शब्दार्थ
सदा- हमेशा
परिश्रम – मेहनत
मातृभूमि – Motherland
हित – के लिए, भलाई
कष्ट – दुख. पीड़ा
हरना – दूर करना
पथ – मार्ग, रास्ता
गौरव – Glory
गिरि – पर्वत
चरित – चरित्र, Character
समुज्ज्वल – चमकीला, सफ़ेद
गढ़ना – निर्माण
स्नेह – प्रेम
सिंधु – सागर
मेल-जोल – Co-operation
जननी – माँ
जय – Victory
जग – दुनिया
प्रभु – ईश्वर
शीश – सर
राह – रास्ता
अभ्यास सागर
पाठ – 5
सीखो
डायरी लेखन
दिनांक – 12/07/20xx
समय – 09:30 PM
आज हमारे साहित्य की कक्षा में शिक्षक अविनाश रंजन गुप्ता जी ने हमें एक बड़ी ही अच्छी कविता ‘सीखो’ पढ़ाई। इस कविता का भाव समझने के बाद मैं बहुत खुश हुआ और मुझे ऐसा लगा कि हम अपने जीवन में सही निर्णय लेकर अपने जीवन को सही दशा और दिशा प्रदान कर सकते हैं। हम अपने पूरे जीवन में कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं परंतु अगर हम केवल अच्छी चीज़ें ही सीखें तो हमारा भविष्य उज्ज्वल हो जाएगा। आज मैंने यह शपथ ली है कि मुझे केवल अच्छी चीज़ें ही सीखनी हैं।
राकेश गुप्ता