DAV Solution, Class 6, Gyan Sagar, Abhyas Sagar Chapter – 19, Sikandar Aur Saadhu सिकंदर और साधु

हज़ार – सहस्र

वर्ष – साल

यूनान – Greek

बादशाह – सम्राट

सिकंदर – Alexander

वीर – साहसी

प्रतापी – शूरवीर

अरस्तू – Aristotle

संसार – दुनिया

सेना – फ़ौज / Army

मिस्र – Egypt (Capital Cairo)

ईरान – Iran (Capital Tehran)

तुर्की – Turky (Capital Istanbul)

काबुल – Kabul (Capital Afghanistan)

भारतवर्ष – हिंदुस्तान, आर्यावर्त, भरतखंड

सीमा – सरहद / Border

मोर्चा – जंग

उत्साह – जोश

दाँत खट्टे करना – मुहावरा – पराजित करना

झंडा गाड़ना – मुहावरा – विजयी होना

तट – किनारा

महात्मा – Saint

आदेश – हुक्म / आज्ञा

प्रार्थना – विनती

कृपा – दया

सेवक – दास

कुटिया – झोंपड़ी

तन-बदन में आग लगाना – मुहावरा – क्रोधित होना

त्याग – बलिदान / Sacrifice

महत्त्व – Value

लौकिक – लोक का

शीत – ठंड

लंगोटी – एक प्रकार का वस्त्र

लहर – Wave

मुखमंडल – चेहरा

अपूर्व – जैसा पहले कभी न हुआ हो

शांति – Peace

आभा – चमक

आदर – सम्मान

प्रणाम – नमस्कार

रेशमी – Velvety

शॉल – Shawl

जवाहरात – हीरे-मोती

अमूल्य – Priceless

उपहार –भेंट

विनम्र – Polite

भाव – Feeling

स्वीकार – मान्य

वन – जंगल

धन – Wealth

परीक्षा – इम्तहान

मौन – शांत

पुनः – फिर से

हाल – स्थिति

सराहना – प्रशंसा करना

विजय – Victory

वैभव – ऐश्वर्य

लालसा – इच्छा

खून की नदियाँ बहाना – मुहावरा – रक्तपात करना

मंत्र-मुग्ध – कायल होना

उपाय – तरकीब

भजन – ईश्वर के गीत

पाठ – 19

सिकंदर और साधु

संवाद लेखन

सिकंदर – अरे! महात्मा तो तपस्या में लीन हैं।

साधु – (ध्यानमुक्त होकर) बोलो वत्स, क्या हुआ?

सिकंदर – महात्मन्, मैं आपके लिए कुछ भेंट लाया था।

साधु – पर मुझे इन चीज़ों की आवश्यकता नहीं है।

सिकंदर – पर आप ये शॉल रख लीजिए।

साधु – मैं ये भी नहीं ले सकता क्योंकि मुझे ठंड नहीं लगती।

सिकंदर – ठंड नहीं लगती, ये कैसे हो सकता है?

साधु – जिस प्रकार तुम्हारी नाक और आँखों को ठंड नहीं        लगती उसी प्रकार मेरे पूरे शरीर को ठंड नहीं लगती है।

सिकंदर – आप धन्य हैं महात्मन्। कृपया मुझे शांति का मार्ग    बताएँ।

साधु – वत्स, ये रक्तपात छोड़कर ईश्वर की सेवा में मन    लगाओ।  

सिकंदर – जो आज्ञा महात्मन्।

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