DAV Solution, Class 6, Gyan Sagar, Abhyas Sagar Chapter – 15, Parishram परिश्रम

श्रम – शारीरिक मेहनत

परिश्रम – मानसिक मेहनत

महानता Greatness

अति – अधिक

मूल्यवान – कीमती

संपूर्ण – Completely

साधन – माध्यम

नित – हमेशा

गुणगान – प्रशंसा

श्रमदान – श्रम का दान

वैभव – ऐश्वर्य

सुख – खुशी

सूख – Dry

दाता – देनेवाला

उज्ज्वल – साफ़

भविष्य – Future

निर्माता – निर्माण करने वाला

सौभाग्य – अच्छा भाग्य

विधायक – बनाने वाला

जन-जन – People

धरती – पृथ्वी

सोना – स्वर्ण / Gold

सोना – निद्रा

संबल – सहारा

स्वर्ग – जन्नत / Paradise

सामान – वस्तु

समान – Equal

सम्मान – इज्ज़त, आदर / Respect

बाधा – अड़चन / Obstacle

मुस्काओ – मुस्कराओ

नूतन – नया

विहान – सुबह

भू – पृथ्वी

ज्योति – प्रभा, लौ

सदैव – हमेशा / Always

प्रश्न 1. कवि ने किसका गुणगान करने के लिए कहा है?

उत्तर – कवि ने श्रम का गुणगान करने के लिए कहा है।

प्रश्न 2. कवि ने श्रम का सम्मान करने के लिए क्यों कहा है?

उत्तर – कवि ने श्रम का सम्मान करने के लिए कहा है क्योंकि श्रम ही सभी प्रकार की सफलता की कुंजी है।

प्रश्न 3. भारत को स्वर्ग के समान किस प्रकार बनाया जा सकता है?

उत्तर – प्रशासन व्यवस्था में सुधार, भ्रष्टाचार का निर्मूलीकरण, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाकर, तकनीकी रूप से भारत को समृद्ध कर कर, विज्ञान, अनुसंधान और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में प्रगति कर कर और सभी को रोजगार के साधन जुटाकर हम भारत को स्वर्ग के समान बना सकते हैं।

प्रश्न 4. स्तंभ ‘क’ और ‘ख’ को मिलाते हुए कविता की पंक्तियों को पूरा कीजिए-

  क                         ख   

श्रम की               महानता पहचानो

सौभाग्य विधायक       जन-जन का

भारत को         स्वर्ग समान करो

नूतन विहान           भू पर लाओ

इसका सदैव            ही ध्यान करो

बुझने न पाए          ज्योति श्रम की

प्रश्न 1. ‘श्रमदान’ का क्या अर्थ है?

उत्तर – श्रमदान का अर्थ है श्रम का दान अर्थात् हमें अपने पूरे जीवन में श्रम का दान करना ही पड़ता है।

प्रश्न 2. कवि ने श्रम की महानता को पहचानकर क्या-क्या करने के लिए कहा है?

उत्तर – कवि ने श्रम की महानता पहचानकर यथा संभव अपने तथा समाज की भलाई के लिए श्रम करने को कहा है जिससे समाज को एक नई दिशा प्रदान की जा सके।

प्रश्न 3. श्रम की ज्योति बुझने न पाए इसके लिए कवि ने क्या कहा है?

उत्तर – ‘श्रम की ज्योति बुझने न पाए’ इसके लिए कवि ने कहा है कि किसी भी स्थिति में हमें श्रम का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। श्रम ही सारी उन्नति और प्रगति का एकमात्र आधार है।

प्रश्न 4. आपको किन-किन कामों को पूरा करने में बहुत परिश्रम करना पड़ता है?

उत्तर – मुझे अपने गृहकार्य, परियोजना (Project) तथा संगोष्ठी पत्र (Seminar Paper) प्रस्तुत करने में बहुत परिश्रम करना पड़ता है।

प्रश्न 1. किसान मेहनत करके अन्न उगाता है और देशवासियों का पेट भरता है। कल्पना कीजिए और बताइए कि एक वैज्ञानिक अपने देश की सेवा किस प्रकार कर सकता है?

उत्तर – वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत करके जीवन को सरल, सहज और आरामदायक बनानेवाले चीजों का आविष्कार करते हैं जैसे मोबाइल, कंप्यूटर तथा अन्य वस्तुएँ।

प्रश्न 2. नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को पूरा कीजिए-

गीत सुरीले गाते चिड़िया सबका मन बहलाती चिड़िया

हमको रोज़ मीठे तान सुनाती चिड़िया

इधर-उधर से ही आ जाती चिड़िया

तिनका-तिनका उठाती चिड़िया

मेहनत करके घोंसला अपनी बनाती चिड़िया

हमको पाठ मेहनत का सिखाती चिड़िया

भाषा की बात

प्रश्न 1. स्तंभ ‘क’ और ‘ख’ में कविता के शब्दों का मिलान करके उनके अर्थ समझिए –

   क           ख 

दाता             देने वाला

मूल्यवान     कीमती

धरा         धरती

सदैव        हमेशा

प्रश्न 2. नीचे दिए गए शब्दों के उलटे अर्थ वाले शब्द कविता में से चुनकर लिखिए-

  क. दुख # सुख

ख. दुर्भाग्य # सौभाग्य

ग. अपमान # सम्मान

भारत को स्वर्ग समान करो

श्रमदान करो, श्रमदान करो

प्रश्न 1. मनुष्य के सबसे अच्छे मित्र उसके दो हाथ हैं। जिनसे वह अपने

देश/ समाज को बदल सकता है। कैसे?

उत्तर – मनुष्य के सबसे अच्छे मित्र उसके दो हाथ हैं क्योंकि वो अपने हाथों के बदौलत अपने भाग्य का निर्माण खुद कर सकता है। अपने उर्वर मस्तिष्क से मिलने वाले सही दिशा-निर्देश का अनुकरण कर अपने हाथों से उन कार्यों को पूरा कर कर अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकता है।

प्रश्न 2. आपने अपने जीवन के लिए क्या लक्ष्य चुना है? इसे प्राप्त करने के लिए आप क्या क्या प्रयास करेंगे? कक्षा में बताइए।

उत्तर – मैं अपने जीवन में एक आदर्श शिक्षक बनने का लक्ष्य चुना है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मैं एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दूँगा। पाठ को पूरी गहनता से आत्मसात करूँगा। शिष्टाचार और अनुशासन का पूरी ईमानदारी से पालन करूँगा, पुस्तकों को अपना प्रिय मित्र बनाऊँगा  और हर शिक्षक का सम्मान करूँगा। 

1. आपको विद्यालय तथा घर में किन-किन कामों को पूरा करने के लिए श्रम करना पड़ता है? कामों की सूची बनाइए-

क. विद्यालय में – गृहकार्य, परियोजना कार्य , संगोष्ठी पत्र आदि तैयार करने में मुझे ज़्यादा परिश्रम करना पड़ता है।

ख. घर में – बागबानी करने में, घर की सफ़ाई करने में तथा गाड़ियाँ धोने में मुझे ज़्यादा परिश्रम करना पड़ता है।

2. ऐसे किन्हीं दो महान व्यक्तियों के नाम लिखिए जिन्होंने अपनी मेहनत से जीवन में सफलता प्राप्त की है-

क.  डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 

ख.  धीरु भाई अंबानी । 

3. डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने अपने परिश्रम से भविष्य को उज्ज्वल बनाया है। आप इनके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें

पाठ – 15

परिश्रम

समरूपी भिन्नार्थक शब्द

1.

क. सम्मान – हमें अपनी जन्मभूमि का सम्मान करना चाहिए।

ख. समान – सुधीर और अनिल का कद एक समान है।

2.

क. संबल – हमें एक दूसरे का संबल बनना चाहिए।

ख. सबल – सबल व्यक्ति पौष्टिक भोजन खाते हैं।

3.

क. अनल – आग

ख. अनिल – हवा  

ग. ओर – तरफ़

घ. और – तथा  

ङ. बहु – वधू

च. बहू – बहुत

4.

क. बेर – मुझे मीठे बेर खाना बहुत पसंद है।

ख. बैर – हमें किसी से बैर भावना नहीं रखनी चाहिए।

ग. दिन – रविवार के दिन विद्यालय बंद रहता है।  

घ. दीन – दीन-दुखियों की मदद करना सबसे बड़ा धर्म है।  

5.

गृह         ग्रह      कड़ाही       कढ़ाई

नीड़        नीर     जलज       जलद

6.

क. हँस

ख. परिणाम

ग. बार

घ. योग्य

ङ. दिशा

7.

क. रंग-बिरंगे

ख. ईमानदार

ग. मधुर

घ. थोड़े-से

ङ. कुछ

च. वह

छ. कड़वा

8.

क. दुर्भाग्य

ख. दुख

ग. पुरातन

घ. अपमान

9.

क. मोहन जी बाहर बैठे हैं।

ख. उसने संकट में मेरा साथ दिया।

ग. खाँसी की दवाई बहुत कड़वी थी।

घ. यह भवन बहुत लंबा-चौड़ा है।

ङ. क्या आप खाना खाएँगे? 

10.

बचपन      आप         मीठा

नदी        तुम         वीर

पुस्तक      कोई         खारा

11.

ने,     उसने,        के लिए,

की,

पर,         उसकी,       में,

ने,     को,

उसके,   ने,

पर,         का,         मेरा,

पर,         मैंने,         के लिए

से,     का,

ने,

से  

12. परिश्रम ही उन्नति और सफलता का आधार है

इस जगत में जीने के लिए सभी प्राणियों को किसी न किसी रूप में मेहनत करनी ही पड़ती है। जो व्यक्ति समय के अनुसार, सही दिशा और निर्दिष्ट लक्ष्य को उद्देश्य बनाकर परिश्रम करता है, सफलता उसके कदमों में दासी की तरह बैठ जाती है। इतिहास के पन्ने ऐसे अनगिनत उदाहरणों से भरे हुए हैं जिन्होंने अथक परिश्रम से उन्नति और सफलता हासिल की है। वास्तव में, ऐसे दिग्गज उन्नति और सफलता को केवल अपने तक सीमित न रखकर सर्वसाधारण के हित में नियोजित करते हैं। इनके विचार से सच्ची सफलता वही होती है जिससे सबका लाभ हो। 

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