंकित
घ. बचाऊँगा
ङ. दोहराऊँगा
च. पढ़ूँगा
5.
क. हमें अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए।
ख. यह मुसीबत कहाँ से आई?
ग. अब एक पल भी नहीं रहूँगा।
घ. मेरा कुछ दोष नहीं।
6.
क. स + फल = सफल
ख. वि + देश = विदेश
ग. आनंद + इत = आनंदित
घ. अ + न्याय = अन्याय
ङ. बे + कसूर = बेकसूर
7.
क. रीतिका के पास एक सुंदर गुड़िया है।
ख. मिठाई खाना मुझे बहुत पसंद है।
ग. मंगलवार का दिन शुभ माना जाता है।
8.
क. गुरुजी कहाँ हैं?
ख. नगर में सिपाही, गुरु और चेले खड़े थे।
ग. राजा ने कहा, “इसे फाँसी पर चढ़ा दो।”
9.
क. युद्ध – रण, लड़ाई
ख. वायु – पवन, समीर
ग. हाथ – हस्त, कर
10.
प्रश्न 1 – भगवान को भोग लगाने के लिए किस चीज़ की आवश्यकता है?
प्रश्न 2 – गुरुजी महाराज के कितने शिष्य हैं?
प्रश्न 3 – गुरुजी ने नारायणदास को किस ओर जाने को कहा?
11.
कहानी लेखन
अँधेर नगरी नाम का एक नगर था जहाँ की प्रशासन व्यवस्था पूरी चौपट थी। एक दिन उस नगर में एक महंत अपने दो शिष्यों नारायणदास और गोबर्धनदास के साथ पहुँचते हैं। उस नगर की अजीब बात यह थी कि वहाँ सभी चीज़ें टके सेर मिलती थीं। महंत के दोनों शिष्यों में से एक गोबर्धनदास उस नगर को छोड़ना नहीं चाहता है। गुरुजी के लाख समझाने पर भी वह अपने फैसले पर अटल रहा। एक दिन उसे कुछ सैनिक पकड़कर फाँसी पर लटकाने के लिए ले जा रहे होते है तब गोबर्धनदास के पूछने पर सैनिक बताते हैं कि कल्लू बनिए दीवार गिर जाने के कारण एक फरियादी की बकरी मर गई है और इसका आरोप कोतवाल पर आया है। चूँकि, कोतवाल साहब बीमार है इसलिए तुम्हें सजा दी जाएगी क्योंकि तुम तंदरुस्त और स्वस्थ हो। मौत को नजदीक देखकर वह अपने गुरुजी को पुकारने लगता है। गुरुजी आते हैं और उसके कान में कुछ कहते हैं। इसके बाद दोनों फाँसी पर लटकाने के लिए हुज्जत करने लगते हैं। मामले को समझने के लिए राजा जब उनसे सवाल करता है कि तुम फाँसी पर लटकने के लिए झगड़ा क्यों कर रे हो, तब गुरुजी कहते हैं कि यह शुभ घड़ी है अभी जो मरेगा सीधा स्वर्ग जाएगा। स्वर्ग जाने की लालच में राजा खुद फाँसी पर लटक जाता है।