शब्दार्थ
हज़ार – सहस्र
वर्ष – साल
यूनान – Greek
बादशाह – सम्राट
सिकंदर – Alexander
वीर – साहसी
प्रतापी – शूरवीर
अरस्तू – Aristotle
संसार – दुनिया
सेना – फ़ौज / Army
मिस्र – Egypt (Capital Cairo)
ईरान – Iran (Capital Tehran)
तुर्की – Turky (Capital Istanbul)
काबुल – Kabul (Capital Afghanistan)
भारतवर्ष – हिंदुस्तान, आर्यावर्त, भरतखंड
सीमा – सरहद / Border
मोर्चा – जंग
उत्साह – जोश
दाँत खट्टे करना – मुहावरा – पराजित करना
झंडा गाड़ना – मुहावरा – विजयी होना
तट – किनारा
महात्मा – Saint
आदेश – हुक्म / आज्ञा
प्रार्थना – विनती
कृपा – दया
सेवक – दास
कुटिया – झोंपड़ी
तन-बदन में आग लगाना – मुहावरा – क्रोधित होना
त्याग – बलिदान / Sacrifice
महत्त्व – Value
लौकिक – लोक का
शीत – ठंड
लंगोटी – एक प्रकार का वस्त्र
लहर – Wave
मुखमंडल – चेहरा
अपूर्व – जैसा पहले कभी न हुआ हो
शांति – Peace
आभा – चमक
आदर – सम्मान
प्रणाम – नमस्कार
रेशमी – Velvety
शॉल – Shawl
जवाहरात – हीरे-मोती
अमूल्य – Priceless
उपहार –भेंट
विनम्र – Polite
भाव – Feeling
स्वीकार – मान्य
वन – जंगल
धन – Wealth
परीक्षा – इम्तहान
मौन – शांत
पुनः – फिर से
हाल – स्थिति
सराहना – प्रशंसा करना
विजय – Victory
वैभव – ऐश्वर्य
लालसा – इच्छा
खून की नदियाँ बहाना – मुहावरा – रक्तपात करना
मंत्र-मुग्ध – कायल होना
उपाय – तरकीब
भजन – ईश्वर के गीत
अभ्यास सागर
पाठ – 19
सिकंदर और साधु
संवाद लेखन
सिकंदर – अरे! महात्मा तो तपस्या में लीन हैं।
साधु – (ध्यानमुक्त होकर) बोलो वत्स, क्या हुआ?
सिकंदर – महात्मन्, मैं आपके लिए कुछ भेंट लाया था।
साधु – पर मुझे इन चीज़ों की आवश्यकता नहीं है।
सिकंदर – पर आप ये शॉल रख लीजिए।
साधु – मैं ये भी नहीं ले सकता क्योंकि मुझे ठंड नहीं लगती।
सिकंदर – ठंड नहीं लगती, ये कैसे हो सकता है?
साधु – जिस प्रकार तुम्हारी नाक और आँखों को ठंड नहीं लगती उसी प्रकार मेरे पूरे शरीर को ठंड नहीं लगती है।
सिकंदर – आप धन्य हैं महात्मन्। कृपया मुझे शांति का मार्ग बताएँ।
साधु – वत्स, ये रक्तपात छोड़कर ईश्वर की सेवा में मन लगाओ।
सिकंदर – जो आज्ञा महात्मन्।