शब्दार्थ
मैया – माँ
मोहिं – मुझे
दाऊ – भैया
खिझायौ – चिढ़ाते
मोसौं – मुझसे
कहत – कहता
मोल – खरीद
लीन्हौ – लाया है
जसुमति – यशोदा
जायौ – पैदा करना
इहि – यह
रिस – क्रोध
पुनि-पुनि – बार-बार
तेरौ – तुम्हारा
तात – पिता
जसोदा – यशोदा
कत – कैसे
स्याम – श्याम
सरीर – शरीर
हँसत – हँसना
ग्वाल – ग्वाला
सिखै – सिखाना
बलबीर – बलराम
मोहीं – मुझे
मारन – मारने
कबहुँ – कभी
खीझै – गुस्सा
लखि – देखता
मनमहिं – मन ही मन में
रीझै – प्रसन्न होना
सुनह – सुनो
कान्ह – कृष्ण
बलभद्र – बलराम
चबाई – चुगलखोर
जनमत – जन्म से
धूत – चालाक
गोधन – गाय
सौं – कसम
पूत – बेटा
कुण्डलियाँ
पाछै – पीछे
पछताय – पछताना
बिगारे – बिगाड़ना
जग – दुनिया
चित्त – मन
चैन – शांति
मनहि – मन में
भावै – पसंद आना
टरत – टालना
टारे – टलना
खटकत – चुभना
जिय – मन
माहि – में
पाठ में से
प्रश्न 1. ‘मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायौ’ पद में कौन किसकी शिकायत कर रहा है?
उत्तर – ‘मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायौ’ पद में कान्हा यशोदा माता से बड़े भाई बलराम की शिकायत कर रहे हैं।
प्रश्न 2. श्री कृष्ण किससे शिकायत कर रहे हैं और क्या शिकायत कर रहे हैं?
उत्तर – श्रीकृष्ण माता यशोदा से यह शिकायत कर रहे हैं कि बलराम सभी ग्वालों से यह कहते हैं कि यशोदा माता ने कान्हा को खरीदा है।
प्रश्न 3. बलराम कृष्ण को मोल का लिया होने का क्या तर्क देते हैं?
उत्तर – बलराम श्रीकृष्ण से कहते हैं कि माता ने तुझे मोल कर लिया है। इसे प्रमाणित करने के लिए वे यह तर्क देते हैं कि माता यशोदा गोरी हैं, नंदजी भी गोरे हैं, मैं भी गोरा हूँ। अगर तू माता यशोदा का पुत्र होता तो तू भी गोरा होता पर तेरा रंग तो श्याम है।
प्रश्न 4. श्री कृष्ण को बलराम, गोप-ग्वाले और माँ की कौन-कौन सी बातें बच्छी नहीं लगीं और क्यों?
उत्तर – श्रीकृष्ण को बलराम का चिढ़ाना पसंद नहीं क्योंकि वे चिढ़ाने के साथ-साथ सभी गोप-ग्वालों से यह कह देते हैं कि कृष्ण यशोदा का अपना पुत्र नहीं बल्कि खरीदा हुआ पुत्र है। गोप-ग्वाले भी बलराम की बातें सच मानकर कृष्ण का चुटकी बजा-बजाकर उपहास करते हैं। माता यशोदा भी सदा कृष्ण को ही डाँटती हैं, बलराम से कभी कुछ नहीं कहती।
प्रश्न 5. श्री कृष्ण को समझाते हुए यशोदा बलराम के बारे में क्या कहती हैं?
उत्तर – श्रीकृष्ण को समझाते हुए यशोदा बलराम के बारे में कहती हैं कि वो तो जन्म से ही धूर्त और चुगलखोर है।
प्रश्न 6. बिना विचारे कार्य करने से कौन-सी हानि होती है?
उत्तर – बिना विचारे काम करने से हमें पछताना पड़ता है। इसके अलावा हम अपना काम बिगाड़ने के साथ-साथ दूसरों का काम भी बिगाड़ते हैं जिससे हमारी जग-हँसाई होती है। जग-हँसाई होने के कारण हमारे मन को शांति नहीं मिल पाती।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. सूरदास द्वारा रचित पद में बच्चों की किन विशेषताओं की जानकारी मिलती है?
उत्तर – सूरदास द्वारा रचित पद में बच्चों की बाल सुलभ क्रियाओं का बोध होता है, जैसे- रूठ जाना, दूसरों की शिकायत करना, तर्क देना, बातें फैलाना, रोना इत्यादि।
प्रश्न 2. श्री कृष्ण खेलने न जाने का क्या कारण बताते हैं?
उत्तर – श्रीकृष्ण खेलने न जाने का यह कारण बताते हैं कि बलराम ने सभी गोप-ग्वालों से यह कह दिया है कि कृष्ण यशोदा का अपना पुत्र नहीं बल्कि खरीदा हुआ पुत्र है। गोप-ग्वाले भी बलराम की बातें सच मानकर कृष्ण का चुटकी बजा-बजाकर उपहास करते हैं।
प्रश्न 3. यशोदा मन ही मन किस पर रीझ रहीं थीं और क्यों?
उत्तर – यशोदा मन ही मन में कान्हा पर रीझ रही थीं क्योंकि कान्हा की बातों और क्रियाओं से उनके मन में वात्सल्य भाव जागृत हो गया था।
प्रश्न 4. ‘राग-रंग’ का क्या अर्थ है?
उत्तर – ‘राग-रंग’ का अर्थ है, उत्सव या महफ़िल।
प्रश्न 5. किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने बिना विचार किए कोई काम किया हो? तब क्या हुआ ?
उत्तर – एक बार मैंने बिना विचार किए गीले हाथ से इलेक्ट्रिक स्विच दबा दिया था, फलस्वरूप मुझे बड़े ज़ोरों का झटका लगा और मैं सन्न रह गया।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. कल्पना कीजिए कि आप विद्यालय गए हुए हैं और आपकी अनुपस्थिति में आपके भाई ने माँ से आपकी शिकायत की। पता चलने पर आप कैसा अनुभव करेंगे? बताइए।
उत्तर – यदि मेरी अनुपस्थिति में मेरे भाई ने माँ से शिकायत की तो मुझे इस बात की जानकारी माँ से चल ही जाएगी और शिकायत सच्ची है या झूठी ये मैं माँ को बताऊँगा क्योंकि मैं अपनी माँ से कभी भी झूठ नहीं कहता।
भाषा की बात
प्रश्न 1. निम्नलिखित युग्म शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
(क) खान-पान – बदलते समय के साथ हमारा खान-पान भी बदलता है।
(ख) राग-रंग – जब हमारा मन उदास होता है तो हमें राग-रंग भी नहीं भाता है।
प्रश्न 2. नंद-यशोदा तथा श्रीकृष्ण के लिए किन विशेषण शब्दों का प्रयोग किया गया है? लिखिए-
नंद – गोरे
यशोदा – गिरि
श्रीकृष्ण – श्याम
प्रश्न 3. नीचे खंड ‘क’ में शब्द और खंड ‘ख’ में उनके अर्थ दिए गए हैं। शब्द को उनके अर्थ से मिलाइए-
क ख
लिन्हीं लिया है
लखि देखकर
सौं कसम
तात पिता
पाछे पीछे
जीवन मूल्य
• यशोदा श्रीकृष्ण का क्रोध से भरा चेहरा देखकर रीझ जाती हैं और उन्हें मनाती हैं।
प्रश्न 1. क्या कभी आपके जीवन में ऐसा अवसर आया है कि आप अपनी माँ से रूठ गए हों और उन्होंने आपको मनाया हो?
उत्तर – हाँ, ऐसा कई बार हुआ है जब मैं अपनी माँ से रूठ गया हूँ और मेरी माँ ने मुझे मनाया है।
प्रश्न 2. यह भी बताइए कि उन्होंने आपको कैसे मनाया?
उत्तर – उन्होंने मुझे मनाने के लिए मेरी मनपसंद खाने की चीज़ें बनाईं और मुझे मना लिया।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. ‘दूसरों की शिकायत करना बुरी आदत है’ – इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2. अपने घर के आस-पास 6-8 वर्ष की उम्र वाले बच्चों के व्यवहार को ध्यान से देखिए तथा कक्षा में बताइए कि वे दी गई स्थितियों में कैसा व्यवहार करते हैं?
(क) प्रसन्न होने पर
(ख) क्रोधित होने पर
(ग) रूठने पर
(घ) अकेले होने पर
(ङ) समूह में होने पर
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
अभ्यास सागर
पाठ – 18
बाल लीला
अनुप्रास अलंकार
1.
क. मैया, मोहिं म
ख. मोहीं, मारन म
ग. मोहन, मुख म
घ. कहा, कहौं क
ङ. राग, रंग र
च. पाछे, पछताय प
2.
क. होत, हँसाय में ‘ह’ वर्ण की आवृत्ति
ख. होत, हँसाय एवं चित्त, चैन में ‘ह’ और ‘च’ वर्ण की आवृत्ति
ग. टरत, टारे में ‘ट’ वर्ण की आवृत्ति
घ. सूर स्याम में ‘स’ वर्ण की आवृत्ति
ङ. मोसौं, मोल एवं जसुमति, जायौ में ‘म’ और ‘ज’ वर्ण की आवृत्ति
3.
क. दिया गया है।
ख. पीपर पात में ‘प’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
ग. कालिंदी कूल कदंब में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
घ. झरते झाग में ‘झ’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
ङ. कितनी करुणा कितने में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
च. चारु चंद्र चंचल में ‘च’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
4.
क. काँटा
ख. कपूर
ग. पूरा
घ. तीसरा
ङ. बाल
5.
क. झूल रहा था
ख. चढ़ जाता
ग. खोला गया
घ. रहती थी
ङ. पकड़ लिया
6.
क. गुप्तचर
ख. जिज्ञासु
ग. दर्शनीय
घ. अल्पाहारी
ङ. अक्षम्य
च. आकर्षक
7.
सबसे अलग है दोस्तों, बचपन का ज़माना,
खेलना वो कूदना और बारिश में नहाना।
कागज़ की कश्ती को पानी में बहाना,
बनते थे माझी और होता था नाव चलाना।
दोस्तों की दोस्ती और हर पल थी मस्ती,
अपने थे सपने और अपना था गाना-तराना।
घर से निकलते थे कर माँ से कोई बहाना,
पापा के आने से पहले होता था घर जाना।
अब सब हो गए बड़े, रहा न कोई दीवाना,
गुम हो गई मस्ती और खो गया हँसना-हँसाना।
अब तो बस एक ही काम है करके दिखाना,
भरपूर पैसे कमाओ ताकि चलता रहे खिलाना, पिलाना।