शब्दार्थ
बेहद – बहुत ज़्यादा
एकाएक – अचानक
उदासी – मायूस
ताज्जुब – आश्चर्य
अशिष्ट – अभद्र, indecent
जलन – ईर्ष्या, डाह
ढंग – तरीका
साधारण – मामूली / Normal
मज़बूरी – बेबसी
कोठी – मकान
सोहबत – साथ, संग
निगाह – नज़र
कचहरी – अदालत / Court
तगड़ा – मज़बूत
इकलौता – केवल एक
काश – Wish
परवाह – फिक्र
मौज – मज़े-से
झुँझलाहट – चिड़चिड़ापन
प्रत्यय
उदासी – उदास + ई
मजबूरी – मजबूर + ई
झुँझलाहट – झुँझला + आहट
उपसर्ग
बेहद – बे + हद
अशिष्ट – अ + शिष्ट
पर्यायवाची
एकाएक – सहसा, अचानक, एकदम
ताज्जुब – आश्चर्य, हैरानी, भौंचक्का
अशिष्ट – अभद्र, अनैतिक, अमानवीय
जलन – ईर्ष्या, डाह, द्वेष
मजबूरी – बेबसी, लाचारी, निरीहता
कोठी – मकान, घर, आलय, निकेतन
सोहबत – साथ, संग, संगति
परवाह – फिक्र, चिंता, ख़्याल
विलोम
बेहद # हद
उदासी # खुशी
अशिष्ट # शिष्ट
ढंग # बेढंग
साधारण # विशिष्ट
मजबूरी # इच्छा
तगड़ा # कमज़ोर
पाठ में से
प्रश्न 1. श्रीधर कौन था और वह लेखक के घर क्यों आया था?
उत्तर – श्रीधर लेखक की माँ की प्रिय सखी रीता का पुत्र है। वह अपनी माता के साथ श्रीधर की बहन की शादी में उसके घर आया था।
प्रश्न 2. लेखक को श्रीधर से जलन का अनुभव क्यों हो रहा था?
उत्तर – लेखक को श्रीधर से जलन का अनुभव हो रहा था क्योंकि श्रीधर के पास ऐसे बहुत-से गुण थे जो हमउम्र होने के बाद भी लेखक के पास नहीं थेІ इस वजह से लेखक अपने को कम आँक रहा था।
प्रश्न 3. श्रीधर को देखकर लेखक को अपने ऊपर झुंझलाहट क्यों हो रही थी?
उत्तर – श्रीधर को देखकर लेखक को अपने ऊपर झुँझलाहट होती है क्योंकि श्रीधर भी उसी के उम्र का है पर वह उससे ज़्यादा वजन उठा सकता है, ज़्यादा ऊँचा उछल सकता है, उससे ज़्यादा ताकतवर है, उससे ज्यादा दूध पी सकता है।
प्रश्न 4. पूरा चाँद चमकता हुआ देखकर लेखक के मन में क्या विचार आया?
उत्तर – पूरा चाँद चमकता हुआ देखकर लेखक के मन में यह विचार आता है कि उसकी माँ उसे अकेले कहीं भी नहीं जाने देती और चाँद की माँ इतने बड़े आकाश में चाँद को खुला घूमने के लिए छोड़ देती हैІ
प्रश्न 5. नीचे दिए गए कथन किसने कहे, क्यों कहे?
(क) “इन छोटे-छोटे खिलौनों से कब तक खेलता रहेगा?”
उत्तर – श्रीधर ने लेखक से कहाІ
क्योंकि श्रीधर अपने उम्र के हिसाब से खेल नहीं खेल रहा था।
(ख) ” मेरा इकलौता पौधा है, मेरा इकलौता राजकुमार है।”
उत्तर – लेखक की दादी ने कहा
क्योंकि लेखक दादी का इकलौता पोता था।
प्रश्न 6. उचित उत्तर पर सही (P) का निशान लगाइए-
प्रश्न (क) पिताजी सारा दिन कहाँ रहते थे?
घर
कचहरी
उपवन
मंदिर
उत्तर – कचहरी
प्रश्न (ख) अपनी मजबूरी और अनाड़ीपन पर किसे क्रोध आ रहा था?
किसनू
राम
श्रीधर को
माँ को
उत्तर – श्रीधर
प्रश्न (ग) लेखक सहमी-सहमी निगाहों से किसे देखने लगा?
श्रीधर
लेखक
मौसी को
दादी को
उत्तर – श्रीधर को
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. लेखक के अशिष्ट व्यवहार करने पर भी घर के किसी भी सदस्य का न डाँटना क्या उचित था? चर्चा कीजिए।
उत्तर – मेरे विचार से यह उचित नहीं है क्योंकि बच्चों के गलत व्यवहार पर यदि उन्हें न डाँटा जाए तो वे उद्दंड बन जाएँगे और आने वाले दिनों में समाज के साथ समायोजन नहीं कर पाएँगेІ
प्रश्न 2. पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक और श्रीधर के व्यक्तित्व में क्या-क्या भिन्नता है?
उत्तर – पाठ के आधार पर लेखक और श्रीधर के व्यक्तित्व में ज़मीन-आसमान का अंतर है। वास्तव में व्यक्तित्व का विकास परिवेश और परिवारवालों पर निर्भर करता है। लेखक के परिवारवाले उसे अपने मन की नहीं करने देते इस वजह से उसका व्यक्तित्व अंतर्मुखी हो गया है और इसके विपरीत श्रीधर का व्यक्तित्व बहिर्मुखी है।
प्रश्न 3. इस पाठ का शीर्षक ‘पौधे के पंख’ क्यों रखा गया है? चर्चा कीजिए ।
उत्तर – इस पाठ का शीर्षक ‘पौधे के पंख’ रखा गया है क्योंकि पौधे को देखभाल की ज़रूरत होती है और पंख वाला पक्षी स्वतंत्र होता है। परंतु लेखक का जीवन पौधे के पंख के समान है जो बड़ा तो हो गया है पर अभी तक उसकी देख-भाल पौधे की तरह ही की जाती है।
प्रश्न 4. आपके माता-पिता आपको कौन-से काम करने से मना करते हैं?
उत्तर – मेरे माता-पिता केवल अनैतिक और असामाजिक काम करने से मना करते हैं।
प्रश्न 5. लेखक को दूसरे बच्चों के साथ खेलने व बात करने क्यों नहीं दिया जाता था ?
उत्तर – लेखक के परिवारवाले यह मानते हैं कि अगर लेखक दूसरे बच्चों के साथ खेलेगा या बातचीत करेगा तो वह उच्छृंखल हो जाएगा और उसका व्यक्तित्व धूमिल हो जाएगा।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. अगर लेखक श्रीधर के साथ घूमने चला जाता तो क्या होता?
उत्तर – अगर लेखक श्रीधर के साथ घूमने चला जाता तो उसके पिताजी बाद में श्रीधर के साथ-साथ पूरे परिवारवालों को बहुत डाँटते।
प्रश्न 2. यदि श्रीधर लेखक के घर न आता तो क्या होता?
उत्तर – यदि श्रीधर लेखक के घर न आता तो लेखक अपने मन की बात डायरी के रूप में कभी नहीं लिखते और न ही हम ये अध्याय पढ़ रहे होते।
प्रश्न 3. कल्पना कीजिए कि आप लेखक के मित्र हैं तो आप उससे क्या बातें करते और क्या-क्या करने को कहते?
उत्तर – यदि मैं लेखक का मित्र होता तो मैं उसे ये कहता कि अपने घर के मुखिया अपने पिताजी से अपने इच्छाओं के बारे में बात करें और आपसी सूझ-बूझ से अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अनुमति प्राप्त करेІ
भाषा की बात
प्रश्न 1. पाठ में से दिए गए शब्दों के लिए उचित विशेषण या विशेष्य शब्द छाँटकर लिखिए-
विशेषण विशेष्य
क. प्यारी सखी
ख. अशिष्ट व्यवहार
ग. छोटे खिलौने
घ. खुले आकाश
प्रश्न 2. ‘खेलता’ शब्द में ‘खेल’ मूल शब्द है और ‘ता’ प्रत्यय है। पाठ में आए ‘ता’ प्रत्यय वाले कोई पाँच शब्द ढूँढकर लिखिए-
मूल शब्द प्रत्यय शब्द
क. फेंक + ता – फेंकता
ख. पकड़ + ता – पकड़ता
ग. मान + ता – मानता
घ. समझ + ता – समझता
ङ. देख + ता – देखता
जीवन मूल्य
न मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी हरी घास पर चलकर देखा है, न नदी में नहाकर, न बारिश में भीगकर । मैं क्या करूँ? मर जाऊँ? कहीं भाग जाऊँ या कहीं उड़ जाऊँ?
प्रश्न 1. बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बचपन में खेले जाने वाले खेल तथा अन्य क्रिया-कलाप क्यों ज़रूरी हैं?
उत्तर – खेलकूद बच्चों के मस्तिष्क और शारीरिक विकास में मदद करने के साथ-साथ उनमें मिलकर काम करने की योग्यता, सामाजिक समायोजन और आचरण कौशल के गुण भी विकसित करता है। इसलिए बचपन में खेले जाने वाले खेल बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए ज़रूरी हैं।
प्रश्न 2. हमें अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने या बनाए रखने के लिए क्या-क्या करना चाहिए?
उत्तर – हमें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने या बनाए रखने के लिए अपने अंदर जुझारू प्रवृत्ति को बढ़ावा देना होगा। सदा सही के पक्ष में खड़ा रहना होगा। इसके अतिरिक्त हमें किसी विशेष कार्य में दक्षता हासिल करनी होगी क्योंकि जब हमें किसी विषय का अच्छा ज्ञान होता है तो हम बुलंद आवाज़ में अपनी बातों को प्रस्तुत कर सकते हैं।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. आप उन कामों की सूची बनाइए जो आप करना चाहते हैं-
(क) कहानियाँ लिखना
(ख) यात्राएँ करना
(ग) ब्लॉगिंग करना
(घ) अनुभवी लोगों से बातें करना
(ङ)नई-नई चीज़ें सीखना
प्रश्न 2. लेखक ने पहली बार डायरी लिखी जो एक पाठ के रूप में आपके सामने है। आप भी प्रतिदिन डायरी लिखिए और अपनी रोज़ की डायरी को शीर्षक भी दीजिए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
प्रश्न 3. अपने परिवार के सदस्यों के साथ उन स्थानों पर जाइए जो आप देखना चाहते हैं ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
अभ्यास सागर
पाठ – 12
पौधे के पंख
निपात
अपठित गद्यांश
1. केवल पढ़ने और समझने के लिए –
2.
क. माताजी मुंबई से कल ही आईं हैं।
ख. वह भी पिताजी के साथ चला गया।
ग. परीक्षाएँ शुरू होने में मात्र दो दिन रह गए हैं।
घ. मेरे पास केवल दस रुपए हैं।
ङ. मैंने तो उसे देखा भर था।
च. वह रात तक यहीं बैठा रहा।
छ. मैं दिन भर काम कर रहा था।
3.
क. तो
ख. ही
ग. भी
घ. ही
ङ. तो
च. भी
4.
क. मैंने ही रमेश को दस लाख रुपए दिए थे।
ख. औरों की तरह तुम भी मेरा विरोध करने लगे हो।
ग. मैंने तो उसे कबका माफ़ कर दिया है।
घ. मुझे केवल एक ही लक्ष्य को पूरा करना है।
ङ. तुम कब तक मुझसे नाराज़ रहोगे?
च. मैं रात भर पढ़ाई करता रहा।
5.
क. सिंदबाद बगदाद शहर का एक अमीर और कुशल नाविक था।
ख. यात्रा के दौरान वे एक ऐसे टापू पर पहुँचे जहाँ फलों से लदे पेड़ और मीठे पानी के झरने बह रहे थे। ये देखकर सभी नाविक बहुत प्रसन्न हुए।
ग. सिंदबाद घबरा गया क्योंकि जब उसकी नींद खुली तो उसके साथी और जहाज़ उस टापू से जा चुके थे।
घ. हीरों की घाटी में चमचमाते हीरों के ढेर के अलावा बड़े-बड़े साँप भी थे।
ङ. सिंदबाद ने अपनी कहानी हीरों के व्यापारियों को सुनाई।
6.
क. सत्य के लिए आग्रह – तत्पुरुष समास
ख. चार मुख हैं जिसके वह – बहुब्रीहिसमास
ग. जल की धारा – तत्पुरुष समास
घ. नौ रात्रियों का समूह – द्विगुसमास
ङ. राजा और रंक – द्वंद्वसमास
च. जल और थल – द्वंद्वसमास
7.
क. शताब्दी – द्विगुसमास
ख. गंगा-यमुना – द्वंद्वसमास
ग. गुणवान – तत्पुरुष समास
घ. त्रिपुष्प – द्विगुसमास
ङ. शरणागत – तत्पुरुष समास
च. पूर्व-पश्चिम – द्वंद्वसमास
8.
क. सम् —- पत्ति —–
ख. अति शय
ग. प्रति कूल
घ. सु कन्या
ङ. अनु ग्रह
9.
क. बलशाली
ख. मधुरता
ग. सजावट
घ. दयालु
ङ. घबराहट
च. थकावट
10.
क. मिलावट
ख. देवत्व
ग. चढ़ान
घ. प्रसन्नता
ङ. यौवन
च. चिकनाई
11.
क. वाक्य – चूहों ने तो नाक में दम कर दिया है।
अर्थ – परेशान कर देना
ख. वाक्य – अचानक प्राचार्य को देखकर छात्रों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
अर्थ – मुँह का रंग फीका पड़ जाना
ग. वाक्य – इन बच्चों ने तो आसमान सिर पर उठा रखा है।
अर्थ – शोर-गुल करना
12. डायरी लेखन
दिनांक – 00/00/0000
समय – 09:30 PM
आज जब मैंने अपने पिताजी से नई कंप्यूटर की माँग की तो उन्होंने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए मेरी बात को टाल दिया। मेरे पिताजी बड़े मेहनती हैं। वे सुबह दफ़्तर जाते हैं और शाम को ही वापस आते हैं, यहाँ तक कि रविवार को भी काम करते हैं फिर भी उनके पास ज़्यादा पैसे क्यों नहीं हैं? इसका उत्तर आसान भी है और विचारणीय भी। मेरे पिताजी अपने विद्यालयी और महाविद्यालयी जीवन में पढ़ाई-लिखाई में ज़्यादा मेहनत नहीं किए थे। फलस्वरूप उन्हें क्लर्क की नौकरी मिली। अगर वे उस समय ज़्यादा मेहनत किए होते तो आज किसी ऊँचे और प्रतिष्ठित पद पर होते जिससे उन्हें काम का बोझ भी न सताता और पैसे भी भरपूर होते। मैंने तो निर्णय ले लिया है कि मैं यह गलती नहीं करूँगा।
अविनाश रंजन गुप्ता