शब्दार्थ
रहिमन – रहीम
नर – मनुष्य
कहूँ – कहीं
माँगन – माँगना
जाँहि – जाना
उनते – उनसे
मुए – मरे हुए
जिन – जिनका
मुख – मुँह
निकसत – निकलना
नाँहि – नहीं
प्रस्तुत दोहे में रहीम जी कह रहे हैं कि वे नर मृत समान हैं जो किसी के सामने हाथ फैलाते हैं पर उनसे भी पहले वे मनुष्य मृत समान हो जाते हैं जो देने से पहले ही मना कर देते हैं।
लौं – तक
बोलत – बोलना
परत – पड़ना
काक – कौआ
पिक – कोयल
रितु – ऋतु
माँहि – में
रहीम इस दोहे में हमें यह सीख दे रहें हैं कि हमारे आस-पास रहने वाले सभी लोग एक-से दिखते हैं परंतु जब हम किसी विपत्ति में पड़ते हैं तो उनके व्यवहार से उनका असली चेहरा हमारे सामने आ जाता है, ठीक उसी प्रकार कौआ और कोयल भी एक जैसे दिखते हैं परंतु वसंत के मौसम में कोयल की कूक और कौए की काँव-काँव से उन दोनों में निहित अंतर स्पष्ट हो जाता है।
तरुवर – पेड़
खात – खाना
सरवर – सरोवर
पियहि – पीना
पान – पानी
कहि – कहना
पर – दूसरा
काज – काम
हित – के लिए, भलाई
संचहि – संचय करना
सुजान – सज्जन
रहीम जी का मानना है कि जिस प्रकार पेड़ अपना फल खुद नहीं खाता, नदी अपना जल खुद नहीं पीती उसी प्रकार सज्जन भी धन का संचय ज़रूरतमंदों की मदद करने के लिए करते हैं।
सगे – अपने
बनत – बनना
बहु – बहुत
रीत – संबंध
बिपति – विपत्ति, कष्ट
कसौटी – परीक्षा
जे – जो
कसे – खरा
सो – वही
साँचे – सच्चा
मीत – मित्र
रहीम जी सच्चे दोस्तों की पहचान करने का तरीका बताते हुए कह रहे हैं कि जब हमारे पास बहुत धन-संपत्ति होती है तो दूर-दूर के रिश्ते बन जाते हैं पर हमारा सच्चा मित्र और सच्चे संबंधी वे ही होते हैं जो संकट के समय में हमारा साथ न छोड़ें।
बिथा – व्यथा, परेशानी
राखो – रखो
गोय – छिपाकर
सुनि – सुनकर
अठिलैहें – इतराना
बाँटि -बाँटना
कोई – कोई
रहीम जी कहना है कि हमें अपने मन की व्यथा को हर किसी के सामने प्रगट नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे में वे हमारी समस्या का समाधान न करके उसका प्रचार कर देंगे और मन-ही मन ये सोचकर खुश होंगे कि ठीक हुआ हम इस समस्या से बच गए।
देखि – देखना
बड़ेन – बड़े को
लघु – छोटा
डारि – त्याग
आवे – आए
सुई – Needle
कहा – क्या
तलवारि – तलवार
रहीम जी इस दोहे में समानता की बात बताते हुए कह रहे हैं हमें बड़ों को देखकर छोटों का साथ नहीं छोड़ देना चाहिए । इस दुनिया में बड़े-छोटे सभी अपनी-अपनी जगह में महत्त्वपूर्ण होते हैं। इसीलिए कहा भी गया है कि कपड़े सीने के लिए हमें सुई की आवश्यकता पड़ती है और युद्ध करने के लिए तलवार की परंतु विपरीत स्थिति में ये दोनों निरर्थक हैं।
पाठ में से
प्रश्न 1. रहीम ने कैसे व्यक्ति को मरे व्यक्ति के समान बताया है?
उत्तर – रहीम ने उन व्यक्तियों को मृत समान कहा है जो दूसरो के सामने हाथ फैलाते हैं।
प्रश्न 2. तरुवर और सरोवर की क्या विशेषता है?
उत्तर – तरुवर कभी भी अपना फल खुद नहीं खाता और सरोवर कभी भी अपना जल खुद नहीं पीती यह मुख्य विशेषता तरुवर और सरोवर में हैं।
प्रश्न 3. सज्जन व्यक्ति किसके लिए धन संचय करते है?
उत्तर – सज्जन व्यक्ति ज़रूरतमंदों की मदद करने के लिए धन का संचय करते हैं।
प्रश्न 4. दिए गए वाक्यों के आगे सही (P ) या गलत (x) का निशान लगाइए-
(क) बोलने से व्यक्ति की वास्तविकता का पता चलता है। हाँ
(ख) तरुवर और सरोवर के रूप में प्रकृति परोपकार की शिक्षा देती है। हाँ
(ग) अपने मन की पीड़ा को सबके सामने व्यक्त करना चाहिए। नहीं
(घ) वसंत ऋतु में ही कोयल और कौए की पहचान की जा सकती है। हाँ
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. रहीम ने अपने मन की बात मन में ही रखने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर – रहीम ने अपने मन की बात मन में ही रखने को कहा है क्योंकि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमारी समस्या सुनकर खुश होते हैं और मन ही मन सोचते हैं कि ठीक हुआ मुझे ऐसी समस्या नहीं हुई । वे हमारे सामने हमारा हितैषी होने का नाटक करते हैं पर बदले में हमारी समस्यायों का प्रचार कर देते हैं।
प्रश्न 2. बड़ी वस्तु के सामने छोटी वस्तु के महत्त्व को कम नहीं मानना चाहिए। किसी घटना के माध्यम से समझाइए ।
उत्तर – हर चीज़ का अपना महत्त्व होता है। एक बार जब मैं अपने परिवार के साथ घूमने गया था तभी हमने ध्यान दिया तो पता चला कि हमने सूटकेस की चाबी घर पर ही छोड़ दी है। इतने बड़े सूटकेस को खोलने के लिए एक छोटी-सी चाबी न होने के कारण हम अपने आप को लाचार महसूस कर रहे थे। इससे हम यह तो जान ही गए कि हर चीज़ का महत्त्व है।
प्रश्न 3. वाणी कड़वी हो तो उसका क्या असर पड़ेगा?
उत्तर – वाणी कड़वी हो तो न ही हमें समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त हो पाएगा और न ही हम अपने जीवन में सफलता के शिखर पर पहुँच पाएँगे।
प्रश्न 4. रहीम ने सच्चे साथियों के बारे में क्या कहा है? आप किन्हें अपना सच्चा साथी मानते हैं और क्यों?
उत्तर – रहीम ने सच्चे साथियों के बारे में कहा है कि वे संकट की स्थिति में हमारा साथ नहीं छोड़ते। मैं अपने शिक्षक और अपने कर्मों को ही अपना सच्चा मित्र मनाता हूँ।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. ऐसी दो छोटी चीजों के बारे में अनुमान लगाइए जिनकी जगह बड़ी चीजें बेकार हैं।
उत्तर – माइक्रो कंप्यूटर के सामने यूनिवेक कंप्यूटर बेकार है और मेमोरी कार्ड के सामने वीडियो कैसेट्स बेकार है।
प्रश्न 2. मान लीजिए कि आपके एक मित्र को पैसों की ज़रूरत है और आपके पास भी पैसे नहीं हैं। तो आप अपने मित्र की सहायता किस प्रकार करेंगे?
उत्तर – मुझे अपने मित्र की आर्थिक मदद करनी है और अगर मेरे पास भी पैसे न हो तो मैं अपने किसी खास और विश्वसनीय मित्र से पैसे लेकर अपने उस मित्र की मदद कर दूँगा।
भाषा की बात
प्रश्न 1. समान लय वाले शब्द लिखिए-
रीत – गीत,
पान – दान,
खात – मात,
नर – डर
प्रश्न 2. नीचे स्तम्भ ‘क’ में शब्द दिए गए हैं और स्तम्भ ‘ख’ में शब्दों के अर्थ दिए गए हैं। शब्दों को उनके अर्थ से मिलाइए-
‘क’ ‘ख’
लघु छोटा
काक कौवा
पिक कोयल
सुजान सज्जन
निज अपना
जीवन मूल्य
रहिमन निज मन की विधा मन ही राखो गोय
सुनि अठिलैहें लोग सब बाँटि न लैहें कोय ।
प्रश्न 1. किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने अपने दिल की बात अपने मित्र को बताई हो और उसने आपका मजाक उड़ाया हो?
उत्तर – एक बार जब मैने अपने मित्र को अपनी किताब के चोरी हो जाने की बात बताई तो उसने यह कहकर मेरा मज़ाक उड़ाया कि मुझे अपने स्कूल बैग में सिक्योरिटी सिस्टम लगाना चाहिए।
प्रश्न 2. उस समय आपको कैसा महसूस हुआ? ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए?
उत्तर – उस समय मुझे छुटपन और शर्मिंदगी का एहसास हुआ। स्थिति को सुधारने के लिए मैंने विषय बदल दिया और निर्णय लिया कि अब अपनी समस्या सोच-समझकर ही लोगों के सामने रखूँगा।
प्रश्न 3. यदि कोई आपको अपने मन की बात / दुख बताए तो आप क्या करेंगे?
उत्तर – यदि कोई मुझे अपने मन की बात कहे तो मैं उसकी समस्या का समाधान करने की कोशिश करूँगा। जहाँ तक हो सके तो उसे सलाह दूँगा कि किसी भी काम को करने से पहले अच्छे से सोच-विचार कर ले।
कुछ करने के लिए
1. ‘परिश्रम’ तथा ‘सच्चाई’ से जुड़े कुछ दोहों का संकलन कीजिए।
परिश्रम
“श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर ।
श्रम ते खोदत कूप ज्यों, थल में प्रागटै नीर॥”
“उद्यम कबहुँ न छोड़िए, पर आशा के मोद।
गागरि कैसे फोरिये, उनयो देखी पयोद॥”
सच्चाई
“साँच बराबरि तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै साँच है ताकै हृदय आप॥”
“मुख में मीठे बोल हैं,हृदय कपट का भाव।
मानव में अब है नहीं, सच सुनने का चाव॥”
2. सामूहिक रूप से दोहों की गायन प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए ।
उत्तर – शिक्षक करवाएँ
अभ्यास सागर
पाठ – 9
दोहे
अनेकार्थी शब्द
1.
मन – हृदय, तोल (एक मन)
फल – परिणाम, सेब, आम आदि फल
जान – जानना (क्रिया), प्राण
पर – पंख, परंतु ऊपर
डाल – डालना (क्रिया), पेड़ की डाल
2.
क. उत्तर – एक दिशा, जवाब
ख. हार – पराजय, माला
ग. सोना – स्वर्ण, नींद
घ. तीर – वाण, तट (नदी का किनारा)
उत्तर
मुझे इस प्रश्न का उत्तर (जवाब) आता है।
दिल्ली उत्तर (दिशा) में स्थित है।
हार
मेरी माता के पास सोने का एक हार (माला) है।
क्रिकेट मैच में श्रीलंका की हार (पराजय) हुई।
3.
क. अंधकार – अँधेरा, तम
ख. शरीर – देह, बदन
ग. आदर – मान, सम्मान
घ. पृथ्वी – धरा, वसुधा
ङ. कमल – पंकज, जलज
4.
क. सुरेश पिचकारी भर रहा है।
ख. आप कहाँ रहते हैं?
ग. माताजी खीर बना रही हैं।
5.
क. –
ख. अन्य पुरुष, पुरुषवाचक सर्वनाम
ग. व्यक्तिवाचक संज्ञा
घ. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
6.
क. मधुर
ख. दो-दो
ग. थोड़ी
7.
क. तुम क्या पढ़ रहे हो?
ख. राम, अब तुम पढ़ो।
ग. माँ ने कहा, “बिटिया मिठाई खा लो।”
8. अनुच्छेद
चार मित्र थे – रोहित, अमित, हरि और राकेश। वे चारों छठी कक्षा में पढ़ते थे। एक दिन की बात है, चारों मित्र शिमला घूमने गए। वे बर्फ़ भरे पहाड़ों पर चढ़ाई कर रहे थे कि अचानक रोहित का पैर फिसला और वह एक गहरे हिम विदर में जा गिरा। तीनों मित्रों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। अमित और हरि ने राकेश से कहा, “तुम यही ठहरो, हम शीघ्र ही कोई मदद लेकर आते हैं।” तीन-चार घंटे बीत जाने के बाद जब वे दोनों नहीं आए तो राकेश उनके इरादे समझ गया और और खुद ही अपने मित्र को बचाने के फ़ैसला लिया। सबसे पहले तो उसने अन्य सैलानियों को इस दुर्घटना के बारे में बताया और उनकी मदद से बचाव दल को सूचित किया। कुछ ही देर में बचाव दल वहाँ पहुँच गए और रोहित को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। रोहित को जब अमित और हरि की सच्चाई का पता चला तो उसने राकेश को गले से लगा लिया और कहा, “विपत्ति में जो साथ निभाता है वही सच्चा मित्र कहलाता है।”