शब्दार्थ
आधुनिक – Modern
पर्दा – यवनिका / Curtain
समीप – नज़दीक
निर्णय – फ़ैसला
मज़बूर – बेबस
दहेज़ – Dowry
सामर्थ्य – योग्यता
खातिर – के लिए
करारी – गहरी
घाव – Wound
मरहम – लेप औषधि
नकद – Cash
सरासर – एकदम
शिकायत – निंदा
बदतमीजी – अशिष्टता
खातिरदारी – मेहमाननवाज़ी
दंग रह जाना – आश्चर्य रह जाना
दांतों तले अँगुली दबाना – आश्चर्य रह जाना
तराज़ू – Balance
ज़िद – हठ
विनती – प्रार्थना
व्यर्थ – बेकार
कलेजा – हृदय
ब्याह – शादी
मूर्ति – प्रतिमा
धातु – Metal
तिजोरी – Safe
नकटा – नाक कटा हुआ
लोभी – लालची
नज़र – दृष्टि
उलझन – परेशानी
लज्जित – शर्मिंदा
ताक – देख
पर्याय
समीप – नज़दीक, पास, करीब
शिकायत – निंदा, ताना, बुराई, गिला
विनती – प्रार्थना, विनय, अनुनय
व्यर्थ – बेकार, फिजूल, अर्थहीन
कलेजा – हृदय, दिल
ब्याह – शादी, विवाह, परिणय
विलोम
आधुनिक # पुरातन
समीप # दूर
निर्णय # अनिर्णय
नकद # उधार
शिकायत # प्रशंसा
बदतमीज # तमीजदार
नकटा # नाकदार
लोभी # निर्लोभी
उपसर्ग
सामर्थ्य – समर्थ + य
खातिरदारी – खातिर + दारी
नकटा – नाक + कटा
लोभी – लोभ + ई
लज्जित – लज्जा + इत
उपसर्ग
बदतमीजी – बद + तमीजी
पाठ में से
प्रश्न 1. प्रमोद कौन था? वह किसकी विदा करवाने आया था?
उत्तर – प्रमोद तेईस वर्ष का सीधा-सादा युवक है। वह अपनी नव-विवाहिता बहन कमला की विदाई करवाने उसके ससुराल आया है।
प्रश्न 2. जीवन लाल कमला की विदा क्यों नहीं करना चाहता था?
उत्तर – जीवनलाल ने कमला को विदा नहीं करना चाहता था क्योंकि उन्हें लगता था कि प्रमोद ने न तो तय की हुई दहेज़ की राशि उन्हें दी और न ही बारातियों की खातिरदारी अच्छे से की।
प्रश्न 3. अपनी विदाई न होने पर कमला की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर – अपनी विदाई न होने पर भी कमला ने अपने कष्टों को अपने भाई प्रमोद के सामने व्यक्त न होने दिया। उसने अपनी सास और ससुर की तारीफ़ की। उसने यह भी कहा कि गौरी आ रही है उसका भी स्वभाव बहुत अच्छा है। आप चिंता न कीजिए समय के साथ सब ठीक हो जाएगा।
प्रश्न 4. राजेश्वरी ने जीवन लाल को क्या समझाया?
उत्तर – राजेश्वरी ने जीवन लाल को शराफ़त और इंसानियत की सही परिभाषा समझाते हुए यह बताया कि बहू और बेटी में कोई अंतर नहीं है। उन्हें कमला की विदाई कर देनी चाहिए।
प्रश्न 5. पाठ के आधार पर नीचे कुछ कथन दिए गए हैं। सही कथनों के आगे सही (P) का तथा गलत कथनों के आगे गलत (x) का निशान लगाइए-
(क) हर लड़की सास-ससुर के साथ सावन बिताने का सपना देखती है। गलत
(ख) जीवन लाल कमला की विदाई के लिए पाँच हज़ार रुपए माँगता है। सही
(ग) कमला राजेश्वरी को ममता की मूर्ति कहती है। सही
(घ) प्रमोद कमला की विदाई के लिए दुकान बेचने की बात करता है। गलत
(ङ) राजेश्वरी जीवन लाल की दहेज़ की माँग से सहमत नहीं थी। सही
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. ‘बेटी वाले होकर भी हमारी मूँछ ऊँची है।’ आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रस्तुत कथन में यह बात स्पष्ट हो जाती है कि यहाँ गर्व-अभिमान की बात हो रही है। जीवन लाल का यह मानना है कि उन्होंने अपनी बेटी गौरी की शादी में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। पर्याप्त दहेज़ और समान देकर उन्होंने लड़के वालों का मुँह बंद कर दिया है।
प्रश्न 2. जीवन लाल, राजेश्वरी तथा कमला के चारित्रिक गुणों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर – जीवन लाल धन के मद में चूर एक अभिमानी व्यक्ति हैं। वे पैसों को भावनाओं से अधिक महत्त्व देते हैं। राजेश्वरी एक समझदार और भद्र महिला हैं। उनमें अन्याय के खिलाफ़ लड़ने की अद्भुत शक्ति है। कमला एक आदर्श बहू है। वह अपने ससुराल वालों की तारीफ़ करती हैं और अपने भाई को भी सबकुछ सही हो जाने की दिलासा देती है।
प्रश्न 3. दहेज़ प्रथा को समाप्त करने में युवाओं का क्या योगदान हो सकता है?
उत्तर – भारत भूमि से दहेज प्रथा को निर्मूल करने के लिए सबसे पहले युवाओं को अपनी सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाने होंगे। उन्हें गुण को प्राथमिकता देनी होगी न की दहेज को। कन्याओं को भी शिक्षा की पूरे अवसर प्रदान किए जाने चाहिए ताकि उन्हें भी स्वावलंबी होने का सौभाग्य प्राप्त हो।
प्रश्न 4. जीवन लाल किस मरहम की बात करता है? उसे वह मरहम किस प्रकार मिलता है?
उत्तर – एकांकी में जीवन लाल जिस मरहम की बात करते हैं वो दहेज के पाँच हज़ार रुपए हैं जिसे वे कमला के भाई प्रमोद से वसूलना चाहते हैं। उन्हें यह मरहम नहीं मिल पाता क्योंकि ऐसा ही मरहम उनकी बेटी गौरी के ससुराल वाले उनसे चाहते थे।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. क्या होता यदि राजेश्वरी कमला और प्रमोद का साथ न देती?
यदि राजेश्वरी कमला और प्रमोद का साथ न देती तो कमला की विदाई लगभग असंभव हो जाती और जीवनलाल को अपनी गलती का एहसास कभी भी नहीं हो पाता।
प्रश्न 2. यदि गौरी की विदाई हो जाती तो क्या होता?
यदि जीवन लाल की अपनी बेटी गौरी की विदाई हो गई होती तो उनका घमंड कभी भी चूर-चूर न होता और न ही प्रमोद और राजेश्वरी की वाणी उनकी आँखें खोल पातीं।
भाषा की बात
प्रश्न 1. नीचे दी गई वर्ग पहेली में क्रिया-विशेषण शब्द छिपे हैं। उन्हें ढूँढकर लिखिए-
क. कल धीरे
ख़. अभी इधर
ग. आज तेज़
घ. बहुत किधर
ङ. तब
प्रश्न 2. पाठ में आए कोई चार शब्द-युग्म ढूँढकर लिखिए-
क. भला-बुरा
ख़. सात-आठ
ग. नाक-मूँछ
घ. सुख-सुहाग
प्रश्न 3. पाठ में आए कोई चार पुनरुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए -•
क. खड़ी- खड़ी
ख. समझाते-समझाते
ग. धीरे-धीरे
जीवन मूल्य
प्रश्न 1. दहेज़ प्रथा नैतिक मूल्यों का हनन कर रही है। कैसे?
उत्तर – दहेज प्रथा समाज के नैतिक मूल्यों का हनन कर रही है क्योंकि दहेज के लालची ससुरालवाले अपने बहू को तरह-तरह से परेशान करते हैं। इतना ही नहीं कितनी बार तो बहुओं को आग के हवाले कर दिया जाता है। ऐसे में दहेज समाज के लिए एक बदनुमा दाग के सिवा कुछ भी नहीं।
प्रश्न 2. बेटा-बेटी की समानता सुदृढ़ समाज की नींव है। अपने विचार बताइए।
उत्तर – समाज में दोनों लिंगों की समान आवश्यकता होती है इसमें विषमता आने पर समाज का सही तरीके से चल पाना असंभव है। इस समस्या के समाधान हेतु हमें बेटा-बेटी को एक समान ही मानना चाहिए। उन्नति के सभी क्षेत्रों में दोनों को समान अवसर उपलब्ध करवाने चाहिए। ऐसा होने पर ही एक सुदृढ़ समाज की नींव रखी जा सकती है।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. समाज में फैली कुरीतियों के बारे में जानकारी एकत्र कीजिए। इनके कारण एवं निवारण संबंधी परियोजना कार्य तैयार कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
प्रश्न 2.पाठ में कुछ मुहावरों का प्रयोग हुआ है। अध्यापक कुछ अन्य उत्तर – मुहावरों को पर्ची पर लिखकर अपने पास रख लें। कक्षा का एक बच्चा इनमें से एक पर्ची उठाकर उसमें लिखे मुहावरे का मूक अभिनय करेगा। कक्षा के अन्य बच्चे उसे समझने का प्रयास करेंगे। इस प्रकार, बच्चे मनोरंजन के साथ मुहावरे तथा उनके अर्थ समझ लेंगे।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
अभ्यास सागर
पाठ – 14
बहू की विदा
रचना की आधार
पर भेद
1. केवल पढ़ने और समझने के लिए-
2.
क. मैं कक्षा आठवीं में पढ़ता हूँ।
ख. मैं मेला देखने जाना चाहता था पर चाचाजी ने मना कर दिया।
ग. मैं आज एक ऐसे छात्र से मिला जो बहुत मेधावी था।
3.
क. गौरी आ रही है।
ख. सब एक ही धातु के बने हैं।
ग. मेरा फ़ैसला आखिरी है।
घ. मेरी गाड़ी का समय हो रहा है।
ङ. मुझे रुपए नहीं चाहिए।
4.
क. सोहन घर आया और उसने खाना खाया।
ख. आप मिठाई खाएँगे या नमकीन?
ग. वह दौड़ना चाहता था परंतु उसके पैर में चोट लगी थी।
घ. बारिश हो रही थे इसलिए मेरे कपड़े भीग गए।
ङ. वह मुझे नहीं जानता और मैं भी उसे नहीं जानता।
5.
क. उसने बहुत परिश्रम किया है।
वह कक्षा में प्रथम आया है।
ख. सुबह हो गई थी।
चिड़ियाँ चहचहा रही थीं।
ग. वह गाना चाहता था।
उसका गला खराब था।
घ. डॉक्टर ने रोगी को देखा।
डॉक्टर ने रोगी को दवाई दी।
ङ. रात अँधेरी थी।
चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था।
6.
क. माँ को पता चला।
यह फ़िल्म का गाना है।
ख. मेरी वह साइकिल खो गई।
जो आप लाए थे
ग. तय हुआ।
अन्य विशेषज्ञों की राय ले ली जाए।
घ. मास्टर जी नाराज़ हो गए।
बच्चे शोर मचा रहे थे।
ङ. नीना की नानी का देहांत हो गया।
वे बहुत बीमार थीं।
च. वह फ्रॉक सुंदर थी।
जिस पर सितारे लगे हुए थे।
7.
क. सरल वाक्य
ख. मिश्रित वाक्य
ग. सरल वाक्य
घ. मिश्रित वाक्य
ङ. संयुक्त वाक्य
च. सरल वाक्य
छ. मिश्रित वाक्य
ज. संयुक्त वाक्य
झ. मिश्रित वाक्य
ञ. मिश्रित वाक्य
8.
क. मैं परीक्षा देने के लिए लखनऊ जा रही हूँ।
ख. मैंने एक ऐसे आदमी को देखा जो बहुत बीमार था।
ग. रवि अच्छा खिलाड़ी है और पढ़ने में भी तेज़ है।
घ. जो गाय घास चर रही है वह सफ़ेद रंग की है।
ङ. बच्चे खीर खाकर सो गए।
9.
क. केवल
ख. मात्र
ग. भी
घ. तो
ङ. ही
10.
क. अनुप्रास अलंकार
ख. रूपक अलंकार
ग. उपमा अलंकार
घ. उत्प्रेक्षा अलंकार
11.
क. सहन
ख. मौका
ग. विरुद्ध
घ. उत्तर
12.
क. हँसमुख – गौरी
ख. अधिक – दहेज़
ग. बड़ा – कमरा
घ. लाचार – प्रमोद
ङ. गहरा – घाव
13.
क. सिन्हा जी के बेटे ने दुकान में चोरी करके अपने पिता के नाम को धब्बा लगा दिया।
ख. जब-जब मैं इस आदमी से मिलता हूँ मेरे घाव हरे हो जाते हैं।
ग. नाक वालों की हर जगह प्रशंसा होती है।
घ. प्याज़ की कीमतें सुनकर मैं तो दंग रह गया।
ङ. राजू हमेशा तिल का ताड़ बनाता रहता है।
च. शिक्षक की बातें सुनकर मेरी तो आँखें खुल गईं।
14.
“दहेज़ प्रथा – एक सामाजिक कुरीति ”
एक पिता अपनी बेटी की शादी में लाखों रुपए खर्च करता है। बेटी के जन्म से ही वह उसकी शादी के लिए पाई-पाई जोड़ने में लग जाता है। ध्यातव्य यह है कि लाखों रुपए खर्च करने वाला पिता अगर दहेज के बदले उन रुपयों को अपनी बेटी की पढ़ाई-लिखाई में खर्च करें तो उसकी बेटी अपने पैरों पर खड़ी होकर आजीवन स्वतंत्र रहेगी और उसका जीवनसाथी भी उसे पूरा-पूरा सम्मान देगा। इसके लिए पुरुषों की सोच में भी परिवर्तन आने की आवश्यकता है। पढ़े-लिखे युवाओं को भी दहेज़ प्रथा के विरोध में आवाज़ उठानी चाहिए। आए दिन हमें दहेज़ प्रताड़ना से जुड़ी ख़बरें टीवी और अख़बार में देखने को मिलती हैं। ये हमारी पाशविक प्रवृत्ति का द्योतक है। दूल्हे का दाम लगाना भी एक तरीके से मानव तस्करी है। अब हमें सरकार द्वारा लागू ‘दहेज़ निषेध’ अधिनियम का कड़ाई से पालन करना चाहिए।