DAV Solution, Class 5, Bhasha Madhuri Chapter – 3, Ped पेड़

बीज –  Seed 

नम – Moisture 

मींचे – बंद किए 

मिट्टी – मृदा / Soil

ओढ़ना–  Cover up 

महटियाए– मिट्टी से ढके हुए

हौले-से –  धीरे से

धकियाना –  ठेलना

हड़बड़ –  जल्दी-जल्दी

मंजन –  Tooth Powder

रोशनदान –  Ventilator

झाँकना–  Peep

भौंचक्का–  हक्का-वक्का

चोंच –  Beak

गइया –  गाय

छाँव–  Shadow

ढलना –  अनुकूल होना

शाम – संध्या

पंछी – पक्षी / Bird

किस्से –  कहानी

बतियाना – बातें करना

तानना – खींचना

चंदा – चाँद

जुगनू – Light Worm

सपना –  Dream

हरी-भरी – धानी  धरती – पृथ्वी 

प्रश्न 1. कविता में किसकी दिनचर्या का वर्णन किया गया है? सही () का निशान लगाइए-

बच्चे

पेड

उत्तर पेड़।

प्रश्न 2. हज़ारों बीज आँखें मींचकर क्या कर रहे हैं?

उत्तर हज़ारों बीज आँखें मींचें नम मिट्टी की चादर ओढ़कर सोए हुए हैं।

प्रश्न 3. पेड़ किस समय और कैसे खाना खाएँगे?

उत्तर पेड़ दिन के समय सूरज की रोशनी और अपने पत्तों की मदद से आलोक संश्लेषण (Photo Synthesis) की प्रक्रिया से खाना बनाएँगे।

प्रश्न 4. शाम होने पर पक्षी क्या करते हैं?

उत्तर शाम होने पर पक्षी अपने-अपने घोंसलों में लौट आएँगे और सुख-दुख की बातें करकर सो जाएँगे। 

प्रश्न 5. रात को सोते समय पेड़ कौन-से सपनों में खो जाएँगे?

उत्तर रात को सोते समय पेड़ हरी-भरी धरती के सुंदर सपनों में खो जाएँगे।

प्रश्न 6. रिक्त स्थान भरिए-

कान पकड़ कर 

सूरज जब हौले से धकियाएगा

हड़बड़ करते भागेंगे,

मंजन कर चाय पिएँगे

धरती के रोशनदानों से

चोरी-चोरी झाँकेंगे

हरे सूट में

भौंचक्के से

एक नई दुनिया

पहचानेंगे

प्रश्न 7. कविता में इन शब्दों का क्या मतलब है?

(क) चादर तानना सोना

(ख) महटियाए से मिट्टी से ढके हुए

(ग) जुगनू की लपर-झपर – जुगनू की रोशनी में

(घ) पत्तों की थाली से खाना खाना पेड़ों के खाना बनाने की पद्धति

प्रश्न 1. पक्षी कहते हैं कि हम शाम को अपने सुख-दुख की बातें एक-दूसरे से कहते हैं। आप अपने मन की बातें किसे बताते हैं?

उत्तर मैं अपने मन की बात अपने प्रिय मित्र से क़हता हूँ।

प्रश्न 2. पेड़ अपना खाना कैसे बनाते हैं? पता कीजिए और फिर कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर पेड़ सूरज की रोशनी से और अपने पत्तों की मदद से खाना बनाते हैं जिसे आलोक संश्लेषण (Photo Synthesis) कहते हैं।

प्रश्न 3. पेड़ों की तरह आप भी तो सपने ज़रूर देखते होंगे। अपने किसी ऐसे सपने के बारे में बताइए जो आपको बहुत अच्छा लगा हो।

उत्तर एक बार मैंने सपने में देखा कि वार्षिक परीक्षा में मुझे कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 4. पेड़ हमारे मित्र हैं चर्चा कीजिए।

उत्तर पेड़ हमारे सच्चे मित्र हैं क्योंकि पेड़ हमें अपने पूरे जीवन काल में फल-फूल, ऑक्सीज़न, छाँव आदि अमूल्य चीजों से नवाज़ता रहता है और बदले में हमसे कभी भी कुछ नहीं माँगता।

प्रश्न 1. भागेंगे, पिएँगे, झाँकेंगे, नाचेंगे जाएँगे काम वाले अर्थात् क्रियाशब्द हैं। इन क्रिया शब्दों का प्रयोग करके वाक्य बनाइए-

भागेंगे चोर पुलिस को देखकर ज़रूर भागेंगे।

पिएँगे क्या आप चाय पिएँगे?

झाकेंगे गणेश पूजा के विसर्जन के दिन लोग अपने-अपने खिड़कियों से झाकेंगे।

नाचेंगे – गणेश पूजा के विसर्जन के दिन लोग खुशी से नाचेंगे।

जाएँगे कल हम दिल्ली जाएँगे।

प्रश्न 2. पाठ में आए कोई छह युग्म शब्द लिखिए-

चोरी-चोरी

हरी-भरी

धीरे-धीरे

सुख-दुख

जगर-मगर

लपर-झपर 

 प्रश्न 3. नीचे लिखे शब्दों के समान अर्थ वाले शब्द पाठ में से ढूँढकर लिखिए-

संसार दुनिया

वायु हवा

जल पानी

सूर्य सूरज

प्रश्न 1. पता कीजिए की बीज पेड़ कैसे बन जाते हैं? उन्हें पेड़ बनने के लिए किन-किन चीज़ों की ज़रूरत होती है?

उत्तर बीज को पेड़ बनने के लिए अनुकूल वातावरण, मिट्टी, सूर्य की किरणें और पानी की आवश्यकता होती है और जैविक प्रविधि से बीज पेड़ का रूप ले लेते हैं। 

प्रश्न 2. अलग-अलग तरह के पेड़ों के चित्र चिपकाइए व उनके नाम लिखिए-

उत्तर छात्र स्वयं करें।

पाठ – 3

पेड़

1.

क. बीज

ख. मिट्टी

ग. चादर

घ. सूरज

ङ. धरती   

2.

क. भागेंगे

ख. पिएँगे

ग. नाचेंगे

घ. खाएँगे

ङ. खुजाएगी

च. खेलेंगे

3.

क. पतंग उड़ रही है।

ख. एक व्यक्ति छाता लगाकर जा रहा है।  

ग. किसान हल चला रहा है।

4.

क. मैं

ख. तू  

ग. तुम्हें

घ. मुझे

ङ. उस

च. यह

छ. वे

ज. तुम

5.

क. चादरें

ख. आँख

ग. तारे की

घ. सपनों में

6.

क. कुरूप   

ख. पुरानी  

ग. शुष्क

घ. धूप

7.

क. मकान, गृह, भवन

ख. खग, चिड़िया, पंछी

ग. वृक्ष, तरु, पादप   

घ. ज़मीन, धरा, भूमि

ङ. चक्षु, नेत्र, नयन   

8. पढ़ने और समझने के लिए  

9. क. खेलेंगे    बच्चे

ख. सो     पेड़

ग. उठाया   सूरज  

10.

क. हवा    

ख. पंछी

ग. गइया

घ. चंदा

ङ. बच्चे

11. पेड़

पृथ्वी की अमूल्य निधि है ‘पेड़’। परोपकार का दूसरा नाम है ‘पेड़’। जीवनदायिनी पेड़ अपने शैशवास्था से लेकर वृद्धावस्था तक लोककल्याण और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने का काम पूरी निष्ठा से करता है। पेड़ हमें फल-फूल देता है तो दूसरी तरफ़ वायु शुद्धीकरण, मृदा संरक्षण जैसे काम भी करता है। हरित स्वर्ण के रूप में पेड़ इस दुनिया को साफ-स्वच्छ रखने में श्रेष्ठ भूमिका निभाता है। हमें चाहिए कि हम अधिकाधिक वृक्षारोपण और तरुरक्षण का पुण्य कार्य करें। हम लोगों को पेड़ पौधों से होने वाले लाभों के बारे में बताएँ और पृथ्वी को हरा-भरा बनाएँ।      

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