DAV Solutions Class – VIII Chapter -17 Sona  सोना 

स्मृति – याद

पौत्री – Grand  daughter 

गत – बीता हुआ

सघन – घना/ Dense

संबद्ध – जुड़ा होना

विस्तृत – बड़ा

स्वीकार – Accept

शैशवास्था – Infancy

लघु – छोटा

पानीदार – Watery

सुवर्णा – अच्छे रंग वाली

कौतुक – उत्सुकता

साथिन – सहेली

संतुलित – Balanced

चौकड़ी – हिरणों का दौड़ना

संकुलता – Squeezed

दूब – लंबी घास

अनिर्वचनीय – जिसे कहा न जा सके

जिज्ञासा – जानने की इच्छा/ Curiosity

एकटक – बिना पलक झपकाए

अभिव्यक्ति – Expression

परिस्थिति – Situation

स्वामी – मालिक

सभीत – डरकर

विस्मय – कौतुहल

स्वीकृति – Acceptance

रुष्ट – रूठना

सख्य – मित्रता

तन्मय – किसी काम में खो जाना

रोएँ – लोम

ताम्रवर्णी – ताँबे के रंग का

सुडौल – सुंदर

खुर – Hoof 

ग्रीवा – गर्दन

बंकिम – टेढ़ा

लचीली – Flexible

स्निग्धता – चमक

शावक- शेर/हिरन का बच्चा

स्फुरण – उद्दीप्त

स्वजाति – अपनी जाति

सूना – निर्जन

प्रतीक्षा – इंतज़ार

मार्मिक – हृदय से जुड़ा हुआ

संगियों – साथियों

सृष्टि – संसार

संरक्षण – देखभाल

उदर – पेट

आश्वस्त – निश्चिंत

अहिंसक – जो हिंसा न करे

उपलब्धि – Achievement

स्तब्ध – ठहरी हुई

नित्य नैमित्तिक – प्रतिदिन का कार्य

कोलाहल – शोर

उल्लास – खुशी

करुण – दुख

संयोग – इत्तफाक , Co-incident

उपसर्ग

पौत्री – पौत्र + ई  

पानीदार – पानी + दार

सुवर्णा – सुवर्ण + आ

स्वीकृति – स्वीकृत + इ

लचीली – लचीला + ई

स्निग्धता – स्निग्ध + ता

साथिन – साथी + इन

संकुलता – संकुल + ता

मार्मिक – मर्म + इक

उपसर्ग

सघन – स + घन

अभिव्यक्ति – अभि + व्यक्ति

परिस्थिति – परि + स्थिति

सभीत – स + भीत

अहिंसक – अ + हिंसक

संयोग – सम् + योग

पर्यायवाची

स्मृति – याद, स्मरण

विस्तृत – बड़ा, विशाल, बृहद 

स्वामी – मालिक, उस्ताद, आचार्य, आक़ा 

बंकिम – टेढ़ा, वक्र, तिरछी

सूना – निर्जन, जनहीन, नीरव, सुनसान, बीहड़ 

प्रतीक्षा – इंतज़ार, अपेक्षा, प्रत्याशा 

सृष्टि – संसार, जग, दुनिया 

उदर – पेट, जठर, कुक्षि 

    करुण – दुख, पीड़ा, वेदना

विलोम

स्मृति # विस्मृति  

गत # आगत

विस्तृत # लघु  

स्वीकार # अस्वीकार

शैशवास्था #  वृद्धावास्था

लघु # विशाल

संतुलित # असंतुलित

स्वामी # सेवक

लचीली # शख्त

स्वजाति # परजाति

सृष्टि # विनाश

अहिंसक # अहिंसक

करुण # हर्ष

संयोग # वियोग

प्रश्न 1. सुष्मिता कौन है? उसने पत्र के माध्यम से महादेवी वर्मा को क्या लिखा?

उत्तर – सुष्मिता लेखिका के परिचित स्वर्गीय डॉक्टर धीरेन्द्रनाथ बसु की पौत्री है। सुष्मिता ने लेखिका से आग्रह किया है कि उसके  पास एक हिरण है जो बड़ी हो रही है और उसके खेलने के लिए ज़्यादा जगह चाहिए इसलिए वह उसे लेखिका को दे देना चाहती है।

प्रश्न 2. लेखिका के प्रति स्नेह प्रदर्शित करने के लिए सोना क्या करती थी?

उत्तर – लेखिका के प्रति स्नेह प्रदर्शित करने के लिए सोना लेखिका के ऊपर से छ्लाँग लगाती थी, लेखिका के पैरों में अपना शरीर रगड़ने लगती थी और कभी-कभी तो वो लेखिका की साड़ी का छोर ही चबाने लगती थी।      

प्रश्न 3. घर, विद्यालय और छात्रावास में सोना के क्रिया-कलाप का वर्णन कीजिए।

उत्तर – घर में सोना लेखिका के पलंग के पाए से सटकर बैठना सीख गई थी। छात्रावास में भी वह प्रत्येक कमरे के बाहर-भीतर निरीक्षण करती और छात्राएँ उसका शृंगार भी कर दिया करती थी। विद्यालय में भी वह कक्षाओं के बाहर-भीतर चक्कर लगाया करती थी।   

प्रश्न 4. हिरन शावक से हिरनी बनने पर सोना में शारीरिक रूप से क्या परिवर्तन आए?

उत्तर – हिरण शावक से हिरनी बनने पर सोना में शारीरिक रूप से अनेक परिवर्तन आए जैसे- उसके शरीर के रोएँ ताम्रवर्णी झलक देने लगे, टाँगें सुडौल और खुर अधिक काले हो गएІ गर्दन अधिक बंकिम और लचीली हो गई और पेट में भराव वाला उतार-चढ़ाव एवं स्निग्धता स्पष्ट दिखाई देने लगी।  

प्रश्न 5. उचित उत्तर पर सही का (P) निशान लगाइए-

प्रश्न (क) सोना कौन है?

शेरनी

हिरनी

हथिनी

ऊँटनी

उत्तर – हिरनी

प्रश्न (ख) सोना का पसंदीदा खाद्य क्या था?

चावल

कच्ची सब्ज़ी

रोटी

बिस्कुट

उत्तर – बिस्कुट

प्रश्न (ग) गरमियों की छुट्टियों में लेखिका ने कहाँ जाने का कार्यक्रम बनाया?

अमरनाथ

सोमनाथ

केदारनाथ

बद्रीनाथ

उत्तर – बद्रीनाथ

प्रश्न (घ) लेखिका यात्रा पर अपने साथ किसे ले गईं?

हेमंत-वसंत

गोधूली

फ्लोरा

सोना

उत्तर – फ्लोरा    

प्रश्न (ङ) ‘अनिर्वचनीय’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?

जिसे सुना न जा सके

जिसे कहा न जा सके

जिसे देखा न जा सके

जिसे भुलाया न जा सके

उत्तर – जिसे कहा न जा सके

प्रश्न 6. दिए गए अंश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

उत्तर – संभवतः वह सोना के स्नेही और अहिंसक प्रकृति से परिचित हो गई थी। पिल्लों के बड़े होने पर और उनकी आँखें खुल जाने पर उन्हें भी अपने पीछे घूमने वाली सेना में सम्मिलित कर लिया और मानो इस वृद्धि की उपलब्धि में आनंदोत्सव मनाने के लिए अधिक देर तक मेरे सिर पर आर-पार चौकड़ी भरती रही। पर कुछ दिनों के उपरांत जब यह आनंदोत्सव पुराना पड़ गया, तब उसकी शब्दहीन संज्ञाहीन प्रतीक्षा की स्तब्ध घड़ियाँ फिर लौट आईं।

प्रश्न 1. सोना की अहिंसक प्रकृति से कौन परिचित हो गई थी?

उत्तर – फ्लोरा सोना के अहिंसक प्रवृत्ति से परिचित हो गई थी।

प्रश्न 2. सोना के जीवन में शब्दहीन, संज्ञाहीन प्रतीक्षा की स्तब्ध घड़ियाँ क्यों लौट आईं?

उत्तर – सोना के जीवन में शब्दहीन, संज्ञाहीन प्रतीक्षा की स्तब्ध घड़ियाँ फिर से लौट आईं क्योंकि उसी वर्ष लेखिका को छुट्टियों में बद्रीनाथ की यात्रा पर जाना था।

प्रश्न 3.पाठ व लेखिका का नाम लिखिए।

उत्तर – पाठ का नाम ‘सोना’ और लेखिका का नाम महादेवी वर्मा।

प्रश्न 1. सोना के शैशवावस्था के रूप सौंदर्य के बारे में बताइए ।

उत्तर – सोना एक हिरन है जो बेहद खूबसूरत है। उसकी ताम्रवर्णी रोएँ, सुडौल टांगें, खुरों का कालापन, लचीली और बंकिम गर्दन, पीठ की स्निग्धता तथा आँखों के चारों ओर खिंची कज्जल और आँखें नीलम रूपी बल्ब की तरह लगती थीं। सोना के सौंदर्य के ये विविध पक्ष उसकी सुंदरता को शत प्रतिशत सुंदर बनाने के लिए पर्याप्त हैं।      

प्रश्न 2. सोना के कौन-कौन से नाम उसके परिचय बन गए थे?

उत्तर – सोना बहुत ही खूबसूरत हिरनी थी। छात्रावास के सभी उसके सरल शिशु रूप से इतने प्रभावित हुए कि उसे सोना, सुवर्णा, सुवर्णलेखा आदि नामों से पुकारा जाने लगा और यही नाम  उसका परिचय बन गए।  

प्रश्न 3. माली ने सोना को क्यों बाँधना शुरू कर दिया था?

उत्तर – फ्लोरा और महादेवी की अनुपस्थिति में अक्सर सोना कंपाउंड से बाहर निकल जाया करती थी इस वजह से माली ने उसे मैदान में एक लंबी रस्सी से बाँधना शुरू कर दिया।  

प्रश्न 4. सोना की मृत्यु कैसे हुई?

उत्तर – जब सोना कंपाउंड में रस्सी से बँधी हुई थी तो शायद वह यह भूल गई कि उसके गले में रस्सी बँधी है, और  उसने एक लंबी छलाँग लगाई। रस्सी के कारण वह मुँह के बल धरती पर आ गिरी और  उसके प्राण पखेरू उड़ गए।

प्रश्न 1. कल्पना कीजिए यदि महादेवी वर्मा फ्लोरा को अपने साथ न ले जाकर सोना को ले जातीं तो क्या होता?

उत्तर – यदि लेखिका फ्लोरा की जगह सोना को अपने साथ ले जातीं तो शायद सोना की मौत नहीं होती।

प्रश्न 2. यदि सोना की मृत्यु न होती और ग्रीष्मावकाश बिताकर जब लेखिका घर आती तो सोना का लेखिका के प्रति कैसा व्यवहार होता?

उत्तर – यदि ग्रीष्मावकाश के दौरान सोना की मृत्यु नहीं होती तो जब लेखिका बद्रीनाथ की यात्रा से वापस आती तो वह बड़ी प्रसन्नता के साथ सोना से मिलतीं और इतने दिनों की अनुपस्थिति को पाटने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा समय सोना के साथ व्यतीत करतीं।      

प्रश्न 1. पाठ में आए हुए ‘ईय’ और ‘इक’ प्रत्यय लगे शब्द छाँटकर लिखिए तथा एक-एक नया शब्द भी लिखिए-

प्रत्यय            पाठ के शब्द            नए शब्द    

क. ईय            अनिर्वचनीय             राष्ट्रीय

ख. इक           नैमित्तिक              दैनिक

प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्यों में निर्देशानुसार उत्तर लिखिए-

(क) भक्तिन को बोतल साफ़ करते देख वह दौड़ आती ।

(व्यक्तिवाचक संज्ञा छाँटकर लिखिए)

उत्तर – भक्तिन (व्यक्तिवाचक संज्ञा)

(ख) गत वर्ष अपने पड़ोसी से मुझे एक हिरन मिला।

(सर्वनाम छाँटकर लिखिए )

उत्तर – मुझे (सर्वनाम)

(ग) ग्रीवा अधिक बंकिम और लचीली हो गई थी।

(विशेषण छाँटकर लिखिए )

उत्तर – बंकिम और लचीली (विशेषण)

(घ) टाँगें अधिक सुडौल और खुरों के कालेपन में चमक आ गई थी। (प्रविशेषण छाँटकर लिखिए)

उत्तर – अधिक (प्रविशेषण)

(ङ) भीतर आने पर वह मेरे पैरों से अपना शरीर रगड़ने लगती ।

(क्रिया का भेद लिखिए)

उत्तर – (रगड़ना) सकर्मक क्रिया

प्रश्न 1. ‘इतनी बड़ी हिरणी को पालने वाले तो कम थे परंतु उसमें खाद्य और स्वाद प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों का बाहुल्य था’ – पशु-पक्षियों के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए?

उत्तर – पशु-पक्षियों के प्रति भी हमारा व्यवहार मानवीय होना चाहिए क्योंकि उनमें भी संवेदना होती है। उन्हें भी सुख-दुख का एहसास होता है। महात्मा गाँधी ने भी कहा था कि वह राष्ट्र वास्तव में अच्छा राष्ट्र होगा जो अपने राष्ट्र के पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील रहे। 

प्रश्न 2. प्रस्तुत पाठ के आधार पर महादेवी वर्मा की स्वभावगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए। आज के संदर्भ में इसकी उपयोगिता के बारे में बताइए ।

उत्तर – महादेवी वर्मा एक भद्र महिला होने के साथ-साथ पशु-पक्षियों से अगाध प्रेम करने वाली करुणामयी कांता भी थीं। उन्होंने अपने छात्रावास में अनेक पशु-पक्षी पाल रखे थे और उनके संरक्षण का पूरा-पूरा ख्याल भी रखती थीं। आज के ज़माने में ऐसे व्यक्तित्व की नितांत आवश्यकता है क्योंकि आज के समय में मनुष्य हर अगले दिन पशुओं के प्रति क्रूर होता नज़र आ रहा है।      

प्रश्न 1. डिस्कवरी चैनल पर वन्य पशुओं के जीवन पर आधारित कार्यक्रम देखिए और कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें

प्रश्न 2. ऐसी संस्थाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए जो पशु-पक्षी संरक्षण का अनूठा कार्य कर रही हों ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें

प्रश्न 3. ‘पर्यावरण की दृष्टि से पशु-पक्षियों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?’ इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें

– इसे भी जानिए

ज्ञानपीठ पुरस्कार:

ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है।

ज्ञानपीठ पुरस्कार का गठन 22 मई, 1961 में किया गया। पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक, जी. शंकर कुरूप को प्रदान किया गया।

एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि से प्रारंभ हुए इस पुरस्कार को 2015 में 7 लाख कर दिया गया जो वर्तमान में प्रशस्ति पत्र, वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा के साथ 11 लाख रुपये हो चुका है।

महादेवी वर्मा को 1982 में उनकी कृति ‘यामा’ के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

पाठ – 17

सोना  

व्यंजन संधि

1. पढ़ने एवं समझने के लिए।  

2. पढ़ने एवं समझने के लिए।

3.

क. वाग्जाल  

ख. दिग्गज

ग. सद्गुण

4.

क. भगवत् + गीता

ख. जगत् + ईश

ग. दिक् + दर्शन

घ. दिक् + ज्ञान

5. पढ़ने एवं समझने के लिए।  

6.

क. चिन्मय

ख. उन्नयन

ग. षण्मुख  

7.

क. उत् + मेष  

ख. सत् + मार्ग   

ग. उत् + नयन

8. पढ़ने एवं समझने के लिए। 

9.

क. तल्लीन

ख. उज्ज्वल  

ग. तट्टीका

घ. उड्डनयन

ङ. उच्चारण

10. पढ़ने एवं समझने के लिए।

11.

क. सच्छास्त्र 

ख. तच्छिव

12. पढ़ने एवं समझने के लिए।

13.

क. उद्धार

ख. तद्धित

14.

क. क्या आप ही श्री राम कुमार हैं?   

ख. भाई भरत, तुम अयोध्या लौट जाओ।  

ग. राज उदास होकर बोला, “अब क्या होगा?”

घ. अहा! कैसे काले-काले मेघ चारों ओर से घिरकर आकाश पर छा गए हैं।

ङ. गीता का वचन है, “कर्म करो किंतु फल की इच्छा न रखो।”

15.

क. कल जिस आदमी ने चोरी की था वह यही है।    

ख. इस गाँव के लोग कसरत के शौकीन हैं।

ग. मैं व्यायाम करता हूँ और फिर स्नान करता हूँ।  

घ. जिसने मेरी किताबें ली हैं यह वही है।

ङ. वह खाना खाकर सो गया।

16.

क. सरल वाक्य

ख. संयुक्त वाक्य

ग. सरल वाक्य

घ. मिश्र वाक्य

ङ. मिश्रवाक्य

17.

क. शिव

ख. वानर

ग. क्रोध

घ. सरिता

ङ. तुरंग

च. प्रकाश

छ. दिवस

ज. मानव  

              18.

यदि मैं पक्षी होता

यदि मैं पक्षी होता तो बड़ा मज़ा आता। जहाँ चाहता, उड़कर वहाँ चला जाता। न ही प्रतिदिन स्कूल जाना पड़ता और न ही होमवर्क करने का बोझ होता। मैं तो बस अपने ही मन की करता। लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए जब मेरी पक्षी बन जाने की इच्छा पूरी हो जाती तो इसके साथ-साथ मैं कुछ अन्य इच्छाएँ भी पूरी करवाता, जैसे कोई भी प्राणी मुझे किसी भी तरह मार न पाए क्योंकि पक्षी जीवन में मौत का बड़ा खतरा होता है। दूसरी इच्छा यह कि मैं जितना चाहूँ बिना थके उड़ सकूँ क्योंकि जब मैं समुद्र पार करके दूसरे देश के भ्रमण पर जाऊँ तो मुझे थकावट न हो। तीसरी मुझमें इतनी शक्ति और सामर्थ्य होना चाहिए कि मैं उड़कर अंतरिक्ष तक पहुँच सकूँ और बिना एस्ट्रोनट सूट के भी आराम से विचरण कर सकूँ। अगर मेरी ये सारी इच्छाएँ पूरी हों तो मैं पक्षी बनना चाहूँगा नहीं तो स्कूल जाना और होमवर्क करना मुझे स्वीकार है।    

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