DAV Solution, Class 6, Gyan Sagar, Abhyas Sagar Chapter – 18, Panch Parmeshwar पंच परमेश्वर

पंच – पाँच

परमेश्वर – ईश्वर

मित्र – दोस्त, सखा, बंधु

विश्वास – भरोसा

तीर्थ – हिंदुओं का धार्मिक स्थल

हज – मुस्लिमों का धार्मिक स्थल

धर्म – मजहब

वादा – वचन, प्रतिज्ञा, इकरार

ज़िंदा – जीवित

आदर-सत्कार – आव-भगत

कलह – झगड़ा

खटपट – झिक-झिक

धमकी – Threat

डर – भय

ईमान – सच्चाई

सचेत – सावधान

कुटिल – दुष्ट

पक्ष – तरफ

निपटारा – समाधान

एतराज़ – आपत्ति

सकपकाना – डरना

खुशी का ठिकाना न रहना – मुहावरा – बहुत खुश होना

तनिक – थोड़ा

संदेह – शंका

विष – जहर

असमंजस – दुविधा

ईश्वर – प्रभु

न्याय – इंसाफ

गौर – ध्यान

तत्पर – तैयार

उचित – वाजिब

माहवार – हर महीले

मंजूर – स्वीकार

कागज़ात – Documents (कागज़ का बहुवचन)

हैरानी – आश्चर्य

न्यायसंगत – न्याय से ठीक

नफ़रत – घृणा

ताक – फिराक

बदला – प्रतिशोध

हृष्ट-पुष्ट – बलवान 

ईर्ष्या – जलन

खून का घूँट पीकर रह जाना – मुहावरा – बर्दाश्त करना

लालच – लोभ

मंडी – बाज़ार

पीपे – Tins

फ़िक्र –  चिंता

कमज़ोर – Weak

पस्त – धराशायी

प्राण – जीवन

इंकार – मना

नौबत – हालत

आशा – उम्मीद

ग्रहण – स्वीकार

भाव – Feeling

ज़िम्मेदारी – Responsibility

कीमत – रकम

वास – निवास

प्रशंसा – तारीफ

दिल का मैल साफ़ होना – मुहावरा – अच्छा इंसान बनना

लापरवाही – गैरज़िम्मेदारी

बीमार – रोगी

प्रश्न 1. जुम्मन और अलगू में मित्रता थी इस बात का पता कैसे चलता है?

उत्तर – जुम्मन और अलगू बचपन से ही बड़े घनिष्ठ मित्र थे। वे दोनों एक-दूसरे पर आँखें बंदकर के  विश्वास करते थे तभी तो उन्हें तीर्थ या हज जाना होता था तो बेहिचक अपने घर की चाबी एक-दूसरे को सौंप जाते थे। हिन्दू-मुस्लिम होते हुए भी धर्म उनके दोस्ती के बीच कभी भी कोई दीवार खड़ी न कर सका था।

प्रश्न 2. जुम्मन ने ऐसा क्या किया जिसके कारण मौसी को पंचायत में जाने का फ़ैसला करना पड़ा?

उत्तर – जुम्मन ने बहला-फुसलाकर अपनी मौसी की ज़मीन अपने नाम करवा ली थी और मौसी से वादा किया था कि वह उसे खिलाता-पहनाता रहेगा। परंतु ज़मीन उसके नाम होने के कुछ दिनों के बाद जुम्मन अपनी ज़बान से मुकर गया। जुम्मन की पत्नी मौसी को रोटियों के साथ गालियाँ भी देती थीं। रोज़-रोज़ की झिक-झिक से तंग आकर मौसी ने जुम्मन को माहवार पैसे देने की बात कही तो जुम्मन ने इंकार कर दिया। इस बात पर मौसी ने जुम्मन को पंचायत जाने की धमकी दी।

प्रश्न 3. अलगू चौधरी अपना नाम सुनकर असमंजस में क्यों पड़ गया?

उत्तर – मौसी ने पंच के लिए जब अलगू को चुना तो अलगू अपना नाम सुनकर असमंजस में पड़ गया क्योंकि उसे अपने प्रिय मित्र जुम्मन के विरुद्ध फ़ैसला सुनाना पड़ेगा जिससे वर्षों पुरानी उनकी दोस्ती में दरार पड़ जाती।

प्रश्न 4. नीचे दिए गए कथन किसने किससे कहे, लिखिए-

 (क) बेटा मुझे महीने में कुछ रुपया दे दिया करो,

मैं अपना खाना अलग पका लिया करूँगी।

(ख) क्या दोस्ती के डर से ईमान को भूल जाओगे?

(ग) मौसी जिसे चाहे चुन सकती है, मुझे कोई एतराज़ नहीं।

उत्तर – क. मौसी ने जुम्मन शेख से कहा

उत्तर – ख. मौसी ने अलगू चौधरी से कहा 

उत्तर – ग. जुम्मन शेख ने मौसी से कहा

प्रश्न 5. इस कहानी से आपको जो बातें सीखने को मिलीं, उन पर सही (P) का चिह्न लगाइए-

क. धर्म का भेदभाव नहीं करना चाहिए। सही  

ख. मित्रता में विश्वास होना ज़रूरी है। सही

ग. किसी को धोखा नहीं देना चाहिए। सही

घ. अपना खाना अलग पकाना चाहिए। गलत

ङ. अपना बदला ले लेना चाहिए। गलत

च. न्याय करते समय दोस्ती भुला देना चाहिए। सही

छ.पशुओं के साथ स्नेहपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। सही

ज. बैलों को खरीदना-बेचना नहीं चाहिए। गलत

झ. सही न्याय करना चाहिए। सही

ञ. दूसरों की परेशानियों को दूररहना चाहिए। गलत

प्रश्न 1. मौसी की ज़मीन को चालाकी से अपने नाम करवाने से पहले और बाद में जुम्मन और उसकी पत्नी के व्यवहार में क्या अंतर आया?

उत्तर – मौसी की ज़मीन चालाकी से अपने नाम करवा लेने के बाद जुम्मन और उसकी पत्नी ने तो मौसी का आदर-सत्कार करना ही छोड़ दिया। जुम्मन की पत्नी करीमन मौसी को रोटियों के साथ गालियाँ भी दिया करती थीं। जुम्मन ने तो मौसी को माहवार पैसे देने से भी इंकार कर दिया।

प्रश्न 2. मौसी ने पंच के लिए अलगू चौधरी का नाम लिया तो जुम्मन शेख क्यों खुश हुआ?

उत्तर – मौसी ने पंच के लिए अलगू चौधरी का नाम लिया तो जुम्मन शेख बहुत खुश हुआ क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि उसका मित्र अलगू अपनी मित्रता ज़रूर निभाएगा और फैसला उसी के पक्ष में करेगा।

प्रश्न 3. अलगू का फ़ैसला सुनकर जुम्मन को हैरानी क्यों हुई?

उत्तर – अलगू का फ़ैसला सुनकर जुम्मन को बहुत हैरानी हुई क्योंकि उसने कभी भी नहीं सोचा था कि उसका मित्र अलगू उसके विपक्ष में फ़ैसला करेगा।

प्रश्न 4. “पंच परमेश्वर की जय”-अलगू ने पंचों का फ़ैसला सुनकर यह क्यों कहा?

उत्तर – “पंच परमेश्वर की जय” अलगू ने पंचों का फ़ैसला सुनकर कहा क्योंकि उसके और समझू बनिए के विवाद में उसे न्याय मिला था।

प्रश्न 1. यदि अलगू चौधरी और जुम्मन शेख पंच बनने के बाद न्याय करने की बजाए मित्रता निभाते तो मौसी का जीवन कैसे बीतता?

उत्तर – यदि  अलगू चौधरी और जुम्मन शेख पंच बनने के बाद न्याय करने के बजाय मित्रता निभाते तो मौसी का जीवन दुख और कष्टों से भर जाता। वह दाने-दाने को मोहताज़ हो जाती और जीवन के अंतिम क्षणों में उसे पूछने और उनकी देख-रेख करने के लिए भी कोई नहीं आता।

प्रश्न 2. इस कहानी का शीर्षक ‘पंच परमेश्वर’ रखा गया है।

प्रश्न (क) ‘पंच परमेश्वर’ शीर्षक क्यों रखा गया है?

उत्तर – क. पहले के समय में गाँव में न्याय पाँच लोग मिलकर करते थे और न्याय देने वाले का स्थान परमेश्वर के बराबर होता है। इसलिए इस कहानी का शीर्षक पंच परमेश्वर रखा गया है।

प्रश्न (ख) आप इस कहानी के कोई दो उपयुक्त शीर्षक बताइए ।

उत्तर – ख. ‘मित्रता और न्याय’ तथा ‘पंचों का न्याय’ ये दो शीर्षक मैं इस कहानी के लिए रखना चाहूँगा।

प्रश्न (ग) यह भी बताइए कि आपने यह शीर्षक क्यों रखे?

उत्तर – ग. मैंने ये दोनों शीर्षक इस कहानी के लिए उपयुक्त समझे क्योंकि कहानी के केंद्रीय भाव को प्रस्तुत करने में ये दोनों शीर्षक सक्षम हैं।

प्रश्न 1. पाठ में आए हुए ‘जमीन’, ‘नफ़रत’ शब्दों में नुक्ते वाले अक्षर ‘ज’ और ‘फ़’ का प्रयोग हुआ है। अब आप पाठ में आए ज और फ़ नुक्ता लगे कुछ और शब्दों को लिखिए-

ज़ – ज़हर, ज़िंदा, रोज़, एतराज़, कागज़ात,  

फ़ – फ़ैसला, फ़िक्र, साफ़

प्रश्न 2. पाठ में आए हुए कुछ मुहावरे नीचे दिए गए हैं। इनके अर्थ समझते हुए प्रत्येक मुहावरे से वाक्य

बनाइए-

क. ताक में रहना – जुम्मन शेख अलगू चौधरी के बैलों को मारने की ताक में है।

ख. नौबत आना – अब तो यह नौबत आ गई है कि भिखारी से भीख माँगनी पड़ेगी।

ग. फूला न समाना – सरकारी नौकरी मिलने पर रमेश फूला न समा रहा है।

• जुम्मन और अलगू दोनों मित्र थे लेकिन पंच बनने के बाद उन्होंने मित्रता से अधिक न्याय को महत्त्व दिया। यदि आपके जीवन में ऐसी परिस्थिति आए तो-

प्रश्न 1. आप अपने मित्र के साथ कैसा व्यवहार करेंगे?

उत्तर – मैं अपने मित्र के साथ सामान्य व्यवहार करूँगा और सच का ही साथ दूँगा।

प्रश्न 2. अपने मित्र से अपने प्रति कैसे व्यवहार की अपेक्षा करेंगे?

उत्तर – मैं अपने मित्र से यही उम्मीद रखूँगा कि वह भी न्याय को ही प्रधानता दे और दोस्ती को भुला दे।

प्रश्न 1. पशु-पक्षियों के कल्याण के लिए सरकार ने कई नियम बनाए हैं। उनके बारे में जानकारी एकत्र कीजिए।

उत्तर – पशु-पक्षियों के कल्याण के लिए सरकार ने राष्ट्रीय उद्यान (National Park) तथा अभ्यारण्य (Sanctuary) की स्थापना करवाई है। इसके अलावा पशु-पक्षियों की रक्षा हेतु अनेक नीति- नियम भी बनाए गए हैं।

प्रश्न 2. प्रेमचंद द्वारा लिखित किन्हीं चार कहानियों के नाम लिखिए-

उत्तर – कफ़न, बड़े भाई साहब, पुस की रात, ठाकुर का कुआँ

प्रश्न 3. आप अपने बड़े-बुजुर्गों की देखभाल कैसे करते हैं? कोई पाँच बातें लिखिए-

उत्तर – क. उन्हें सही समय पर दवाइयाँ देकर।

ख. उनके साथ समय बिताकर।

ग. उनकी ज़रूरत की चीज़ें उन्हें देकर।

घ. उनके खाने-पीने का ध्यान रखकर।

ङ. उन्हें सत्संगों और तीर्थस्थलों में ले जाकर।

प्रश्न 4. प्रेमचंद की ‘ईदगाह’ कहानी का कक्षा में मंचन कीजिए।

उत्तर – छात्र शिक्षक के दिशानिर्देश में करें

पाठ – 18  

पंच परमेश्वर

क्रिया

1.

किया       हुए

गई             आया

बैठी            था

2.

क. खोला

ख. पढ़ रहा था

ग. बैठी थी

घ. लिख रहा था

ङ. लिया

3.

क. हँस रही

ख. पढ़ा रहे

ग. बैठी

घ. खेलते

ङ. चले

च. तैरती

4.

क. नाचता है

ख. दौड़ती है

ग. लिखती है

घ. उड़ते हैं

ङ. हँसता है

5.

सो,           सोते-सोते  

देखा

लटक,  चल

गिर,    भर

दिए,    खाने

सुनाई

आ,           पूछा,    लाए

दी,         अटक,   चिल्लाने

खुली,   देखा

हँसी

6.

क. लापरवाही  –  ला  +  परवाह  +  ई

ख. सचेत –      स   +  चेत  + —

ग. कमज़ोर –         कम + ज़ोर + —

घ. ईमानदार –    — + ईमान + दार

ङ. दासता –      — + दास + ता

7.

परिश्रम करनाखुश होनामर जाना
एड़ी-चोटी का ज़ोर लगानाघी के दीए जलानादम तोड़ना
आकाश-पाताल एक करनामन में लड्डू फूटनाजान से हाथ धोना
दिन-रात एक करनाफूला न समानाप्राण पखेरू उड़ना

8.

क. कमर कसना – भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति के लिए सदैव कमर कसी रहती है।

ख. फूला न समाना – आईएएस की परीक्षा पास कर लेने पर सुधीर फूला न समा रहा है।

ग. नौ-दो ग्यारह होना – पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।

घ. खुशी का ठिकाना न रहना – अनीता का बेटा जब विदेश से लौटा तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।

9.

सोनू, मोनू, राखी और कोमल चिड़ियाघर की सैर करने गए।  वहाँ उन्होंने तरह-तरह के पशु-पक्षी देखे। घूमते-घूमते वे शेर के पिंजरे के पास पहुँच गए। शेर को देखकर सोनू के मुँह से निकला, “अरे! इतना बड़ा शेर मैंने पहली बार देखा है।” राखी ने पूछा, “अरे! कोमल और मोनू कहाँ चले गए?” सोनू ने दूसरे पिंजरे की तरफ इशारा करके बताया, “देखो, वे रहे।” वे उस पिंजरे में क्या देख रहे होंगे? राखी ने कहा, “चलो, हम भी वहीं चलते हैं।” शेर को देखकर मेरे तो पसीने छूट रहे हैं।

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हमें पशु-पक्षियों को तंग नहीं करना चाहिए। इस दुनिया में उनका भी बराबर का हक है। मनुष्य ने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर उनके आशियाने अर्थात् जंगलों का सफ़ाया करके अपने कब्जे में ले लिया है और पशु-पक्षियों को इधर-उधर भटकने के लिए छोड़ दिया। अगर हम गौर करें तो पाएँगे कि पशु-पक्षी ईश्वर की अनूठी कृति हैं। परंतु मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्तम कृति है और मनुष्यों से यह आशा की जानी स्वाभाविक है कि वे अन्य प्राणियों का ख्याल रखें लेकिन स्थिति ठीक इसके विपरीत है। पशु-पक्षी बेजुबान होते हैं, वे अपनी पीड़ा नहीं कह सकते पर हम तो मनुष्य हैं, हमें तो उनके कष्टों को समझना चाहिए। उनमें भी जीवन हैं और हमारी तरह वे भी अच्छा जीवन जीना चाहते हैं।  

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