शब्दार्थ
विपत्ति – संकट
कायर – डरपोक
दहलाती – डराती
सूरमा – पहलवान
विचलित – परेशान
क्षण – पल, Moment
धीरज – धैर्य
विघ्न – बाधा
काँटों में राह बनाना- विपत्ति में भी आगे बढ़ना
संकट – विपदा
चरण – पैर
गहना – पकड़ना
उद्योग-निरत – कार्य में लगे रहना
नित – हमेशा
शूल – कष्ट
नसाना – अंत करना
खुद – स्वयं
जग – दुनिया
मग – रास्ता
खम – साहस
ठोंक – Strike
पर्वत – पहाड़, गिरि
मानव – मनुष्य
पत्थर – प्रस्तर
गुण – Quality
प्रखर – तेज़
भीतर – अंदर
वर्तिका – दीया उजियाली – प्रकाश
कविता में से
प्रश्न 1. कठिनाई आने पर वीर और कायर व्यक्ति कैसा व्यवहार करते हैं?
उत्तर – कठिनाई के आने पर वीर विचलित हुए बिना विघ्नों को गले लगाते हैं और बाधाओं के बीच रास्ता बनाते हैं। जबकि कायर कठिनाई के आगे धीरज खोते हुए दिखाई पड़ते हैं और मुसीबतों के सामने घुटने टेक देते हैं।
प्रश्न 2. वीर व्यक्ति की किन्हीं चार विशेषताओं के बारे में बताइए?
उत्तर – वीर व्यक्ति किसी भी स्थिति में अपना धीरज नहीं खोते हैं, वे बाधाओं का मुक़ाबला करते हैं, उनके मुख से कभी भी ‘उफ!’ नहीं निकलता और वे हमेशा अपने कर्म में लीन रहते हैं।
प्रश्न 3. पर्वत के पाँव कब उखड़ जाते हैं?
उत्तर – जब उत्साही व्यक्ति पूरे दम-खम के साथ पर्वत को धकेलता है तो पर्वत के भी पाँव उखड़ जाते हैं।
प्रश्न 4. किन-किन उदाहरणों के द्वारा कवि ने मनुष्य के अंदर छिपे गुणों के बारे में बताया है?
उत्तर – कवि ने मेंहदी और दीये का उदाहरण प्रस्तुत करकर मानव के अंदर छिपे गुणों के बारे में बताया है। मेंहदी की लाली का प्रयोग उसी समय हो सकता है जब पीसा जाए और दीये से रोशनी तभी प्राप्त की जा सकती है जब उसे जलाया जाए ठीक उसी प्रकार मनुष्य के गुणों की पहचान भी विपरीत परस्थिति में ही संभव है।
प्रश्न 5. कविता के आधार पर नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। सही कथनों के आगे सही (P) और गलत कथनों के आगे गलत (x) का चिह्न लगाइए । गलत कथन को सही करके दोबारा कॉपी में लिखिए-
(क) विपत्ति से सभी घबराते हैं। गलत
(ख) वीर सभी बाधाओं का हँसकर सामना करते हैं।सही
(ग) संकट के समय भी हमें काम करते रहना चाहिए ।सही
(घ) कोशिश करने पर बड़ी से बड़ी मुसीबत समाप्त हो जाती है।सही
(ङ) वीर स्वयं में विपत्ति होते हैं। गलत
प्रश्न 6. उचित विकल्प पर सही (P) का चिह्न लगाइए-
प्रश्न (क) ‘काँटों में राह बनाते हैं’ का अर्थ है-
काँटों को हटाकर रास्ता बनाना।
काँटों को दूर फेंक देना।
कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य की तरफ़ बढ़ते रहना।
काँटों का रास्ता बनाना।
उत्तर – कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य की तरफ़ बढ़ते रहना।
प्रश्न (ख) ‘मानव जब ज़ोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है’ का अर्थ है-
ज़ोर लगाने पर पत्थर पानी की तरह हो जाता है।
ज़ोर लगाने पर पत्थर पानी में चला जाता है।
कोशिश करने पर पत्थर में से पानी निकलने लगता है।
कोशिश करने पर बड़ी से बड़ी मुश्किलें आसान हो जाती हैं।
उत्तर – कोशिश करने पर बड़ी-से-बड़ी मुश्किलें आसान हो जाती हैं।
प्रश्न (ग) ‘गुण बड़े एक से एक प्रखर, हैं छिपे मानवों के भीतर ‘ का अर्थ है-
मनुष्यों में बहुत तीखे गुण हैं।
मनुष्यों में एक भी गुण नहीं है।
मनुष्य उच्च कोटि के गुणों का स्वामी है।
बड़े गुण तीखे होते हैं।
उत्तर – मनुष्य उच्च कोटि के गुणों का स्वामी है।
प्रश्न (घ) बत्ती जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है का अर्थ है-
जो बत्ती नहीं जलाता है उसे रोशनी नहीं मिलती।
जो बत्ती जला देता है और बुझा देता है।
जो प्रयास करता है वही सफलता प्राप्त करता है।
जो बत्ती जलाता है वही रोशनी प्राप्त करता है।
उत्तर – जो प्रयास करता है, वही सफलता पाता है।
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. कठिनाई की स्थिति में मनुष्य को क्या करना चाहिए?
उत्तर – कठिनाई की स्थिति में मनुष्य को धैर्य धारण करते हुए समस्याओं से लड़ना चाहिए और सफलता न मिल जाने तक डटे रहना चाहिए।
प्रश्न 2. पत्थर पानी कब बन जाता है?
उत्तर – कोशिश करते रहने पर जटिल से जटिल समस्याओं का भी हल निकाला जा सकता है और इसे ही साहित्यिक भाषा में पत्थर का पानी बन जाना कहा जाता है।
प्रश्न 3. मनुष्य के अंदर कौन-कौन से गुण छिपे रहते हैं?
उत्तर – मनुष्य के अंदर बहुत सारे प्रखर गुण मौजूद हैं, जैसे- सहनशीलता, धैर्य, जुझारू प्रवृत्ति, साहस इत्यादि।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. यदि विश्व में एक भी व्यक्ति कर्मवीर और साहसी नहीं होता तो विश्व की शक्ल कैसी होती?
उत्तर – यदि विश्व में एक भी व्यक्ति कर्मवीर और साहसी नहीं होता तो विश्व की शक्ल आज भी आदिम युग वाली ही होती। आधुनिकता और तकनीक से हमलोग वंचित रह जाते।
प्रश्न 2. कविता के मूलभाव को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इसका शीर्षक ‘कर्मवीर’ क्यों रखा गया होगा?
उत्तर – इस कविता का नाम ‘कर्मवीर’ रखा गया है क्योंकि पूरी कविता में कर्मवीर लोगों के गुणों और कीर्तियों का बखान किया गया है।
भाषा की बात
1. ध्यानपूर्वक पढ़िए-
सच है विपत्ति जब आती है
कायर को ही दहलाती है
इन पंक्तियों के अंत में ‘आती है’, ‘दहलाती है’, जैसे तुक मिलाने वाले शब्दों का प्रयोग किया गया है । इसे ‘तुकबंदी’ कहते हैं । कविता में से तुकबंदी के अन्य शब्दों को छाँटकर लिखिए-
लगाते हैं,बनाते हैं।
कहते हैं, गहते हैं, सहते हैं, रहते हैं।
नसाते हैं, छाते हैं।
जग में, मग में।
लगाता है, जाता है।
लाली हो, उजियाली हो।
2. दिए गए उदाहरण की तरह कविता की पंक्तियों को हिंदी वाक्य-रचना के अनुसार लिखिए- – उदाहरण- सूरमा नहीं विचलित होते
‘सूरमा’ विचलित नहीं होते।
प्रश्न (क) मानव जब ज़ोर लगाता है।
जब मानव ज़ोर लगाता है।
प्रश्न (ख) है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
जग में कौन ऐसा विघ्न है जो आदमी के मग में टिक सके।
प्रश्न (ग) खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़ ।
जब नर खम ठोंक ठेलता है, तब पर्वत के पाँव भी उखाड़ जाते हैं।
जीवन मूल्य
प्रश्न 1. ‘संकट का चरण न गहते हैं, जो आ पड़ता सब सहते हैं – आपके जीवन में कभी कोई समस्या या संकट आया होगा। उसके बारे में बताते हुए समझाइए कि आपने उसका सामना कैसे किया?
उत्तर – मेरे जीवन में ऐसी अनेक समस्याएँ आईं हैं जिसका सामना मैंने धैर्य के साथ किया है। उन समस्याओं से लड़ने के लिए मैंने अपने बड़ों के अनुभवों से लाभ उठाया तथा समाधान न मिल जाने तक डटा रहा।
प्रश्न 2. मनुष्य के अंदर अनेक गुण छिपे होते हैं – आप अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए किस प्रकार इन गुणों का उपयोग करेंगे?
उत्तर – मनुष्य के अंदर सचमुच अनेक गुण छिपे हुए हैं। मैं अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सबसे पहले अपने अंदर निहित गुणों को पहचानूँगा और हर संभव प्रयास करके उन गुणों को निखारूँगा। उन गुणों में से जो सबसे श्रेष्ठ गुण होगा उससे ही मैं अपने भावी जीवन को बेहतर बनाऊँगा।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. वीरता का संदेश देने वाली अन्य कविताओं का संकलन कीजिए और कक्षा में कविता पाठ का आयोजन कीजिए।
उत्तर – छात्र शिक्षक के दिशानिर्देश में करें।
प्रश्न 2. स्वतंत्रता आंदोलन और कारगिल युद्ध में शहीद हुए दस-दस व्यक्तियों की सूची बनाइए । कक्षा में इनके वीरतापूर्ण कार्यों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – छात्र शिक्षक के दिशानिर्देश में करें।
अभ्यास सागर
पाठ – 20
कर्मवीर
कारक
1.
क. कर्म कारक
ख. अधिकरण कारक
ग. संबंध कारक
घ. अधिकरण कारक
ङ. संबंध कारक
2.
क. ने
ख. की
ग. पर
घ. पर
ङ. से, की
च. के लिए
छ. से
ज. का
3.
क. अधिकरण कारक
ख. करण कारक
ग. संप्रदान कारक
घ. अपादान कारक
ङ. संप्रदान कारक
च. अपादान कारक
छ. कर्ता कारक
4.
क. मेज़ से किताब गिर गई।
ख. रवि, श्याम को पत्र लिख रहा है।
ग. लक्ष्य ने कागज़ पर एक सुंदर चित्र बनाया।
घ. रेखा ने घोड़े को पानी पिलाया।
ङ. बच्चों ने घर के अंदर तूफ़ान मचा रखा है।
5.
क. राम ने रावण को तीर से मारा।
कर्ता कारक – राम कर्म कारक – रावण करण कारक – तीर
ख. दिनेश अपनी पत्नी सुधा को कार से लाने गया है।
कर्ता कारक – दिनेश कर्म कारक – सुधा करण कारक – कार
6.
क. उसने मीना के लिए लड्डू खरीदे।
ख. राकेश ने चाकू से सेब काटा।
ग. हर्ष ने चित्र बनाकर भाई को दिया।
घ. विभीषण ने रावण को समझाया।
ङ. नटों ने करतब दिखाए।
7.
क. बुढ़िया ने कहा, “मेरा बेटा बहुत बीमार है।”
ख. धीरे-धीरे रात गहराती जा रही थी।
ग. बुढ़िया, उसका पति और उसका बेटा परेशानी सुनने लगे।
घ. मैंने कहा, “नहीं-नहीं मुझे भूख नहीं है।”
ङ. इतनी रात में तुम कहाँ जाओगे?
8.
क. निरत, नित
ख. पर्वत, पाँव
ग. जब, ज़ोर
घ. पत्थर, पानी
ङ. बादल, बरसे
9.
अनुप्रास
10.
क. कार्यालय
ख. सत्याग्रह
ग. विद्यार्थी
घ. सूर्यास्त
ङ. अंडाकार
च. सर्वोत्तम
11.
कर्म ही पूजा है
बात आत्मोन्नति की हो या फिर राष्ट्रोन्नति की कर्म ही इसके केंद्र में रहता है। आज अगर हम देखें तो जो राष्ट्र जितना ज़्यादा विकसित है वहाँ कर्मवीरों की संख्या भी उतनी ही अधिक है या जो व्यक्ति जितना अधिक उन्नत है वह उतना ही कर्मवीर भी होता है। कर्म के बिना तो हम एक निवाला भी अपने मुँह तक नहीं ले जा सकते। इस दुनिया में जितने भी जीवधारी हैं उन्हें अपने अंतिम साँस तक कर्म करते ही रहना होता है। इसका अर्थ यही है कि हमें इस दुनिया में रहना है तो कर्मरूपी किराया देना ही पड़ेगा। कर्म सभी प्रकार की उन्नति का माध्यम भी है पर इसके लिए नियत तिथि पर उचित कर्म करना अत्यंत आवश्यक होता है।