शब्दार्थ
राष्ट्रपति – President
भवन – Hall
सुसज्जित – Well Decorated
अशोक – एक पेड़ का नाम
कक्ष – कमरा
देश – मुल्क
गणमान्य – Dignitary
विशिष्ट – मुख्य
अतिथि – Guest
उद्घोषक – Announcer
सर्वोच्च – सबसे ऊँचा
सम्मान – इज़्ज़त
तंद्रा – हल्की नींद, यादों में खोने की स्थिति
भंग – टूटना
पर्वतारोही – Mountaineer
अदम्य – जिसे दबाया न जा सके
साहस – हिम्मत
परिचय – पहचान
विकलांगता – अपंगता
बावजूद – Inspite of
करतल – ताली
ध्वनि – आवाज़
माननीय – Respected
भयानक – खतरनाक
हड्डी – अस्थि
टाँग – पैर
ज़ख़्मी – घायल
रील – Reel
अभागा – Bad luck
लखनऊ – उत्तर प्रदेश की राजधानी
सामान्य – साधारण
श्रेणी – Class
अचानक – सहसा
लुटेरे – Muggers
चेन – Chain
पर्स – Purse
गिरोह – दल
असहाय – Helpless
शरीर – देह
निर्जीव – मृत
मानसिक – Mental
जागृत – जागा हुआ
अंत – End
ग्रामीण – गाँव से जुड़ा
अस्पताल – चिकित्सालय, Hospital
स्थानीय – Local
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान – AIIMS
राष्ट्रीय – National
स्तर – Level
खिलाड़ी – Player
भयानक – Danger
मंजूर – स्वीकार
बिस्तर – Bed
संकल्प – Determination
चरण-चिह्न – Footprints
अंकित – चिह्न
ईश्वर – प्रभु
चुनौती – Challenge
स्वीकार – Accept
धन्यवाद – शुक्रिया
दुर्घटना – Accident
पर्वतारोहण – Mountaineering
कल्पना – Imagination
उपहास – मज़ाक
निश्चय – निर्णय, फ़ैसला
अटल – अडिग
हौसला – उत्साह
भरोसा – विश्वास
आत्मविश्वास – Self-confidence
अनमोल – अमूल्य, Priceless
आराम – विराम
पसंद – Choice
उतावला – व्याकुल
शारीरिक – Bodily
दशा – स्थिति
पीठ थपथपाना – शाबाशी देना
प्रेरणा स्रोत – Source of Inspiration
गुर – हुनर
अभ्यास – Practise
मार्गदर्शन – Guidance
प्रारंभ – आरंभ
निराश – Disappointed
चढ़ाई – आरोहण
साकार – True
मनोदशा – मन की दशा
कमज़ोरी – Weakness
जुटना – भीड़ना
लक्ष्य – Aim
दृढ़– मज़बूत
जीवंत – Lively
प्रमाण – Evidence
मार्ग – राह
संपूर्ण – पूरा
समर्पण – Dedication
स्वप्न – सपना
राजमार्ग – Highway
बाधा – अवरोध, Barrier
अबला – नारी, कमज़ोर
आलिंगन – गले मिलना
तिरंगा – भारत का झंडा
पाठ में से
प्रश्न 1. अशोक कक्ष में उद्घोषक ने अरुणिमा सिन्हा का नाम क्यों पुकारा?
उत्तर – अशोक कक्ष में उद्घोषक ने अरुणिमा सिन्हा का नाम पुकारा क्योंकि उन्हें राष्ट्रपति द्वारा देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया जाना था।
प्रश्न 2. पूरा अशोक हॉल करतल ध्वनि से क्यों गूँज उठा?
उत्तर – पूरा हॉल करतल ध्वनि से गूँज उठा क्योंकि अरुणिमा सिन्हा विश्व की प्रथम विकलांग पर्वतारोही महिला ने विश्व के सबसे ऊँचे शिखर माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की थी और आज उसे उसके अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति भवन में पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा रहा था।
प्रश्न 3. राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त करते हुए अरुणिमा अपने आपको कहाँ पाती है?
उत्तर – पूरा हॉल करतल ध्वनि से गूँज उठा क्योंकि अरुणिमा सिन्हा विश्व की प्रथम विकलांग पर्वतारोही महिला ने विश्व के सबसे ऊँचे शिखर माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की थी और आज उसे उसके अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति भवन में पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा रहा था।
प्रश्न 4. दिल्ली जाते समय ट्रेन में अरुणिमा के साथ क्या घटना घटित हुई?
उत्तर – 12 अप्रैल 2011 को अरुणिमा सिन्हा लखनऊ से पद्मावती एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थी। इसी रेल के सामान्य डिब्बे में कुछ लुटेरे घुस आए और अरुणिमा का पर्स और चेन छीनने लगे। अरुणिमा उनसे भिड़ गई और लुटेरों के पूरे गिरोह ने उसे चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। इस दुर्घटना में अरुणिमा का एक पैर घुटने से नीचे तक कट गया।
प्रश्न 5. अस्पताल के बिस्तर पर पड़े हुए अरुणिमा ने क्या संकल्प लिया? और ईश्वर से क्या कहा ?
उत्तर – अस्पताल के बिस्तर पर पड़े हुए अरुणिमा ने यह संकल्प लिया कि वह दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर अपने चरण-चिह्न अंकित करेगी। अरुणिमा ने ईश्वर से कहा कि तूने मुझे विकलांग बनाया है, अब यह विकलांग विश्व की सबसे ऊँची चोटी पर ही तुझे धन्यवाद देगी।
प्रश्न 6. अस्पताल से लौटकर अरुणिमा किससे मिली? उन्होंने उससे क्या कहा?
उत्तर – अस्पताल से लौटकर अरुणिमा ने प्रेरणा स्रोत बचेंद्री पाल से मुलाक़ात की। उसकी स्थिति को देखकर बचेंद्री पाल ने अरुणिमा का हौसला बढ़ाते हुए कहा, “एक दिन तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारे कदमों में होगा। तुम्हारा हौसला माउंट एवरेस्ट से कहीं बड़ा है।”
प्रश्न 7. सफलता का राजमार्ग क्या है?
उत्तर – खुद पर विश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने लक्ष्य के प्रति संपूर्ण समर्पण ही सफलता का राजमार्ग है।
प्रश्न 8. नीचे प्रत्येक प्रश्न के चार-चार उत्तर दिए गए हैं। उचित उत्तर पर सही (P) का चिह्न लगाइए-
प्रश्न (क) अरुणिमा दिल्ली कब जा रही थी?
12 जनवरी 2011
12 अप्रैल 2011
12 मई 2011
12 मार्च 2011
उत्तर – 12 अप्रैल 2011
प्रश्न (ख) अरुणिमा को पद्मश्री का सम्मान किस वर्ष में मिला?
2014 में
2015 में
2012 में
2013 में
उत्तर – वर्ष 2015
प्रश्न (ग) अरुणिमा लखनऊ से दिल्ली किस ट्रेन से जा रही थी?
पद्मावती एक्सप्रैस से
लखनऊ दिल्ली एक्सप्रैस
लखनऊ एक्सप्रैस से
दिल्ली एक्सप्रैस से
उत्तर – पद्मावती एक्सप्रैस से
प्रश्न (घ) अरुणिमा ने एवरेस्ट पर कब जीत प्राप्त की?
21 जून 2013
21 जुलाई 2011
21 अगस्त 2011
21 मई 2013
उत्तर – 21 मई 2013
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. अरुणिमा की तंद्रा कब भंग हुई?
उत्तर – अरुणिमा की तंद्रा तब भंग हुई जब राष्ट्रपति भवन में उद्घोषक ने देश के चौथे सर्वोच्च पुरस्कार के लिए उनका नाम पुकारा।
प्रश्न 2. अरुणिमा के मस्तिष्क में सारी घटनाएँ किस तरह आ-जा रही थीं?
उत्तर – अरुणिमा के मस्तिष्क में सारे घटनाएँ फ़िल्म के रील की तरह आ-जा रही थीं।
प्रश्न 3. सभी लोग अरुणिमा का उपहास क्यों उड़ाते थे?
उत्तर – सभी लोग अरुणिमा का उपहास उड़ाते थे क्योंकि एक पैर घुटने से नीचे तक कट जाने के बाद भी अरुणिमा माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई का स्वप्न देख रही थी जिसे आम लोगों ने पागलपन की निशानी समझा।
प्रश्न 4. पर्वतारोहण का अभ्यास करते हुए अरुणिमा हताश क्यों हो जाती थी?
उत्तर – पर्वतारोहण के अभ्यास के समय में अरुणिमा हताश हो जाया करती थी क्योंकि 15 मिनट की यात्रा को पूरा करने में उसे 2 घंटे से भी अधिक समय लग जा रहा था।
प्रश्न 5. अरुणिमा सारी दुनिया को क्या बताना चाहती थी?
उत्तर – अरुणिमा सारी दुनिया को यह बताना चाहती थी कि शारीरिक रूप से विकलांग होना उतनी बड़ी समस्या नहीं है जितना कि मानसिक रूप से विकलांग होना।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. यदि अरुणिमा के जीवन में यह हादसा न हुआ होता तो उसका जीवन कैसा होता?
उत्तर – यदि अरुणिमा के जीवन में यह हादसा नहीं हुआ होता तो शायद वह एक बहुत अच्छी फुटबॉल खिलाड़ी होती क्योंकि हादसे से पहले भी उसमें साहस और लगन कूट-कूट कर भरी हुई थी।
प्रश्न 2. यदि शारीरिक रूप से विकलांग सभी व्यक्ति अरुणिमा सिन्हा जितनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प से संपन्न हो जाएँ तो उनके जीवन में क्या परिवर्तन आ सकता है?
उत्तर – यदि शारीरिक रूप से विकलांग सभी व्यक्ति अरुणिमा सिन्हा जितनी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प से संपन्न हो जाएँ तो उनके जीवन में भी बहार आ सकती है। वे भी स्वावलंबी होकर अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1. पाठ में आए हुए शब्दों से उपसर्ग-प्रत्यय व मूल शब्द अलग कीजिए-
शब्द उपसर्ग प्रत्यय मूल शब्द
क. सुसज्जित सु इत सज्जा
ख. विकलांगता – ता विकलांग
ग. दुर्घटना दुर् – घटना
घ. सफलता स ता फल
ङ. विशिष्ट वि – शिष्ट
प्रश्न 2. पाठ में आए हुए कोई चार अनुस्वार और चार अनुनासिक शब्दों को लिखिए-
अनुस्वार अनुनासिक
क. विकलांगता क. गूँज
ख. माउंट ख. टाँग
ग. बचेंद्री ग. अँधेरा
घ. घंटा घ. पाँव
प्रश्न 3. निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
उपहास उड़ाना – आज कल के युवा छोटी-छोटी बातों पर दूसरों का उपहास उड़ाते हैं।
ख. सपनों को साकार करना – अरुणिमा सिन्हा ने कड़ी मेहनत से अपने सपने को साकार कर लिया।
जीवन मूल्य
प्रश्न 1. दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर अपने चरण – चिह्न अंकित करने का मैंने (अरुणिमा ने) संकल्प लिया-
(क) जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर – क. जीवन में आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने की बहुत आवश्यकता है क्योंकि बिना निर्धारित लक्ष्य के जीवन समुद्र के बीच में पड़े कश्ती के समान होता है जिसे कहाँ जाना है पता ही नहीं। हमें बाज़ार जाना होता है तो हम चीज़ों की एक सूची बना लेते है तो जीवन में लक्ष्य को निर्धारित करना भी एक महत्त्वपूर्ण काम है तभी जाकर हमारा जीवन सफल होगा।
प्रश्न 2. खुद पर विश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और लक्ष्य के प्रति समर्पण यही सफलता का राजमार्ग है-
प्रश्न (क) आपके जीवन का क्या लक्ष्य है?
उत्तर – क. मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर एक व्यापारी बनूँ और बहुत पैसे कमाऊँ ताकि उन पैसों को मैं समाज-सेवा में लगा सकूँ।
प्रश्न (ख) इन गुणों को अपनाकर आप अपने जीवन में किस प्रकार सफलता प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर – ख. खुद पर विश्वास, दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने लक्ष्य के प्रति संपूर्ण समर्पण जैसे गुण ही है जो हमें हमेशा अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देते हैं। हमें आम से खास की राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति कुछ विशिष्ट सम्मान प्रदान करते हैं। जैसे- पद्मश्री । उनकी सूची बनाइए।
उत्तर – . गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति कुछ विशिष्ट सम्मान प्रदान करते हैं, जैसे
पद्म सम्मान
विशिष्ट सेवा के लिए पुलिस मेडल
शौर्यता हेतु पुलिस मेडल
असाधारण सेवाओं के लिए पुलिस मेडल
राज्य वार / सेना वार पदक सूची
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार अग्निशमन सेवा, होमगार्ड एवं नागरिक सुरक्षा पदक पुरस्कार
जीवन रक्षा पदक पुरस्कार
प्रश्न 2. ऐसे किन्हीं दो महापुरुषों के बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए जिन्होंने आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति से समाज को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है।
उत्तर – महात्मा गांधी और भीमराव आंबेडकर
प्रश्न 3. एवरेस्ट चोटी पर विजय प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला ‘बचेन्द्रीपाल’ के जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
अभ्यास सागर
पाठ – 13
साहस को सलाम
काल व भेद
1.
क. विश्व के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की।
मेरा पूरा शरीर निर्जीव हो चुका था।
ख. मैं राष्ट्रपति भवन के सुसज्जित कक्ष में बैठी हूँ।
पूरा अशोक हॉल करतल ध्वनि से गूँज रहा है।
ग. आपका स्वप्न साकार हो जाएगा।
एक दिन तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारे कदमों में होगा।
काल
भूतकाल
भविष्यत्
2.
क. जाता हूँ
ख. खेल रहे हैं
ग. पढ़ा रही है
घ. व्यायाम करता है
ङ. है
3.
क. दिया
ख. पढ़ रहे थे
ग. कर रहे थे
घ. रहते थे
ङ. थी
4.
क. लाएगी
ख. खेलेंगे
ग. बनूँगा
घ. आएगी
ङ. सुनाएगा
5.
क. भूतकाल
ख. वर्तमान काल
ग. भूतकाल
घ. भविष्यत् काल
ङ. वर्तमान काल
च. भविष्यत् काल
6.
क. सुनती हूँ
ख. खा रही हैं
ग. आ रहा है
घ. जा रहे हैं
ङ. करता है
7.
क. बैठा था
ख. हो गई
ग. गाया
घ. रहा था
ङ. थे
8.
क. धोऊँगा
ख. पाएगी
ग. जाएँगे
घ. आएगी
ङ. करेंगे
9.
क. मुझे नोएडा में फुटबॉल मैच खेलना था।
ख. मेरा संकल्प साकार होगा।
ग. अब यह विकलांग विश्व की सबसे ऊँची चोटी पर तुझे धन्यवाद दे रही है।
घ. रीढ़ की हड्डी में भयानक पीड़ा हो रही थी।
10.
क. कागज़
ख. गुज़रना
ग. अंदाज़ा
घ. नाराज़
ङ. ज़रूरत
च. सफ़ाई
11.
क. प्रमाण
ख. दुर्घटना
ग. ट्रेन
घ. राष्ट्रपति
ङ. साकार
च. निर्जीव
12.
क. सुसज्जित – सुसज्जा + इत
ख. आनंदित – आनंद + इत
ग. प्रचलित – प्रचल + इत
घ. प्रदूषित – प्रदूषण + इत
13.
“मन के हारे हार है, मन के जीते जीत”
मैंने सोचा था, “जीत कर रहूँगी।” सबसे पहले यह विचार मेरे दिमाग में आया और फिर इसे सच में बदलने के लिए मैंने अपने मस्तिष्क को तैयार किया और अंत में जीत हासिल की। ये वाक्य थे विकलांग अरुणिमा सिन्हा के। काल के कुचक्र में पड़कर अरुणिमा सिन्हा के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसकी क्षतिपूर्ति कभी भी संभव न थी फिर भी दृढ़ निश्चयी अरुणिमा सिन्हा ने अपनी विकलांगता को अपने लक्ष्य के बीच न आने दिया। 21 मई 2013 को सुबह दस बजकर पचपन मिनट पर दुनिया के सबसे ऊँचे शिखर को अपने कदमों के नीचे और तिरंगा फहराकर देश की अस्मिता और अखंडता में एक नया अध्याय जोड़ा। उसने अपने अखंड विश्वास से यह फिर से प्रमाणित कर दिया कि “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत”