शब्दार्थ
आश्रम – धर्मशाला
अतिथि – मेहमान
संस्मरण – याद
कुटी – Hut
फ़र्श – Floor
तिपाई – Tripod
सकोरा – मिट्टी से बनी कटोरी
अचरज – आश्चर्य
राखदानी – Ashtray
जीवन पद्धति – life style
अड़चन – बाधा
ढंग – तरीका
स्वराज्य – आज़ादी
अपव्यय – फिज़ूल खर्च
स्वदेशी – Indigenous
बढ़ई – Carpenter
औजार – Tools
सजीव प्रतिकृति – True copy
कोठार – गोदाम
आत्मशुद्धि – Self-purification
उपवास – Fast
सख़्ती – कड़ाई
आलोचना – Criticism
गुस्सा – क्रोध
पाप – Sin
दोष – आरोप
भ्रष्टाचार – Corruption
प्रायश्चित – Repent
शिकायत – Complain
बघार – तड़का
मंजूर – स्वीकार
ताना – उलाहना
पोल खोलना – रहस्य का उद्घाटन करना
प्रत्यय
सख़्ती – सख़्त + ई
उपसर्ग
आश्रम – आ + श्रम
अतिथि – अ + तिथि
संस्मरण – सम् + स्मरण
स्वराज्य – स्व + राज्य
अपव्यय – अप + व्यय
उपवास – उप + वास
विश्वास – वि + श्वास
विदेश – वि + देश
पर्यायवाची शब्द
आश्रम – धर्मशाला, सराय
अतिथि – मेहमान, पाहुन, आगंतुक
संस्मरण – याद, स्मृति, ख्याल
अचरज – आश्चर्य, हैरानी, ताज्जुब
अड़चन – बाधा, मुश्किल, मुसीबत
ढंग – तरीका, लहजा, प्रकार
प्रायश्चित – पश्चाताप, खेद
विलोम शब्द
अतिथि # तिथि
स्मरण # विस्मरण
कुटी # महल
फ़र्श # छत
अड़चन # सुविधा
ढंग # बेढंग
अपव्यय # व्यय
स्वदेशी # विदेशी
सख़्ती # नरमी
आलोचना # प्रशंसा
गुस्सा # प्यार
पाप # पुण्य
दोष # निर्दोष
शिकायत # तारीफ़
मंजूर # नामंजूर
पाठ में से
प्रश्न 1. गाँधी जी ने सिला हुआ कपड़ा पहनना क्यों छोड़ दिया?
उत्तर – गाँधीजी ने सिला हुआ कपड़ा पहनना छोड़ दिया क्योंकि वे स्वदेशी आंदोलन के पुरोधा थे और उस समय सुई का निर्माण भारत में नहीं हुआ करता था।
प्रश्न 2. गाँधी जी ने नौजवान को क्या समझाया ?
उत्तर – गाँधीजी ने नास्तिक नौजवान को समझाया कि भगवान को लेकर अलग-अलग मान्यताएँ हैं पर सच तो यह है कि हर मनुष्य में ईश्वर हैं और हर मनुष्य के प्रति अहिंसक और प्रेम भावना से रहने से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव हैІ
प्रश्न 3. गाँधी जी काग़ज़ का अपव्यय किस प्रकार रोकते थे?
उत्तर – गाँधीजी किसी भी चीज़ के अधिकतम उपयोग पर बल देते थे इसलिए उनके आश्रम में जितनी भी चिट्ठियाँ, लिफ़ाफ़े या तार आते तो उनके कोरे अंशों को वे उपयोग के लिए सँभालकर रख लिया करते थे और इस तरह वे कागज़ का अपव्यय रोकते थे।
प्रश्न 4. आत्मशुद्धि के लिए लेख लिखने का क्या कारण था ?
उत्तर – आत्मशुद्धि के लिए लेख लिखने का कारण यह था कि गाँधीजी यह मानते थे कि पहले आचरण फिर उपदेश अर्थात् वे आश्रम में किसी भी भूल के लिए सबसे पहले खुद को ज़िम्मेदार ठहराते थे और प्रायश्चित स्वरूप उपवास रखते और लेख के रूप में अपने अनुभव लिखा करते थे।
प्रश्न 5. रिक्त स्थान भरिए –
(क) गाँधी जी की कुटी में ______ की बैठक होने वाली थी।
उत्तर – क. हिंदुस्तान प्रचार सभा
(ख) मिट्टी का सकोरा एक ______ था।
उत्तर – ख. राखदानी
(ग) गाँधी जी से ______ खो गया था।
उत्तर – ग. पूनियाँ लपेटने का डोरा
(घ) कस्तूरबा को रुपए उपहार में ______ मिले थे।
उत्तर – घ. चार रुपए
प्रश्न 6. उचित उत्तर पर सही (P ) का निशान लगाइए-
(क) कद्दू के विषय पर गीत किसने लिखा था?
कस्तूरबा
हरिभाई
मणि बहन
छगनलाल जोशी
उत्तर – मणि बहन
(ख) गाँधी जी ने कृष्णचन्द से क्या लाने के लिए कहा ?
मेज़
कटोरा
कुर्सी
तिपाई
उत्तर – औज़ार
(ग) गाँधी जी का लेख पढ़कर किसे बुरा लगा ?
सरोजिनी नायडू
कृष्णचन्द
कस्तूरबा
नरहरि भाई
उत्तर – सरोजिनी नायडू
(घ) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को किस पर बैठने की आदत नहीं थी?
कुर्सी
ज़मीन
चारपाई
तिपाई
उत्तर – ज़मीन
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. ‘गाँधी जी केवल उपदेशक नहीं थे, कर्मयोगी थे’ चर्चा कीजिए।
उत्तर – गाँधीजी जो कहा करते थे उसे अपने जीवन में भी उतारते थे। वे अपने आश्रम के साथसाथ देश के सभी लोगों को ध्यान में रखकर उनके विकास के लिए काम किया करते थे। इसलिए उन्हें केवल उपदेशक नहीं कर्मयोगी भी कहा जाता है।
प्रश्न 2. भ्रष्टाचार हमारे जीवन को किस प्रकार नष्ट करता है? तर्क सम्मत विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – जब कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार के कीचड़ में पैर रखता है तो उसके दाग लाख कोशिश करने के बावजूद भी नहीं छूटते जिसके कारण वह अपने व्यक्तिगत जीवन में भी परेशान रहने लगता है और उससे जुड़े लोगों को भी नाना प्रकार की समस्याएँ आती रहती हैं और इस प्रकार भ्रष्टाचार हमारे जीवन को नष्ट कर देता है।
प्रश्न 3. ‘प्रेम या अहिंसा में ही भगवान है।’ इस कथन के पक्ष और विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – गाँधीजी का यह मानना था कि आप आस्तिक बनें या नास्तिक परंतु कोई शक्ति तो ज़रूर है जो इस दुनिया को चला रही है और अगर आप उस शक्ति के प्रति अपनी श्रद्धा रखना चाहते हैं तो इस दुनिया के सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और अहिंसा की भावना रखनी चाहिए। प्रेम और अहिंसा में ही भगवान है क्योंकि इसी मार्ग का अनुसरण कर हम देवलोक पहुँच सकते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. यदि गाँधी जी सब्ज़ी में बघार लगाने की अनुमति न देते, तो क्या होता?
उत्तर – यदि गाँधीजी आश्रम में रहने वाली बहनों को बघार लगाकर और मसाला डालकर सब्ज़ी खाने की अनुमति न देते तो उबले हुए कद्दू खा-खाकर और किसी बहन को बादी हो जाती, चक्कर आने लगते तथा बहुतों को डकारों के मारे चैन नहीं मिलता।
प्रश्न 2. यदि आपके घर अचानक मेहमान आ जाएँ, तो आप उनकी सुविधा का ध्यान कैसे रखेंगे?
उत्तर – यदि मेरे घर में अचानक मेहमान आ जाएँ तो मैं पूरे उत्साह के साथ उनका आदर-सत्कार करूँगा। उनके रुचि-अरुचि के अनुसार उनके लिए सारे प्रबंध करूँगा। ऐसा करने के पीछे मेरा उद्देश्य हमारी संस्कृति की समृद्धि है क्योंकि हमारी संस्कृति में अतिथि को देवतुल्य कहा गया है।
प्रश्न 3. कल्पना कीजिए कि आप गाँधी जी के आश्रम में हैं। आप अपना वहाँ का अनुभव बताइए।
उत्तर – यदि मैं गाँधीजी के आश्रम में होने की कल्पना करूँ तो मैं उत्साहित जाऊँगा क्योंकि मुझे भारत के राष्ट्रपिता को देखने का सौभाग्य मिलेगा साथी ही साथ मुझे अनुशासन में रहने का अनुभव प्राप्त होगा।
भाषा की बात
प्रश्न 1. कोष्ठक में दिए गए शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए-
(क) उनके लिए यह ______ कर रहा हूँ। ( इंतज़ाम )
उत्तर – प्रबंध
(ख) कस्तूरबा को किसी ने चार रुपए ______ में दिए। (उपहार)
उत्तर – भेंट
(ग) इसमें वे पत्नी, पुत्र, मित्र किसी को ______ नहीं करते थे। (क्षमा)
उत्तर – माफ़
प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्यों में मोटे काले शब्दों के उचित लिंग भेद पर घेरा लगाइए-
(क) गाँधी जी एक कुटी में रहते थे।
उत्तर – स्त्रीलिंग
(ख) उन्होंने एक मिट्टी का सकोरा रख दिया।
उत्तर – पुल्लिंग
(ग) वह पुराने ढंग की धोती और चादर पहनते थे।
उत्तर – स्त्रीलिंग
(घ) गाँधी जी के आश्रम का नाम सेवाग्राम था ।
उत्तर – पुल्लिंग
प्रश्न 3. नीचे दिए गए वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए-
(क) जिसे बहुत थोड़ा ज्ञान हो – अल्पज्ञ
(ख) किसी के पीछे चलने वाला – अनुचर
(ग) जो कहा जा सके – अकथनीय
(घ) जिसका कोई आकार हो – निराकार
(ङ) ईश्वर में विश्वास रखने वाला – आस्तिक
(च) जो किए गए उपकार को मानता हो – कृतज्ञ
जीवन मूल्य
गाँधी जी का जीवन ‘सादा जीवन उच्च विचार’ का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण रहा|
प्रश्न 1. आप अपने जीवन में सादगी को किस प्रकार अपनाते हैं?
मैं अपने जीवन में सादगी को एक आवश्यक तत्त्व की तरह अपनाता हूँ और इसके सुखद परिणाम मुझे निरंतर मिलते रहते हैं।
प्रश्न 2. सादा जीवन सुदृढ़ चरित्र को आधार प्रदान करता है। कैसे?
सादा जीवन सुदृढ़ चरित्र को आधार प्रदान करता है क्योंकि जब हम सादगी को अपनाते हैं तो हमें न धन की भूख रहती हैं और न ही चीज़ों को बटोरने की स्पृहा। इन दोनों से मुक्त हो जाने के बाद हमारे जीवन का उद्देश्य केवल गौरव-गिरि पर चढ़ना ही है।
कुछ करने के लिए
प्रश्न 1. गाँधी जी हर छोटी-से-छोटी चीज़ का ध्यान रखते थे। आप अपनी छोटी तथा महत्त्वपूर्ण वस्तुओं को कैसे सँभालते हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
प्रश्न 2. श्रीमती पारीख ने उबले कद्दू पर कविता बनाई और सुनाई। आपको भी जो सब्ज़ी पसंद नहीं हो, पर कविता बनाइए और कक्षा में सुनाइए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
प्रश्न 3. गाँधी जी पर आधारित चलचित्र ‘गाँधी’ तथा ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ देखिए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
अभ्यास सागर
पाठ – 6
आश्रम के अतिथि और संस्मरण
भाववाचक संज्ञा
अपठित गद्यांश
1.
व्यक्तिवाचक संज्ञा – गाँधी जी, ईश्वर, छगनलाल, कस्तूरबा
जातिवाचक संज्ञा – मेज़, कुर्सी
भाववाचक संज्ञा – सेवा, खुशी, सख़्ती
2.
केवल पढ़ने और समझने के लिए-
3.
क. गुरु गुरुता
ख. बूढ़ा बुढ़ापा
ग. बच्चा बचपन
घ. पंडित पांडित्य
ङ. कवि कवित्व
च. ठग ठगहारी, ठगई
4.
क. मम ममत्व, ममता
ख. स्व स्वत्व
ग. अपना अपनापन
घ. निज निजत्व, निजता
ङ. आप आपा
च. सर्व सर्वस्व
5.
क. नम्र नम्रता
ख. मोटा मोटापा
ग. भयानक भय
घ. मीठा मिठास
ङ. लाल लालिमा
च. हरा हरीतिमा, हरापन
6.
क. गिरना गिरावट
ख. कमाना कमाई
ग. थकना थकावट
घ. चलना चलन
ङ. चमकना चमक
च. सजाना सजावट
7.
क. धिक् धिक्कार
ख. निकट नैकट्य
ग. भीतर भीतरी
घ. नीचे नीचता
ङ. मना मनाही
च. शीघ्र शीघ्रता
8.
क. शिशु
ख. गुरु
ग. बंधु
घ. दानव
ङ. पशु
9.
क. व्यक्तित्व
ख. विद्वता
ग. विधाता
घ. ऐश्वर्य
ङ. पुरुषत्व
10.
क. उड़ान
ख. भक्ति
ग. रहन-सहन
घ. व्यक्तित्व
ङ. दीनता
11.
क. अहमद विद्यालय नहीं जा पाया क्योंकि वह बीमार था।
ख. अहमद के पिताजी ने उसे समझाया था कि बाज़ार में बिकने वाली मिठाइयाँ जिसपर मक्खियाँ बैठती हैं उसे मत खाया करो।
ग. अहमद अगर बीमार न होता तो अपनी कक्षा की ओर से क्रिकेट मैच खेलता।
घ. स्वस्थ व्यक्ति के जीवन में हर पल उल्लास रहता है जबकि अस्वस्थ व्यक्ति के चारों ओर उदासी ही उदासी नज़र आती है।
ङ. बाज़ार की मिठाइयों को गंदा कहा गया है क्योंकि उसपर मक्खियाँ भिनभिनाती हैं तथा जिन सामग्रियों से मिठाइयाँ बनाईं जाती हैं वे भी उत्तम गुणवत्ता वाले नहीं होते हैं।
12.
क. दिन – विवस, वासर
ख. उपहार – तोहफ़ा, भेंट
ग. रात – निशा, रजनी
घ. ज़मीन – भूमि, भू
13.
क. मैं परीक्षण का इंतज़ार करने लगा।
ख. थोड़ी अँगड़ाई लेने की भी जगह नहीं थी।
ग. इसमें घुसते ही/इसके अंदर जाते ही यह घूमने लगता है।
घ. इस आवाज़ से आदमी पागल भी हो सकता है।
14.
क. दिया गया है।
ख. मुझे चक्कर आने लगा
मशीन से सर्र-सर्र की आवाज़ें आने लगीं।
ग. मैं कुछ बड़ा कर सकता हूँ।
कोई मेरी तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहा है।
घ. मुझे नींद नहीं आई।
बारिश होती रही।
बिजली कटी रही।
15.
क. मुझे क्या करना है ?
ख. तुलसीदास जी ने ‘रामचरितमानस’ लिखी थी।
ग. डॉक्टर ने पूछा, “क्या आप ठीक हैं?”
घ. अहा ! कितना मीठा आम है।
16
क. फॉर्म का बड़ा हिस्सा
दिनांक – 00/00/0000
2 | 4 | 4 | 7 | 2 | 6 | 3 | 4 | 7 | 0 | 7 | 5 | 7 | 6 |
शाखा – राँची
के नाम जमा हेतु
डीएवी पब्लिक स्कूल, राँची
जमाकर्ता का पता
मालती देवी, बरियातु रोड राँची फोन न. 06845-4525982
500 X 30 15000.00
रु. शब्दों में केवल पंद्रह हज़ार रुपए- कुल 15000.00
मालती देवी
जमाकर्ता के हस्ताक्षर
फॉर्म का छोटा हिस्सा
शाखा – राँची
दिनांक – 00/00/0000
2 | 4 | 4 | 7 | 2 | 6 | 3 | 4 | 7 | 0 | 7 | 5 | 7 | 6 |
के नाम जमा हेतु
डीएवी पब्लिक स्कूल, राँची
जमाकर्ता का पता
मालती देवी, बरियातु रोड राँची
15000.00
रु. शब्दों में केवल पंद्रह हज़ार रुपए- कुल 15000.00