शब्दार्थ
अन्याय – Injustice
खिलाफ़ – Against
गुलाम – Slave
धमकी – Threatening
नेता – Leader
मज़दूर – Labourer
निगाह – नज़र
हुक्म – आदेश
अत्याचार – Atrocity
मशहूर – विख्यात
संकरी – तंग/ Narrow
परवाह – Care
तरकीब – उपाय
कारतूस – गोली / Bullet
आत्मसमर्पण – Surrender
गिरफ्तार – Arrest
इशारा – संकेत
मिसाल – उदाहरण
हित – भलाई
कूच – march
पर्यायवाची
गुलाम – दास, सेवक, अनुचर
निगाह – नज़र, नयन, नेत्र
हुक्म – आदेश, आज्ञा
मशहूर – विख्यात, प्रसिद्ध, नामी
विलोम
अन्याय # न्याय
खिलाफ़ # साथ
गुलाम # मालिक
मज़दूर # मालिक
हुक्म # अनुमति
अत्याचार # सदाचार
हित # अहित
उपसर्ग / प्रत्यय
उपसर्ग
अन्याय – अ + न्याय
अपमान – अप + मान
सहयोग – सह – योग
प्रत्यय
गोलियाँ – गोली + याँ
पाठ में से
प्रश्न 1. किस बात से पता चलता है कि बैस्टीयन स्वभाव से बहुत क्रूर और अक्खड़ था?
उत्तर – बेस्टीयन एक तहसीलदार था जिसे अंग्रेज़ सरकार द्वारा सड़क बनवाने का काम सौंपा गया था। सड़क निर्माण में मज़दूरों की आवश्यकता पड़ती इसलिए वह कोया आदिवासियों के पास गया और अमानवीय तरीके से आदिवासियों को काम करने के लिए मज़बूर करने लगा। जब किसी आदिवासी ने काम के बदले में पैसे की बात की तो बेस्टीयन बहुत ही क्रूर तरीके से उनसे बोला, “हुक्म बजाना नौकरों का काम होता है। आगे से यह सवाल मत पूछना।” इन सभी बातों से यह स्पष्ट हो जाता है कि बेस्टीयन बहुत ही क्रूर और अक्खड़ स्वभाव का था।
प्रश्न 2. श्रीराम राजू का पूरा नाम क्या था? आदिवासियों से उसका परिचय किस प्रकार हुआ?
उत्तर – श्रीराम राजू का पूरा नाम अल्लूरी श्रीराम राजू था। हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद वे साधु बन गए थे और उसी जंगल में जाकर रहने लगे जहाँ कोया आदिवासी रहा करते थे और इस तरह आदिवासियों से उनका परिचय हुआ।
प्रश्न 3. श्रीराम राजू की किस बात को सुनकर आदिवासियों में हिम्मत आई?
उत्तर – अल्लूरी श्रीराम राजू ने कोया आदिवासियों को मशहूर नेता गाँधीजी के बारे में बताया कि गाँधीजी सभी भारतीयों से यह कहते हैं कि हमें अंग्रेज सरकार का सहयोग नहीं करना चाहिए और कोई अंग्रेज़ अन्याय करेगा तो हमें अन्याय सहने से इनकार कर देना चाहिए। श्रीराम राजू की बातें सुनकर आदिवासियों का दिल मज़बूत हुआ और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ़ क्रांति कर दी।
प्रश्न 4. कोया आदिवासी भारतीय सिपाहियों का ध्यान किस प्रकार रखते थे?
उत्तर – अल्लूरी श्रीराम राजू ने आदिवासियों से यह कह रखा था कि किसी भी भारतीय सैनिक का बाल भी बाँका न होने पाए इसलिए जब जंगल की संकरी पगडंडियों से अंग्रेज़ी सेना गुज़र रही होती थी तो जंगल में छिपे आदिवासी भारतीय सैनिकों को गुज़र जाने देते और जैसे ही उन्हें कोई अंग्रेज़ सिपाही, सारजेंट या कमांडर नज़र आता उन पर अचूक निशाना लगाकर उनका काम तमाम कर देते थे
प्रश्न 5. श्रीराम राजू ने अंग्रेज़ों के सामने समर्पण क्यों किया?
उत्तर – जब अंगेज़ों ने जंगल के उन रास्तों को बंद कर दिया जिन रास्तों से आदिवासियों के लिए खाने की वस्तुएँ आया करती थीं और भंडार के रूप एकत्र किए गए सारे फसलों को भी अंगेज़ों द्वारा जला दिया तो भूख के मारे आदिवासियों का बुरा हाल होने लगा। क्रांतिकारी गतिविधियाँ भी शिथिल पड़ गईं। ऐसी स्थिति में अल्लूरी श्रीराम राजू को यह लगा कि अगर वह आत्म-समर्पण कर दे तो अंग्रेज़ आदिवासियों को सताना बंद कर देंगे इसलिए राजू ने अंगेज़ों के सामने आत्म-समर्पण कर दिया।
प्रश्न 6. उचित शब्दों से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(क) ‘अन्याय के खिलाफ़ लड़ाई’ की घटना सन् _____ की है।
उत्तर – 1922
(ख) श्रीराम राजू ने _____ तक की पढ़ाई की थी।
उत्तर – हाई स्कूल
(ग) मेजर गुडॉल _____ गाँव में डेरा डाले हुआ था।
उत्तर – मंपा
(घ) श्रीराम राजू को _____ ने गोली मारी।
उत्तर – कुंचू मेनन
बातचीत के लिए
प्रश्न 1. अंग्रेज़ों की क्या योजना थी?
उत्तर – अंग्रेजों की योजना थी कि घने जंगलों और पहाड़ों को चीरती हुई एक सड़क बिछाई जाए और कोया आदिवासियों को सड़क के काम में नियोजित किया जाए।
प्रश्न 2. सड़क बनवाने का काम किसे सौंपा गया?
उत्तर – शासन द्वारा सड़क बनवाने का काम तहसीलदार बेस्टीयन को सौंपा गया।
प्रश्न 3. श्रीराम राजू ने आदिवासियों को गाँधी जी के बारे में क्या बताया?
उत्तर – अल्लूरी श्रीराम राजू ने कोया आदिवासियों को भारत के मशहूर नेता गाँधीजी के बारे में बताया कि गाँधीजी सभी भारतीयों से यह कहते हैं कि हमें अंग्रेज़ सरकार का सहयोग नहीं करना चाहिए और कोई अंग्रेज़ अन्याय करेगा तो हमें अन्याय सहने से इनकार कर देना चाहिए।
प्रश्न 4. किस इलाके के आदिवासी लोग अन्याय के खिलाफ संघर्ष में कूद पड़े?
उत्तर – भद्राचलम से परवथीपुरम तक पूरे इलाके के आदिवासी लोग अन्याय के खिलाफ़ लड़ने के लिए संघर्ष में कूद पड़े।
प्रश्न 5. श्रीराम राजू की शहादत ने अंग्रेज़ों को कौन-सा पाठ पढ़ा दिया था?
उत्तर – श्रीराम राजू की शहादत ने अंग्रेजों को यह पाठ पढ़ा दिया कि आदिवासियों के साथ मनमर्जी नहीं की जा सकती। उनके अधिकारों की रक्षा करना बहुत आवश्यक है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. यदि श्रीराम राजू की जगह आप होते तो क्या करते ?
उत्तर – यदि श्रीराम राजू की जगह मैं होता तो मैं भी आत्मसमर्पण कर देता परंतु अपने भरोसेमंद लोगों से यह ज़रूर कहता कि अगर किसी अंग्रेज़ ने कोई भी ऊँच-नीच की तो तुम अपने तीर-धनुष से उनकी छाती भेद देना।
प्रश्न 2. यदि श्रीराम राजू अंग्रेज़ों के सामने आत्मसमर्पण न करता तो क्या होता ?
उत्तर – यदि श्रीराम राजू आत्मसमर्पण न करते तो अंग्रेज़ संदिग्ध आदिवासियों को बुरी तरह पीटते, उनके निवास स्थान को उजाड़ देते और खाने की कमी के कारण आदिवासी भूखे मर जाते।
प्रश्न 3. अगर श्रीराम राजू को कचहरी में पेश किया जाता तो क्या होता?
उत्तर – अगर श्रीराम राजू को कचहरी में पेश किया जाता तो उनपर राजद्रोह का आरोप लगाया जाता और उन्हें कुछ सालों की सज़ा होती।
भाषा की बात
प्रश्न 1.पाठ में आए हुए दो-दो अनुस्वार (ं), अनुनासिक (ँ) तथा नुक्ता ( . ) लगे शब्द छाँटकर दिए गए स्थान में लिखिए-
अनुस्वार अनुनासिक नुक्ता
क. लंबा उँगली ज़रा
ख़. संघर्ष पहुँचाना फ़ैसला
प्रश्न 2. निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयोग किए गए मोटे काले विराम चिह्न पहचानिए तथा उनके नाम लिखिए- पंक्ति
(क) आदिवासियों की हिम्मत जवाब देने लगी ।
(ख) “ हुक्म बजाना नौकर का काम है । “
(ग) वह उन्हें सुन-सुनकर फूला न समाता।
(घ) सड़क के निर्माण के लिए मज़दूर कहाँ से आएँगे?
चिह्न नाम
क. । विराम चिह्न
ख़. “” उद्धरण चिह्न
ग. – योजक चिह्न
घ. ? प्रश्नसूचक चिह्न
जीवन मूल्य
प्रश्न 1. ‘जीवन अनमोल है’ इस बात को ध्यान में रखते हुए बताइए कि अपनी भीषण समस्या का समाधान करने के लिए आप क्या करेंगे?
उत्तर – मेरा जीवन बहुत अनमोल है और जीवन है तो समस्याएँ आएँगी ही आएँगी। ऐसे में मैं पूरे शांत चित्त से समस्या का समाधान ढूँढ़ता हूँ क्योंकि मेरा यह मानना है कि ऐसी कोई भी समस्या नहीं जिसका समाधान न हो। कभी-कभी जब मैं अपने स्तर पर समस्या का समाधान ढूँढ़ने में विफल हो जाता हूँ तो अपने भरोसेमंद लोगों के अनुभवों का लाभ भी उठाता हूँ।
प्रश्न 2. किसी ऐसी घटना के बारे में बताइए जब आपने किसी अत्याचार या अन्याय का विरोध किया हो। उसका परिणाम क्या रहा?
उत्तर – एक बार रेलवे स्टेशन पर जब एक व्यक्ति एक दरिद्र बच्चे को पैसे देने के बजाय उसे परेशान कर रहा था तो मैंने उस आदमी को उसके अनैतिक कार्य के लिए बहुत बुरा-भला कहा। मेरे इस कार्य से वह आदमी आत्मग्लानि से भर गया उसने मुझसे और उस दरिद्र बच्चे दोनों से माफ़ी माँगी।
कुछ करने के लिए
1. अपने आस-पास के किसी ऐसे व्यक्ति का साक्षात्कार लीजिए जो आपके विचार से संघर्ष कर रहे हैं?
उत्तर – छात्र स्वयं करें
2. हमारे देश में आज भी कई आदिवासी जनजातियाँ हैं। उनके बारे में पता कीजिए और कक्षा में बताइए।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
3. आज़ादी के बाद भी हमारे देश में किस तरह की समस्याएँ व्याप्त हैं? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें
अभ्यास सागर
पाठ – 7
अन्याय के खिलाफ़ लड़ाई
वाक्यांश के लिए एक शब्द,
वाक्य शुद्धीकरण
1.
केवल पढ़ने और समझने के लिए।
2.
क. अनुपम
ख. अनंत
ग. अकथनीय
घ. सदाचारी
3.
क. जिसका विश्वास न किया जा सके
ख. शक्ति के अनुसार
ग. जो शरण में आ गया हो
घ. जो कम खाता हो
ङ. जिसकी तुलना न की जा सके
4.
क. उपर्युक्त
ख. दर्शनीय
ग. शरणागत
घ. पर्णकुटी
ङ. क्षणभंगुर
5.
क. निरुत्तर
ख. नभचर
ग. छात्रावास
घ. अल्पाहारी
6.
क. अभागा
ख. यथेच्छा
ग. उदार
घ. निरपराध
ङ. अनुकरणीय
7.
क. कल माताजी आ रही हैं।
ख. मैं आपके दर्शन करने आया हूँ।
ग. अनेक स्त्री-पुरुष वहाँ आए थे।
घ. दुष्टों के भय से मत डरो।
ङ. उसे पूरे अंक प्राप्त हुए।
च. करीम सिनेमा देखने गया था।
छ. गीतों की एक पुस्तक ला दीजिए।
ज. कृपया हमारी बात सुनें।
झ. यहाँ ताज़ा फलों का रस मिलता है।
ञ. रोगी को सेब काटकर खिलाओ।
8.
क. यहाँ ईमानदार और उदार लोग रहते हैं।
ख. भाषण दे रहे हैं, नेताजी।
ग. हमारे राष्ट्र में भ्रष्टाचार देखकर मुझे बड़ा दुख होता है।
घ. उसकी आवाज़ सुनाई पड़ी।
ङ. यह घटना उस समय की है, जब मैं दस वर्ष का था।
9.
क. गाँव
ख. आम्र
ग. काम
घ. घर
ङ. सप्त
10.
क. “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।”
ख. छि ! तुमने तो नाम ही डुबो दिया।
ग. गणतंत्र दिवस की परेड में बच्चे, स्त्री, पुरुष सभी एकत्रित हुए।
घ. माताजी बोली, “मैं आपके साथ चलूँगी।”
ङ. वह ईमानदार है, मैं नहीं मान सकता।
11.
क. लड़के भाग गए।
ख. बालिका ने अच्छा गीत सुनाया।
ग. मंच पर लड़कियाँ नाच रही हैं।
घ. पक्षी गगन में उड़ रहे हैं
ङ. उपवन में फूल खिलते हैं।
12.
क. धीरे-धीरे – रीतिवाचक क्रियाविशेषण
ख. अभी – काल/समयवाचक क्रियाविशेषण
ग. अचानक – रीतिवाचक क्रियाविशेषण
घ. जितना, उतना – परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
ङ. शीघ्र – काल/समयवाचक क्रियाविशेषण
13.
क. आनंद
ख. आँधी
ग. पहुँचेंगे
घ. आँखें
ङ. आठवीं
च. चौंका
14.
दिनांक – 00/00/0000
घर संख्या – W-414
बदामबाड़ी, कटक
प्रिय मित्र, सुरेश
सप्रेम नमस्ते
मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी सूरत में सपरिवार सकुशल होगे। मित्र, आज मैंने आंध्रप्रदेश के कोया आदिवासियों की एक रोमांचक कहानी पढ़ी। वे जंगलों में रहा करते थे और अंग्रेज़ उनपर तरह-तरह के अत्याचार करते थे। इसी दौरान उनके जीवन में श्रीराम राजू अवतार के रूप में आए और उन्हें अन्याय के खिलाफ़ लड़ाई के लिए जागृत किया। अंग्रेजों के तो होश उड़ने लगे। अंत में छल-कपट का सहारा लेकर अंग्रेजों ने आदिवासियों को परेशान करना शुरू किया और श्रीराम राजू को भी मार डाला। सचमुच, स्वतंत्रता खून माँगती है।
शेष सब सामान्य है, बाकी अगले पत्र में।
तुम्हारा मित्र
रजनीश