शब्दार्थ
असल – Real
चरवाहा – shepherd
झोंपड़ी – Hut
जटिल – मुश्किल, Complex
निबटारा – solution
ईरान – एक देश जिसकी राजधानी तेहरान है।
चर्चा – ज़िक्र
शाह – राजा
दूत – संदेशवाहक/ Messenger
दंग – आश्चर्य
भेड़ – sheep
राजसिंहासन – तख़्त
दरबार – Royal Court
हुक्म – आदेश
क्षण – पल
जलन – ईर्ष्या
खिलाफ़ – विरुद्ध/ Against
कान भरना – मुहावरा- किसी के बारे मेन बुरा-भला कहना
कीड़े निकालना – मुहावरा- दोष निकालना
मन को धक्का लगाना – मुहावरा- दुखी होना
प्रांत – राज्य
गवर्नर – राज्यपाल
कर्मचारी – Worker
भ्रष्ट – Corrupt
अराजकता – Mal-governance
हाहाकार – घबराहट की चिल्लाहट
फूला न सामना – मुहावरा- अत्यधिक प्रसन्न होना
दोषी – अपराधी
गुण गाना – तारीफ करना
बक्सा – Trunk
अवसर – मौका / Chance
सुबूत – प्रमाण/Evidence
ढोंगी – पाखंडी
हाज़िर – उपस्थित
अदब – नम्र
घमंड – गर्व
सन्नाटा – शांति
कोट – अचकन
उपसर्ग
बेईमान = बे + ईमान
दोषी = दोष + ई
प्रत्यय
ईमानदार = ईमान + दार
पर्यायवाची
असल = वास्तव, मूल
झोंपड़ी = कुटिया, पर्णकुटी
जटिल = मुश्किल, कठिन, असरल
शाह = राजा, सुल्तान, बादशाह
हुक्म = आदेश, आज्ञा, निर्देश
जलन = ईर्ष्या, द्वेष, डाह
प्रांत = राज्य, प्रदेश, नगर
हाज़िर = उपस्थित, मौजूद
घमंड = गर्व, अभिमान, दर्प
विलोम
असल # नकल
झोंपड़ी # महल
जटिल # सरल
शाह # फ़कीर
हुक्म # विनती
खिलाफ़ # साथ
भ्रष्ट # ईमानदार
दोषी # निर्दोषी
हाज़िर # गैरहाज़िर
अदब # बेअदब
घमंड # नम्र
पाठ में से
प्रश्न 1. गाँव वाले दारा का सम्मान क्यों करते थे?
उत्तर – दारा अति सरल और ईमानदार व्यक्ति था। भौतिक चीज़ों के प्रति उनका थोड़ा भी रुझान न था। दारा तीक्ष्ण बुद्धिवाला व्यक्ति भी था जो गाँववालों की समस्या चुटकी में सुलझा दिया करता था। उनके इन्हीं सब गुणों के कारण गाँववाले उनका सम्मान किया करते थे।
प्रश्न 2. शाह द्वारा दारा को अपने दरबार में रखने का क्या कारण था?
उत्तर – शाह द्वारा दारा को अपने दरबार में रखने के बहुत से कारण थे जिसमें से सबसे पहला कारण दारा की विलक्षण प्रतिभा थी जिससे राज्य की समस्याएँ सुलझाईं जा सकती थीं। दूसरी बात यह थी कि दारा ईमानदार व्यक्ति था और लोग उसका सम्मान करते थे इस लिहाज़ से भी शाह को दारा से प्रशासनिक कार्यों में काफी मदद मिलतीІ
प्रश्न 3. दरबारी दारा से ईर्ष्या क्यों करते थे?
उत्तर – दारा के राज-दरबार का सदस्य बनते ही कुछ ही समय में उसने अपनी बुद्धि के बल पर राज्य की अनेक समस्याओं को हल कर दिया। फलस्वरूप, दारा शाह के चहेते बन गए और अन्य दरबारी की इज्ज़त शाह की नज़रों में कम हो गई। इस वजह से दरबारी दारा से ईर्ष्या करने लगे।
प्रश्न 4. शाह ने दारा को गवर्नर बनाकर क्यों भेजा?
उत्तर – शाह ने दारा को ईरान के एक प्रांत का गवर्नर बनाकर भेजा क्योंकि वहाँ का शासन बिगड़ चुका थाІ सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्ट हो चुके थेІ सबलोग मनमानी करने लगे थे और जन-माल सुरक्षित नहीं थाІ शाह ने प्रांत की राजनैतिक स्थिति सुधारने का काम दारा को दियाІ
प्रश्न 5. दारा अपने बक्से में क्या रखता था और क्यों?
उत्तर – दारा निहायती शरीफ़ और ईमानदार व्यक्ति था। बुद्धिमत्ता के बल पर उसे राज-दरबार में उच्च पद प्राप्त हुआ था। परंतु पद और मान-सम्मान की चकाचौंध में वह कहीं अपना अतीत और उद्देश्य न भूल जाए इसलिए हमेशा अपने साथ एक बक्से में भेड़ की ऊन से बना हुआ एक पुराना कोट रखा रहता था जो उसे उसकी गरीबी के दिन याद दिलाते रहते थेІ
प्रश्न 6. कहानी के दिए गए अंश को पढ़कर तीन प्रश्न बनाइए –
दारा के पहुँचते ही प्रांत के हालात सुधरने लगे। वह स्वयं हर स्थान पर जाता और लोगों से पूछता कि उन्हें क्या दुख है? वह नगर – नगर जाकर दरबार लगाता और दोषियों को सजाएँ देकर लोगों को न्याय दिलाता। प्रांत में शांति फैल गई। लोग नए गवर्नर के गुण गाने लगे।
प्रश्न (क) किसने प्रांत की हालत सुधारी?
प्रश्न (ख) दारा ने प्रांत में क्या-क्या किया?
प्रश्न (ग) लोग नए गवर्नर के गुण क्यों गाने लगे?
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. चरवाहे का जीवन कैसा था?
उत्तर – चरवाहे का जीवन बड़ा ही सामान्य था। वह गरीब होने के बावज़ूद भी स्वाभिमानी थाІ उसकी एक टूटी-फूटी झोंपड़ी थीІ दो वक़्त की रोटी उसे मिल जाती थीІ उसके पास पहनने के लिए भेड़ के ऊन से बने फटे-पुराने कपड़े थेІ पूरे गाँव वाले उसकी बुद्धिमानी के लिए उसका बड़ा सम्मान करते थेІ
प्रश्न 2. कहानी में से ऐसे अंश छाँटकर बताइए जिनसे दारा के बुद्धिमान होने का पता चलता है।
उत्तर – कहानी का वह अंश जिसमें दारा पर धन लूटने का आरोप लगाया गया पर उसने अपने आपको निर्दोष साबित किया और उनलोगों को भी शर्मिंदा होने पर मज़बूर कर दिया जिन्होंने दारा पर बेईमानी का आरोप लगाया था।
प्रश्न 3. दौरे पर जाते समय दारा दूसरा घोड़ा क्यों रखता था?
उत्तर – दौरे पर जाते समय दारा दूसरा घोड़ा रखता था ताकि उसकी पीठ पर वह अपने उस बक्से को रख सके जिसमें उसके फटे-पुराने कपड़े थे।
प्रश्न 4. दरबारियों ने दारा के खिलाफ़ शाह से क्या कहा?
उत्तर – दरबारियों ने दारा के खिलाफ़ शाह के कान भरने के लिए उनसे यह कहा कि दारा जब दौरे पर जाता है तो अपने साथ दूसरे घोड़े पर एक बक्सा भी रखता है जिसमें वे मासूम जनता से लूटा हुआ धन रखता है। दारा आपके दिए हुए अधिकारों का अनुचित लाभ उठा रहा है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. शाह ने दारा के पास दूत को भेजकर किस समस्या को सुलझाने के लिए कहा? अनुमान लगाइए, दारा ने समस्या को कैसे सुलझाया होगा?
उत्तर – शाह ने दारा के पास दूत भेजकर उसकी बुद्धि की परीक्षा लेने हेतु राज्य से जुड़ी किसी समस्या को सुलझाने के लिए कहा होगाІ दारा ने अपनी सूझ-बूझ से से समस्या का समाधान निकाला होगा।
प्रश्न 2. यदि दरबारियों के कहे अनुसार दारा के बक्से से बेईमानी से एकत्र किया गया धन निकलता तो क्या होता?
उत्तर – यदि दरबारियों के कहे अनुसार दारा के बक्से से बेईमानी से एकत्र किया गया धन निकलता तो उसे राज्य के दंड विधान के अनुसार बेईमानी के अपराध में सज़ा मिलतीІ
प्रश्न 3. पाठ का शीर्षक ‘असल धन’ क्यों रखा गया? इस पाठ का कोई अन्य शीर्षक सुझाइए तथा यह भी बताइए कि आपने यह शीर्षक क्यों चुना?
उत्तर – पाठ का शीर्षक ‘असल धन’ रखा गया है क्योंकि लेखक को यह भली-भाँति ज्ञात है कि चरित्र, सदाचरण और ईमानदारी ही सही मायने में किसी भी व्यक्ति का असल धन होता है। मैं इस पाठ के लिए दो शीर्षक रखूँगा पहला ‘दारा बनाम दरबारी’ क्योंकि इसमें मुख्य भूमिका दारा और अन्य दरबारी ही निभाते हैं। मैं इस कहानी दूसरा का नाम ‘दारा की दिलेरी’ रखूँगा क्योंकि विषम परिस्थितियों में भी दारा विचलित नहीं हुआ और उसने अपनी ईमानदारी सिद्ध कर दीІ
भाषा की बात
प्रश्न 1.पाठ में से दो-दो व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक संज्ञा शब्द छाँटकर लिखिए-
व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा भाववाचक संज्ञा
क. ईरान प्रांत दुख
ख़. दारा भेड़ निराशा
प्रश्न 2. मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है इनका अक्षरशः अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं जैसे- ‘फूला न समाना’ जिसका अर्थ है – बहुत खुश होना। अब आप दिए गए मुहावरों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
(क) कान भरना – – चुगली करना – दरबारियों ने दारा के खिलाफ़ शाह के कान भर दिए।
(ख) दंग रह जाना – हैरान होना – शाह की सच्चाई जानकर सारे दरबारी दंग रह गए।
(ग) आँखों में चमक आना – उत्सुकता से देखना – सपेरे को देखते ही सारे बच्चों की आँखों में चमक आ गई।
प्रश्न 3. पाठ में कई ‘विशेषण’ शब्द आए हैं। आप बताइए कि वे किसकी विशेषताएँ बता रहे हैं-
विशेषण शब्द किसकी विशेषता बता रहे हैं
गरीब दारा
रूखी-सूखी रोटी
भ्रष्ट अधिकारी
बुद्धिमान, समझदार, ईमानदार दारा
जटिल समस्या
जीवन मूल्य
प्रश्न 1. क्या आपको घर में, विद्यालय में किसी से ईर्ष्या होती है? क्यों?
उत्तर – मुझे मेरे विद्यालय के एक छात्र ‘विमल कुमार’ से बहुत ईर्ष्या होती है क्योंकि वह पढ़ने के साथ-साथ खेलकूद में भी उम्दा प्रदर्शन करता है और वह व्यवहारकुशल भी है। सभी शिक्षक उसे बहुत पसंद करते हैं। हालाँकि मेरी उससे साकारात्मक ईर्ष्या है और मैं भी अपने अंदर ऐसे ही गुणों को डालने की कोशिश करता हूँ जिससे मैं भी प्रशंसा का पात्र बन सकूँ।
प्रश्न 2. ईर्ष्या करना उचित है या अनुचित? क्यों ?
उत्तर – ईर्ष्या करना कुछ अंशों में सही है और अधिक अंशों में ख़राब। ऐसा इसलिए क्योंकि जिसके मन में ईर्ष्या होती है अगर वह अपनी ऊर्जा दूसरों की क्षति में लगाने के बजाय आत्म-उन्नति में लगाए तो ईर्ष्या का सकारात्मक पक्ष सामने आता है अन्यथा शेष स्थिति में इसने नकारात्मक पक्ष ही सम्मुख होता है।
प्रश्न 3. मन में ईर्ष्या का भाव उत्पन्न ही न हो, इसके लिए आप क्या करेंगे?
उत्तर – मन में ईर्ष्या भाव उत्पन्न ही न हो इसके लिए हमारा मन किसी विशेष लक्ष्य से पूर्ण होना चाहिए जिसमें किसी और क्षेत्र के बारे में सोचने या चर्चा करने के लिए फ़िज़ूल समय ही न हो। ऐसी स्थिति में हमारा मन केवल हमारे लक्ष्य पर केन्द्रित रहता है।
प्रश्न 4.आप अपने पास मित्रों और संबंधियों द्वारा भेंट की गई किन वस्तुओं को सँभालकर रखते हैं?
मैं अपने मित्र या संबंधियों द्वारा भेंट की जाने वाली चीज़ों में खासकर उन चीज़ों को सँभालकर रखने का प्रयास करता हूँ जो हस्तनिर्मित होती हैं। ऐसा इसलिए कि हस्तनिर्मित चीज़ों में देनेवाले की भावना के साथ उनका समय भी नियोजित रहता है।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. कृष्णदेवराय – तेनालीरामा, अकबर-बीरबल के बुद्धिमानी भरे किस्से पढ़िए और उन्हें कक्षा में सुनाइए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
प्रश्न 2. नीचे दी गई समस्याओं के समाधान पर कक्षा में चर्चा कीजिए-
(क) यदि बारिश का पानी गली में भर जाए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
(ख) यदि पड़ोसी देर रात तक तेज़ आवाज़ में संगीत बजाएँ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
अभ्यास सागर
पाठ – 2
असल धन
तत्सम, तद्भव, विराम चिह्न,
अपठित गद्यांश
1.
तत्सम – दुख, आश्चर्य, कर्मों, दोष
तद्भव – आँखों, गाँव, कान
2.
क. मयूर
ख. जिह्वा
ग. सूर्य
3.
क. काठ
ख. दही
ग. मोर
4.
क. अश्रु आँसू
ख. क्षेत्र खेत
ग. निद्रा नींद
घ. जिह्वा जीभ
ङ. अक्षि आँख
5.
क. काँटा
ख. पत्ते
ग. गृह
घ. दस
ङ. दुग्ध
6.
क. नासिका नाक
ख. सूर्य सूरज
ग. पत्र पत्ता
घ. पादप पेड़
ङ. मयूर मोर
7.
__ | निर्देशक चिह्न |
, | अल्प विराम |
“ ” | दुहरा उद्धरण चिह्न |
? | प्रश्नसूचक चिह्न |
पूर्ण विराम | |
‘ ’ | एकल उद्धरण चिह्न |
; | अर्धविराम |
योजक चिह्न | |
! | विस्मयादिबोधक चिह्न |
8
। | पूर्ण विराम |
‘ ’ और । | एकल उद्धरण चिह्न, पूर्ण विराम |
, और “ ” और ? | अल्प विराम, दुहरा उद्धरण चिह्न, प्रश्नसूचक चिह्न |
“ ” और , और, ! और । | दुहरा उद्धरण चिह्न, अल्प विराम, विस्मयादिबोधक चिह्न, पूर्ण विराम |
() और । | कोष्ठक चिह्न, पूर्ण विराम |
9.
क. हमारे पड़ोसी बहुत अच्छे हैं।
ख. मैं चिल्लाया, “यह कूड़ा किसने फेंका है?”
ग. आज मैंने प्रेमचंद की ‘बड़े भाई साहब’ कहानी पढ़ी।
घ. बच्चो, क्या कर रहे हो?
ङ. कचरा इधर-उधर मत फेंको।
च. अरे बाप रे! इतना बड़ा हाथी।
10.
क. रीनू ने सबसे कहा था कि रेवा की मम्मी ने रेवा के जन्मदिन पर सभी को बुलाया है।
ख. रीनू को रेवा के जन्मदिन के शाम का नज़ारा देखने की बेचैनी थी।
ग. रीनू स्कूल में यह सोच रही थी कि मैं ही सबको अप्रैल फूल बना रही हूँ इसलिए मुझे शाम को रेवा के घर सबके खिसियाने चेहरे देखने के लिए जाना ही होगा।
घ. रेवा के घर पहुँचकर रीनू ने देखा कि सब खा-पी रहे हैं और सचमुच रेवा का जन्मदिन है।
ङ. रीनू सबको अप्रैल फूल बनाना चाहती थी पर इस चक्कर में उसका ही अप्रैल फूल बन गया।
11.
विराम चिह्न प्रयोग
मुरलीवाला बोला, “आपको क्या पता बाबूजी कि इनकी असली लागत क्या है? यह तो ग्राहकों का दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर चीज़ क्यों न बेचें पर ग्राहक यही समझते हैं, दुकानदार मुझे लूट रहा है।” आप भला काहे को विश्वास करेंगे? लेकिन सच पूछिए तो बाबूजी असली दाम दो ही पैसा है। आप कहीं से दो पैसे में यह मुरली नहीं पा सकते। मैंने तो पूरी एक हज़ार बनवाई थीं, तब मुझे इस भाव पड़ी हैं।
12.
क. प्रशंसा
ख. कंधा
ग. दंत
घ. महंत
ङ. हिंदी
च. प्रांत
छ. हंस
ज. दंग
13.
क. प्रभाव
ख. केंद्र
ग. ग्राहक
घ. कर्मचारी
ङ. भ्रष्ट
च. निर्दयी
छ. आश्चर्य
ज. प्रसाद
14.
क. रोज़
ख. टेलीफ़ोन
ग. ज़ीनत
घ. गरज़
ङ. लिफ़ाफ़ा
च. नाज़
15.
क. फूला न समाना
वाक्य- कक्षा में प्रथम आने पर दिनेश फूला न समा रहा है।
अर्थ – बहुत खुश होना
ख. कान भरना
वाक्य- जो लोग कान भरते हैं वे मुझे बिलकुल पसंद नहीं।
अर्थ – किसी के बारे में किसी दूसरे को भला बुरा कहना
ग. दंग रह जाना
वाक्य- ग्रामीण शहर की ऊँची-ऊँची इमारतों को देखकर दंग रह गया।
अर्थ – आश्चर्यचकित होना
घ. उल्लू सीधा करना
वाक्य- श्याम जब देखो तब अपना उल्लू सीधा करता रहता है।
अर्थ – अपना काम निकालना
16.
क. अपने लिए नया कंप्यूटर देखकर मीना के मन में लड्डू फूटने लगे।
ख. अपने बेटे के आईपीएस बनने पर रामदास गद्गद् हो गए।
ग. अमेरिका का वीजा मिल जाने पर सतीश के पाँव ज़मीन पर नहीं पड़ रहे हैं।
घ. तीन साल बाद जब सुमित्रा का बेटा विलायत से आया तो उसने घी के दिए जलाए।
ङ. भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाकर मुकेश फूला न समा रहा है।
17.
क. भाववाचक
ख. जातिवाचक
ग. जातिवाचक
घ. भाववाचक
ङ. व्यक्तिवाचक
च. व्यक्तिवाचक
छ. जातिवाचक
ज. भाववाचक
व्यक्तिवाचक
जातिवाचक
18
दिनांक – 12/07/20xx
सेवा में
श्रीमान नगर निगम अधिकारी
राउरकेला नगरपालिका
राउरकेला
विषय – हमारे मोहल्ले के पार्क की सफ़ाई के संदर्भ में
महोदय
पानपोष क्षेत्र का एक ज़िम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हुए मैं आपका ध्यान हमारे मोहल्ले के एपीजे पार्क की सफ़ाई की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। हमारे इलाके का जमादार कितने हफ्तों से काम पर नहीं आया है। बच्चे हर शाम को पार्क में खेलने जाते हैं पर साफ़-सफ़ाई न होने की वजह वे वापस लौट आते हैं और मोबाइल में व्यस्त हो जाते हैं। इससे उनका शारीरिक व्यायाम नहीं हो पा रहा है दूसरी तरफ़ बढ़ती गंदगी से बीमारियों के फैलने का खतरा भी बना रहता है।
अतः, आपसे अनुरोध है कि मामले की गंभीरता को समझते हुए यथाशीघ्र प्रभावी कदम उठाएँ।
सधन्यवाद !
भवदीय
राकेश गुप्ता
पनपोष बस्ती