DAV Solutions Class – VIII Chapter -13 Soor Aur Tulasi Ke Pad सूर और तुलसी के पद 

  कबहिं – कब

  किती – कितनी

  पिवत – पीना

  बैनी – चोटी

  ज्यों – जैसा

  काढ़त – बाल बनाते हुए

  गुहत – बाँधते हुए

  न्हववात – नहाते हुए

  नागिनी – नाग

  भुईं – भूमि

  लोटी – लोटना

  काछो – कच्चा

  पिवावति – पिलाना

  पचि-पचि – जैसे-तैसे

  चिरजीवौ – हमेशा जीवित रहें।

  दोउ – दोनों

  हरि – कृष्ण

  हलधर – बलराम

ठुमक – कमर का हिलना

चलत – चलना

बाजत – बजना

पैंजनियाँ – पायल

किलकि – किलकारी

उठत – उठना

धाय – दौड़कर

गिरत – गिरना

मात – माता

दशरथ – राम के पिता

अंचल – आँचल

रज – धूल

अंग – अवयव

झारि – झाड़कर

विविध – भिन्न-भिन्न

भाँति – तरह

दुलारि – स्नेह करना

वारि-वारि – बलिहारी जाना

मृदु – मीठा

बचनियाँ – वचन

विद्रुम – कोंपल, नए पत्ते

अरुण – सूर्य

अधर – होंठ

मधुर – मीठा

सुभग – सुंदर

नासिका – नाक

चारु – सुंदर

मुखारविंद – मुख रूपी कमाल

छबि – चित्र

बनियाँ – उभरना

प्रश्न 1.यशोदा मैया से कौन क्या शिकायत कर रहा है?

उत्तर – यशोदा मैया से कृष्ण अपने बालों के न बढ़ने को लेकर शिकायत कर रहे हैं।

प्रश्न 2. कृष्ण अपनी चोटी न बढ़ने के लिए यशोदा को क्या उलाहना देते हैं?

उत्तर – कृष्ण अपनी चोटी न बढ़ने यशोदा मैया को उलाहना देते हुए कह रहे हैं कि उन्होंने अपनी माता की बातों को मानकर मक्खन रोटी खाना छोड़ दिया ताकि उनके केश बलराम की तरह लंबे, घने और मोटे हो जाए पर इतने दिनों तक कच्चा दूध पीने के बाद भी उनकी चोटी नहीं बढ़ रही है।

प्रश्न 3. ‘बल’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है? उनकी चोटी कैसी है?

उत्तर – ‘बल’ शब्द का प्रयोग कृष्ण के बड़े भाई बलराम के लिए किया गया है। उनकी चोटी मोटी, लंबी, काली और घनी है।

प्रश्न 4. माताएँ श्रीराम के प्रति अपना दुलार कैसे व्यक्त करती हैं?

उत्तर – माताएँ श्रीराम के प्रति अपना दुलार व्यक्त करने के लिए अपने आँचल से श्रीराम के शरीर पर लगे धूल कण को साफ़ करती हैं और विविध तरीके से राम को प्रसन्न करने के लिए मीठी-मीठी बातें करके उसे दुलारती हैं।

प्रश्न 5. नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियाँ।

किलकि- किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय।

धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियाँ॥

प्रश्न (क) श्री राम ने पैरों में क्या पहन रखा है?

उत्तर – श्रीराम ने पैरों में पायल पहन रखा है।

प्रश्न (ख) श्री राम को गोद में कौन उठा लेता है?

उत्तर – श्रीराम को गोद में दशरथ की तीनों रानियाँ उठा लेती हैं।

प्रश्न (ग) ‘दशरथ की रनियाँ’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर – ‘दशरथ की रनियाँ’ का अर्थ है दशरथ की पत्नियाँ जो श्रीराम की माँएँ हैं।  

प्रश्न 1. तुलसीदास के पद और सूरदास के पद- (- दोनों में किन बाल-सुलभ व्यवहारों का वर्णन किया गया है?

उत्तर – सूरदास एवं तुलसीदास के पदों में बच्चों का किसी वस्तु के लिए हठ करना, शिकायत करना, बाल्यावस्था में चलना  सीखते समय गिर जाने पर माता का वात्सल्य प्रेम, बच्चों की मनमोहक आवाज़ जैसी बाल सुलभ क्रियायों का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 2. राम और कृष्ण की बाल लीलाओं में आपको किसकी बाल लीला अधिक रुचिकर लगती है और क्यों ?

उत्तर – मुझे श्रीकृष्ण के बाल-लीला का वर्णन ज़्यादा रुचिकर लगता है क्योंकि इन पंक्तियों में  श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से शिकायत कर रहे हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने कितनी बार कच्चा दूध पिया है फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही है। ऐसी शिकायत बिलकुल नैसर्गिक और हृदयस्पर्शी है।     

प्रश्न 3. नीचे दी गई पंक्तियों का भाव समझाइए-

(क) मैया कबहिं बढ़ेगी चोटी ।

किती बार मोहिं दूध पिवत भई यह अजहूँ है छोटी ।।

उत्तर – इन पंक्तियों के माध्यम से सूरदास श्रीकृष्ण के बाल्यावस्था का वर्णन कर रहे हैं जिसमें  श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से शिकायत कर रहे हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने कितनी बार कच्चा दूध पिया है फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही है।

(ख) विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर मधुर।

सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियाँ॥

उत्तर – इन पंक्तियों में गोस्वामी तुलसीदास कह रहे हैं कि नए पत्तों से कोमल लाल होंठों से श्रीराम मधुर-मधुर वचन कहते हैं और उनके सुंदर नाक में लटकनियाँ (एक प्रकार का आभूषण) लटक रही हैं जिससे उनकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है।  

प्रश्न 1. कल्पना कीजिए कि श्रीकृष्ण के स्थान पर आप हैं और आपको अपनी मनपसंद वस्तु नहीं मिलती है, तो आप अपनी माता जी से किस प्रकार शिकायत करेंगे?

उत्तर – अगर श्रीकृष्ण की जगह मैं होता और मुझे अपनी मनपसंद चीज़ नहीं मिलती तो मैं अपनी माँ से कहता माँ आपके कहे अनुसार मैं हर दिन अपना गृहकार्य समय पर करता हूँ। दिन में दो बार ब्रुश करता हूँ। अपना टिफिन भी पूरा खाता हूँ और अब तो मैंने सब्जियाँ खाना भी शुरू कर दिया है फिर आप मुझे मेरी मनपसंद चीज़ क्यों नहीं दे रही हैं?     

प्रश्न 2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी की तुलना बलराम की चोटी से क्यों करते होंगे?

उत्तर – श्रीकृष्ण अपनी चोटी की तुलना बलराम के चोटी से करते हैं क्योंकि तुलना हमेशा दो असमान चीजों में ही की जाती है। यहाँ कृष्ण की चोटी छोटी और पतली है जबकि बलराम की चोटी मोटी, लंबी और घनी है।  

प्रश्न 1. नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए-

क. अजहूँ – अभी भी 

ख. गिरत – गिरना

ग. मोहिं – मुझे

घ. चारु – सुंदर

ङ. जोटी – जोड़ी

च. लेत – लेना 

प्रश्न 2. नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-

क. तन – देह शरीर, काया

ख. धन – दौलत, रुपए

ग. भूमि – भू, धरा

घ. भैया – भ्राता, सहोदर

ङ. मैया – माँ, जननी 

प्रश्न 1. ईश्वर – भक्ति हमारे मन को आनंद प्रदान करती है, मन की चंचलता को शांत करती है। अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर – ईश्वर भक्ति संतुष्टि का ही दूसरा नाम है। जब हमारा मन संतुष्ट होता है तभी जाकर हमारा मन चंचलता से मुक्त हो जाता है और हम ईश्वर भजन-कीर्तन में लीन हो जाते हैं।       

प्रश्न 2. बचपन में हम जो नादानियाँ करते हैं, उनसे हम कुछ-न-कुछ सीखते हैं। कैसे?

उत्तर – सीखने की प्रक्रिया आजीवन चलती रहती है। बचपन की नादानियों से हम बहुत कुछ सीख जाते हैं क्योंकि उन नादानियों की वजह से हमें डाँट पड़ जाती थी और कभी-कभी हमें चोटें भी लग जाया करती थी।      

प्रश्न 1.पाठ में दिए गए पदों को लघु नाटिका में परिवर्तित कीजिए और कक्षा में दिखाइए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें

प्रश्न 2. सूरदास की तरह मीरा भी कृष्ण भक्त थीं। उनके पदों का संकलन कीजिए तथा भजन के रूप में कक्षा में सुनाइए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें

पाठ – 13  

सूर और तुलसी के पद

अलंकार

पुनरावृत्ति

1.

क. ‘त’ एवं ‘ब’ वर्ण

ख. ‘अ’ एवं ‘म’ वर्ण

अनुप्रास

2.

क. चोटी

नागिन  

लोटना

सी

ख. रघुवर छबि (सूर्य का प्रकाश)

रघुवर छबि (श्रीराम का रूप)

चमक

समान  

3.

क. खिलौना

चंद्र

ख. चरण  

सरोज  

रूपक  

4.

क. बीजों को मनुष्य के समान आँखें मीचने और चादर ओढ़ने की क्रिया करते दिखाया गया है। अतः, यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

ख. यहाँ फूलों और कलियों को मनुष्य के समान हँसने और मुसकाने  की क्रिया करते दिखाया गया है। अतः, यहाँ मानवीकरण अलंकार है।

मानवीकरण

5.

क. मानवीकरण, पुनरुक्ति प्रकाश

ख. उपमा

ग. अनुप्रास

घ. मानवीकरण  

ङ. अनुप्रास

च. अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश

छ. उपमा

ज. रूपक

6.

क. मुदित महिपति मंदिर आये, सेवक सचिव सुमंत बुलाये।

यहाँ ‘म’ और ‘स’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।  

ख. कर कमल-से कोमल हैं।

इस उदाहरण में ‘कर’ (हाथ) – उपमेय है, ‘कमल’ – उपमान है, ‘कोमल’ – साधारण धर्म है एवं ‘सा’ – वाचक शब्द है। अतः, यहाँ  उपमा अलंकार है।

ग. पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।

ऊपर दिए गए उदाहरण में राम रतन को ही धन बताया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है एवं दोनों में अभिन्नता है। अतः, यहाँ रूपक अलंकार है।

घ. शरद आया पुलों को पार करते हुए,

अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुए।

यहाँ शरद ऋतु को मनुष्य के समान पल पार करना और साइकिल चलाने की क्रिया करते दिखाया गया है। अतः, यहाँ मानवीकरण अलंकार है।    

7.

क. अंत

ख. अपयश

ग. निराकार

घ. चेतन

ङ. क्षणिक

8.

क. संबंध

ख. बूँद

ग. बंधन

घ. कुआँ

ङ. दिनांक

च. अंत

छ. बाँध

ज. हँसना

झ. स्वयं

9.

क. कोई             सार्वनामिक विशेषण 

ख. ग्यारह       संख्यावाचक विशेषण 

ग. चार मीटर        परिमाणवाचक विशेषण 

घ. अच्छा       गुणवाचक विशेषण 

ङ. उस          सार्वनामिक विशेषण 

10.

क. बहुत            प्रविशेषण

ख. मेहनती      विशेषण  

ग. खेल रहे हैं    क्रिया

घ. चाँद             संज्ञा

ङ. वे           सर्वनाम

च. भी          निपात

11.

संवाद

मैं (अवि) – अपर्णा, तुमने साइकिल चलाना सीख लिया?

अपर्णा – नहीं अवि, पूरे अच्छे से नहीं। 

मैं (अवि) – कुछ दिनों के बाद तुम पूरा सीख जाओगी।

अपर्णा – हौसलाआफ़जायी के लिए धन्यवाद, अवि।

मैं (अवि) – ऐसे तुम कितनी बार गिर चुकी हो?

अपर्णा – गिर चुकी कहने से मतलब?

मैं (अवि) – मेरा मतलब साइकिल चलाना सीखते समय।

अपर्णा – यही कोई दो-तीन बार।

मैं (अवि) – तब तुमने कठिन दौर पार कर लिया है।

अपर्णा – वो कैसे?

मैं (अवि) – क्योंकि साइकिल सीखते समय लोग गिरते ही हैं।

अपर्णा – सच में क्या, लगभग कितनी बार गिरते हैं?

मैं (अवि) – कम से कम एक बार और अधिकतम कोई सीमा नहीं।

अपर्णा – तुमने तो मुझे डरा दिया, अवि।

मैं (अवि) – मैंने डराया नहीं बल्कि तुम्हें सावधान किया है।

अपर्णा – ठीक है मैं अपना ख्याल रखूँगी।

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